Last Updated on July 24, 2019 by admin
परिचय :
बेहोशी(behosh /unconscious )को गश खाना या मुर्च्छा भी कहते हैं। इस रोग में रोगी चक्कर खाकर अचानक गिर जाता है और उसकी नाड़ी व सांस चलती रहती है लेकिन शरीर की क्रिया बन्द हो जाती है। हिस्टीरिया रोग से पीड़ित लड़कियों में मिर्गी के दौरे व बेहोशी उत्पन्न होती है।
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिन्दी -मूर्च्छा( बेहोशी) ,अंग्रेजी -सिनकोप, अरबी-मूर्च्छा, बंगाली-मूर्च्छा, गुजराती-बेसुध थावुण , कन्नड़-ज्ञानाप्पवुऊ ,मराठी-बेसुधी , मलयालम , और्मयिल्लयम, मौहालस्यम् , उड़िया-कानपाटी पाडिबा मोना , पंजाबी-बेहोसी , तमिल-मयक्कन , तेलगू -मूरछालू
मनोवैज्ञानिक कारण :
मनुष्य में किसी चीज का डर भी बेहोशी (behosh /unconscious )का कारण हो सकता है, जैसे अपने सामने कोई भयानक दुर्घटना होते देखना उसकी बेहोशी का कारण बन सकता है। कई बार किसी डरावनी चीज को देखकर भी व्यक्ति बेहोशी की स्थिति में पहुँच जाता है। किसी दुखद समाचार या सदमे की वजह से भी बेहोशी हो सकती है। ऐसा प्रायः तब होता है, जब किसी प्रियजन की आकस्मिक मौत हो जाए है। यदि यह दुर्घटना नजरों के सामने हुई हो तो व्यक्ति अपने होश खो देता है। ये सभी मनोवैज्ञानिक कारण हैं।
शारीरिक कारण :
चिकित्सा शास्त्र की दृष्टि से व्यक्ति के बेहोश(behoshi) होने के कारण कुछ भिन्न हैं। इसके अनुसार जब किसी वजह से शरीर में निर्जलीकरण की स्थिति हो जाए, जिसे डिहाइड्रेशन कहते हैं तो व्यक्ति बेहोश हो सकता है। इसमें उल्टी-दस्त होना या लू लगना भी शामिल है। जब शरीर में पानी और खनिज लवणों का क्षरण गंभीर रूप से हो जाता है तो व्यक्ति बेहोशी की हालत में आ जाता है। साथ ही शुद्ध वायु का न मिलना भी बेहोशी का एक कारण हो सकता है, क्योंकि इससे व्यक्ति का दम घुट सकता है। ऐसा प्रायः बंद कमरे में रहने की वजह से होता है, जहाँ खिड़कियाँ, रोशनदान, दरवाजे सभी पूरी तरह से बंद हों। फिर अत्यधिक थकान की वजह से भी व्यक्ति बेहोश हो सकता है।
भोजन और परहेज :
★ मक्खन, कच्चा नारियल, शरीफा, पका हुआ पपीता, पका हुआ आम, बैंगन, पका कुम्हड़ा, परवल, दही, उड़द की दाल, चना, मूंग, मसूर और पुराने चावल का भात खाना लाभकारी होता है। दूध, घी, पूरी, हलवा, मैदा, मिठाई और सूजी खानी चाहिए।
★ पत्तों का साग, स्त्री-संभोग, मल-मूत्र को रोकना, धूप में घूमना, विशुद्ध भोजन, चिन्ता करना, क्रोध, शोक, शराब पीना, गले हुए पदार्थों और रात में अधिक देर तक जागना आदि सभी चीजों से रोगी को बचना चाहिए।
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बेहोशी (behoshi)दूर करने का घरेलू उपचार –
1. प्याज : हिस्टीरिया रोग से पीड़ित लड़कियों में बेहोशी आने पर प्याज का रस सुंघाना चाहिए। इससे बेहोशी दूर होती है।
2. अगस्ता : अगस्ते के पत्तों का रस 4 बूंदे नाक में टपकाने से बेहोशी दूर होती है।
3. कायफल : रोगी की नाक के पास कायफल के चूर्ण को अंगुली पर रखकर फूंकने से छीके आकर बेहोशी दूर होती है।
