Last Updated on March 26, 2023 by admin
चुम्बकित जल क्या है ? :
जो जल चुम्बकों के प्रभाव से चुम्बकित होता है उसे चुम्बकित जल कहते हैं। भारत तथा रूस में बहुत सारे औषधालयों में गुर्दे की पथरी गलाने और उससे छुटकारा पाने के लिये चुम्बकित जल का उपयोग किया जाता है।
जस्ता, निकिल तथा लोहा आदि पदार्थ चुम्बकीय आकर्षण शक्ति से प्रभावित होते हैं और इन पदार्थो को पराचुम्बकीय, प्रतिचुम्बकीय तथा लोहचुम्बकीय पदार्थो के रूप में जानते हैं। ये पदार्थ किसी न किसी रूप में चुम्बकीय आकर्षण शक्ति तथा प्रतिकर्षण शक्ति से प्रभावित होते हैं। चुम्बकीय पदार्थों को चुम्बक तथा विद्युत-चालक यंत्र के मध्य रख दें तो उनकी चुम्बकीय शक्ति में किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती है। और मानव शरीर के सभी भाग जैसे- त्वचा, रक्तवाहिनियां, वसा तथा नाड़ियां केवल बिजली और चुम्बक के चालक ही नहीं है बल्कि ये सभी चुम्बकों को भी उपयुक्त रूप से प्रभावित करते हैं। इसी तरह जल और अन्य द्रव्य पदार्थ भी पराचुम्बकीय पदार्थ की श्रेणी में आते है और बहुत सारे बदलावों के साथ चुम्बक से प्रभावित होते है।
चुम्बकित जल का शरीर पर प्रभाव :
हमारे शरीर में 70 से 80 प्रतिशत तक मात्रा में पानी पाया जाता है इसलिए चुम्बक चिकित्सकों के अनुसार शरीर के विभिन्न कार्यो को करने के लिए तथा गति करने के लिए इस आश्चर्यचकित द्रव के चमत्कारी प्रभाव का उपयोग रोगों के उपचार के लिये किया जा सकता है।
चुम्बकित जल शरीर में पेट के अन्दर समा जाता है और वहां से अपने रोग उपचारक गुणों के साथ रक्तवहिनियों द्वारा पूरे शरीर के ऊतकों में फैल जाता है। यह चुम्बकित जल खून को साफ करने का भी कार्य करता है और अविशिष्ठ पदार्थो को पेशाब द्वारा बाहर निकालने का कार्य भी करता है।
बायलर नामक वैज्ञानिक के अनुसार चुम्बकित जल शरीर में पाई जाने वाली धमनियों के अन्दर जमी हुई कोलेस्ट्रांल की परत को धीरे-धीरे घोलकर बाहर निकाल देता है, जिसके फलस्वरूप शरीर की अवकाशिकापुटी में वृद्धि होती है तथा खून की संचालन क्षमता बढ़ जाती है।
बहुत समय पहले रूस तथा अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने जल को चुम्बकित करने के लिये परीक्षण किया और पाया की जल में चुम्बक का बहुत प्रभाव उत्पन्न होता है और चुम्बकित जल द्वारा कई प्रकार के रोग ठीक हो सकते हैं।
भारत, अमेरिका, रूस तथा फ्रांस जैसे कई देशों में ऐसे कई झरने पाए जाते हैं जिनके जल में चुम्बकीय आकर्षण शक्ति पाई गई है। इनके जल का उपयोग कई प्रकार के रोगों जैसे- गठिया, मोटापा तथा पेशाब सम्बन्धी बहुत सारे रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। फ्रांस में तो कई जगह इस प्रकार के झरने के पानी को बोतलों में भरकर बेचा जाता है तथा अन्य खनिज जलों के समान ही इन जलो का उपयोग किया जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि इन झरनों में कोई ऐसा स्रोत है जिसके द्वारा इन झरनों का पानी चुम्बकित होकर चुम्बकित जल बन जाता है। इनके जलों में बहुत सारे रोगों के इलाज करने के गुण सम्पन्न हो जाते हैं। कई प्रकार की सूचना के अनुसार यह भी जानकारी मिली है कि रोगों का इलाज करने के लिए बहुत सारे लोग इन झरनों पर जाते हैं।
