Last Updated on November 2, 2023 by admin
आयुर्वेद एक प्राचीन शास्त्र है। आयुर्वेद का उद्देश्य सिर्फ रोगनाश करना ही नहीं बल्कि स्वास्थ्यरक्षण करना भी है। आयुर्वेद में जीवन के 3 आधारभूत उपस्तम्भ बताये है – आहार, निद्रा, ब्रम्हचर्य। इन तीनों में निद्रा का अनन्य साधारण महत्व है। अनेक तरह के भिन्न-भिन्न कार्य करते हुए मन इन्द्रियों सहित थक जाता है, इसके कारण मन व इन्द्रियां अपने-अपने विषयों से निवृत्त हो जाती हैं और मनुष्य को निद्रा आती है।
आयुर्वेदिक के अनुसार निद्रा के प्रकार :
आचार्य चरक ने निद्रा के 6 भेद बताये हैं जो इस प्रकार है –
- तमोभवा
- श्लेष्मसमुद्भवा
- मनः शरीरश्रमसंभवा
- आगन्तुकी
- व्याध्यानुर्तिनी
- रात्रिस्वभावप्रभाव
1. तमोभवा निद्रा : शरीर में तमोगुण की अधिकता से जो निद्रा आती है उसे तमोभवा कहते है। यह प्रायः मृत्यु के समय आती है इसे ही सुश्रुत ने तामसी निद्रा कहा है।
2. श्लेष्मसमुद्भवा निद्रा : कफ दोष की अधिकता से आने वाली निद्रा को श्लेष्मसमुद्भवा निद्रा कहते है।
3. मनः शरीरश्रमसंभवा निद्रा : अत्याधिक शारीरिक व मानसिक कार्य करने से मन और शरीर थक जाता है, उससे जो निद्रा आती है, उसे मनः शरीरश्रमसंभवा निद्रा कहते हैं।
4. आगन्तुकी निद्रा : तमोगुण की अधिकता से सभी स्रोत अवरूद्ध हो जाते है तब आगन्तुकी निद्रा आती है।
5. व्याध्यानुवर्तिनी निद्रा : कफज आदि रोग होने पर कफ की वृद्धि होने पर निद्रा अधिक आती है, उसे व्याध्यानुवार्तिनी निद्रा कहते है।
6. रात्रिस्वभावप्रभाव निद्रा : स्वस्थ व्यक्ति में स्वाभाविक रुप से रात्रि में जो निद्रा आती है उसे रात्रि स्वभाव प्रभाव कहते है एवं यही निद्रा व्यक्ति के धारण-पोषण एवं सौंदर्य-वृद्धि के लिए आवश्यक है। इस निद्रा के लिए व्यक्ति के सभी दोष, धातु प्राकृत होना आवश्यक है। सोने का कमरा हवादार हो, न अधिक शीत न अधिक गर्म हो, बिस्तर स्वच्छ, धुले तथा मुलायम हों। वातावरण शान्त कोलाहल रहित एवं सुगंधित हो। इस तरह से वातावरण में जब व्यक्ति प्राकृत निद्रा लेता है। तो उसका शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य उत्तम रहता है।
कितने घंटे की नींद जरूरी :
हमें कितने घंटे नींद लेनी चाहिए ?
