Last Updated on July 19, 2019 by admin
संखिया क्या है ? : arsenic in hindi
संखिया (arsenic) का जिक्र वैधक ग्रंथों में प्रायः नही के बराबर है । फिर भी ,यह येक सुप्रसिद्ध विष है। बच्चा-बच्चा इसका नाम जानता है। यद्यपि संखिया सफेद, लाल, पीला और काला–चार रंग का होता है, पर सफेद ही ज्यादा मिलता है। सफेद संखिया सुहागे से बिलकुल मिल जाता है। नवीन संखिया में चमक होती है, पर पुराने में चमक नहीं होती। इसमें किसी तरह का जायका नहीं होता, इसी से यूनानी हिकमत के ग्रन्थों में इसका स्वाद बेस्वाद लिखा है। असल में, इसका जायका फीका होता है, इसी से अगर यह दही, रायते प्रभृति खाने-पीने के पदार्थों में मिला दिया जाता है, तो खाने वाले को मालुम नहीं होता ,वह बे खटके खा लेता है । संखिया खानों मे पाया जाता है ।
विभिन्न भाषाओं में नाम :
इसे संस्कृत में विष, अँग्रेजी में आर्सेनिक (ARSENIC) फारसी में मर्गमूरा, अरबी में सम्बुलफार और करूनुस्सम्बुल कहते हैं।
संखिया के गुणधर्म और उसके दुष्प्रभाव :
• इसकी तासीर गर्म और रूखी है।
• यह बहुत तेज़ ज़हर है। ज़रा-भी ज्यादा खाने से मनुष्य को मार डालता है। इसकी मात्रा एक रत्ती का सौंवा भाग है।
• बहुत-से मूर्ख ताकत बढ़ाने के लिए इसे खाते हैं। कितने ही ज़रा-सी भी ज्यादा मात्रा खा लेने से परमधाम को सिधार जाते हैं।
• बेकायदे थोड़ा-थोड़ा खाने से भी लोग श्वास, कमज़ोरी और क्षीणता आदि रोगों के शिकार होते हैं। इसके अनेक खाने वाले हमने जिन्दगी भर दु:ख भोगते देखे हैं। अगर धन होता है तो मनमाना घी-दूध खाते और किसी तरह बचे रहते है । जिनके पास घी दूध को धन नही होता ,वे कुत्ते की मौत मरते है । अतः यह जहर
किसी को भी न खाना चाहिए।
• हिकमत के ग्रन्थों में लिखा है, संखिया दोषों को लय करता और सर्दी के घावों को भरता है।
• इसको तेल में मिला कर मलने से गीली और सूखी खुजली तथा सर्दी की सूजन आराम हो जाती है।
• डाक्टर लोग इसे बहुत ही थोड़ी मात्रा में बड़ी युक्ति से देते हैं।
• कहते हैं, इसके सेवन से भूख बढ़ती और सर्दी के रोग आराम हो जाते हैं।
• ‘तिब्बे अकबरी’ में लिखा है—संखिया खाने से कुलंज, श्वासरोध-श्वास रुकना और खुश्की–ये रोग पैदा होते हैं।
• संखिया, ज्यादा खा लेने से पेट में बड़े जोर से दर्द उठता, जलन होती, जी मिचलाता और कय होती हैं; गले में खुश्की होती और दस्त लग जाते हैं तथा प्यास बढ़ जाती है। शेष में, श्वास रुक जाता, शरीर शीतल हो जाता और रोगी मौत के मुंह में चला जाता है।
• ‘वैद्यकल्पतरु’ में एक सज्जन लिखते हैं—
-संखिया या सोमल को अँग्रेजी में ‘आर्सेनिक’ कहते हैं। संखिया वजन में थोड़ा होने पर बड़ा ज़हर चढ़ाता है।
-इसमें कोई स्वाद नहीं होता, इससे बिना मालूम हुए खा लिया जाता है।
-अगर कोई इसे खा लेता है, तो यह पेट में जाने के बाद, घण्टे भर के अन्दर, पेट की नली में पीड़ा करता है। अत्यन्त प्यास और उल्टी या वमन होती है। शरीर ठण्डा हो जाता, पसीने आते और अवयव काँपते हैं। नाक का बाँसा और हाथ-पाँव शीतल हो जाते हैं। आँखों के आस-पास नीले रंग की चकई-सी फिरती मालूम होती है, पेट में रह-रह कर पीड़ा होती और उसके साथ खूब दस्त होते हैं। पेशाब थोड़ा और जलन के साथ होता है। पेशाब कभी-कभी बन्द भी हो जाता है और कभी-कभी उसमें खून भी जाता है। आँखें लाल हो जाती हैं, जलन होती, सिर दुखता, छाती में धड़कन होती, साँस जल्दी-जल्दी और घुटती-सी चलती है। भारी जलन होने से रोगी उछलता है। हाथ-पैर अकड़ जाते हैं। चेहरा सूख जाता है। नाड़ी बैठ जाती और रोगी मर जाता है। रोगी को मरने तक चेत रहता है; अचेत नहीं होता।
