ब्रह्म मुहूर्त का रहस्य | क्या आपकी भी नींद सुबह 3 से 5 के बीच अचानक खुल जाती है, सिर्फ़ 3% लोग ही जानते हैं इसका रहस्य

Last Updated on January 22, 2025 by admin

आज हम बात करेंगे ब्रह्म मुहूर्त और 21 दिनों तक की जाने वाली एक अद्भुत ध्यान विधि के बारे में। यह विधि इतनी प्रभावशाली है कि यदि आप इसे लगातार 21 दिनों तक अपनाते हैं, तो आपकी कोई भी मनोकामना, इच्छा या प्रार्थना पूरी हो सकती है। लेकिन इस विधि की सफलता का मुख्य आधार है कि इसे ब्रह्म मुहूर्त के समय किया जाए। तो सबसे पहले, हम विस्तार से जानेंगे कि ब्रह्म मुहूर्त क्या है और इसका महत्व क्या है। उसके बाद, हम इस खास ध्यान विधि पर चर्चा करेंगे, जो आपके जीवन को बदलने की क्षमता रखती है।

ब्रह्म मुहूर्त वह विशेष समय है जो प्रातः 4:24 से 6:00 बजे तक का होता है, और इसे सबसे पवित्र और प्रभावशाली समय माना जाता है। हालांकि, इसके बारे में अलग-अलग मान्यताएँ भी हैं। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, रात्रि को चार भागों में बांटा गया है। पहला भाग है रुद्र काल, जो शाम 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक रहता है। इसके बाद आता है राक्षस काल, जो रात 9:00 बजे से मध्यरात्रि 12:00 बजे तक प्रभावी होता है। तीसरा काल है गन्धर्व काल, जो आधी रात यानी 12:00 बजे से भोर 3:00 बजे तक सक्रिय रहता है। अंत में आता है मनोहर काल, जिसे अंतिम प्रहर भी कहते हैं। यह भोर 3:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक रहता है। ब्रह्म मुहूर्त का समय इसी मनोहर काल के दौरान आता है, और इसे आध्यात्मिक और मानसिक शांति का सबसे अनुकूल समय माना जाता है।

सूर्योदय का समय विभिन्न देशों और स्थानों के अनुसार बदलता रहता है, इसलिए ब्रह्म मुहूर्त का सटीक समय हर जगह अलग हो सकता है। लेकिन सामान्यतः, भोर 3:00 बजे से सुबह 6:00 बजे के बीच का कोई भी समय, जब आप जल्दी उठते हैं, उसे अमृत वेला या ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है। यह वह समय है जब वातावरण शुद्ध, शांत और ऊर्जा से भरपूर होता है।

यदि हम “ब्रह्म मुहूर्त” के शाब्दिक अर्थ को देखें, तो “ब्रह्म” का अर्थ है देवता या ज्ञान के देवता, और “मुहूर्त” का मतलब है समय का एक खंड। इसका आशय है वह विशेष समय जब हम ज्ञान को ग्रहण करने और समझने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार, ब्रह्म मुहूर्त को आत्मज्ञान और आत्मचिंतन का समय कहा जाता है।

ब्रह्म मुहूर्त का महत्व हमारे शास्त्रों में व्यापक रूप से बताया गया है। यह समय ब्रह्मांडीय ऊर्जा और देव शक्तियों के वातावरण में सक्रिय रहने का होता है। यदि आपकी नींद इस समय अचानक खुल जाती है, तो इसे शुभ संकेत माना जाता है, क्योंकि इसका मतलब है कि सकारात्मक ऊर्जाएं आपसे संपर्क स्थापित करना चाहती हैं। यदि आप इस समय में ध्यान जैसी पवित्र क्रियाओं का अभ्यास करते हैं, तो आप उन ऊर्जाओं से तेजी से जुड़ सकते हैं और आंतरिक शांति का अनुभव कर सकते हैं।

यही कारण है कि मंदिर, गुरुद्वारा और अन्य पूजा स्थलों के दरवाजे ब्रह्म मुहूर्त में ही खोले जाते हैं। इस समय नकारात्मक शक्तियां निष्क्रिय रहती हैं और सकारात्मक शक्तियां जागृत होती हैं। इसके अलावा, इस समय की वायु को अमृत वायु कहा जाता है, क्योंकि रातभर की ओस और ठंडक के कारण यह वायुमंडल प्रदूषण रहित, शीतल और ऑक्सीजन से भरपूर होता है।