“जितने व्यक्ति, उतनी प्रकृति” यह न्याय निद्रा के बारे में भी लागू होता है। निद्रा का समय प्रत्येक व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है। साधारणतः 24 घंटो में से 6-8 घंटे नींद लेना प्रौढ़ व्यक्ति के लिए आवश्यक होता है। सोते समय आधे घंटे में शांत नींद आनी चाहिए तथा सुबह अपने आप नींद से आंख खुलनी चाहिए। नींद से उठने के बाद प्रसन्न लगना चाहिए व दिनभर उत्साह होना चाहिए।
निद्रा के नैसर्गिक / प्राकृत परिवर्तन –
किसी व्यक्ति को 9-10 घंटे तक अच्छी नींद आती है, तो किसी व्यक्ति को 3-4 घंटे नींद लेकर भी समाधान प्राप्त होता है।
कोई व्यक्ति जल्दी सोकर जल्द ही उठ जाता है तो कोई व्यक्ति देर रात सोकर सुबह देर से उठता है। नवजात शिशु दिनभर सोता है। साधारणतः 3-5 महीने बाद शिशु दिन में थोड़ा कम व रात में ज्यादा सोता है। इसी तरह 3 साल होने तक बच्चों का दिन में सोना क्रमशः कम होता जाता है। और रात को सोने का समय बढ़ता जाता है। स्कुली बच्चों को 7-9 घंटे नींद लेना चाहिए। पौगण्डावस्था में नींद की जरुरत थोड़ी और बढ़ती है। उसके बाद प्रौढ़ावस्था में 6-8 घंटे नींद पर्याप्त और प्राकृत होती है।
वृद्धावस्था में भी नींद के घंटे उतने ही होते हैं किंतु रात्रि में बार-बार उनकी निद्रा से आंख खुलती रहती है। दिन में भी थोड़ी-थोड़ी झपकीयां आती रहती हैं, ये निद्रा के प्राकृत बदल हैं।
अनिद्रा के दुष्प्रभाव (Neend na Aane se Hone Wali Bimari in Hindi)
नींद न आने से क्या होता है ?
अनिद्रा (नींद न आना) अनेक प्रकार के रोगों के लक्षण स्वरुप होती है और अनिद्रा से निद्रा न आने पर शरीर में कृशता, बलहानि, नपुंसकता, ज्ञानेन्द्रियों के विषयों में प्रवृत्त न होना आदि अनेक प्रकार के भयंकर रोग होते है। अंत में मृत्यु भी हो सकती है। नींद समाधानकारक न होने पर (संपूर्ण रुप से उचित न होने पर) निम्नलिखित रोग हो सकते है।
- स्ट्रोक – इसमें हृदयवाहिनी प्रभावित होती है। जिसकी वजह से मस्तिष्क में रक्त प्रवाह न हो पाने का खतरा रहता है और भयंकर रोग उत्पन्न होते है।
- डायबिटीज़ – अनिद्रा से स्ट्रेस हार्मोन नामक हार्मोन का स्राव अनियमित होता है, जिससे डायबिटीज़ को बढ़ावा मिलता है।
- डिप्रेशन – अनिद्रा से खराब मुड और डिप्रेशन जैसी समस्या भी उत्पन्न होती है।
- कैंसर – आधुनिक संशोधकों ने स्तन कैंसर के कारणों में अनिद्रा को भी एक कारण बताया है। इस प्रकार अनिद्रा से अनेक रोगों की उत्पत्ति होती है।
आयुर्वेद में अच्छी नींद आने के उपाय (Acchi Neend ke Liye Upay in Hindi)
अच्छी नींद आने के लिए क्या करें ?
