फाइब्रोमायल्जिया के कारण, लक्षण और उपचार

Last Updated on November 13, 2021 by admin

क्या है फाइब्रोमायल्जिया ? (Fibromyalgia in Hindi)

फाइब्रोमायल्जिया सिंड्रोम क्या है ?

मरीज के जीवन को असहनीय पीड़ा एवं तकलीफों से भर देने वाली बीमारी फाइब्रोमायल्जिया या फाइब्रोमायल्जिया सिंड्रोम के कारण मरीज को हर वक्त शरीर की सारी मांसपेशियों एवं हड्डियों में इस कदर का दर्द होता है कि वह स्पर्श मात्र से ही तड़प उठता है। मरीज हमेशा शारीरिक थकान, जकड़न एवं तनाव से ग्रस्त रहता है। मरीज को नींद नहीं आती है और हाथ-पैर पर हमेशा चींटियां चलने जैसा महसूस होता है। उनकी जाड़ों में तकलीफें असहनीय हो जाती हैं।

फाइब्रोमायल्जिया में मांसपेशियों और जोड़ों में इतना अधिक दर्द एवं जकड़न की समस्या होती है और इस कदर का मानसिक तनाव रहता है कि रोगी अपनी नित्य क्रियाओं के लिए भी दूसरों पर निर्भर हो जाता है। जाड़े के मौसम में इसके लक्षण बहुत अधिक बढ़ जाते हैं।

हमारे देश में फाइब्रोमायल्जिया आम बीमारी नहीं है। सिर्फ 0.2 से 0.4 प्रतिशत आबादी ही इस रोग से ग्रस्त है। यह बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है और इससे आम तौर पर महिलाएं ही पीड़ित होती हैं।

फाइब्रोमायल्जिया के लक्षण (Fibromyalgia Symptoms in Hindi)

फाइब्रोमायल्जिया सिंड्रोम के क्या लक्षण होते हैं ?

  • फाइब्रोमायल्जिया के प्रमुख लक्षणों में लंबे समय से मांसपेशियों और हड्डियों में अत्यधिक दर्द,
  • जकड़न और झनझनाहट,
  • सुन्नपन,
  • अनिद्रा,
  • मानसिक तनाव,
  • सिर दर्द,
  • चक्कर,
  • दस्त,
  • एकाग्रता में कमी,
  • महिलाओं में मासिक धर्म के समय तेज दर्द आदि प्रमुख हैं।
  • इसके मरीजों को खास तौर पर सिर के पिछले और निचले हिस्से, कमर के ऊपर और नीचे के हिस्से, गर्दन, कंधे, कोहनी, कूल्हे और घुटने में भीषण दर्द होता है।

इस बीमारी में कभी तो उक्त सारे लक्षण भीषण रूप धारण कर लेते हैं और मरीज की तकलीफें असहनीय हो जाती हैं तो कभी ये लक्षण काफी कम जाते हैं। इस बीमारी के कारण रोगी मानसिक तनाव से इस कदर ग्रस्त हो जाता है कि उसे किसी कार्य में भी मन नहीं लगता है। लक्षण बढ़ जाने पर मरीज को बार-बार उल्टियां होती हैं। फाइब्रोमायल्जिया के मरीजों को ठंड भी अधिक लगती है और उन्हें गर्मियों में भी हाथ-पैर में जुराबें और दस्ताने पहनने पड़ते हैं और पंखे की हवा भी कष्टदायक लगती है।

फाइब्रोमायल्जिया के कारण (Fibromyalgia Causes in Hindi)

फाइब्रोमायल्जिया सिंड्रोम रोग क्यों होता है ?

अभी तक ठीक तौर पर यह पता नहीं चला है कि इस बीमारी के क्या कारण हैं। अनेक विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीमारी किसी चोट या हादसे के कारण होती है। चोट या हादसे से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार मांसपेशियों के मेटाबॉलिज्म में परिवर्तन और शरीर में हार्मोन कोर्टिसोल के स्तर में असमान्य रूप से कमी का संबंध फाइब्रोमायल्जिया से है।

फाइब्रोमायल्जिया का निदान (Diagnosis of Fibromyalgia in Hindi)

फाइब्रोमायल्जिया सिंड्रोम का परीक्षण कैसे किया जाता है?