वातावरण की शांति और ताजगी के साथ-साथ, यह समय मानसिक और शारीरिक क्रियाओं को स्थिर करने के लिए भी आदर्श है। यदि आप इस समय पढ़ाई, योजना बनाने, आत्ममंथन या ध्यान करते हैं, तो आप अपने कार्यों में अधिक एकाग्रता और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। ब्रह्म मुहूर्त वास्तव में आत्मिक और मानसिक उन्नति का स्वर्णिम समय है।

आपने वह पुरानी कहावत तो ज़रूर सुनी होगी, “जल्दी सोना और जल्दी उठना सफलता की पहली सीढ़ी है।” यदि आप जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो ब्रह्म मुहूर्त में उठने की आदत डालें। यह आदत न केवल आपकी कार्यक्षमता को बढ़ाएगी, बल्कि आपको मानसिक और शारीरिक रूप से भी सशक्त बनाएगी।

प्राचीन काल में जब बिजली नहीं थी, लोग सूर्यास्त के बाद सो जाते थे और सूर्योदय से पहले, यानी ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाते थे। यह उनकी दिनचर्या का एक स्वाभाविक हिस्सा था और प्रकृति के साथ तालमेल रखने का एक अनूठा तरीका। प्रकृति के साथ यह संतुलन उनकी सेहत और जीवनशैली को बेहतर बनाए रखता था।

आज भी यह सिद्ध हो चुका है कि जो लोग सुबह जल्दी उठते हैं, वे अधिक स्वस्थ और ऊर्जावान रहते हैं। इसके विपरीत, जो लोग देर रात काम करते हैं या नाइट शिफ्ट में होते हैं, वे अक्सर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते हैं। इसका कारण यह है कि हमारी जैविक घड़ी प्रकृति के साथ तालमेल में बनी होती है। जब हम प्रकृति के अनुरूप चलते हैं, तो हमारा शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। लेकिन यदि हम इस संतुलन को तोड़ते हैं, तो इसका असर हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक रूप से पड़ने लगता है।

तो क्यों न प्रकृति के साथ अपनी लय स्थापित करें और ब्रह्म मुहूर्त में उठने की आदत डालकर अपनी सेहत और सफलता दोनों को संवारें?

अब तक आप यह तो समझ ही गए होंगे कि ब्रह्म मुहूर्त क्या है और इसका हमारे जीवन में क्या महत्व है। अब आइए बात करते हैं एक खास 21 दिवसीय ध्यान विधि के बारे में। जैसा कि आप जानते हैं, प्रातः काल का समय ध्यान और आत्मचिंतन के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है। इस विधि को विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त के दौरान किया जाता है। अगर आप 21 दिनों तक प्रतिदिन सिर्फ 10 मिनट इस विधि का अभ्यास करें, तो आपको इसके सकारात्मक परिणाम बहुत जल्दी दिखने लगेंगे। यह ध्यान विधि विशेष रूप से आपकी किसी भी मनोकामना, इच्छा या प्रार्थना को पूरा करने के लिए तैयार की गई है।

लेकिन, इस विधि को शुरू करने से पहले कुछ सावधानियां रखना बहुत ज़रूरी है। खासतौर पर, जिन लोगों को हृदय रोग, रक्तचाप की समस्या या कोई अन्य गंभीर शारीरिक कष्ट हो, उन्हें इस ध्यान विधि का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इसकी वजह यह है कि इस विधि में सांस रोकने का अभ्यास शामिल है, जो ऐसे स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है।

तो, अगर आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं और अपनी किसी विशेष मनोकामना को पूर्ण करना चाहते हैं, तो इस विधि को ब्रह्म मुहूर्त के शांत और शुद्ध वातावरण में अपनाइए और इसके अद्भुत परिणाम का अनुभव कीजिए।

अब आइए समझते हैं कि इस विधि को कैसे करना है। यह एक अत्यंत चमत्कारी विधि है, जो जल्दी ही अपना प्रभाव दिखाती है। इसका रहस्य इस बात में छिपा है कि इसमें पूरा ध्यान आज्ञा चक्र पर केंद्रित किया जाता है। आज्ञा चक्र वह केंद्र है, जो हमारी इच्छाओं, संकल्पों और रचनात्मकता का स्थान है। जब आप इस चक्र पर ध्यान केंद्रित करते हुए कोई प्रार्थना या संकल्प करते हैं, तो वह संकल्प शीघ्र ही पूर्ण होने लगता है। यही कारण है कि इसे संकल्प चक्र भी कहा जाता है, क्योंकि यह हमारे संकल्पों को साकार करने में मदद करता है।

