Last Updated on June 14, 2022 by admin
दूध क्यों पीना चाहिए ?
जब कभी भी सम्पूर्ण भोजन की बात होती है सबसे पहले दूध का नाम सामने आता है। दूध में प्रोटीन, विटामिन A, B1, B12, विटामिन D, पोटेशियम और मैग्नीशियम आदि बहुत से जरूरी तत्व होने की वजह से इसे सबसे ज्यादा पोषक माना जाता है।
वेजीटेरियन के लिये दूध को इसीलिए पूर्ण भोजन माना जाता है क्योंकि इसमें प्रोटीन, फैट, कार्बोहाइड्रेट और वो सारे विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं जो एक अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरुरी होते हैं। दूध में मौजूद इतने सारे न्यूट्रीशनल और पाचक गुण होने की वजह से इसे आयुर्वेद में एक अलग ही स्थान दिया गया है। सामान्यतया दूध मधुर चिकना ओज एवं रस आदि धातुओं को बढ़ाने वाला, वात पित्त कम करने वाला, वीर्य को बढ़ाने वाला, कफकारक, भारी और शीतल होता है, लेकिन आयुर्वेद के अनसार दूध से स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए सबसे पहले यह जानना जरुरी है कि किस जानवर का, कैसे और कब पीना चाहिए ये जानना बहुत जरूरी है।
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किसका दूध है सर्वोत्तम : doodh kiska accha hota hai
आयुर्वेद के आचार्यों ने मुख्य रूप से 8 प्रकार के दूध का उल्लेख किया है जिसमे गाय, भैंस, बकरी, ऊंटनी, घोड़ी, हथिनी, गधी और स्त्री के दूध पर विशेष वर्णन मिलता है। इन आठो में से स्त्री यानी माँ का दूध सर्वोत्तम बताया गया है। इसके बाद गाय और बकरी के दूध को अधिक फायदेमंद बताया है। कौन से दूध का क्या गुण होता है जानते है।
गाय के दूध के गुण एवं फायदे –
गाय का दूध सभी जानवरों के दूध में सर्वश्रेष्ठ होता है। इसमे जीवनीय शक्ति और ओज को बढ़ाने वाले सभी गुण होते है।
भैंस के दूध के गुण –
इसमे गाय के दूध से अधिक वसा होती है तथा पचाने में भारी और अधिक शीतप्रकृति का होता है। इसके पीने से अधिक निद्रा आती है तथा अधिक भूख लगने की बीमारी में इससे अधिक लाभ होता है। अधिक वजन वाले लोगों को इसका सेवन नही करना चाहिए।
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बकरी के दूध के गुण –
इसका दूध थोड़ा मीठा और कसैला होता है। शीघ्र पच जाता है तथा डायरिया और राजयक्ष्मा में बहुत ही फायदेमंद होता है। छोटे बच्चों जिनके माँ को दूध नहीं होता उनमे गाय के दूध के बदले बकरी का दूध लाभ पहुचता है। बाकी ऊंटनी का दूध, घोड़ी और गधी का दूध भी अलग अलग रोगों में फायदेमंद होता है। लेकिन आसानी से उपलब्ध नही होता है।
अब बात करते है सिर्फ गाय के दूध की। गाय का मतलब सिर्फ देशी गाय से है ना की हाइब्रिड गाय से। जहा तक अल्लोपथ या साइंस की माने तो दूध केवल दूध होता है। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार एक ही देशी गाय का दूध भी अलग अलग कारणों से अलग अलग गुण वाला हो जाता है। आइये देखते है कैसे
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किस समय का दूध लेना चाहिये : doodh peene ke niyam hindi me
- प्रायः सवेरे निकाला गया दूध भारी, अधिक शीतल होता है। अर्थात इसका पाचन बहुत देर से होता है और कॉन्स्टिपेशन करता है इसलिये यदि diarhhea का रोगी है तो इसमे सुबह का दूध बढ़िया होता है।
- शाम को निकाला गया दूध सारक होता है अर्थात कॉन्स्टिपेशन के रोगियों के लिए फायदेमंद होता है और इसका पाचन आसानी से हो जाता है।
- सुबह का कच्चा दूध जिसे उबला नहीं गया है तो अभिष्यंदी और भारी होता है। जिससे पेट में भारीपन और अपच की शिकायत हो सकती है लेकिन इसी दूध को उबाल देने से इसका भारीपन कम हो जाता है जिससे पीने पर नुकसान नहीं करता है।
- यदि दूध को बहुत अधिक देर तक उबाल दिया जाए तो भी यह भारी हो जाता है। इसलिए इसे बहुत अधिक देर तक नही उबाल कर पीना चाहिए। वजन बढ़ाना हो तो यह दूध लाभदायक होता है।
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किस के साथ दूध का सेवन नही करना चाहिए :
- केले को दूध के साथ नहीं इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि दूध के साथ केला मिलकर अत्यधिक शीत और भारी हो जाता है और इसकी वजह से सर्दी, खांसी, जुखाम, एलर्जी और स्किन पर चकत्ते पड़ने लगते हैं।
- दूध को मछली के साथ नहीं लेना चाहिए।
- दूध को अम्ल द्रव्यों यानी खट्टे चीज़ो के साथ नही लेनी चाहिये।