Last Updated on December 17, 2019 by admin
हाइड्रोसिल क्या है ? : Hydrocele in Hindi
पुरुषों का वह रोग जिसमें एक या दोनों अंडकोषों (testes) में पानी भर जाता है उसे हाइड्रोसील कहते हैं। हाइड्रोसील (Hydrocele) में अंडकोष में पानी भर जाने से यह एक थैली की तरह फूल जाते हैं। यह एक साइड या दोनों साइड हो सकता है।
हाइड्रोसील के कारण क्या है ? : Hydrocele Badhane ka Karan
☛ शिशुओं में हाइड्रोसील आमतौर पर तब होता है जब वह चैनल जिसके माध्यम से अंडकोष पेट से नीचे उतरते हैं, ठीक तरह से बंद नहीं हो जाता है या पुन: खुल जाता है। इस कारण पेट से अंडकोश की थैली में तरल उतरता रहता है जिससे हाइड्रोसील हो जाता है।
☛ वयस्कों में अंडकोश की सूजन या चोट के कारण हाइड्रोसील हो सकता हैं। यह सूजन, एक संक्रमण (एपिडीडिमिसिस) के कारण भी हो सकती है।
☛ हाइड्रोसील रोग ताकत से ज्यादा व्यायाम करने, साइकिल चलाने, तेज दौड़ने,अधिक उछलने, घुड़सवारी करने और अण्डकोषों पर किसी कारण से चोट लग जाने हो जाती है।
☛ पानी में कमर तक खड़े होकर काम करने तथा अधिक तैरने से भी अण्डकोषों में सूजन हो जाती है।
हाइड्रोसील के क्या लक्षण है ? : Hydrocele ke Lakshan in Hindi
Symptoms of Hydrocele-
- अण्डकोष में पानी भर जाने के रोग को हाइड्रोसील कहा जाता है।
- अण्डकोष की श्लैष्मिक कला में रक्त का पानी एकत्र हो जाने से यह रोग होता है।
- सुरुआती अवस्था अण्डकोष में पानी संचय नही होता, लेकिन अण्डकोष में सूजन होने से बहुत तेज दर्द होता है।
- आंत्रों में मल के शुष्क और कठोर होने पर दूषित वायु आवेग के कारण भी अण्डकोष में सूजन उत्पन्न हो जाती है।
आइये जाने hydrocele treatment without operation in hindi
हाइड्रोसील के आयुर्वेदिक घरेलू उपचार : Hydrocele ka Ayurvedic Gharelu ilaj
जीरा के प्रयोग से हाइड्रोसील का उपचार
5 ग्राम काली मिर्च और 10 ग्राम जीरा लें और उन्हें अच्छी तरह पीस लें. इसमें आप थोडा सरसों या जैतून का तेल मिलाएं और इसे गर्म कर लें। इसके बाद इसमें थोडा गर्म पानी मिलाकर इसका पतला घोल बना लें और इसे बढे हुए अंडकोषों पर लगायें। इस उपाय को सुबह शाम 3 से 4 दिन तक इस्तेमाल करें आपको जरुर लाभ मिलेगा।
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सूर्य चिकित्सा से हाइड्रोसील का इलाज
रोगी 25 मिलीलीटर पानी को पीतल के गिलास या पिली बोतल में सूरज की रोशनी में गर्म करें और उस पानी का दिन में 4 से 5 बार ग्रहण करना चाहियें। जलतप्त पानी पीने के 1 घंटे बाद रोगी अपने अंडकोष पर लाल प्रकाश डालें और अगले 2 घंटे बाद नीला प्रकाश डालें. इस प्रक्रिया को अपनाने से भी रोगी को हाइड्रोसील से जल्द ही आराम मिलता है।
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हाइड्रोसील की वृद्धि रोकने में लंगोट का इस्तेमाल फायदेमंद
हाइड्रोसील की वृद्धि रोकने के लिए अंडकोष को बांधकर रखे। उन्हें लटकने न दे और कूदते-फांदते समय कभी भी ढीला ना छोड़े।
अंडकोष की सूजन का घरेलू उपचार सुहागा से
दो रत्ती फूला हुआ सुहागा को गुड के साथ प्राप्त:काल तीन-चार दिन लेने से अंडकोष की सूजन में आराम मिलता है।
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अंडकोष की सूजन मिटाए हल्दी का प्रयोग
हल्दी को पानी में पीसकर अंडकोष पर लेप कर दे सूजन खत्म हो जाएगी।
वचा के प्रयोग से अंडकोष की वृद्धि का उपचार
अंडकोष की वृद्धि में, वचा को सरसों के पानी द्वारा सिल पर पीस ले और अंडकोष पर लेप कर दें इससे अंडकोष का आकार सामान्य हो जाएगा।