4. पोदीना :
★ बेहोश व्यक्ति को पुदीना की खुशबू सुंघाने से बेहोशी दूर हो जाती है।
★ पोदीने के पत्तों को मसलकर सुंघाने से बेहोशी दूर होती है।
5. तुलसी :
★ तुलसी के पत्तों का रस निकालकर नमक मिलाकर नाक में डालने से बेहोशी दूर होती है।
★ तुलसी के पत्तों के रस को धीरे-धीरे माथे पर मालिश करने और 2 बूंद नाक में डालने से बेहोशी दूर होती है।
6. पानी :
★ ठंडे पानी के छींटे चेहरे पर मारने से बेहोशी दूर होती है।
★ छोटी पीपल को पानी में घिसकर आंखों पर लगाने से बेहोशी दूर होती है।
7. सरसों का तेल : महिला को गर्भपात होने या चोट लगने के कारण अधिक खून निकलने के कारण बेहोशी उत्पन्न होती है। ऐसे कारणों से बेहोशी उत्पन्न होने पर आंखें फैल जाती हैं, गले में कफ की गड़गड़ाहट होती और बेहोशी आ जाती है। ऐसे में सिर व बदन पर सरसों के तेल से मालिश करके घी पिलाने से बेहोशी दूर हो जाती है।
8. अदरक :
★ अदरक का रस 2 चम्मच और पिसी हुई मिश्री 2 चम्मच को एक कप ठंड़े पानी में मिलाकर पिलाने से बेहोशी दूर होती है।
★ अदरक का रस एक चम्मच और एक चम्मच शहद मिलाकर पिलाने से बेहोशी समाप्त होती है।
★ अदरक का रस सुंघाने से बुखार में होने वाली बेहोशी से राहत मिलती है।
9. कालीमिर्च :
★ कालीमिर्च का बारीक चूर्ण रोगी की नाक में डालने से बेहोशी दूर होती है।
★ कालीमिर्च, बेर का गूदा, खस तथा नागकेसर बराबर मात्रा में पीस लें और फिर पानी में घोलकर रोगी को धीरे-धीरे पिलाने से बेहोशी दूर हो जाती है।
★ कालीमिर्च, शहद, सेंधानमक और मैनसिल बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर इसके चूर्ण को रोगी की नाक में डालने से बेहोशी दूर हो जाती है।
★ तुलसी के पत्तों के रस में कालीमिर्च का चूर्ण पीसकर रोगी को सुंघाने से हिस्टीरिया में बेहोशी के दौरे समाप्त होते हैं।
★ कालीमिर्च, मैनसिल, महुआ, सेंधानमक और बच बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पानी के साथ सुंघाने से किसी भी प्रकार की बेहोशी दूर हो जाती है।
★ किसी नली में कालीमिर्च के चूर्ण को रखकर रोगी की नाक में फूंक मारने से बेहोशी दूर हो जाती है।
10. लोबान : लोबान का धुंआ नाक में देने से बेहोशी दूर हो जाती है।
11. दूध :
★ स्त्री का दूध बेहोश व्यक्ति की नाक में डालने से बेहोशी दूर होती है।
★ लगभग 250 मिलीलीटर गाय के दूध में लगभग 6 ग्राम असगन्ध नागौरी और 6 ग्राम शतावर को कूटकर इसमें 250 मिलीलीटर पानी डालकर गर्म करके मिश्री मिलाकर एक समाप्त तक देने से हिस्टीरिया के कारण उत्पन्न बेहोशी दूर होती है।
12. आंवला : एक चम्मच आंवले का रस और 2 चम्मच घी मिलाकर रोगी को पिलाने से बेहोशी दूर होती है।
13. सोंठ : सोंठ, छोटी कटेरी, गिलोय और पीपलामूल को समान मात्रा में लेकर एक कप पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर पिलाने से बेहोशी दूर होती है।