सबसे पहले, आपको अपनी कोई एक मनोकामना तय करनी होगी। यह वही इच्छा होनी चाहिए जिसे आप पूरी तरह से अपने जीवन में साकार करना चाहते हैं। ध्यान रहे, आपकी यह मनोकामना स्पष्ट और सटीक होनी चाहिए, क्योंकि अगले 21 दिनों तक आपको केवल इसी इच्छा पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

अपनी इच्छा को तय करने के बाद, इसे अपने मन में दृढ़ता से स्थापित करें और इस ध्यान विधि को प्रारंभ करें। जब आप अपने संकल्प के साथ इस अभ्यास को करेंगे, तो आपकी प्रार्थना का प्रभाव तेज़ी से दिखने लगेगा।

सबसे पहले, ब्रह्म मुहूर्त के समय, यानी भोर में जल्दी उठें। उठने के बाद यदि आप स्नान कर लें, तो यह सबसे अच्छा होगा। लेकिन अगर ऐसा संभव न हो, तो सिर्फ चेहरा और हाथ अच्छी तरह धो लेना भी पर्याप्त है। इसके बाद, अपने घर के मंदिर, पूजा स्थल, या ध्यान कक्ष में एक शांत स्थान पर बैठें।

ध्यान रखें कि वह स्थान ऐसा हो, जहाँ से ताजी और शुद्ध प्राण वायु आसानी से आपके कमरे में प्रवेश कर सके। ब्रह्म मुहूर्त का समय वातावरण को शुद्ध और ऊर्जा से भरपूर बनाता है, इसलिए ऐसे स्थान पर ध्यान लगाएं जहाँ खुली हवा आपके शरीर और मन को ताजगी दे।

अब, ध्यानस्थ होकर बैठें। अपनी कमर और गर्दन को सीधा रखें और दोनों हाथों को घुटनों पर हल्के से रखें। इसके बाद अपनी मुट्ठियां बंद करें और पहले 2-3 मिनट तक अपने मन और शरीर को पूरी तरह शांत करें। जब आपका मन शांत हो जाए, शरीर स्थिर हो जाए, और श्वास सामान्य हो जाए, तो अपने ध्यान को आज्ञा चक्र पर केंद्रित करें।

आज्ञा चक्र वह स्थान है जो आपकी दोनों भौंहों के बीच स्थित है, जहाँ आमतौर पर तिलक लगाया जाता है या स्त्रियां बिंदी लगाती हैं। इस चक्र पर ध्यान केंद्रित करना आपकी ऊर्जा और एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करेगा। यही वह जगह है जहाँ से आपकी ध्यान यात्रा शुरू होगी।

अब, अपनी अटेंशन और अवधारणा को पूरी तरह से आज्ञा चक्र पर केंद्रित करें। यह वह स्थान है जहाँ आपकी ऊर्जा और ध्यान को स्थिर किया जाएगा। मानसिक रूप से इस स्थान को महसूस करें और लगातार इसे अपनी आंतरिक दृष्टि से देखें। जैसे ही आपका ध्यान पूरी तरह से आज्ञा चक्र पर स्थिर हो जाए, एक लंबी और गहरी सांस भरें। इस सांस को भरने के बाद इसे अंदर रोक कर रखें।

इस दौरान, अपना ध्यान आज्ञा चक्र पर बनाए रखें और अपने इष्ट देवी, देवता, या गुरु का स्मरण करें। अपने मानसिक नेत्रों से उनके चित्र को आज्ञा चक्र पर देखने का प्रयास करें। इसी समय, अपनी इच्छा या प्रार्थना को दोहराएं। उदाहरण के लिए, कहें: “हे गुरुदेव” या “हे परमात्मा”, मेरी यह इच्छा पूरी करें। यह संकल्प एक साधारण और स्पष्ट वाक्य में होना चाहिए।

अपनी सांस को उतनी देर तक रोकें, जितनी देर तक आप सहज महसूस करें। यह 10 सेकंड, 20 सेकंड या 30 सेकंड तक हो सकता है। ध्यान रखें, जितना संभव हो, सांस रोकते समय अपने मन को शांत और स्थिर रखें। जब आपको लगे कि अब और अधिक सांस रोक पाना संभव नहीं है, तो धीरे-धीरे अपने मुँह से सांस को बाहर निकाल दें। यह ध्यान रखें कि सांस को नाक से भरें और मुँह से बाहर निकालें।

