Last Updated on July 28, 2019 by admin
धन जीवन का अभिन्न अंग है। धन यानी लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए लोग जाने क्या-क्या करते हैं। अगर वास्तु के नियम का वे पालन करें तो इसमें कोई शक नहीं कि उन्हें धन-जन दोनों की ही प्राप्ति न हो। धन प्राप्ति के लिए आइए आजमाएं कुछ अचूक वास्तु सूत्र।
धन समृद्धि बढ़ाने के उपाय :
1-तिजोरी, गल्ले, बैंक की पास बुक आदि पर स्वास्तिक का चिह्न अंकित करें। दीपावली के शुभ अवसर पर लक्ष्मी पूजन के समय बहीखाते में स्वास्तिक का चिह्न बनाएं। भवन निर्माण करते समय गाड़ी या नया मकान खरीदते समय स्वास्तिक अंकित करें। स्वास्तिक ऋद्धि-सिद्धिदायक गणेश का स्वरूप है।
2-जल से भरा आम के पत्तों से युक्त मंगल कलश को घर बन जाने के बाद सर्वप्रथम स्थापित कर पूजा करें।
3-हाथा-पंचागुलक चिह्न पांच की संख्या का प्रतीक है। वास्तु में समृद्धि की दृष्टि से गृहप्रवेश के समय हाथा-पंचागुलक प्रतिस्थापित करें। अनेक मांगलिक अवसरों पर भी इसे चित्रित कर सकते हैं।
4- मीन (मछली) प्रेम व समृद्धि की प्रतीक है। श्री विष्णु भगवान का अवतार तथा कामदेव की पताका का प्रतीक है। शुभ अवसरों पर मीन-दर्शन शुभ भी होता है। इन्हीं खूबियों के कारण मछली के जोड़े को घर में मांगलिक चिह्न के रूप में चित्रित किया जाता है। धन प्राप्ति के लिए यह चिह्न अचूक है।
5- ॐ शब्द ही ब्रह्म है। ॐ ही ईश्वर का नाम है। यह वेदों के मंत्रों का बीजाक्षर है। इसको देखने मात्र से ही धन, शांति की प्राप्ति होती है। घर में उपयुक्त स्थान पर इसे अवश्य ही आंकित करें।
6- आगुंतक दोष आदमी की प्रगति में बाधा उत्पन्न करता है। वह उसको हर तरह से असहाय कर देता है। इस दोष से बचने के लिए मुख्यद्वार पर सिद्ध गणपति की स्थापना करें।
7- घर में पूर्व दिशा में दोष होने पर धन बढ़ता नहीं है। सूर्य यंत्र इस दिशा में स्थापित करें।
8- पश्चिम में दोष होने पर धन का नाश होता है। वरूण यंत्र या चन्द्र यंत्र इस दिशा में स्थापित कर पूजा करें।
9- उत्तर दिशा का दोष लक्ष्मी को भगाता है। बुध यंत्र इस दिशा में स्थापित कर धन की प्राप्ति करें।
10- दक्षिण दिशा में दोष होने पर लक्ष्मी का आवागमन अवरूद्ध हो जाता है। मंगल यंत्र इस दिशा में स्थापित कर धन-जन में वृद्धि करें।
11- ईशान में दोष होने पर भी लक्ष्मी का आगमन बाधित होता है। ईशान में प्रकाश डालें व तुलसी का पौधा रखें।
12- आग्नेय का दोष धन की हानि करता है। प्रवेशद्वार पर सिद्ध गनपति की स्थापना कर धन को बढ़ावा दें।
13- नैर्ऋत्य में दोष होने पर लक्ष्मी की आवक रूक जाती है। इस दिशा में राहु यंत्र स्थापित कर लक्ष्मी को आमंत्रित करें।
14- वायव्य में दोष होने पर भी धन में कमी आ जाती है। चन्द्र यंत्र इस दिशा में स्थापित कर लक्ष्मी को प्रसन्न करें।
15- पिरामिड यंत्र धन को आकर्षित करने के लिए दीवार पर टांगें या जमीन पर इसे गाड़े। गाड़ने के लिए जमीन में एक फिट छ: इंच गहरा गड्ढा खोदें। उसके बाद यंत्र को दिशाओं के समानांतर रख दें और गड्ढे को भर दें।
16- वास्तु शांति हवन करा कर भी घर में धन को खींचा जा सकता है। यह हवन किसी वास्तु हवन ज्ञाता से करवाएं और हवन से संबंधित सामग्री का ही इस्तेमाल करें।