14. अरीठा : 3-4 रत्ती अरीठे को पानी में मसलकर नाक में डालने से प्रत्येक दौरे के समय ऐसा करने से सदैव के लिए दौरे की बीमारी दूर होती है।
15. अरहर : आधा घंटे तक अरहर की दाल को एक कप पानी में भिगोकर रखने के बाद रोगी की नाक में एक-एक बूंद करके डालने से बेहोशी दूर होती है।
16. सेंधानमक :
★ पीसे हुए सेंधानमक को पानी में गाढ़ा घोलकर नाक में डालने से मूर्च्छा या बेहोशी दूर होती है।
★ सेंधानमक, शहद, मैनसिल और कालीमिर्च को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीसकर रोगी की आंखों में लगाने से बेहोशी दूर होती है।
17. खीरा :
★ खीरा को काटकर रोगी की आंखों व सिर पर रखने और खीरे की फांक रोगी को सुंघाने से बेहोशी दूर होती है।
★ खीरा का रस रोगी को सुंघाने से बेहोशी दूर होती है।
18. कपूर :
★ लगभग 1 ग्राम कपूर और 6 ग्राम सफेद चंदन को गुलाब के रस में घिसकर माथे, छाती और पूरे शरीर पर लेप करने से बेहोशी दूर होती है।
★ कपूर और हींग लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर महीन पीसकर लगभग आधा ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ देने से मूर्च्छा या बेहोशी खत्म होती है।
19. गुलाबजल :
★ गुलाब जल पिलाने और पंखे से हवा करने पर भी बेहोशी दूर हो जाती है।
★ गुलाबजल के छींटे आंखों पर मारने से गर्मी के कारण होने वाली बेहोशी दूर हो जाती है।
20. अनार : अनार, दही का पानी, राख, धान की खीले, चीनी और श्वेत कमल को पीसकर ठंड़े पानी के साथ पिलाने से बेहोशी खत्म होती है।
21. लौंग : लौंग को घी या दूध में पीसकर आंखों में लगाने से हिस्टीरिया की बेहोशी दूर होती है।
22. नौसादर : नौसादर और चूने को बराबर भाग में लेकर एक शीशी में भरकर रख दें और कुछ देर तक उसका ढक्कन बन्द करके रख दें और कुछ देर बाद इसके मुंह को खोलकर बेहोश व्यक्ति की नाक के आगे लेकर जायें इससे हिस्टीरिया से बेहोश रोगी जल्दी ही होश में आ जाता है।
23. शहद : शहद में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रस सिन्दूर और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग पीपल के चूर्ण को मिलाकर रोगी को चटाने से बेहोशी दूर हो जाती है। रोगी को कुएं या फ्रीज के ठंड़े पानी से स्नान कराने से बेहोशी दूर हो जाती है।
24. गांवजुबां : लगभग 30 मिलीलीटर गांवजुबां का रस सुबह और शाम को बराबर मात्रा में देने से बेहोशी दूर हो जाती है। इससे हृदय और मस्तिष्क सम्बंधी विकार दूर हो जाते हैं।
25. सौंफ : सौंफ के साथ 0.12 ग्राम केसर के रस को मिलाकर खाने से बेहोशी दूर हो जाती है।
26. रीठा : पानी में रीठे को पीसकर 2-3 बूंद पानी नाक में डालने से बेहोश रोगी जल्द ही होश में आ जाता है।
27. पीपरामूल : पीपरामूल और सर्पगन्धा को महीन पीसकर चूर्ण बनाकर इस चूर्ण को लगभग 1 से 2 ग्राम सौंफ के रस के साथ सुबह-शाम रोगी को खिलाने से बेहोशी निश्चित रूप से दूर हो जाती है।
28. शर्बत : ठंडा शर्बत रोगी को पिलाने से पित्त से बेहोश व्यक्ति की बेहोशी दूर हो जाती है।
