क्लब फुट के कारण, लक्षण और उपचार

Last Updated on November 15, 2021 by admin

क्या है क्लब फुट ? (Club Foot in Hindi)

बच्चों की हड्डियों एवं जोड़ों के जन्मजात विकार क्लब फुट अथवा टेलीपेज के बारे में हमारे देश में भयानक स्तर पर अज्ञानता है। कई माता-पिता क्लब फुट को लाइलाज समझ कर अपने बच्चे का इलाज या तो नहीं कराते हैं या देर से इलाज कराते हैं, जिसके कारण उनके बच्चे ताउम्र के लिए विकलांगता के शिकार हो जाते हैं।

क्लब फुट के लक्षण (Sing and Symptoms of Club Foot in Hindi)

क्लब फुट के क्या लक्षण होते हैं ?

पैर के जन्मजात तौर पर मुड़े होने को क्लब फुट कहा जाता है। हालांकि कई बच्चों में जन्म के बाद किसी बीमारी अथवा किसी तरह की कमी या असामान्यता के कारण टखने अथवा पैरों में टेढ़ापन आ जाता है। क्लब फुट होने पर पैर नीचे की तरफ अन्दर की ओर मुड़ा हुआ प्रतीत होता है तथा एड़ी जमीन से ऊपर उठी हुई होती है। चिकित्सकीय भाषा में इसे इक्विनो वेरस कहा जाता है। इसका अर्थ पंजे का नीचे तथा अंदर की तरफ मुड़ा होना होता है। इस वजह से चलने में कठिनाई होती है तथा चाल बेढंगी हो जाती है।

इस बीमारी से ग्रस्त बच्चों में से 50 फीसदी बच्चों के दोनों पैरों में विकृतियां होती हैं। एक पैर में विकृति होने पर प्रभावित पंजे और एड़ी दूसरे पैर से छोटे हो जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार हर एक हजार बच्चों में एक बच्चा क्लब फुट से ग्रस्त होता है। लड़कों को लड़कियों की तुलना में यह समस्या दोगुनी होती है। माता-पिता में से किसी एक के क्लब फुट से ग्रस्त होने पर जन्म लेने वाले बच्चे को क्लब फुट होने की आशंका तीन से चार प्रतिशत होती है जबकि माता-पिता दोनों के क्लब फुट से ग्रस्त होने पर होने वाले बच्चे को क्लब फुट होने की आशंका 15 प्रतिशत हो जाती है।

क्लब फुट के कारण (Clubfoot Deformity Causes in Hindi)

क्लब फुट क्यों होता है ?

क्लब फुट के अनेक कारण हो सकते हैं। जन्मजात कारणों के अलावा गर्भ में बच्चे की असामान्य स्थिति, पैर की मांसपेशियों में खून की कमी अथवा कोई संक्रमण तथा पोलियो अथवा स्पाइना बाइफिडा नामक रीढ़ की जन्मजात बीमारी क्लब फुट के प्रमुख कारण हैं। चिकित्सकों के अनुसार गर्भावस्था के आठवें सप्ताह में गर्भस्थ बच्चे के पैरों के विकास में गड़बड़ी आती है।

क्लब फुट बच्चों में दर्द या कष्ट का कारण नहीं बनता है। लेकिन अगर इसका उपचार नहीं किया जाये तो विकलांगता और बढ़ती जाती है। उम्र अधिक होने पर इस विकलांगता का उपचार अत्यंत मुश्किल होता है।

क्लब फुट का उपचार (Clubfoot Treatment in Hindi)

क्लब फुट का इलाज कैसे करें ?

क्लब फुट का जन्म के पहले सप्ताह में उपचार आवश्यक होता है। उपचार की आरंभिक अवस्था में पैर को खींचकर और मोड़कर विपरीत स्थिति में (बाहर और ऊपर की तरफ) कर दिया जाता है। इसके बाद पैर की उंगलियों से लेकर जांघ के ऊपरी हिस्से तक प्लास्टर चढ़ा दिया जाता है। प्लास्टर एक से दो सप्ताह में बदल दिया जाता है। छह से आठ प्लास्टर के बाद मरीज के पैर के स्वरूप में सुधार आने की संभावना रहती है। करीब 50 से 90 प्रतिशत मरीजों में प्लास्टर से लाभ नहीं मिलने पर ऑपरेशन का सहारा लेना पड़ता है। ऑपरेशन बच्चे के आठ माह के होने से पूर्व ही किया जाना चाहिए। प्रचलित ऑपरेशन के तहत मांसपेशियों को काटकर उनकी स्थिति इस प्रकार बदल दी जाती है ताकि पैर सही स्वरूप में आ जाये।

परम्परागत तरीके से किए जाने वाले ऑपरेशन का नुकसान यह है कि इससे पैर की मांसपेशियों की ताकत कम हो जाती है तथा अक्सर पैर की लंबाई भी कम हो जाती है। ज्यादातर मरीजों में ऑपरेशन के बाद पैर कठोर भी हो जाता है। इन कारणों से मरीज को चलने में दर्द होता है। आजकल यह ऑपरेशन नई विधि से होने लगा है। इस ऑपरेशन के बाद छोटे हुये पैर की लंबाई बढ़ाई जा सकती है तथा प्रचलित ऑपरेशन के बाद आई विकृतियों एवं असमान्यताओं को दूर किया जा सकता है। इस पद्धति की मदद से न तो पैर में जकड़न आती है और न ही पैर के बाद में छोटे होने की आशंका रहती है।

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