Last Updated on July 22, 2019 by admin
आरोग्य प्राप्ति के साधन :
यदि हम आरोग्य प्राप्ति के लिए निम्न उपायों को अपनायें तो निश्चय ही सुखमय जीवन व्यतीत कर सकते हैं।
1. प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए। इससे सारे दिन शरीर में चुस्ती बनी रहती है और मन प्रसन्न रहता है।
2. उसके बाद शौचादि से निवृत्त हो जाना चाहिए। इससे शरीर से दूषित पदार्थ निकल जाते हैं और शरीर में हल्कापन आ जाता है।
3. शौचादि के बाद किसी अच्छे मंजन या दातुन से दांतों को मलना चाहिए, इससे दांत साफ होते हैं और मुंह की सफाई से मसूड़े मजबूत बनते हैं। दातुन का उपयोग अधिक अच्छा रहता है।
4. स्नान से पूर्व तेल की मालिश करने से शरीर पुष्ट होता है और ताकत आती है। तेल की मालिश से शरीर की त्वचा सुन्दर और कोमल हो जाती है। और वायु की बीमारियां भी नष्ट हो जाती हैं। तेल-मालिश से नेत्रों को भी लाभ पहुंचता है।
5. तेल-मालिश के साथ यदि शरीर पर उबटन भी लगा लिया जाए तो स्वास्थ्य और सौन्दर्य – दोनों की दृष्टि से बड़ा लाभकर है। इससे शरीर की चमड़ी मुलायम और रंग भी साफ हो जाता है। शरीर से अत्यधिक पसीना आना, दुर्गन्ध आना, चर्बी बढ़ जाना, वायु आदि की शिकायत में परम हितकर होता है।
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7. व्यायाम के कुछ समय पश्चात् ठण्डे जल से स्नान करना चाहिए। स्नान करने से शरीर का पसीना तथा मैल आदि दूर हो जाते हैं, शरीर की थकावट भी दूर होती है और स्फूर्ति का संचार होता है।
8. प्रत्येक व्यक्ति को अपनी प्रकृति, देश और काल के अनुसार समुचित मात्रा में भोजन करना चाहिए। योग्य मात्रा में किया हुआ भोजन शरीर के बल को बढ़ाकर जीवन-शक्ति प्रदान करता है।
9. ब्रह्मचर्य का पालन करने से शरीर का बल और वीर्य बढ़ता है, चेहरे पर कांति आती है और रंग निखर जाता है।
10. प्रत्येक व्यक्ति को अपनी अवस्था के अनुसार पर्याप्त रूप से अवश्य सोना चाहिए। इससे शरीर पुष्ट तथा मन भी प्रसन्न बनता है।
11.व्यक्ति को प्रसन्न रहना चाहिए और काम, क्रोध, लोभ, मोह और ईष्र्या आदि के वेगों पर नियंत्रण रखना चाहिए।
12. शरीर में आये हुए वेग जैसे मल, मूत्र, छींक, हिचकी, भूख, निद्रा, आंसू, जंभाई, वमन को कदापि नहीं रोकना चाहिए। इनको त्याग देना ही उचित है।
13. आरोग्य की दृष्टि से कपड़ों का भी विशेष महत्त्व है। देश, काल एवं प्रकृति के अनुसार वस्त्रों को पहनना चाहिए। जहां तक हो सके, स्वच्छ और ढीले कपड़े ही पहनें।
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14. हमारा पेट भी प्रकृति द्वारा बनायी हुई मशीन है, सप्ताह में एक बार उपवास रखना हर दृष्टि से उपयुक्त होता है। यह औषधि का काम करता है।
15. नशीले पदार्थों के सेवन सर्वथा न करें। प्रारम्भ में तो अवश्य ये पदार्थ लुभावने लगते हैं, लेकिन धीरे-धीरे ये हमारे शरीर को खोखला कर देते हैं।