17- शंख ध्वनियां, शंख लक्ष्मी को आकर्षित करता है। दक्षिणावर्त शंख जिसके घर में होता है। वहां लक्ष्मी का वास होता है। शंख बजाने से जहां तक उसकी आवाज जाती है, वहां तक हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। शंख संध्या के समय बजाना शुभदायक है। शंख गरीबी की पीड़ा, क्षय, विष, कुष्ठ एवं नेत्र रोग नाशक है। घर के किसी भी कोने में वास्तु दोष होने पर वहां
पर शंख रखने से दोष काफी कुछ हद तक दूर हो जाता है।
18- क्रिस्टल बॉल ऊर्जा शक्ति का प्रतीक है। यह प्रकाश की किरणों को परावर्तित कर शुभ किरणों का प्रवाह बढ़ाता है तथा अशुभ शक्तियों का नाश करता है। बहुत बड़े क्रिस्टल बॉल का भी प्रयोग न करें। छोटे क्रिस्टल बॉल का उपयोग ही ठीक रहता है। यह लक्ष्मी का भी प्रसारण घर में करता है।
19- विविध प्रकार से हरे पौधों से सजा घर धन-समृद्धि का प्रतीक माना गया है। वास्तुदोषों का भी निवारण इससे होता है। इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण तुलसी का पौधा है। तुलसी का स्पर्श करने वाली हवा कहीं पर भी जाती है तो वहां का पर्यावरण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हो जाता है।
तुलसी घर की प्रदूषित हवा को दूर कर लक्ष्मी को आकर्षित करती है। पृथ्वी के नीचे कहीं-कहीं निगेटिव स्ट्रीम होती है और अगर यह स्ट्रीम किसी के घर, दुकान, फैक्ट्री या अन्य भूखंड से गुजरती है व कोई आदमी उस पर सो रहा है या काफी समय तक बैठता है तो उसे गंभीर रोग हो सकता है। जन-धन की हानि हो सकती है। तुलसी का पौधा उस भाग पर रखने से उसके पांच से दस फुट व्यास क्षेत्र में उस स्ट्रीम के कुप्रभावों को रोका जा सकता है। हरे पौधे समृद्धि और विकास को बढ़ावा देते हैं। घर के अंदर कृत्रिम हरे पौधे रख सकते हैं तथा घर के बाहर प्राकृतिक पौधे रख सकते हैं। दूध या कांटेदार वाले पौधे घर में न रखें।
20- भवन, जल, फैक्ट्री आदि में जल व्यवस्था ठीक न होने पर लक्ष्मी का आगमन नहीं होता है। उचित स्थान पर ईशान, उत्तर या पूर्व में नलकूप या जल संग्रह टैंक बनाकर लक्ष्मी को अपने घर में स्थापित कर सकते हैं।
21- रंग जिंदगी से जुड़े हैं और सुख, समृद्धि तथा प्रेम के भी प्रतीक हैं। जिस तरह सबको सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता है, ठीक उसी प्रकार रंग भी हमारे अनुकूल होना जरूरी है। रंग व्यक्ति के मस्तिष्क को प्रेरणा देते हैं। जीवन की सफलता में वृद्धि करते हैं। कुछ रंग उत्तेजित करते हैं तो कुछ रंग शांति प्रदान करते हैं। रंग कार्य व व्यापार पर भी असर डालते हैं। सफेद, गुलाबी, आसमानी, हल्का नीला, हल्का हरा रंग शुभ माने जाते हैं। कपड़े पहनने से लेकर आसपास के वातावरण को भी रंग प्रभावित करते हैं। रंग मानसिक स्वास्थ्य तथा कार्य करने की क्षमता पर भी प्रभाव डालते हैं। रंगों का सही चुनाव व चयन से आर्थिक उन्नति ही संभव नहीं है बल्कि सफलता असफलता भी निर्भर है। रंग तत्वों से जुड़े हुए हैं। उनका प्रयोग सोच-समझकर करने से धन, जन और समृद्धि तीनों ही प्राप्त होते हैं। स्वागत कक्ष में हल्का गुलाब कलर समृद्धि एवं खुशी देता है। प्रवेश कक्ष आसमानी या हल्का नीला होना चाहिए। अध्ययन कक्ष हल्का हरा रखें। मुख्य शयन कक्ष (मास्टर बेडरूम) की सज्जा हल्के हरे रंग से करें।
बच्चों का शयनकक्ष हल्का हरा से अच्छा लगता है। रसोई का रंग रोगन सफेद कलर से करवाएं। हल्का हरा या हल्का गुलाबी कलर । भोजन कक्ष की भव्यता को बढ़ाता है। भंडार गृह गहरा हरा व गुलाब कलर से सजाएं।