यह एक ध्यान चक्र पूरा हुआ। इस पूरे अभ्यास में आपका ध्यान आज्ञा चक्र पर स्थिर रहना चाहिए, और आपको बार-बार अपनी इच्छा या प्रार्थना को दोहराते रहना है। यही प्रक्रिया आपकी ऊर्जा को केंद्रित करेगी और आपके संकल्प को साकार करने में सहायक होगी।

पहले चक्र को पूरा करने के बाद, आप 15-20 सेकंड के लिए आराम करें। इस दौरान, सामान्य स्थिति में बैठे रहें और अपने मन और शरीर को स्थिर होने दें। इसके बाद, तुरंत दूसरा चक्र शुरू करें। एक बार फिर लंबी, गहरी सांस लें और इसे अंदर ही रोकें। ध्यान को आज्ञा चक्र पर केंद्रित करें और अपने मन में अपने इष्ट देवी-देवता या गुरु का चित्र देखें।

इस दौरान, अपनी प्रार्थना या इच्छा को फिर से दोहराएं। अपने संकल्प को स्पष्ट और सटीक शब्दों में व्यक्त करें, जैसे कि “मेरी यह इच्छा पूरी हो।” जब तक आपकी सांस अंदर रुकी रहे, तब तक अपनी प्रार्थना को दोहराते रहें। जब आपको महसूस हो कि अब और अधिक सांस रोक पाना संभव नहीं है, तो धीरे से मुँह के माध्यम से सांस को बाहर छोड़ दें।

इसके बाद फिर से कुछ सेकंड के लिए रेस्ट करें। इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराएं। हर चक्र के बीच थोड़ी देर रुकें और फिर अगला चक्र शुरू करें। कुल मिलाकर, यह ध्यान प्रक्रिया लगभग 10 मिनट तक जारी रखें।

ध्यान रखें कि इस विधि का प्रभाव तभी होगा जब आप इसे पूरी निष्ठा और अनुशासन के साथ 21 दिनों तक नियमित रूप से करें। अगर आप इसे बीच में छोड़ देते हैं या मिस कर देते हैं, तो इसका असर कम हो सकता है।

यह ध्यान विधि आखिर इतनी प्रभावशाली क्यों है, और इसके पीछे की वैज्ञानिक प्रक्रिया क्या है? इसका उत्तर हमारे आज्ञा चक्र और सांस नियंत्रण में छिपा है।

पहली बात, हमारा आज्ञा चक्र जैसे मैंने आपको पहले भी बताया है। यह चक्र हमारे संकल्प, विज़ुअलाइजेशन और आज्ञा का केंद्र है। इसका नाम ही इसीलिए आज्ञा चक्र पड़ा है, क्योंकि जब हम इस स्थान पर ध्यान केंद्रित करते हैं और कोई प्रार्थना, संकल्प या डिमांड करते हैं, तो वह तेजी से साकार होती है। यह चक्र इच्छाओं को पूरा करने का केंद्र माना जाता है। जब हम इस पर पूरी तरह से ध्यान लगाते हैं, तो हमारी ऊर्जा और मानसिक शक्ति उस विशेष इच्छा को साकार करने में लग जाती है।

दूसरी बात, सांस को रोकने की प्रक्रिया। जब हम अपनी सांस को रोकते हैं, तो शरीर एक आपातकालीन स्थिति में चला जाता है। इस दौरान, दिमाग और विचारों की गति धीमी हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अब आपके पास आराम से विचार करने का समय नहीं होता। यह स्थिति आपके मस्तिष्क को अनावश्यक विचारों से बचाकर, केवल एक चीज़ पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है।

इस प्रक्रिया से आपका मन पहले की तुलना में अधिक एकाग्र हो जाता है। जब आप पूरी ऊर्जा और ध्यान के साथ अपने संकल्प को बार-बार दोहराते हैं, तो वह गहराई तक आपके अवचेतन मन में उतर जाता है। यही वह कारण है, जिससे इच्छाओं को साकार करने की संभावना बढ़ जाती है।

