Last Updated on December 1, 2021 by admin
जहर या जहरीली चीज उसे कहा जाता है, जिससे शरीर को इतना नुकसान पहुंचे कि जान जाने की नौबत आ जाये।
शरीर के लिए घातक जहरीली चीजें :
आमतौर पर जो जहरीली चीजें इस्तेमाल में लायी जाती हैं या जिनसे शरीर को नुकसान पहुंच सकता है, वे निम्नलिखित हैं –
- विभिन्न प्रकार के एसिड या अम्ल, जैसे सल्फ्यूरिक एसिड या तेजाब, लैट्रिन एसिड वगैरह।
- फसलों पर छिड़की जाने वाली कीटनाशक दवायें।
- नींद लाने के लिए दी जाने वाली दवाइयां।
- घर में मच्छरों, मक्खियों और तिलचट्टों के मारने के लिए प्रयुक्त होने वाली दवाइयां, जैसे – “टिक-20′, बेगॉन’, तिलचट्टा-चूहा मार पाउडर आदि।
- विभिन्न प्रकार की जहरीली गैसें, जैसे – कार्बन मोनोक्साइड, सल्फर डाई-ऑक्साइड आदि।
- सल्फाज खाने के मामले में सर्वाधिक होते हैं।
जहरीली चीजों के शरीर में प्रवेश के कारण :
जहरीली चीजों का शरीर में प्रवेश तीन कारणों से हो सकता है –
- प्रमुख रूप से आत्महत्या के उद्देश्य से जहर खा लेना।
- किसी की हत्या करने के उद्देश्य से उसे जहर दिया जाना।
- असावधानीवश जहर खा लेना। जैसे-बच्चे उत्सुकतावश या किसी अन्य खाद्य पदार्थ के धोखे में जहर खा लेते हैं।
- इसके अलावा किसी दुर्घटना की वजह से भी किसी पर तरल या गैस के रूप में जहर का असर हो सकता है।
जहर का शरीर पर होने वाला दुष्प्रभाव :
जहर शरीर पर अनेक तरीकों से असर दिखा सकता है, जैसे –
- अम्ल और कीटनाशक दवाएं मुंह और अन्न-नलिका में फफोले या छेद उत्पन्न कर सकती हैं।
- जहरीली गैस फेफड़ों को नुकसान पहुंचाकर रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा कम कर देती है और अन्य जहरीले पदार्थों को दिमाग तक फैला देती है।
- सभी जहर शरीर के नाड़ी तन्त्र (नर्वस सिस्टम) पर तेज असर करते हैं। वे या तो उसे बहुत ज्यादा उत्तेजित करते हैं या उसकी सामान्य कार्यप्रणाली को ठप्प कर देते हैं।
जहर या जहरीली चीज खा लेने पर मरीज की स्थितियाँ :
शरीर पर जहर के प्रभाव के बाद मरीज की जो 4 स्थितियाँ हो सकती हैं, वे इस प्रकार हैं –
- मरीज पूरी तरह होशो-हवास में बोल सकता है और प्रश्नों के जवाब दे सकता है।
- मरीज होश में होता है, मगर उनींदा उसकी जीभ में लड़खड़ाहट होती है और सवालों के जवाब में अनिश्चितता।
- मरीज एक तरह से आधे होश में होता है। केवल गहरा दर्द पहुंचाने पर ही उसके शरीर में हरकत होती है।
- इस अवस्था में मरीज को किसी भी तरह जगाया नहीं जा सकता।
जहर या जहरीली चीज खा लेने पर फौरन इलाज कैसे करें ? :
1). यदि मरीज पूरी तरह होश मे हो, आराम से सांस ले सकता हो और उसकी नाड़ी ठीक चल रही हो, तो यह तय करें कि क्या वाकई उसने अम्ल या कीटनाशक दवा पी है। यह उसके मुँह के भीतर या बाहर हुये जख्मों या फफोलों से जाना जा सकता है। यदि ऐसा हो तो अम्ल या दवा का जहरीलापन पानी दूध से कम किया जा सकता है। यदि उपलब्ध हों तो एन्टसिडे दवाओं जैसे जेलुसिल या डाइजेन के घोल को पानी के साथ दिया जा सकता है।
2). जलन से उत्पन्न दर्द को कम करने के लिए मरीज को आइसक्रीम या जैतून का तेल भी पीने के लिए दे सकते हैं। लेकिन ऐसे में मरीज को उल्टी करने के लिये कभी प्रेरित न करें, क्योंकि इससे पेट में जमा हुआ जहर अन्न-नलिका की भीतरी दीवार को जलाकर नुकसान पहुंचा सकता है।