चुम्बकित जल बनाने का तरीका :
चुम्बकित जल बनाने का तरीका बहुत ही आसान है और चुम्बकित जल का प्रभाव भी रोगों पर बहुत अधिक होता है। सबसे पहले दो शीशे की बोतल ढक्कन सहित लेनी चाहिए या दो शीशे का जग ढक्कन सहित लेना चहिए और 2000 गौस शक्ति वाले चुम्बकों के दो जोड़े लेने चाहिए। फिर बोतल या जग के अन्दर पीने का गरम या ठण्डा पानी भर देना चाहिए और उसके ढक्कनों को अच्छी तरह से बंद कर देना चाहिए। फिर बोतल तथा जग को उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव के ऊपर लगभग 12 घण्टे तक रखना चाहिए। चुम्बकीय शक्ति इसके कांच को बेधती हुई इसके जल के अन्दर चली जाती है और उसमें समा जाती है। फिर 12 घण्टे के बाद दोनों बोतलों या दोनों जगों के पानी को आपस में मिला देना चाहिए या रोगों के अनुसार दोनों बोतलों के पानी का उपयोग अलग-अलग करना चाहिए।
उदाहारण के लिए पेशाब के रोग में जब पेशाब कठिनाई के साथ तथा कम मात्रा में आ रहा हो तो इन दोनों बोतलों के पानी को मिलाकर लेना चाहिये तथा अन्य पेशाब सम्बन्धी रोग जैसे- टाइफाइड या अन्य संक्रामक रोगों में उत्तरी ध्रुव पर तैयार जल का उपयोग करना चाहिए। इस तरह से बनाये गये चुम्बकित जल को लगभग 5-6 दिनों तक कमरे के अन्दर तथा 10 दिनों तक फ्रिज के अन्दर रखा जा सकता है।
चुम्बकित जल सेवन की मात्रा :
एक स्वस्थ मनुष्य लगभग 50 मिलीलीटर चुम्बकित जल का दिन में 3 बार उपयोग कर सकता है तथा एक बूढ़ा व्यक्ति भी इसकी 50 मिलीलीटर की मात्रा को दिन में 3 बार ले सकता है। बच्चों के रोग की अवस्था में इसकी मात्रा को घटाकर 25 मिलीलीटर किया जा सकता है और इसकी मात्रा को दिन में 3 बार या इससे अधिक बार ले सकते हैं। आंखों तथा पके हुए घावों को धोने के लिये निर्दिष्ट चुम्बकित जल का प्रयोग किसी भी मात्रा में किया जा सकता है।
जिस प्रकार चुम्बकित जल बनाते हैं ठीक उसी प्रकार बियर, शराब तथा दूध आदि चीजों को भी कांच के बर्तन में रखकर चुम्बकित किया जा सकता हैं। लेकिन इन पदार्थो को चुम्बक के ऊपर अधिक से अधिक आधे घंटे तक रखना चाहिये क्योंकि इन पदार्थो की मात्रा अधिक होती है तथा इन पदार्थो को लम्बे समय तक चुम्बक के प्रभाव में रखने की जरूरत नहीं होती है।
अन्य चुम्बकित पदार्थों का उपयोग :
जल के अलावा विभिन्न प्रकार के तेलों जैसे- तिल का तेल, नारियल का तेल तथा सरसो का तेल आदि को भी चुम्बकित किया जा सकता है और इन तेलों का उपयोग विभिन्न प्रकार के रोगों जैसे- चर्म रोग, बाल सम्बन्धी रोग, त्वचा का फट जाना या सूख जाना या घाव को ठीक करने के लिये किया जा सकता है। उदाहरण के लिये गुलाबजल को शीशे की बोतल में भरकर तथा शीशे के ढक्कन को अच्छी तरह से बंद करके, उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव के ऊपर 12 घण्टे तक रखकर चुम्बकित किया जा सकता है और इसका उपयोग आंखें आने तथा आंखों के दर्द की दवाई के रूप में भी किया जा सकता है।