-कम-से-कम २ ग्रेन संखिया मनुष्य को मार सकता है।
संखिया वाले को अपथ्य (परहेज) :
संखिया खाने वाले रोगी को नीचे लिखी बातों से बचाना चाहिए-
(क) शीतल जल। पैत्तिक विषों पर शीतल जल हितकारक होता है; पर वातिक विषों में अहितकर होता है। संखिया खाने वाले को शीतल जल भूल कर भी न देना चाहिए।
(ख) सिर पर शीतल जल डालना।
(ग) शीतल जल से स्नान कराना।
(घ) चावल और तरबूज अथवा अन्य शीतल पदार्थ संखिया पर बहुत ही हानिकारक
(ङ) सोने देना। सोने देना प्रायः सभी विषों में बुरा है।
संखिया का जहर नष्ट करने के उपाय : arsenic ke jahar ko dur karne ke upay
आरम्भिक उपाय –
(क) संखिया खाते ही अगर मालूम हो जाय, तो वमन करा दो; क्योंकि विष खाते ही विष आमाशय में रहता है और वमन से निकल जाता है।
‘सुश्रुत’ में लिखा है
पिप्पली मधुक क्षौद्रशर्करेक्षुरसांबु भिः।
छद्रयेद् गुप्तहृदयो भक्षितं यदि वा विषम्॥
अगर किसी ने छिपा कर स्वयं ज़हर खाया हो, तो वह पीपल, मुलेठी, शहद, चीनी और ईख का रस इनको पी कर वमन कर दे; अथवा वैद्य उपरोक्त चीजें पिला कर वमन द्वारा विष निकाल दें। आरम्भ में, ज़हर खाते ही, ‘वमन’ से बढ़ कर विष नष्ट करने की और दवा नहीं।
(ख) अगर देर हो गई हो—विष पक्वाशय में पहुँच गया हो, तो दस्तावर दवा दे कर दस्त करा देना चाहिए।
» नोट–बहुधा वमन करा देने से ही रोगी बच जाता है। वमन करा कर आगे लिखी दवाओं में से कोई एक दवा देनी चाहिए।
(१) दो या तीन तोले पपड़िया कत्था पानी में घोल कर पीने से संखिया का ज़हर उतर जाता है। यह पेट में पहुँचते ही संखिया की कारस्तानी बन्द करता और कय । लाता है।
(२) एक माशे कपूर, तीन-चार तोले गुलाब-जल में हल करके पीने से संखिया का विष नष्ट हो जाता है।
(३) कड़वे नीम के पत्तों का रस पिलाने से संखिया का विष और कीड़े नष्ट हो जाते हैं। परीक्षित है।
(४) संखिया खाये हुए आदमी को अगर तत्काल, बिना देर किये, कच्चे बेल का गूदा पेट भर खिला दिया जाय, तो इलाज में बड़ा सुभीता हो। संखिया का विष बेल के गूदे में मिल जाता है, अतः शरीर के अवयवों पर उसका जल्दी असर नहीं होता। बेल का गूदा खिला कर दूसरी उचित चिकित्सा करनी चाहिए।
(५) करेले कूट कर उनका रस निकाल लो और संखिया खाने वालों को पिलाओ। इस उपाय से वमन हो कर संखिया निकल जायगी। संखिया का ज़हर नष्ट करने का यह उत्तम उपाय है।
» नोट–अगर करेले न मिलें तो सफेद पपड़िया कत्था महीन पीस कर और पानी में घोल कर पिला दो। संखिया खाते ही इसके पी लेने से बहुत रोगी बच गये हैं। कत्थे से भी कय हो कर ज़हर निकल जाता है।
(६) संखिया के विष पर शहद और अंजीर का पानी मिला कर पिलाओ। इससे कय होगी। अगर न हो, तो उँगली डाल कर कय कराओ। दस्त कराने को सात रत्ती ‘सकमूनिया’ शहद में मिला कर देना चाहिए।
» नोट–सकमूनिया को मेहमूदह भी कहते हैं। यह सफेद और भूरा होता है,और दूसरे दर्जे का रूखा है। हृदय, आमाशय और यकृत को हानिकारक तथा मूर्च्छा कारक है। कतीरा, सेव और बादाम-रोगन इसके दर्प का नाश करते हैं। यह पित्तज मल को दस्तों के द्वारा निकाल देता है, जिस दस्तावर दवा में यह मिला दिया जाता है, उसे खूब ताकतवर बना देता है। वातज रोगों में यह लाभदायक है, पर अमरूद या बिही में भुलभुलाये बिना इसे न खाना चाहिए।
(७) तिब्बे अकबरी में सफेद संखिया पर मक्खन खाना और शराब पीना लाभदायक लिखा है। पुरानी शराब, शहद का पानी, ल्हेसदार, चीजें, तर ख़तमी का रस और भुसी का सीरा ये चीजें भी संखिया वाले को मुफीद हैं।