29. साबुन : आंखों में साबुन घिसकर लगाने से कफज की बेहोशी दूर हो जाती है।
30. कौंच : कौंच की सूखी फली को शरीर पर रगड़ने से बेहोशी दूर हो जाती है। रोगी के होश में आने पर गाय के घी की मालिश रोगी के शरीर पर करने से कौंच का जहर मिट जाता है।
31. इमली : इमली के गूदे को ठंडे पानी में पीसकर गंजे सिर पर लगाने से बेहोशी के साथ-साथ लू का असर भी दूर हो जाता है।
32. सेब : पके हुए सेब के रस को मिश्री मिलाकर मूर्च्छित रोगी को पिलाने से बेहोशी दूर हो जाती है।
33. राई : बेहोश व्यक्ति को राई को पीसकर सुंघाने से बेहाशी दूर हो जाती है।
34. लहसुन : मिरगी से बेहोश रोगी को लहसुन को कुटकर सुंघाने से बेहोशी दूर हो जाती है।
35. चालमोंगरा : चालमोंगरा के बीजों का चूर्ण सिर पर मलने से मूर्च्छा (बेहोशी) दूर हो जाती है।
36. मेहंदी : मेहंदी के पत्तों का रस 5 से 10 मिलीलीटर दिन में 3 से 4 बार 250 मिलीलीटर दूध के साथ के देने से गर्मी और सर्दी में होने वाले बेहोशी के दौरे में राहत मिलती है।
37. हल्दी : अगर बेहोशी होती है तो पानी में हल्दी और शक्कर मिलाकर पिलाने से यह दूर हो जाता है।
38. धनिया : मूर्च्छा आने की स्थिति में रोगी को अपने तन बदन का होश नहीं रहता है। वह अधिक कमजोरी अनुभव करता है और आंखों के सामने अंधेरा छा जाने के कारण गिर जाता है या फिर खाट पर लेटने के साथ ही बेहोश हो जाता है। इसके लिए एक कप पानी में 10 ग्राम धनियां और 4 पत्ते तुलसी के डालकर औटाना चाहिए जब पानी आधा शेष रह जाए तब इसे उतारकर ठंड़ा कर लेना चाहिए। इसके जल को चम्मच से रोगी के मुंह में डालना चाहिए। चार-पांच बूंदें जल नथुने में भी डालने चाहिए। ऐसा करने से कुछ ही क्षणों बाद बेहोशी दूर हो जाती है। होश आ जाने पर 10 दाने धनिया, 4 बूंद अदरक का रस और चार बूंद तुलसी का रस शहद के साथ चटाना चाहिए और उससे कोई भारी काम नहीं लेना चाहिए।
39. अंगूर :
★ दाख (मुनक्का) और आंवले को समान भाग लेकर, उबालकर पीसकर थोड़ा शुंठी चूर्ण मिलाकर शहद के साथ चटाने से बुखार युक्त मूर्च्छा मिटती है।
★ 25 ग्राम मुनक्का, मिश्री, अनार की छाल और खस 12-12 ग्राम, जौकूटकर 500 मिलीलीटर पानी में रात भर भिगो देते हैं, सुबह छानकर तीन खुराक बना कर दिन में तीन बार सेवन करें। इससे बेहोशी दूर हो जाती है।
★ 100-200 ग्राम मुनक्का को घी में भूनकर थोड़ा सैंधा नमक मिला कर रोज 5-10 ग्राम तक खाने से चक्कर आना बन्द हो जाता है।
40. सिरस :
सिरस के बीज और कालीमिर्च समान मात्रा में लेकर बकरी के मूत्र के साथ पीसकर आंख में अंजन (काजल) करने से सन्निपात मूर्च्छा मिटती है।
41. पानी : रोगी के चेहरे पर ठंड़े पानी के छींटे मारने से होश आ जाता है।
42. नागवाला : नागदौन के रस को नाक में डालने से बेहोशी की अवस्था दूर हो जाती है।
43. ताड़ : लगभग 14 से 25 मिलीलीटर ताड़ के पत्तों का रस दिन में दो बार सेवन करें। इससे मानसिक उन्माद, बेहोशी आदि रोगों में लाभ मिलता है।