इस बीमारी की पहचान के लिए न तो एक्स-रे और न ही लैब जांच की जरूरत पड़ती है, बल्कि इसके लक्षणों से ही रोग का पता चल जाता है। लक्षण ही इस बीमारी का निदान है।

फाइब्रोमायल्जिया का उपचार (Fibromyalgia Treatment in Hindi )

फाइब्रोमायल्जिया सिंड्रोम रोग का इलाज कैसे किया जाता हैं ?

  1. फाइब्रोमायल्जिया के इलाज के लिए व्यापक रणनीति अपनानी पड़ती है, जिसमें अस्थि शल्य चिकित्सक और फिजियोथेरेपिस्ट के अलावा मनोचिकित्सक और पारिवारिक सहयोग की भी जरूरत पड़ती है।
  2. मानसिक तनाव और दर्द कम होने पर रोगी आराम की नींद सोता है। दर्द और सूजन कम करने तथा अच्छी नींद आने के लिए ट्राइसाइक्लिक, एंटीडिप्रेसेन्ट,एंटीइंफ्लामेट्री, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीएंग्जाइटी, मसलरिलैक्सैन्ट और मल्टी विटामिन दिये जाते हैं।
  3. फाइब्रोमायल्जिया के मरीजों को खान-पान और रहन-सहन में बदलाव करना पड़ता है।
  4. मरीज को नियमित व्यायाम की जरूरत होती है।
  5. रोगियों को कच्चा शुद्ध शाकाहारी तथा प्रोटीन युक्त आहार दिया जाता है, जिसमें सारे विटामिन ए, बी, सी, ई तथा अन्य अनिवार्य मिनरल्स मौजूद होते हैं। ऐसे आहार से रोगी की मांसपेशियों की जकड़न और दर्द में कमी आती है, मांसपेशियां मजबूत होती हैं तथा रोगी को अच्छी नींद आती है।
  6. इसके रोगियों को तम्बाकू और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
  7. मरीज को नित्य सही समय पर सोना जरूरी है। एक घंटा देर से सोना भी लक्षणों को इतना बढ़ा देता है कि उन्हें ठीक होने में कई दिन लग जाते हैं।
  8. इसके अलावा रोगी को दिन में बिल्कुल नहीं सोना चाहिए।
  9. इस बीमारी के मरीजों के लिये प्रतिदिन सही समय तक उचित व्यायाम करना अनिवार्य है, अन्यथा लक्षण और गंभीर हो सकते हैं। इसलिए किसी फिजियोथेरेपिस्ट की निगरानी में ही व्यायाम करना चाहिए। व्यायाम से मांसपेशियों में ताकत आती है, दर्द में कमी आती है और अच्छी नींद आती है।
  10. ऐसे रोगियों के लिए कम से मध्यम तीव्रता वाले व्यायाम लाभकारी साबित होते हैं। रोगी को खिंचाव वाले व्यायाम, मांसपेशियों में ताकत लाने वाले व्यायाम, एरोबिक एक्सरसाइज, पैदल चलना, साइकिल चलाना, तैरना और सांस लेने वाले व्यायाम करने चाहिए।
  11. शरीर के विभिन्न अंगों की गर्म पानी से सिकाई से भी फायदा होता है।
  12. इसके अलावा बिजली के यंत्र द्वारा तंत्रिकाओं पर भी प्रभाव डाला जाता है, जिससे दर्द कम होता है।
  13. मानसिक तनाव को कम करने के लिए मनोवैज्ञानिक की मदद ली जाती है। रोगी का इलाज तनाव रहित माहौल में करना जरूरी है। मानसिक तनाव के इलाज के लिये घर एवं कार्यस्थल के माहौल में उचित परिवर्तन लाना पड़ता है।
  14. बायोफीडबैक, दिमागी शांति और मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग तथा मरीज को परिवार के सदस्यों एवं दोस्तों से भावनात्मक सहारा मिलना आवश्यक है।
  15. फाइब्रोमायल्जिया के मरीज रिवर्सल थेरेपी की मदद से दोबारा सक्रिय एवं कष्ट रहित जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

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