भोजन तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी कुछ उपयोगी सूक्तियाँ

Last Updated on August 10, 2021 by admin

भोजन के उपयोगी नियम तथा स्वास्थ्य सूक्तियाँ :

भोजन का चुनाव आपके स्वास्थ्य को ही प्रभावित नहीं करता, वह आपके उन बच्चों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है जो आपकी भोजन-प्रणाली का अनुसरण करते हैं। इस प्रकार वे आपकी और इस पृथ्वी पर पाये जाने वाले विभिन्न ‘जीन’ (आनुवांशिकता) को भी प्रभावित करते है।

सभी जीवों को जीवित रहने का बराबर अधिकार है। इसलिए जो जीवन आप वापस नहीं दे सकते, उसे लेने का आपको कोई भी अधिकार नहीं।

भविष्य का चिकित्सक कोई औषधि देने के स्थान पर लोगों की इस विषय में रुचि उत्पन्न करेगा कि शरीर का ध्यान कैसे रखा जाए, वह भी भोजन के द्वारा, और रोग से और उसके कारणों से कैसे बचा जाए ?

प्रत्येक रोग का एक ही कारण और एक ही इलाज है – और वह कारण है अनुचित भोजन।

फलों के रसों पर व्यय करना कोई अपव्यय नहीं, बल्कि एक वास्तविक बचत है। बिना फलों के स्वास्थ्य ठीक नहीं रह सकता। फलों का राजा तो नींबू है। फलों से सबसे अधिक लाभ पाने का सबसे उत्तम तरीका यही है कि उनको खाली पेट, प्राकृतिक अवस्था में ही लिया जाय।

शुद्ध और सात्त्विक अन्न से शुद्ध मन का विकास होता है और शुद्ध मन से शुद्ध जीवन और शुद्ध स्मृति विकसित होती है।

यदि आप स्वस्थ शरीर रखना चाहते हैं तो व्रत रखें और पैदल चलें, और यदि आत्मा को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो व्रत और ईश्वर-प्रार्थना का सहारा लें।पैदल चलने से शरीर का विकास होता है, ईश्वरोपासना से आत्मा का विकास होता है, परंतु व्रत रखने से शरीर और आत्मा दोनों का विकास, स्थान और शुद्धि होती है।

यदि एक समय भोजन करना शेर के लिए पर्याप्त है तो मनुष्य के लिए भी यही नियम लागू होना चाहिए।

फल और सब्जियों से अधिक भोजन के और कोई अन्यतत्त्व नहीं हो सकते क्योंकि इनमें सभी परिचित – अपरिचित पोषक तत्त्व विद्यमान हैं।

यह कितना दुःखदायी और अत्याचार है कि मांस को मांस पर मढ़ा जाय। एक लालची शरीर का पोषण किसी अन्य जीव को मारकर क्यों किया जाय।

अंगूरों का प्रयोग पुराने वातरोग, गठिया, जिगर, जिगर के रोगों, गुर्दे, पेट, आँतों और नाड़ी तंत्र के रोगों का शमन करता है।

मलेरिया के लक्षणों की विभीषिका कम करने में काली तुलसी का विशेष स्थान है।

हम (शराब द्वारा) एक-दूसरे की सेहत की सलामती के लिए (जाम) पीते हैं और अपने स्वास्थ्य का नाश करते हैं।

कच्ची गाजर के रस में व्रण (अल्सर) और कैंसर के कारण दूर करने की क्षमता है, यह जिगर का शोधन करता है, बल और शक्ति को बढ़ाता है और शरीर में चिकनाहट पैदा करता है।

शलगम में ऐसे तत्त्व विद्यमान हैं जो कैंसर से लड़ने की क्षमता रखते हैं। शलगम का रस शक्तिशाली साधन है जिससे रक्त-शोधन होता है। यह उच्च रक्तचाप, अकर्मण्य यकृत, मूत्राशय और दांतों को सुदृढ़ करने में सहायक होता है।

टमाटर शरीर के चयापचयन के लिए लाभप्रद है। अधिक मात्रा में पकाकर टमाटरों को खाने से गुर्दे और मूत्राशय में पथरी होने की संभावना बढ़ जाती है। टमाटर से रक्त का शोधन होता है और पोलियो रोग में भी लाभ होता है।

दीर्घ जीवन चाहते हैं तो अपनी भोजन की मात्रा कम करें।

दही हृदय-रोग, वृद्धावस्था और शरीर की सामान्य ह्रास प्रक्रिया को रोकने में एक अनुपम रामबाण खाद्य पदार्थ है।

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