Last Updated on October 17, 2021 by admin
आम लोगों में धारणा यह है कि जितना अधिक भोजन किया जाएगा है उतना ही वह ताकत देगा, शरीर को बलिष्ठ बनाएगा। जबकि वास्तविकता यह है कि अधिक और गरिष्ठ भोजन खाने वालों की अपेक्षा थोड़ा और सादा भोजन करने वाले ही अधिक शक्तिशाली और बड़ी आयु के होते हैं।
कुछ आंकडों के अनुसार संसार में भोजन के अभाव से जितने लोग अकाल पीड़ित होकर मरते हैं, उससे कहीं अधिक अनावश्यक व ज्यादा भोजन करने के कारण रोग ग्रस्त होकर मरते है। डॉक्टर लोएंड ने मनुष्य की आयु घटाने वाले जो 10 कारण बताए है, उनमें से सबसे पहले नंबर पर रखा है अधिक खाने की आदत।
ज्यादा खाना खाने के नुकसान (Side Effects Of Overeating in Hindi)
- आवश्यकता से अधिक भोजन करने वालों की स्फूर्ति चली जाती है।
- बहुत समय तक वे नि:चेष्ट व आलस्यग्रस्त पड़े रहते हैं।
- ओवरईटिंग से शरीर में उनींदापन छाया रहता है।
- एक बार में बहुत अधिक भोजन करने से अजीर्ण के कारण छाती में जलन हो सकती है।
- अधिक भोजन करने से सिर में दर्द, भारीपन, जी मिचलाना, खट्टी डकारे आना जैसी समस्याओं को पैदा करते हैं।
- अधिक मात्रा में भोजन करने से पेट में दर्द, पेट फूलने जैसी समस्या भी हो सकती है।
- अधिक भोजन करने से मुंह में पानी भर आना व पेट में गैस का अधिक बनना जैसी समस्याओं को पैदा करता हैं।
- ओवरईटिंग से पेट में भारीपन लगना व पेट का पत्थर जैसा कड़क होने जैसी समस्या को जन्म दे सकता है।
तले व गरिष्ठ भोजन से हानियां :
- आजकल लोगों को तला और भूना भोजन अधिक पसंद आता है। अकसर पूरी तरह गर्म न हए तेल में इन्हें पकाने से तेल का बहुत-सा भाग ये भोज्य पदार्थ सोख लेते है, जिससे अधिक तैलीय और अस्वास्थ्यकर सामग्री सेवन कर ली जाती है। इसके प्रभाव से शरीर में वसा की मात्रा बढ़ जाती है।
- एक बार गर्म करके उपयोग करने के बाद दोबारा जब तेल के गर्म कर खाद्य पदार्थ तले जाते है तो एक्रोलीन की मात्रा और भी बढ़ जाती है और अनुपात में ज्यादा नुकसान की संभावनाएं बढ़ती हैं।
हानिकारक प्रभावों से कैसे बचे :
- भोजन जीवन की अनिवार्य शर्त है, किंतु संतुलित और निश्चित मात्रा में भोजन करना ही स्वास्थ्यप्रद होता है। आयुर्वेद मतानुसार पेट का आधा भाग आहार से भरे, चौथाई को पानी के लिए और शेष चौथाई को हवा के लिए खाली रहने दें। इस नियम से भोजन करने वाले को पेट में आराम और हलकापन अनुभव होता रहेगा।
- चिकित्सकों का कहना है कि हमारी पाचन शाक्ति से अधिक किया गया भोज़न पोषक होने की बजाय शोषक सिद्ध होता है। अत: हमें अधिक भोजन करने से अधिक लाभ होगा, इम प्रवृत्ति को बदलना चाहिए
- वास्तव में हम भरपेट जितना भोजन करते है, उसका एक चौथाई हिस्सा ही हमारे शरीर की क्षतिपूर्ति के लिए पर्याप्त होता है। शेष तीन चौथाई भोजन नुकसान ही करता है।
- दावतों में अकसर लोगबाग आवश्यकता से अधिक तला-पका गरिष्ठ भोजन खा लेते है। ज़ल्दी-जल्दी में खाया यह भोजन बिना अच्छी तरह चबाए ही खाना ठीक नहीं। इससे अपच अजीर्ण की शिकायत होकर पेट दर्द, जी मिचलाहट की तकलीफ़ भी हो सकती है। अत: आराम से बैठकर चबाचबा करके, शांत भाव से भोजन करें। इससे लार व एंजाइम्स का स्राव भोजन में मिलकर उसका पाचन बिना किसी दुष्प्रभाव के हो जाता है।