Last Updated on April 21, 2020 by admin
लकवा का कारण ,प्रकार व उपचार :lakwa ka Ayurvedic Gharelu ilaj in hindi
पक्षाघात या लकवा मारना (Paralysis):
मस्तिष्क की धमनी में किसी रुकावट के कारण उसके जिस भाग को खून नहीं मिल पाता है मस्तिष्क का वह भाग निष्क्रिय हो जाता है अर्थात मस्तिष्क का वह भाग शरीर के जिन अंगों को अपना आदेश नहीं भेज पाता वे अंग हिलडुल नहीं सकते और मस्तिष्क (दिमाग) का बायां भाग शरीर के दाएं अंगों पर तथा मस्तिष्क का दायां भाग शरीर के बाएं अंगों पर नियंत्रण रखता है। यह स्नायुविक रोग है तथा इसका संबध रीढ़ की हड्डी से भी है।
लकवा के प्रकार :lakwa ke prakar (types of paralysis in hindi)
1. निम्नांग का लकवा– इस प्रकार के लकवा रोग में शरीर के नीचे का भाग अर्थात कमर से नीचे का भाग काम करना बंद कर देता है। इस रोग के कारण रोगी के पैर तथा पैरों की उंगुलियां अपना कार्य करना बंद कर देती हैं।
2. अर्द्धाग का लकवा- इस प्रकार के लकवा रोग में शरीर का आधा भाग कार्य करना बंद कर देता है अर्थात शरीर का दायां या बायां भाग कार्य करना बंद कर देता है।
3. एकांग का लकवा- इस प्रकार के लकवा रोग में मनुष्य के शरीर का केवल एक हाथ या एक पैर अपना कार्य करना बंद कर देता है।
4. पूर्णांग का लकवा- इस लकवा रोग के कारण रोगी के दोनों हाथ या दोनों पैर कार्य करना बंद कर देते हैं।
5. मेरूमज्जा-प्रदाहजन्य लकवा- इस लकवा रोग के कारण शरीर का मेरूमज्जा भाग कार्य करना बंद कर देता है। यह रोग अधिक सैक्स क्रिया करके वीर्य को नष्ट करने के कारण होता है।
6. मुखमंडल का लकवा- इस रोग के कारण रोगी के मुंह का एक भाग टेढ़ा हो जाता है जिसके कारण मुंह का एक ओर का कोना नीचे दिखने लगता है और एक तरफ का गाल ढीला हो जाता है। इस रोग से पीड़ित रोगी के मुंह से अपने आप ही थूक गिरता रहता है।
7. जीभ का लकवा- इस रोग से पीड़ित रोगी की जीभ में लकवा मार जाता है और रोगी के मुंह से शब्दों का उच्चारण सही तरह से नहीं निकलता है। रोगी की जीभ अकड़ जाती है और रोगी व्यक्ति को बोलने में परेशानी होने लगती है तथा रोगी बोलते समय तुतलाने लगता है।
8. स्वरयंत्र का लकवा- इस रोग के कारण रोगी के गले के अन्दर के स्वर यंत्र में लकवा मार जाता है जिसके कारण रोगी व्यक्ति की बोलने की शक्ति नष्ट हो जाती है।
9. सीसाजन्य लकवा- इस रोग से पीड़ित रोगी के मसूढ़ों के किनारे पर एक नीली लकीर पड़ जाती है। रोगी का दाहिना हाथ या फिर दोनों हाथ नीचे की ओर लटक जाते हैं, रोगी की कलाई की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं तथा कलाई टेढ़ी हो जाती हैं और अन्दर की ओर मुड़ जाती हैं। रोगी की बांह और पीठ की मांसपेशियां भी रोगग्रस्त हो जाती हैं।
लकवा रोग का लक्षण-
लकवा रोग से पीड़ित रोगी के शरीर का एक या अनेकों अंग अपना कार्य करना बंद कर देते हैं। इस रोग का प्रभाव अचानक होता है लेकिन लकवा रोग के शरीर में होने की शुरुआत पहले से ही हो जाती है। लकवा रोग से पीड़ित रोगी के बायें अंग में यदि लकवा मार गया हो तो वह बहुत अधिक खतरनाक होता है क्योंकि इसके कारण रोगी के हृदय की गति बंद हो सकती है और उसकी मृत्यु भी हो सकती है। रोगी के जिस अंग में लकवे का प्रभाव है, उस अंग में चूंटी काटने से उसे कुछ महसूस होता है तो उसका यह रोग मामूली से उपचार से ठीक हो सकता है।
लकवा का आयुर्वेदिक घरेलु उपचार : lakwa (Paralysis) ka Ayurvedic upchar
