Last Updated on September 19, 2023 by admin
पेशाब में रुकावट : Peshab ka na Aana
जब किसी कारण से मूत्राशय में रुकावट होती है तो पेशाब आना बंद हो जाता है। ऐसे में रोगी को पेशाब लगने का एहसास तो होता है परन्तु पेशाब नहीं आता है। इसे मूत्रकृच्छ,मूत्ररोध या पेशाब का न आना कहते हैं।
मूत्र न आने पर पेट के नीचे का भाग फूला हुआ महसूस होता है क्योंकि मूत्राशय में पेशाब इकट्ठा हो जाता है। इस तरह से कभी-कभी किसी कारण से मूत्राशय में पेशाब जमा ही नहीं हो पाता है ऐसे में रोगी को पेशाब का अनुभव ही नहीं होता। इसे मूत्र-नाश कहते हैं।
इन दोनों रोगों में पेशाब आना बंद हो जाता है और रोगी को अधिक कष्ट होता है। दोनों रोगों में फर्क सिर्फ इतना है कि मूत्रनाश में मूत्राशय में पेशाब नहीं बनता इसलिए रोगी को पेशाब नहीं लगता जबकि मूत्ररोध में मूत्राशय में पेशाब बनने के बाद पेशाब तो लगता है परन्तु पेशाब नहीं आता।
पेशाब में रुकावट के कारण : Pesab na Utarane ke kaarn in Hindi
- खून के थक्के जमने की वजह से भी कई बार बूंद बूंद करके पेशाब आता है.
- पुरुषो में उम्र बढ़ने के साथ कई बार प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ जाती है जो यूरिन ब्लॉकेज का कारण बन सकती है.
- यूरिन इन्फेक्शन से भी कई बार पेशाब न आना की समस्या हो सकती है.
- पेशाब के रास्ते में पथरी फसने से हुई रुकावट.
- पाचन तंत्र में हुई बीमारिया (इसे भी पढ़े :बंद पेशाब को खुलकर लाने वाले 11 अनुभूत आयुर्वेदिक घरेलु नुस्खे )
पेशाब खुल कर ना आने के घरेलू उपचार : Bund Peshab Ko Kholay Ke Nushke
1. खरबूजा और ककड़ी के रस का सेवन करने से यूरिन जादा बनता है। जिन लोगों को पेशाब ना बनने या कम बनने की समस्या हो उन्हें इनका सेवन जरूर करना चाहिए।
2. मुल्ली और शलगम खाने से भी रुक रुक कर पेशाब का आना ठीक होता है।
3. अनानास और नारियल का जूस पीने से पेशाब की रुकावट या पेशाब न आने की समस्या दूर हो जाती है.
4. आधे ग्लास पानी में आधा गिलास लौकी का रस , चार चम्मच पिसी मिश्री और एक ग्राम कलमी शोरा मिलाकर पीने से पेशाब कीरूकावट दूर होकर पेशाब आना शुरू हो जाता है। एक खुराक काफी होती है। अगर असर नहीं हो तो एक घंटे बाद एक खुराक और लेनी चाहिए।
5. एक गिलास पानी में भुट्टे के सुनहरे बाल लगभग ३० ग्राम डालकर उबालें। एक तिहाई रह जाये तब छान कर पी लें। इसमें कुछ भी नामिलाएं। इससे पेशाब साफ़ और खुलकर आता है। रुक रुक कर बूँद बूँद आना बंद होता है। सुबह शाम ये पानी पीने से छोटी गुर्दे की पथरी भी निकल जाती है।
6.नारियल पानी में समान मात्रा में पालक का रस मिलाकर पीने से पेशाब की रूकावट ठीक होती है।
7. मूत्र में अवरोध और तीव्र पीड़ा होने पर सोंठ का खूब बारीक चूर्ण बनाकर 3 ग्राम चूर्ण, दूध में मिसरी मिलाकर सेवन कराने से बहुत लाभ होता है।
