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गरदनतोड़ बुखार (मेनिनजाइटिस) क्या है ? (Gardan Tod Bukhar Kya Hai in Hindi)
गरदनतोड़ बुखार रोग मेनिंगो कोक्कस’ (Meningococcus) नामक कीटाणु से उत्पन्न होता है। इसे गदरनतोड़ बुखार या मस्तिष्कावरण शोथ भी कहते हैं। वैसे तो यह ज्वर हर आयु के लोगों को हो सकता है लेकिन छोटे बच्चे इससे अधिक प्रभावित होते हैं।
गरदनतोड़ बुखार क्यों होता है ? (Meningitis Causes in Hindi)
मेनिनजाइटिस के कारण –
- गरदनतोड़ बुखार मेनिंगो कोक्कस कीटाणु के अतिरिक्त मस्तिष्क में चोट लगने, न्यूमोनिया, वातरोग, काली खाँसी, विसर्प, टाइफाईड, मद्यपान इत्यादि कारणों से भी मेनिनजाइटिस बुखार हो सकता है।
- यह बुखार महामारी के रूप में फैलता है।
- गरदनतोड़ बुखार रोग के कीटाणु नाक और कंठ में जाकर मस्तिष्क में पहँच जाते हैं और मस्तिष्क की हड्डी में घाव व सड़न पैदा कर देते हैं ।
- यह रोग छोटे बच्चों और 25 वर्ष से कम आयु के लोगों तथा वसंत ऋतु में अधिक होता है।
गरदनतोड़ बुखार के क्या लक्षण होते हैं? (Meningitis Symptoms in Hindi)
कुछ लक्षणों से मेनिनजाइटिस का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। जैसे –
- गरदनतोड बुखार में शरीर का तापमान 105 से 106 डिग्री तक हो जाता है।
- इस रोग का प्रमुख लक्षण है असहनीय सिरदर्द । दर्द के कारण रोगी प्रलाप करता और बड़बड़ाता रहता है।
- रोगी को उल्टी भी होती है।
- वह आमोद, प्रमोद तथा शोरगुल आदि नहीं सह सकता है।
- इन लक्षणों के अतिरिक्त रोगी को नींद नहीं आती।
- रोग बढ़ने के साथ-साथ गरदन की पेशियाँ संकुचित होती रहती हैं और तनाव अत्यधिक बढ़ जाता है।
- सिरदर्द बढ़ता जाता है, जिससे रोगी रह-रहकर चीख उठता है और सिर हिलाता है। यह घातक अवस्था है।
- घातक अवस्था (जीर्ण अवस्था) से बच जाने पर भी रोगी में पक्षाघात, बहरापन और बुद्धिहीनता जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।
- रोगी की पीठ की पेशियों में अकड़न के कारण पीठ तख्त के समान सीधी हो जाती है अथवा पीछे की ओर झुक जाती है। रोगी को लगता है कि उसकी गरदन पीछे की ओर मुड़ गई है।
गरदनतोड़ बुखार का उपचार कैसे किया जाता हैं ? (Meningitis Treatment in Hindi)
मेनिनजाइटिस के घरेलू उपचार में निम्न उपाय किए जा सकते हैं –
- गरदनतोड़ बुखार में सबसे पहले उसके कारणों का पता लगाकर उसके शमन का उपाय करना चाहिए ।
- ज्वर अधिक बढ़ जाने पर ठंढे जल से स्पंज करें अथवा सिर और गरदन के पीछे व रीढ़ की हड्डी पर बर्फ की थैली रखें।
- नींद न आने तथा बैचेनी की हालत में ‘निद्राल’ औषधियाँ दें। ( और पढ़े – अनिद्रा (नींद न आना) के आयुर्वेदिक घरेलू उपचार )
- कान के पीछे 1-2 जोंक लगाकर खून निकाल देने से सिरदर्द कम हो जाता है। ( और पढ़े – पंचकर्म चिकित्सा के लाभ )
- रोगी को ठोस आहार बिलकुल न दें ।
- मात्र दूध व जौ का पानी (बार्ली वॉटर) ही दें। ( और पढ़े – जौ खाने के 28 जबरदस्त फायदे व उसके औषधिय गुण )
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
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