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हाइड्रोसील का रामबाण इलाज
अंडकोषों में पानी भर जाने पर रोगी 10 ग्राम काटेरी की जड़ को सुखाकर उसे पीस लें। फिर उसके पाउडर (चूर्ण) में 7 ग्राम की मात्रा में पीसी हुई काली मिर्च डालें और उसे पानी के साथ ग्रहण करें। इस उपाय को नियमित रूप से 7 दिन तक अपनाएँ। ये हाइड्रोसील का रामबाण इलाज माना जाता है क्योकि इससे ये रोग जड़ से खत्म हो जाता है और दोबारा अंडकोषों में पानी नही भरता।
हाइड्रोसील की होम्योपैथिक मेडिसिन (hydrocele ki homeopathic dawa)
हाइड्रोसील की सूजन वृद्धि या अन्य विकार रोकने के लिए होम्योपैथी की कुछ दवाइयां भी अत्यंत कार्य करती है- ‘स्पंजिया’ अंडकोष के कड़ेपन और सूजन के लिए उत्तम है। ‘बेलाडोना’ अंडकोष की सूजन एवं गर्मी के लिए लाभदायक है। ‘कल्केरिया कार्ब’ अंडकोष वृद्धि की सर्वश्रेष्ठ दवा है।
हाइड्रोसील में लाभदायक – सूर्यतप्त जल
रोगी 25 मिलीलीटर पानी को पीतल के गिलास या पिली बोतल में सूरज की रोशनी में गर्म करें और उस पानी का दिन में 4 से 5 बार ग्रहण करना चाहियें. जलतप्त पानी पीने के 1 घंटे बाद रोगी अपने अंडकोष पर लाल प्रकाश डालें और अगले 2 घंटे बाद नीला प्रकाश डालें. इस प्रक्रिया को अपनाने से भी रोगी को हाइड्रोसील से जल्द ही आराम मिलता है.
फिटकरी के उपाय से हाइड्रोसील का इलाज
20 ग्राम माजूफल और 5 ग्राम फिटकरी को पीसकर उनका लेप तैयार करें. और उसे सूजे हुए अंडकोषों पर लगायें. जल्द ही उनका पानी सुख जायेगा.
हाइड्रोसील के लिए उपलब्ध उपचार क्या है ? : Hydrocele ka Upchar
प्रायः हाइड्रोसील खतरनाक नहीं होते पर फिर भी इसमें सर्जरी(hydrocele ke operation) की आवश्यकता हो सकती है। यदि हाइड्रोसील का परिमाण इतना बढ़ गया हो जिससे तकलीफ होती हो तो सर्जरी की जरूरत होती है। हाइड्रोसील के कारण रक्त संचार में समस्या हो सकती है। ऐसे में सर्जरी से इसका उपचार किया जाता है। यदि द्रव साफ हो या कोई इन्फेक्शन या रक्त का रिसाव हो तो इसके निकास के लिए सर्जरी का सहारा लिया जाता है।
एस्पीरेशन के जरिये :- इस प्रक्रिया को सूची वेधन भी कहते हैं, इससे अंडकोष में जमा पानी को निकाला जाता है। एस्पिरेशन करने के बाद छिद्र बन्द करने के लिए स्क्लिरोजिंग औषधि को इंजेक्ट करते हैं। ऐसा करने से भविष्य में भी पानी जमा नहीं होता और हाइड्रोसील की शिकायत दोबारा होने की संभावना भी कम होती है। वैसे तो अंडकोष से पानी निकालने के लिए सर्जरी को प्राथमिकता दी जाती है पर जो सर्जरी का खतरा नही उठाना चाहते उनके लिए यह अच्छा तरीका है।
हाइड्रोसीलोक्टोमी:- हाइड्रोसील इंग्वाइनल हार्निया होने पर इसे सर्जरी द्वारा शीघ्रातिशीघ्र ठीक किया जाना आवश्यक है। क्योंकि इस तरह का हाइड्रोसील महीनों और सालों तक स्वतः समाप्त नहीं होता। प्रायः हाइड्रोसिलोक्टोमी नामक सर्जरी से हाइड्रोसील ठीक किया जाता है।
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)
इस व्याधि में..रोग की प्रारंभिक अवस्था होने पर रोग का उपचार घरेलू व आयुर्वेदिक औषधीयों द्वारा संभव है… लेकिन रोग के बढ़ जाने पर अधिकांश मामलों में शल्य चिकित्सा अनिवार्य हो जाती है ~ हरिओम
Sir Mera andcosh bada ho gya he our dard bhi rhta he koi gharelu upchar he
+919761334425 my number
Sir mera 1 year se jada din hogya hydrocil ka koi upay btaye mera num 6200012089