रोगों के उपचार में चुम्बकित जल के फायदे :
चुम्बकित जल का सामान्य उपचारक प्रभाव –
चुम्बकित जल का उपयोग उन रोगों पर भी किया जा सकता है जिनका अन्य चिकित्साओं द्वारा आसानी से इलाज नहीं होता। चुम्बकित जल बहुत से रोगसाधक गुणों से सम्पन्न होता है तथा कई प्रकार के रोगों की रोकथाम भी करता है।
चुम्बकित जल के रोगसाधक गुणों के प्रभाव में, जो रोग आते हैं वे है मूत्रप्रणाली सम्बन्धी रोग, पाचन प्रणाली सम्बन्धी रोग तथा संचार प्रणाली से सम्बन्धित रोग। चुम्बकित जल शरीर में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के पाचक रसों के स्रावों को ठीक ही नहीं करती बल्कि उसके विभिन्न पोषक पदार्थों के उचित सर्वांगीकरण करने में भी सहायता करता है। चुम्बकित जल रक्त संचार तथा मूत्र प्रणालियों को भी उचित रूप में प्रभावित करता है। चुम्बकित जल हमारे शरीर की विभिन्न प्रकार की पथरियों तथा लवणों की परतों को घोलकर पेशाब तथा पसीने के द्वारा बाहर निकाल देता है। चुम्बकीय जल गुर्दे की कार्य शक्ति को अच्छी गति प्रदान करता है।
चुम्बकित जल का प्रयोग कई प्रकार के संक्रामक रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है। कभी-कभी यह देख कर आश्चर्य होता है कि चुम्बकित जल जैसा असाधारण जल इन बहुत सारे रोगों को कैसे ठीक कर देता है जबकि कई प्रकार की चिकित्सा पद्धति से इस प्रकार के रोग आसानी से ठीक नहीं होते हैं।
आज संसार में ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं जैसे-कई प्रकार के रोगों का प्राकृतिक जड़ी-बूटियों द्वारा इलाज आसानी से किया जा सकता है। चुम्बक भी प्रकृति द्वारा दी गई औषधियों के समान ही कार्य करती है। आज आधुनिक चिकित्सा में इस चुम्बकीय पद्वति ने चिकित्सा को आसान बना दिया है। प्राचीन काल में बहुत सारे रोगों का इलाज करने में बहुत समय लग जाता था जबकि आज इन रोगों का इलाज इस चुम्बकीय चिकित्सा द्वारा बहुत कम समय में हो जाता है।
आज यह पुरानी कहावत भी सच होती दिख रही है कि ईश्वर प्राणीवर्ग को प्रभावित करने वाली प्रत्येक निष्क्रिय शक्ति (रोग शक्ति) को नष्ट करने के लिये एक सक्रिय शक्ति (औषधी शक्ति) भी बना देता है। इसलिए इसमें क्या आश्चर्य होता है कि किसी रोग तथा सप्राण शरीर में रोगरूपी निष्क्रिय शक्ति को हराने के लिए वही पानी चुम्बकित होकर सक्रिय शक्ति का रूप ले लेता है और समता के प्राकृतिक सिद्धान्त के अनुसार रोग को समूल नष्ट कर देता है।
रूस तथा भारत के अलावा अमेरिका और जापान जैसे देशों ने भी चुम्बकित जल को विभिन्न रोगों की चिकित्सा करने के लिए उपयोगी बना लिया है और इसके अच्छे परिणाम भी प्राप्त किए है।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)