3). यदि यह बात तय हो जाती है कि मरीज ने ऐसा कोई जहर नहीं खाया-पिया है जो मुंह और आतों को जला दे, तो फिर उसे उल्टी करवाकर अधिक से अधिक मात्रा मे जहर को शरीर से बाहर निकालने की कोशिश करें। ऐसा करने के लिये या तो उसके गले के भीतर तक दो उंगली डालकर उसे उल्टी करवायें या उसे नमक और पानी का मिश्रण पीने को दें या सरसों और पानी को मिलाकर पिलायें।
4). जहर चाहे किसी भी प्रकार का हो, उसकी सक्रियता और असर को कम करने के लिए चारकोल बहुत उपयोगी है। यह जहर को शरीर में सोखने वाली क्रिया को रोकता है। बाजार में यह दवा की दुकान पर उपलब्ध होता है और इसे मरीज को पानी के साथ दिया जा सकता है।
5). यदि मरीज के कपड़ों पर जहर फैल गया हो तो वे कपड़े निकाल दें। इसी तरह यदि उसके शरीर पर भी जहर फैला हो तो उसे भी साबुन से धो दें।
6). यदि मरीज बेहोश हो मगर उसका दिल ठीक तरह से धड़क रहा हो, तो उसे एक करवट लिटा दें और सिर को इस तरह रखें कि वह पैरों की सतह से नीचे रहे, ताकि दिमाग में खून की संचार ठीक तरह होता रहे और मुंह के भीतर जो भी स्राव व लार जमा हो वह बाहर आ जाये। ऐसे में जीभ के श्वांस-नलिका के ऊपर गिरकर सांस में रुकावट का भी भय नहीं रहता।
7). जब चिकित्सा सेवा उपलब्ध नहीं हो जाती, थोड़ी-थोड़ी देर में मरीज की नब्ज और उसकी श्वसन क्रिया पर ध्यान देते रहे। ऐसे में उसे खाने-पीने को कुछ न दें। उसी बीच इस बात का पता लगाने की कोशिश करें कि मरीज ने कौन-सा जहर, कितनी मात्रा में और किस समय खाया है।
8). यदि मरीज बेहोश हो तो उसे उल्टी करवाने की कोशिश न करें। ऐसे में जहर का फेफड़ों में प्रवेश हो सकता है।
9). यदि कोई व्यक्ति जहरीली गैस की चपेट में आ जाता है (जैसे कि मोटर के धुएं से या किसी बन्द कमरे में जलती हुई सिगड़ी के धुयें से) तो मरीज की त्वचा का रंग गहरा लाल हो जाता है और उसे सांस लेने में तकलीफ होती है। इस अवस्था में मरीज को तुरन्त खुली और ताजा हवादार जगह पर ले जायें। यदि उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, तो उसके मुंह से मुंह लगाकर उसे कृत्रिम सांस दें।
10). कई बार जहरीली मंधु-मक्खियों के काट लेने के बाद भी दर्द, जलन उत्पन्न हो सकती है। ऐसे में तुलसी की पत्ती ओर नमक को मिलाकर लगाने या काटे हुए स्थान को खाने के सोडे का घोल बनाकर धो लेने से जहर उतर जाता है या कम हो जाता है। यदि वहां पर सूजन भी हो तो बर्फ से सेंकने से राहत मिलती है। उस स्थान पर तेल या क्रीम लगाई जा सकती है।
ध्यान देने योग्य बातें :
हमारे घरों में कई ऐसे पदार्थ होते है. जो जहर साबित हो सकते हैं। जैसे – दर्दनाशक एस्प्रीन की गोलियां, रत्तवर्धक, “आयरन’ कैप्सूल या नींद की दवायें। इनके रंगों या आवरणों पर मोहित होकर कई बाद बच्चे इन्हें खा लेते हैं। इसी तरह कई सौन्दर्य प्रसाधन, घर की साफ-सफाई करने के लिए उपयोग में आने वाले लोशन, फिनाइल और अन्य क्लिनिंग पाउडर भी जहरीले हो सकते हैं। मगर इन पर ऐसा कुछ संकेत नहीं लिखा होता है कि इनका शरीर पर बुरा असर पड़ता सकता है। इसलिए ऐसी वस्तुओं को बच्चों की पहुंच से दूर रखना जरूरी है।
जहर, चाहे वह कम मात्रा में ही क्यों न हो, शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। कुछ जहर तो शरीर में फौरन दुष्प्रभाव पैदा करते हैं, जिन्हें दूर किया जा सकता हैं, मगर कई बार जहर व्यक्ति के शरीर में ऐसा प्रभाव पैदा कर सकते हैं, जो आगे चलकर न केवल उसे विकलांग बना देते हैं, बल्कि उसकी जान के लिये खतरा भी बन सकते हैं, इसलिए जहर खाने-पीने के मामले में तुरंत इलाज करना बहुत जरूरी है।