आयुर्वेद में निद्रानाश होने पर कुछ उपाय इस तरह वर्णित है –
1). सरसों का तेल – गहरी नींद के लिए रात्री में सोने से पहले पैरों के तलवों में सरसों के तेल की मालिश करने से लाभ होता है । ( और पढ़े – तेल मालिश करने का सही तरीका )
2). दूध – सोते समय एक गिलास दूध में एक चम्मच घी और मिश्री मिलाकर पीने से अनिद्रा रोग दूर होता है।
3). शहद – पोस्तादाना को पीसकर इसमें शहद मिलाकर पीने से नींद का न आना दूर होता है। ( और पढ़े – स्वास्थ्य रक्षक शहद )
4). मकोय – बिजौरा नींबू को सर के पास रखकर सोने या मकोय की जड़ को कच्चे सूत से माथे पर बाँधकर सोने से अच्छी नींद आती है।
5). बेल – बेल की जड़ को पाँच से दस ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से अनिद्रा रोग में आराम मिलता है। ( और पढ़े – औषधीय गुणों से मालामाल बेलपत्र )
6). सेब – सोने से पहले सेब खाने या सेब का मुरब्बा खाने से नींद का न आना रोग दूर होता है।
7). मेंहदी – मेंहदी के सूखे फूलों को तकिये के निचे रखकर सोने से गहरी और अच्छी नींद आती है।
8). रस – सेब, पालक, अमरूद, गाजर और आलू के रस को एकसाथ मिलाकर पीने से अनिद्रा रोग में आराम मिलता है। ( और पढ़े – जानिये कौन से रोग में कौन सा कैसा जूस पिया जाए )
9). आम – रात्री में आम खाकर दूध पीने से नींद का न आना रोग ठीक होता है।
10). मकोय – दस से बीस ml मकोय की जड़ के काढ़े में गुड़ मिलाकर पीने से अनिद्रा रोग नष्ट होता है।
11). मालकांगनी – जटामांसी, मालकांगनी के बीज, सर्पगन्धा और शक्कर को समान मात्रा में लेकर पीस लें । सुबह-शाम 1-1 चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सेवन करने से अनिद्रा रोग दूर होकर नींद अच्छी आती है।
12). जटामांसी – जटामांसी की जड़ के 1 चम्मच चूर्ण को जल के साथ सोने से कुछ समय पहले सेवन करने से नींद अच्छी आती है।
13). गाजर – गाजर का जूस नित्य पीने से अच्छी नींद आती है।
14). कलौंजी – एक चम्मच शहद में आधा चम्मच कलौंजी का तेल मिलाकर लेने से अनिद्रा रोग में लाभ होता है ।
15). शंखपुष्पी – शंखपुष्पी चूर्ण को मिश्री के साथ एक-एक चम्मच सुबह-शाम खाने से दिमागी तनाव दूर होता है और नींद अच्छी आती है।
16). दही – सौंफ और कालीमिर्च चूर्ण को दही में मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से अनिद्रा रोग दूर होता है ।
17). तुलसी – नित्य तुलसी के पत्तों को खाने तथा रात्री में सर के पास तुलसी रखकर सोने से रात में नींद अच्छी आती है।
18). प्याज – 3 से 4 चम्मच कच्चे या पकाए हुये प्याज का रस निकालकर पीने से अनिद्रा रोग नष्ट होता है ।
19). पुनर्नवा – पुनर्नवा का काढ़ा पचास से सौ ml की मात्रा में सेवन करने से अनिद्रा रोग दूर होता है।
20). बैंगन – रात्री में बैंगन के भरते को शहद के साथ खाने से नींद अच्छी आती है।
अच्छी नींद के लिए कुछ अन्य उपाय –
- निद्रानाश होने पर शरीर पर तेल की मालिश करनी चाहिए।
- माथे पर तेल लगाना चाहिए।
- हाथ-पैर तथा बदन पर उबटन लगाना चाहिए।
- संवाहन अर्थात हल्के हाथ से हाथ-पैर दबाना चाहिए।
- ईख से बनाये हुए पदार्थ (जैसे- चीनी, गुड़ मिश्री) शाली चावल, गेंहू तथा पिष्टमय पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- दुग्ध से बने स्निग्ध और मधुर पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
- आचार्य सुश्रुत ने माहिष दुग्ध (भैंस का दुग्ध) निद्राकर बताया है। अनिद्रा के रुग्णों में हम इसका उपयोग कर सकते है।
सुखप्रद निद्रा के लिए आहार-विहार और परहेज :
अच्छी नींद के लिए –
- दिनचर्या नियोजित करे। हर काम समय पर करने की कोशिश करनी चाहिए। जिससे नींद के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
- चाय-कॉफी का बहुत अधिक सेवन न करें।
- देर रात तक न जागें।
- खाली पेट न सोयें हल्का भोजन करके सोने के बाद अच्छी नींद आती है।
- सोने से कम से कम दो घंटे पहले व्यायाम, भोजन, मनःस्ताप होने जैसे किताबों का पठन या चर्चा अथवा चाय-कॉफी या अम्लीय पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।