स्नान घर में सफेद या हल्का गुलाबी कलर का इस्तेमाल करें। शौचालय के लिए सफेद या हल्का गुलाबी अच्छा रहता है। कार्यालय एवं व्यापारिक संस्थान आसमानी व हरा होने पर सुख-समृद्धि में वृद्धि करते हैं। व्यापारिक केन्द्र एवं दुकान की सफलता के लिए हरे रंग का प्रयोग करें। चिकित्सालय की कलरिंग सफेद रंग से करवाएं। कम्प्यूटर रूम आसमानी व हल्का हरा, हल्का गुलाबी कलर से रंगवाएं। कार्यालय व फैक्ट्री हल्का हरा, आसमानी, गुलाबी से कलर करवाएं।
22- दर्पण भी सुख-समृद्धि एवं स्वास्थ्य में वृद्धि कर लाइफ को सहज आसान और सुखद बनाता है। दर्पण को घर कार्यालय व अन्य जगहों पर यानी कहीं भी लगाकर शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं। संकरे व अधिक
लंबे कमरों को दर्पण की सहायता से चौड़ा कर सकते हैं और उसके दुष्परिणामों से बच सकते हैं।
दर्पण का इस्तेमाल कर प्रवाह मार्ग में परिवर्तन कर कुप्रभावों को रोका जा सकता है। कोई वेध होने पर उचित स्थान पर दर्पण लगाकर दोष से बचा जा सकता है। दर्पण का प्रयोग करते समय इस बात का ध्यान रखें कि दर्पण खंडित, टूटा व विकृत न हो। इसकी कुछ शुभ माप होती है जिसके उपयोग से अपेक्षाकृत बहुत अधिक लाभ होता है। फेंगशुई में इसकी मुख्य इकाई 4:3 मानते हैं और अनुपात 3:5, 6:7, 8:10 मुख्य है।
भारतीय पद्धति में 9 अंक को सबसे अधिक शुभ माना गया है। यह पूर्व सौरमण्डल का अंक है। इसलिये साइज 9x 8, 27 x 36 आदि सेमी., इंच या अन्य कोई इकाई में तैयार कर उपयोग में ला सकते हैं। इस बात का ध्यान रहे कि दर्पण की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 2:1 से अधिक न हो
23- अंधेरे में रहने वाले घर, दुकान आदि में उचित प्रकाश कर लाभ लिया जा सकता है। जिस घर या भवन में ईशान दिशा में हमेशा रोशनी रहती है. उस घर में दैविक शक्ति जाग्रत रहती है और लक्ष्मी का सदा – वास वहां रहता है। ईशान दिशा में दर्पण व हरा बल्व लगाना बहुत शुभ होता है तथा – आपका कोई भी मुख्य रूका हुआ कार्य – शीघ्र ही पूरा होने के आसार बढ़ जाते हैं।
24- घंटी का उपयोग फेंगशुई का एक महत्वूर्ण अंग है। इसका इस्तेमाल सकारात्मक – होता है। धन को यह अपनी तरफ खींचती – है। इसे पूजा घर के द्वार पर भी लगाया जा सकता है। इसको लगाने से कुप्रभावों को संतुलित किया जा सकता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
25- बांसुरी को घर में रखना शुभ माना गया है। इसके छेद घर को उन्नत करने में सहायक साबित होते हैं। बांस की बनी बांसुरी अधिक शुभदायक मानी गई है। घर के किसी भी पिलर (बीम) के कुप्रभावों को दूर करने के लिए उसके ऊपर 45° के कोण पर दो बांसुरी लगाने से उसे रोका जा सकता है।
बांसुरी को पूजा घर में भी रखना सुख-समृद्धिदायक है। भगवान श्री कृष्ण की प्रिय बांसुरी जन साधारण के लिए पावन है।
26- अग्नि क्षेत्र का इस्तेमाल घर में होने से सुख, शांति, खुशी तथा समृद्धि बनी रहती है। परिजन आपस में मिल जुलकर रहते हैं और लक्ष्मी का वास वहीं होता है जहां एकता तथा प्यार की गंगा प्रवाहित होती है। अग्नि क्षेत्र से घर का वातावरण और मन भी शुद्ध होता है। इसमें ठीक सूर्य उदय व सूर्य अस्त की संधि बेला में कुछ आवश्यक मंत्रों का उच्चारण कर आहुतियां दी जाती हैं। गाय का शुद्ध घी अग्नि क्षेत्र में होना जरूरी है। अग्नि क्षेत्र के बाद उसी आग को ठंडा होने दें। इससे घर के कई दोष ठीक हो जाते हैं और आपस में प्यार और सौहार्द बढ़ता है।
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