(८) बिनौलों की गरी, निवाये दूध के साथ पिलाने से संखिया का विष उतर जाता है।
» नोट–बिनौलों की गिरी पानी में पीस कर पिलाने से धतूरे का विष उतर जाता है। बिनौले और फिटकरी का चूर्ण खाने से अफीम का ज़हर नष्ट हो जाता है। बिनौलों की गिरी खिला कर दूध पिलाने से भी धतूरे का विष शान्त हो जाता है।
सूचना- धतूरे के विष में जिस तरह सिर पर शीतल जल डालते हैं, उस तरह संखिया खाने वाले के सिर पर शीतल जल डालना, शीतल जल पिलाना, शीतल जल से स्नान कराना या और शीतल पदार्थ खिलाना-पिलाना, चावल और तरबूज वगैरः खिलाना और सोने देना हानिकारक है ।अगर पानी देना है तो गर्म देना चाहिये ।
(९) जिस तरह गाय का बहुत-सा घी खाने से धतूरे का ज़हर उतर जाता है, उसी तरह दूध में घी मिला कर पिलाने से संखिया का ज़हर उतर जाता है।
(१०) घी के साथ सुहागा पीस कर पिलाने से संखिया का ज़हर साफ़ नष्ट हो जाता है। सुहागा सभी तरह के विषों का नाश करता है। अगर संखिया के साथ सुहागा पीसा जाय, तो संखिया का विष नष्ट हो जाय।
(११) ‘वैद्यकल्पतरु’ में संखिया के विष पर निम्नलिखित उपाय लिखे हैं।
(क) वमन कराना सबसे अच्छा उपाय है। अगर अपने आप वमन होती हो, तो वमनकारक दवा दे कर वमन मत कराओ।
(ख) घी संखिया में सबसे उत्तम दवा है। घी पिला कर वमन कराने से सारा विष घी में लिपट कर बाहर आ जाता है और घी से संखिया की जलन भी मिट जाती है। अतः घी और दही खूब मिला कर पिलाओ। इससे कय हो कर रोगी चंगा हो जायगा। अगर कय होने में विलम्ब हो तो पक्षी का पंख गले में फेरो।
-थोड़े-से पानी में २० ग्रेन सल्फेट आफ जिंक (Sulphate of Zinc) मिला कर पिलाओ। इससे भी कय हो जाती है।
-राई का पिसा हुआ चूर्ण एक या दो चम्मच पानी में मिला कर पिलाओ। इससे भी कय होती हैं।
-इपेकाकुआना का चूर्ण या पाउडर (Ipecacuanha Pulverata) १५ ग्रेन ले कर थोड़े से जल में मिला कर पिलाओ। इससे भी कय हो जाती हैं।
नोट-इन चारों में कोई एक उपाय करके कय कराओ। अगर जोर से कय न होती हों, तो गरम जल या नमक मिला जल ऊपर से पिलाओ। किसी भी कय की दवा पर इस जल के पिलाने से कय की दवा का बल बढ़ जाता है और खूब कय होती हैं। अफीम या संखिया आदि विषों पर जोर से कय कराना ही हितकारी है।
(ग) थोड़ी-थोड़ी देर में दूध पिलाओ। अगर मिले तो दूध में बर्फ मिला दो।
(घ) दूध और चूने का नितरा हुआ पानी बराबर-बराबर मिला कर पिलाओ।
सूचना–अफ़ीम के विष पर भी कय कराने को यही उपाय उत्तम हैं। हरताल और मैनसिल ये दोनों संखिया के क्षार हैं। इसलिए इनका ज़हर उतारने में संखिया के ज़हर के उपाय ही करने चाहियें। चूने का छना हुआ पानी और तेल पिलाओ और वमन की दवा दो तथा राई का चूर्ण दूध और पानी में मिला कर पिलाओ। शेष वही उपाय करो जो संखिया में लिखे हैं।
(१२) गर्म घी पीने से संखिया का ज़हर उतर जाता है।
(१३) दूध और मिश्री मिला कर पीने से संखिया का विष शान्त हो जाता है।
» नोट-बहुत-सा संखिया खा लेने पर वमन और विरेचन कराना चाहिए।
संखिया का प्रयोग हत्या करने, गर्भपात कराने यहाँ तक कि आत्महत्या करने में किया जाता है। चूहा, ममूक एवं कीडे, मक्खी आदि मारने के लिए भी इसका प्रयोग होता है। बहुत ही हल्की मात्रा में संखिया साधारणतया शरीर में पाया जाता है; क्योंकि साग-सब्जी, मांस, मछली, दाल, चावल आदि में कुछ अंश मौजूद ही होता है।
नोट :- ऊपर बताये गए उपाय और नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय और दवा प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरुर ले और उपचार का तरीका विस्तार में जाने।