ब्रेन हेमरेज (मस्तिष्क से रक्तस्राव) के कारण और उपचार

Last Updated on April 23, 2022 by admin

ब्रेन हेमरेज (मस्तिष्क से रक्तस्राव) क्या है ? :

ब्रेन हेमरेज (मस्तिष्क से रक्तस्राव) या रक्तस्रावी दौरा मस्तिष्क की धमनियाँ फट जाने के कारण होता है, जो रक्त की सप्लाई में बाधा उत्पन्न कर देती हैं और रक्तस्राव मस्तिष्क के पदार्थ में होने लगता है। इससे मस्तिष्क द्रव (पदार्थ) नष्ट हो जाता है। ईसके लक्षण प्रभावित क्षेत्र पर निर्भर करते हैं, लेकिन वे ज्यादा अचानक, ज्यादा गंभीर और तेजी से फैलनेवाले होते हैं। इससे मरीज बेहोशी में चला जाता है और नतीजा बहुत दु:खद होता है।

ब्रेन हेमरेज (मस्तिष्क से रक्तस्राव का कारण :

  • मस्तिष्क में रक्तस्राव (दिमाग की नस फट जाना) का मुख्य कारण तो ब्लड का अचानक तेजी से बढ़ जाना होता है, जिसमें सिस्टोलिक प्रेशर 200 मिमी से ज्यादा व डायस्टोलिक प्रेशर 130 मिमी से ज्यादा हो जाता है। वृद्ध व विकृत धमनियाँ इतना ज्यादा दबाव नहीं झेल पाती हैं।
  • कम उम्र की गर्भवती महिलाओं में कई बार ब्लड प्रेशर बढ़ जाने से गर्भावस्था की विषातता उत्पन्न हो जाती है । ऐसे मामलों में 170/110 जैसी रीडिंग का ब्लड प्रेशर भी खतरनाक हो सकता है और ब्रेन हेमरेज का कारण बन सकता है।

ब्लड प्रेशर का अचानक खतरनाक स्तरों तक बढ़ जाना, आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर के उन मरीजों में ही पाया जाता है जिनका ब्लड प्रेशर या तो अनियंत्रित रहता है या फिर बहुत ही मुश्किल से नियंत्रित रहता है। मुझे एक बार फिर दोहराते हुए इस बात पर जोर देना चाहिए कि हो सकता है, बहुत ज्यादा ब्लड प्रेशर भी कोई लक्षण उत्पन्न न करे। एक मरीज अपने ब्लड प्रेशर के बारे में अनभिज्ञ रह सकता है, और उसे तभी पता चल सकता है जब किसी गंभीर बीमारी अथवा समस्या के लक्षण उभरकर आएँ। आपके चिकित्सक की देखरेख में आपके ब्लड प्रेशर पर उचित नियंत्रण रहे तो आपका कुछ नहीं बिगड़ सकता।

आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा ब्रेन हेमरेज (मस्तिष्क से रक्तस्राव) का उपचार (Brain Haemorrhage ka Ilaj)

1. सहजना :

  • सहजना और त्रिकटु के बीजों को अगस्ता की जड़ के रस में घोंटकर रोगी को सूंघाने से मस्तिष्क से खून निकलने के कारण उत्पन्न बेहोशी दूर होती है।
  • सहजने या मुन्नके के बीजों के चूर्ण को रोगी के नाक में डालने से मस्तिष्क से खून निकल जाने के कारण उत्पन्न बेहोशी खत्म होती है।

2. कस्तूरी : लगभग आधा ग्राम जबादकस्तूरी को किसी औषधि के साथ रोगी को खाने से मस्तिष्क की शिरा फट जाने के कारण उत्पन्न बेहोशी दूर होती है।

3. तगर (सुगंधबाला) : लगभग 2 से 5 बूंद तगर के तेल को गोंद के साथ मिलाकर दालचीनी के काढ़े के साथ लेने से मस्तिष्क की शिरा से खून निकलना बन्द होता है।

4. जटामांसी : जटामांसी को पीसकर रोगी की आंखों पर लेप की तरह लगाने से बेहोशी दूर होती है।

5. रोहिस घास : इस घास के पत्तों को मसलने से एक तरह का तेल निकलता है। इस तेल की बूंदों को रोगी की नाक में टपकाने से बेहोशी दूर हो जाती है।

6. जमालगोटा : दिमाग में रक्तस्राव होने पर जमालगोटा के लगभग आधा ग्राम बीजों को एक बूंद तेल और मक्खन में मिलाकर चटाने से पतले दस्त आते हैं। एक बूंद तेल को मक्खन में मिलाकर बेहोश रोगी की जीभ पर रख देने से रोगी होश में आ जाता है। जब व्यक्ति को अधिक दस्त लग जायें, तो रोगी को कत्था को पानी में घिसकर नींबू का रस मिलाकर पिलाने से दस्त कम हो जाते हैं।

7. खजूर : जो लोग बार-बार बेहोश हो जाते हैं, उनको सुलेमानी खजूर घोटकर पीसकर शर्बत की तरह बनाकर पिलाने से बेहोशी दूर हो जाती है।

8. प्याज : प्याज का रस बेहोश रोगी की नाक में टपकाने से बेहोशी दूर हो जाती है।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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