Last Updated on July 31, 2021 by admin
आज की जिंदगी व्यस्त और भागदौड़ वाली है। कई बार लगता है कि इस भागम-भाग में प्रसन्नता और खुशी के पल कहीं खो गए हैं, लेकिन यदि सफल होना है और आगे बढ़ना है, तो व्यस्तता को कम भी नहीं किया जा सकता। यदि प्रकृति ने 24 घंटों का एक दिन निर्धारित किया है, तो वह भी अपना नियम नहीं तोड़ेगी। यानी हमें जो भी करना है, इन 24 घंटों की परिधि में ही करना है, लेकिन यदि सफलता पाने के लिए या सफलता के पश्चात भी हम प्रसन्नता का अनुभव नहीं कर पाते, तो हमारी उन्नति किसी काम की नहीं। चलिए, आधुनिक जीवन की व्यस्तता में भी खुश रहने के उन उपायों को जानते है जिनसे हर मुश्किल भी आसान लगने लगेगी।
खुश रहने के तरीके (Best Happy Living Tips in Hindi)
खुश कैसे रहे खुश रहने का सबसे आसान तरीका क्या है ?
1). संतुष्ट होने की कला सीख लें :
प्रत्येक व्यक्ति जहां पर खड़ा है, वहां से आगे बढ़ना चाहता है। अपनी पूर्ण शक्ति आगे बढ़ने में लगा रहा है। वह जो चाहता है, पा लेता है, लेकिन पाने के बाद भी असंतुष्टि पीछा नहीं छोड़ती। परिणामत: जो भी पाया है, उस कुछ और नया पाने की होड़ परेशान करने लगती है। इस तरह हम कुछ पाने की प्रसन्नता और खुशी महसूस ही नहीं कर पाते। यह मात्र हमारे असंतोष के भाव के अति पुष्ट होने से ही होता है।यदि हम संतुष्ट होने की कला सीख लें, तो खुश रह सकते हैं।
यह भी सत्य है कि यदि व्यक्ति में स्थायी रूप से संतुष्टि के भाव पैदा होने लगें, तो उसकी उन्नति में अवरोधक सिद्ध हो सकते हैं। इसलिए इतना संतोष तो होना ही चाहिए कि जो पाया है, उसका आनंद ले सकें।
2). स्मरण रखें जिंदगी जीने के लिए है :
सदैव स्मरण रखें कि जिंदगी ‘जीने’ के लिए है, केवल ‘काटने’ के लिए नहीं। यदि अपने हृदय में यह भाव स्थायी रूप से अंकित कर लें, तो हम जीवन के प्रत्येक पल को ‘जीने’ के अंदाज में बिताएंगे और हर पल आगे बढ़ते हुए भी खुशी ढूंढने के प्रयास करेंगे। वर्तमान समय में अधिकांश लोगों की अप्रसन्नता का कारण उनके हृदय में उठने वाला भाव है कि जैसे भी हो जीवन तो ‘काटना’ ही है। जरूरी नहीं कि बहुत अधिक भौतिक सुविधाएं एकत्रित करके ही खुशी हासिल की जाए। जीवन में आनंद के पल तो मुफ्त में ही खोजे जा सकते हैं। बस, एक खोजी हृदय होना चाहिए।
3). प्रसन्नता प्राप्ति का लक्ष्य बनाये :
यदि खुश रहना चाहते हैं, तो अपने जीवन के लक्ष्य में ‘प्रसन्नता प्राप्त करने’ को भी जोड़ लीजिए। आपका लक्ष्य बड़ी उपलब्धि पाना हो सकता है, लेकिन उस उपलब्धि के साथ-साथ चिंतामुक्त और प्रसन्न रहना भी आपका लक्ष्य होना चाहिए। अकसर हम सोचते हैं कि अपना अमुक लक्ष्य प्राप्त करके प्रसन्न हो जाएंगे, जबकि हमें लक्ष्य प्राप्त करते समय भी प्रसन्न रहने का संकल्प लेना चाहिए।
4). चिंतित मनोवृति का त्याग करें :
आधुनिक जीवन की सबसे बुरी देन ‘चिंतित मनोवृति’ है। दूसरों से आगे बढ़ना, दूसरों से बेहतर दिखना और अपने ‘स्टेटस’ को ‘मेनटेन’ रखने की होड़ ने हमे स्थायी रूप से चिंताग्रस्त कर दिया है। परिणामत: छोटी-छोटी बातों पर भी चिंता करना हमारी आदत बन गई है। इस आदत को त्यागें। छोटी-छोटी बातों को नज़रअंदाज करने का गुण पैदा कर हम अपनी ‘चिंतित मनोवृति’ से छुटकारा पा सकते हैं। याद रखें, चिंतित व्यक्ति कभी भी वास्तविक प्रसन्नता और खुशी का अनुभव नहीं कर सकता।
5). प्रकृति से दोस्ती करें :
प्रसन्नता का कोई मोल नहीं होता, क्योंकि प्रसन्नता प्राकृतिक देन है। प्रकृति के मध्य रहकर भी खुशी हासिल कर सकते हैं। माना बहुत कि हम बहुत व्यस्त हैं, लेकिन ऐसी व्यस्तता किस काम की, जो हमारा सुकून ही छीन ले। प्रकृति से दोस्ती करें। कभी-कभी खिलते हुए फूलों को निहारें। मंद-मंद बहते पवन को महसूस करने का प्रयास करें। गिरते हुए झरने या कभी रिम-झिम बरसते वर्षा के जल को ही निहार कर देखे। आपको जो खुशी मिलेगी, आप उसे शब्दों में बयान नहीं कर पाएंगे। समयाभाव का बहाना न बनाएं। भूलिए नहीं, प्रसन्नता हासिल करना भी आपके जीवन का लक्ष्य है।
