द्राक्षकल्प क्या है ? जानिए करने की विधि, लाभ और सावधानियां

Last Updated on February 7, 2023 by admin

द्राक्षकल्प क्या है ? : 

अंगूर के रस द्वारा रोगोपचार करने को ही द्राक्षकल्प कहते हैं। इसी प्रकार मट्ठा व दूध के भी कल्प होते हैं। रोगों की आवश्यकतानुसार विभिन्न फलों के कल्प कराये जा सकते हैं। 

द्राक्षकल्प के लाभ :

  • अंगूर के रस का कल्प `कैंसर निदान` के लिए सर्वोत्तम है।
  • शरीर का कायाकल्प हो जाता है। 
  • रक्त शुद्ध होता है।
  • त्वचा अधिक स्वस्थ और चमकदार हो जाती है।
  • आतों की शुद्धि हो जाती है।
  • चित की प्रशन्नता में वृद्दि होती है।

द्राक्षकल्प करने की विधि : 

शोधकर्ताओं द्वारा द्राक्षकल्प की निम्नलिखित विधि बताई गई है –

1. कल्प प्रारंभ करने से पहले 2-3 दिन तक उपवास (व्रत) रखें। पानी अधिक मात्रा में पियें और कब्ज दूर करें। कब्ज दूर करने के लिए एनिमा भी लिया जा सकता है।

2. जिस दिन कल्प प्रारंभ करें, उस दिन सुबह से ही 2 गिलास सादा पानी पियें। इसके बाद सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक 6 बार अंगूर का रस पियें। एक बार में 50-100 मिलीलीटर अंगूर का रस पीना चाहिए।

3. रोजाना रस की मात्रा दुगुनी कर दें। एक सप्ताह तक प्रयोग जारी रखें। 1 सप्ताह में रस की मात्रा 5-6 लीटर रोजाना हो जाएगी। तत्पश्चात 1 सप्ताह तक इतना ही रस पीते हुए कल्प जारी रखें।

4. अंगूर के रस में सभी आवश्यक व उपयोगी तत्व पर्याप्त मात्रा में नहीं होते हैं। अत: अधिक लंबे समय तक यह कल्प जारी नहीं रखा जा सकता है। परन्तु आवश्यकतनुसार यह कल्प 1 महीने तक जारी रखा जा सकता है। परन्तु यह या कोई भी कल्प किसी योग्य पढ़े-लिखें प्राकृतिक चिकित्सक की देखरेख में करना चाहिए।

5. यह द्राक्षकल्प की पहली अवस्था है। दूसरी अवस्था में अंगूर के रस के अलावा दूसरे पौष्टिक रसों का भी सेवन करना चाहिए। यह अवस्था 2 महीने तक जारी रखें।

6. तीसरी अवस्था में साग, सब्जियां व रस, अंकुरित अनाज (गेहूं व ज्वार) व कच्चा आहार जैसे सलाद आदि का भी प्रयोग करें व अंगूर का रसपान जारी रखें।

7. इस प्रकार 6 महीने में ही `द्राक्षकल्प` की अवस्थाएं पूरी हो जाती हैं।

8. चौथी अवस्था में अंगूर का रस, फल, सब्जियां व सलाद के अलावा कुछ पका हुआ ठोस आहार भी लेना शुरू कर दें।

द्राक्षकल्प करने में सावधानियां :

  • इस कल्पावधि में शारीरिक व मानसिक मेहनत से बचें और पूरा आराम करें।
  • यदि कल्प के दौरान दस्त होने लगे तो अंगूर के रस की मात्रा घटा दें या 1-2 दिन के लिए बंद कर दें व उपवास रखें। दस्त ठीक होते ही दुबारा अंगूर के रस का सेवन करें।
  • यदि सर्दी जुकाम की शिकायत हो जाए तो अंगूर का रस थोड़ा सा गर्म करके पी सकते हैं।
  • योग्य प्राकृतिक चिकित्सा की निगरानी में या किसी अच्छे प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र में ही द्राक्षकल्प प्रारंभ करें।

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