आज्ञा चक्र पर ध्यान और सांस रोकने की इस विधि का सम्मिलित प्रभाव आपकी इच्छाओं और संकल्पों को वास्तविकता में बदलने में मदद करता है। यह केवल आत्मिक नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी प्रभावी है।

जब आप अपनी सांस को भरकर रोकते हैं, तो यह प्रक्रिया आपकी मनोकामनाओं को पूरा करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके पीछे तीन मुख्य कारक कार्य करते हैं, जो इस विधि को इतना प्रभावी बनाते हैं।

पहला, आज्ञा चक्र का प्रभाव – आज्ञा चक्र आपके संकल्प और इच्छाओं का केंद्र है। जब आप इस चक्र पर ध्यान केंद्रित करते हैं और अपनी मनोकामना को बार-बार दोहराते हैं, तो यह चक्र उस इच्छा को साकार करने की प्रक्रिया को सक्रिय करता है। यह चक्र आपकी ऊर्जा को केंद्रित कर इच्छाओं को वास्तविकता में बदलने का माध्यम बनता है।

दूसरा, सांस रोकने की शक्ति – जब आप अपनी सांस को रोकते हैं, तो आपका शरीर एक आपातकालीन स्थिति में आ जाता है। इस स्थिति में, आपका मस्तिष्क फालतू विचारों को स्वचालित रूप से रोक देता है, और आपकी पूरी मानसिक ऊर्जा केवल एक बिंदु पर केंद्रित हो जाती है। यह एकाग्रता आपको अपनी मनोकामना पर गहराई से ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है।

तीसरा, अवचेतन मन का सक्रिय होना – जब आप बार-बार अपनी इच्छा को दोहराते हैं, तो यह धीरे-धीरे आपके चेतन मन से अवचेतन मन में प्रवेश करने लगती है। अवचेतन मन हमारे मन का सबसे गहरा स्तर है, और जब कोई विचार वहां तक पहुंचता है, तो वह लॉ ऑफ अट्रैक्शन के सिद्धांत के अनुसार, आपके जीवन में साकार होने लगता है।

इस विधि को ब्रह्म मुहूर्त में करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह समय ब्रह्मांडीय ऊर्जा और सकारात्मक शक्तियों से भरा होता है। इस समय की शांति और ऊर्जा आपके ध्यान और प्रार्थना को अधिक प्रभावशाली बनाती है।

यही कारण है कि यह विधि इतनी प्रभावी मानी जाती है। जब आप आज्ञा चक्र, सांस रोकने की प्रक्रिया और अवचेतन मन की शक्ति को जोड़ते हैं, तो यह आपकी इच्छाओं को साकार करने का मार्ग खोल देती है।

जैसा कि हमने पहले चर्चा की, ब्रह्म मुहूर्त का समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह वह समय है जिसे देवताओं और परमात्मा का समय कहा जाता है। यदि आप इस पवित्र समय में अपने शुद्ध मन से प्रार्थना करते हैं, तो आपकी प्रार्थना अवश्य सुनी जाती है। यही कारण है कि यह समय संकट से बाहर निकलने या किसी बड़ी आवश्यकता या मनोकामना को पूरा करने के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है।

यदि आप किसी कठिनाई में हैं या जीवन में कोई विशेष इच्छा या लक्ष्य पूरा करना चाहते हैं, तो इस विधि का अभ्यास करें। लेकिन ध्यान रखें, इस विधि का उपयोग केवल सकारात्मक और शुभ उद्देश्यों के लिए करें। ऐसी कोई भी प्रार्थना या इच्छा न करें जिससे किसी और को नुकसान पहुंचे, क्योंकि इसके नकारात्मक परिणामों के लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे। सही नीयत और सच्चे मन से किया गया यह अभ्यास आपकी हर मनोकामना को पूरा करने की शक्ति रखता है।

इस विधि का अभ्यास सच्चे मन और निष्ठा के साथ करें, क्योंकि यह एक आजमाई हुई और प्रभावी विधि है। मैंने खुद अपने जीवन में इसे कई बार अपनाया है और हर बार इसमें सफलता प्राप्त की है। यही कारण है कि मुझे पूरा विश्वास है कि यदि आप भी इसे नियमित और ईमानदारी से करेंगे, तो आपको अवश्य लाभ मिलेगा। यह विधि न केवल आपकी इच्छाओं को पूरा करने में मदद करेगी, बल्कि आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाएगी। निरंतरता बनाए रखें, और आप इसके अद्भुत परिणामों का अनुभव करेंगे।

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