6). स्वास्थ्य का रखें ध्यान :
जैसा होगा तन, वैसा होगा मन। तन को स्वस्थ रखें, मन भी स्वस्थ रहेगा। स्वस्थ मन ही खुशी महसूस कर सकता है। इसलिए अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न बरतें। सबह-शाम व्यायाम के लिए समय निकालें। भले ही 15 मिनट क्यों न निकालें लेकिन व्यायाम अवश्य करें। आप खाने – पीने, स्नान करने आदि के लिए भी तो समय निकालते ही हैं। व्यायाम को भी अपनी दिनचर्या का अंग बनाएं।
7). मन को मनोरंजन की खुराक दें :
मनोरंजन की आवश्यकता को समझें। छोटा-सा शिशु भी मनोरंजन चाहता है। मनोरंजन करना मानवीय स्वभाव है। अपने मनोरंजन के लिए प्रबंध अवश्य करें। मनोरंजन बैटरी चार्ज करने जैसा काम करता है। इससे थकान दूर होगी और आप दोगुनी ऊर्जा से कार्य के लिए तैयार हो जाएंगे। साथ ही मनोरंजन से खुशी भी मिलेगी, जिससे मन प्रसन्न रहेगा।
8). अपनी रुचि को विकसित करें :
प्रसन्न रहने का एक सरल उपाय है, अपनी रुचि को विकसित करें। कुछ कार्य अपनी रुचि अनुसार अवश्य करें। आपकी रुचि कलात्मक कार्यों में भी हो सकती है। रुचि के अनुकूल कार्य करने से भी प्रसन्नता मिलेगी। अपनी व्यस्त दिनचर्या में से कुछ पल ऐसे कार्यों के लिए निकालें, जो आपकी आय के स्रोत न हों, जिन्हें करने से गहरा आत्मसंतोष मिलता हो।
9). पिकनिक पर जाएं :
जब आप महसूस करने लगें कि आपकी अप्रसन्नता आप पर ज्यादा ही हावी हो रही है और अति व्यस्तता से आप थक गए हैं, ऊब गए हैं, तो समझिए, यह पिकनिक मनाने का सबसे अच्छा समय है। पत्नी और बच्चों के साथ पिकनिक के लिए निकल पड़ें। इस तरह आप घर-परिवार को समय भी दे पाएंगे और हसीन पलों को महसूस भी करेंगे।
10). अच्छे दोस्त बनाएं :
यदि आप सदैव प्रसन्न रहना चाहते हैं, तो एक अच्छी मित्र-मंडली तैयार करें। मित्र आवश्यकता के समय काम भी आते हैं और विचलित अवस्था में मानसिक संबल भी बनते हैं। मित्र हंसी-मजक से दिल बहलाते हैं, अपने दिल की कई बातें हम मित्रों से करके स्वयं को हलका भी महसूस करते हैं। मित्र बनाना बेहद जरूरी है, लेकिन मित्र बनाना आसान कार्य भी नहीं है। मित्रों का चुनाव बहुत सोच-समझकर किया जाना चाहिए। गलत मित्र मार्ग भ्रमित भी कर देते हैं।
आज के अति व्यस्त जीवन में इन व्यावहारिक बातों पर अमल करके छोटी-छोटी खुशियां हासिल की जा सकती हैं। स्मरण रखें, बड़ी खुशी की प्रतीक्षा में छोटी-छोटी खुशियों को नज़रअंदाज करना मुर्खता है। अकसर छोटी-छोटी खुशियां ही बड़ी खुशी का कारण बनती हैं। यदि आप छोटेछोटे अवसरों में प्रसन्नता के पल नहीं खोज सकते, तो बड़ी खुशी के प्रति भी अपनी संवेदना का मृत ही पाएंगे।
एक छोटा बच्चा पक्षी का रंग-बिरंगा पंख पाकर भी खुश होता है। कंचे खेलते हए जीत जाने पर भी वह प्रसन्न होता है, कटी पतंग मिल जाने पर भी उसकी खुशी उसके चेहरे पर स्पष्ट झलकने लगती है। विचार कीजिए, आपकी उपलब्धि तो इनसे बड़ी है। उसके लिए आनंदित न होकर आप अपनी जीत या उपलब्धि का तिरस्कार क्यों करते हैं ?
अपनी छोटी-छोटी उपलब्धियों का भी हंसते-गाते हए स्वागत करें। हर उन संभावनाओं को महत्व दें, जो निश्चित रूप से बड़ी खुशी की आधारशिला बनती हैं। किसी भी काम को छोटा समझ कर न छोड़, क्योंकि आप देखेंगे कि एक समय वही काम धीरे-धीरे बड़ा बनता जाएगा। जरूरत है धैर्य, लगन और निरंतरता की और जब आप अंतिम लक्ष्य पा जाएंगे, तो बड़ी खुशी भी आपके कदमों में लौटती नज़र आएगी।
प्रण : मैं प्रण करता / करती हूँ कि विकट परिस्थितियों में भी प्रसन्नता के पल ढूंढ ही लूंगा / लूंगी।