8. गोखरू के 10 ग्राम बीज को 300 ग्राम जल में उबालकर 50 ग्राम शेष रह जाने पर थोड़ा-सा यवक्षार मिलाकर पिलाने से तुरंत अवरोध नष्ट होता है।
9. आंवला, असगंध, गोखरू, सोंठ और गिलोय सभी वस्तुएं 10–10 ग्राम लेकर 400 ग्राम जल में क्वाथ बनाएं। इस क्वाथ को पीने से मूत्र का अवरोध और पीड़ा नष्ट होती है।
10.दारु हल्दी को पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 3 ग्राम चूर्ण मधु मिलाकर सेवन करने से मूत्रकुच्छ(Peshab Ka Rukna) की विकृति नष्ट होती है।
11. वृक्क शोथ की विकृति से मूत्रकुच्छ होने की स्थिति में मूली का रस 20 ग्राम सेवन करने से मूत्रकृच्छ की विकृति नष्ट होती है।
12. गाजर का 200 ग्राम रस प्रतिदिन पीने से मूत्रकुच्छ की विकृति नहीं होती है।
13. छोटी इलायची के बारीक चूर्ण को 2 ग्राम मात्रा में केले की जड़ के 20 ग्राम रस के साथ सेवन करने से मूत्र का अवरोध नष्ट होता है।
14. 25 ग्राम अविले को 400 ग्राम जल में उबालकर क्वाथ बनाएं। 25 ग्राम क्वाथ शेष रह जाने पर थोड़े-से गुड़ के साथ सेवन करने पर मूत्रकुच्छ की विकृति नष्ट होती है। इसके साथ शूल, रक्तपित्त और जलन में भी लाभ होता है।
15. 400 ग्राम जल को उबालकर उसमें 25 ग्राम धनिया डालकर रख दें। चार-पांच घंटे के बाद उस जल को छानकर मूत्रकुच्छ के रोगी को पिलाने से मूत्र तेजी से निष्कासित होता है।
16. छोटी इलायची का बारीक चूर्ण 2 ग्राम मात्रा में दूध के साथ सेवन करने से मूत्र के अवरोध की विकृति और जलन नष्ट होती है।
17. शहतूत के पत्तों का रस 10 ग्राम में थोड़ी-सी शक्कर मिलाकर सेवन करने से मूत्र अवरोध की विकृति और जलन नष्ट होती है।
18. ककड़ी के बीज 3 ग्राम, मुलहठी 3 ग्राम और दारु हल्दी 3 ग्राम तीनों का चूर्ण बनाकर हल्के गर्म जल के साथ दिन में दो-तीन बार सेवन करने से मूत्रावरोध (Peshab Ka Rukna)नष्ट होता है।
19.अडूसे खाने व अडूसे का रस 100 ग्राम पीने से पेशाब न आने की विकृति नष्ट होती है।
20. छोटी कटेरी का रस 10 ग्राम में मधु मिलाकर पीने से पेशाब न आने की समस्या नष्ट होता है।
21. सूरजमुखी के 10 ग्राम बीजों को खूब बारीक पीसकर जल के साथ सेवन करने से मूत्रकुच्छ की विकृति से मुक्ति मिलती है।
22. कुड़े की छाल को 5 ग्राम मात्रा में गाय के दूध में पीसकर सेवन कराने से मूत्रकुच्छ की विकृति में बहुत लाभ होता है।
23. 50 ग्राम जीरा और 50 ग्राम मिसरी दोनों को कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर कपड़े से छानकर रखें। इस चूर्ण को 5 ग्राम मात्रा में जल के साथ सेवन करने से मूत्रकुच्छ की विकृति नष्ट होती है।
24. एरंड के 30 ग्राम तेल को जल में मिलाकर पीने से मूत्रकृच्छ(pesab na aana) की विकृति नष्ट हो जाती है।
25. जब मूत्रकृच्छ की विकृति अधिक परेशान करती हो तो भोजन करने के बाद तक्र (मट्ठे) में हरा धनिया पीसकर मिलाकर सेवन करें। इसके सेवन से मूत्र में अवरोध नहीं होता है।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।