1.सोंठ : दूध में एक चम्मच सोंठ व थोड़ी-सी दालचीनी डालकर उबालकर छानकर थोड़ा-सा शहद डालकर सेवन करने से लकवा ठीक हो जाता है।
2.धतुरा : तिली के तेल में थोड़ी-सी कालीमिर्च पीसकर या सरसों के तेल में धतूरे का बीज पकाकर लकवा वाले स्थान पर मालिश करने से लकवा(lakwa)ग्रस्त अंग ठीक हो जाता है।
3. प्याज : छुआरा या सफेद प्याज का रस दो-तीन चम्मच रोज पीने से लकवा(lakwa)के रोगी को काफी फायदा होता है।
4.दही : तुलसी के पत्ते, अफीम, नमक व थोड़ा-सा दही आदि का लेप बनाकर अंगों पर थोड़ी-थोड़ी देर बाद लगाने से लकवा(lakwa)रोग दूर हो जाता है।
5. बालछड़ : अजमोद दस-पन्द्रह ग्राम, सौंफ दस-पन्द्रह ग्राम, बबूना पाँच-दस ग्राम, बालछड़ दस-पन्द्रह ग्राम, व नकछिनी तीस ग्राम इन सबको कूट-पीसकर पानी में डालकर काढ़ा बना लें। फिर इसे एक शीशी में भरकर रख लें। इसमें से चार-पाँच चम्मच काढ़ा रोज सुबह के समय सेवन करने से लकवा ठीक हो जाता है।
6.आक : आक के पत्तों को सरसों के तेल में उबालकर या कबूतर के खून को सरसों के तेल में मिलाकर शरीर पर मालिश करने से लकवा(lakwa)ठीक हो जाता है।
7.सोंठ : सोंठ व साबुत उरद दोनों को ३०० ग्राम पानी(water) में उबालकर पानी को छानकर दिन में पाँच-छह बार पीने से लकवा(lakwa)ठीक हो जाता है।
8.लहसुन : लहसुन की चार-पाँच कलियाँ पीसकर मक्खन में मिलाकर सेवन करने से काफी लाभ मिलता है।
9.तुलसी : तुलसी के पत्तों को अच्छी तरह उबालकर उसकी भाप से रोगी के लकवा वाले स्थान की सेंकाई करने से खून का दौरा शुरू हो जाता है।
10.कलौंजी : कलौंजी के तेल(oil) की मालिश लकवा के रोगियों के लिए रामबाण औषधि है।
11.निर्गुण्डी : लकवा में तिली का तेल, निर्गुण्डी का तेल, अजवायन का तेल, बादाम का तेल, सरसों का तेल व विषगर्भ तेल आदि से मालिश करना चाहिए।
12.सब्जियों में परवल, सहिजन की फली, तरोई, लहसुन, बैंगन, करेला व कुल्थी आदि खाना चाहिए।
13.फलों में आम, कालजा, पपीता, चीकू व अंजीर अदि खाना चाहिए।
14.भोजन में बाजरे की रोटी, गेहूँ की रोटी व दूध का योग करना चाहिए।
15.भोजन में चावल, बर्फ, दही, छाछ, दाल, बेसन, चना व तले हुए पदार्थ बिल्कुल न खाएँ।
16.वीर बहूटी के पांव और सिर निकालकर जो अंग बचें, उसे पान में रखकर कुछ दिन तक लगातार सेवन करने से फालिज रोग दूर होता है।
17.काली मिर्च साठ ग्राम लेकर पीस लें। फिर इसे २५० ग्राम तेल में मिलाकर कुछ देर पकाएँ। इस तेल का पतला – पतला लेप करेन से फालिज दूर होता है। इसे उसी समय ताजा बनाकर गुनगुना लगाया जाता है।
18. जायफल चालीस ग्राम, पीपली चालीस ग्राम, हरताल वर्की बीस ग्राम, सबको कूट पीसकर कपड़छन कर लेंआधा-आधा ग्राम सुबह-शाम शहद में मिलाकर लें। उपर से गर्म दूध पिएं। बादी की चीजों का परहेज रखें।
19.शरीर के जिस अंग पर फालिज गिरी हो, उस पर खजूर का गूदा मलने से फालिज दूर होती है।
20.धतूरे के बीजों को सरसों के तेल में मंदी आंच में पका लें और इसे छानकर लकवा से ग्रसित अंग पर मालिश करें।
21.मक्खन के साथ लहसुन की चार कलियों को पीसकर सेवन करें लकवा ठीक हो जाता है।
22.एक गिलास दूध में थोड़ी सी दालचीनी और एक चम्मच सोंठ को मिलाकर उबाल लें। और नियमित इसका सेवन करें। इससे लकवा में आराम मिलता है।
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लकवा रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
1. लकवा रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए सबसे पहले इस रोग के होने के कारणों को दूर करना चाहिए। इसके बाद रोगी का उपचार प्राकृतिक चिकित्सा से कराना चाहिए।
2. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन नींबू पानी का एनिमा लेकर अपने पेट को साफ करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को ऐसा इलाज कराना चाहिए जिससे कि उसके शरीर से अधिक से अधिक पसीना निकले।
3. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन भापस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद गर्म गीली चादर से अपने शरीर के रोगग्रस्त भाग को ढकना चाहिए और फिर कुछ देर के बाद धूप से अपने शरीर की सिंकाई करनी चाहिए।
4. लकवा रोग से पीड़ित रोगी यदि बहुत अधिक कमजोर हो तो रोगी को गर्म चीजों का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
5. रोगी व्यक्ति का रक्तचाप अधिक बढ़ गया हो तो भी रोगी को गर्म चीजों को सेवन नहीं करना चाहिए।
6. लकवा रोग से पीड़ित रोगी की रीढ़ की हड्डी पर गर्म या ठंडी सिंकाई करनी चाहिए तथा कपड़े को पानी में भिगोकर पेट तथा रीढ़ की हड्डी पर रखना चाहिए।
7. लकवा रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए उसके पेट पर गीली मिट्टी का लेप करना चाहिए तथा उसके बाद रोगी को कटिस्नान कराना चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से कुछ ही दिनों में लकवा रोग ठीक हो जाता है।
8. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को सूर्यतप्त पीले रंग की बोतल का ठंडा पानी दिन में कम से कम आधा कप 4-5 बार पीना चाहिए तथा लकवे से प्रभावित अंग पर कुछ देर के लिए लाल रंग का प्रकाश डालना चाहिए और उस पर गर्म या ठंडी सिंकाई करनी चाहिए। इस प्रकार से प्रतिदिन उपचार करने से रोगी का लकवा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
9. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को लगभग 10 दिनों तक फलों का रस नींबू का रस, नारियल पानी, सब्जियों के रस या आंवले के रस में शहद मिलाकर पीना चाहिए।
10. लकवा रोग से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए अंगूर, नाशपाती तथा सेब के रस को बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है।
11. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को कुछ सप्ताह तक कम मिर्च मसालेदार भोजन करना चाहिए।
12. लकवा रोग से पीड़ित रोगी का रोग जब तक ठीक न हो जाए तब तक उसे अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए तथा ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए। रोगी को ठंडे स्थान पर रहना चाहिए।
13. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को अपने शरीर पर सूखा घर्षण करना चाहिए और स्नान करने के बाद रोगी को अपने शरीर पर सूखी मालिश करनी चाहिए। मालिश धीरे-धीरे करनी चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
14. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को अपना उपचार कराते समय अपना मानसिक तनाव दूर कर देना चाहिए तथा शारीरिक रूप से आराम करना चाहिए और रोगी व्यक्ति को योगनिद्रा का उपयोग करना चाहिए।
15. लकवा रोग से पीड़ित रोगी को पूर्ण रूप से व्यायाम करना चाहिए जिसके फलस्वरूप कई बार दबी हुई नस तथा नाड़ियां व्यायाम करने से उभर आती हैं और वे अंग जो लकवे से प्रभावित होते हैं वे ठीक हो जाते हैं।
जानकारी-
इस प्रकार से लकवा रोग से पीड़ित रोगी का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से रोगी का रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
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