Last Updated on September 20, 2019 by admin
बनावट की दृष्टि से हमारी त्वचा की दो तहे हैं। बाहरी तह-एपिडर्मिस- कवच की तरह है। यह शरीर की सुरक्षा करती है। इसमें खून दौरा नहीं करता और इसकी सतही कोशिकाएं निजीव होती है, जिनका गिरना और बनना एक साथ चलता रहता है।
अंदरूनी तह-इर्मिस-संयोजक ऊतक से बनी है। इसमें रक्त- वाहिकाओं और तंत्रिकाओं का जाल चारों तरफ फैला होता है।
बाल त्वचा की बाहरी तह एपिडर्मिस का हिस्सा हैं। इनकी जड़ें अंदर इर्मिस की गहराई से फूटती हैं और हरेक जड़ के इर्द-गिर्द तैलीय गथियाँ पीई जाती हैं। इनमें सिबम नामक चिकनाईदार पदार्थ भी बनता है।
बालों की रचना एक खास किस्म के प्रोटीन से होती है। इसे केरेटिन कहते हैं और इसकी खासियत यह है कि यह अघुलनशील होती है। इसमें पाए जानेवाले मिलेनोसाइट्स ही बालों के रंग का आधार होते हैं।
बालों का उगना, बढ़ना और गिरना साथ-साथ चलनेवाली एक ही क्रिया के अंग हैं। वास्तव में यह क्रिया दो चरणों में बँटी है-एक वह जिसमें बाल बढ़ते हैं, दूसरा वह जिसमें बालों के बढ़ने का क्रम रुक जाता है। इस दूसरे चरण के अंत में ही बाल गिरते हैं। लेकिन उनकी जगह उतने ही नए बाल उग आते हैं।
यदि हम सिर्फ सिर के बालों के बढ़ने और गिरने की बात करें, तो पाते हैं कि किसी भी समय आमतौर से नब्बे प्रतिशत बाल बढ़ने के दौर में होते हैं, और दस प्रतिशत बाल गिरने की तैयारी में। सिर्फ इसी कारण किसी भी स्वस्थ व्यक्ति के सिर से हर रोज़ 100 बाल तक भी गिर सकते हैं। कंघे में बाल देखकर तब तक परेशान नहीं होना चाहिए जब तक चाँद ही न नजर आने लगे।
सिर के बालों की बढ़ने की औसत दर 0.35 मिलीमीटर प्रतिदिन होती है। वृदधि का चरण हर किसी में अलग-अलग होता है, पर इसकी औसत मीयाद दो से छह वर्ष की होती है। इस बीच बालों की लंबाई पच्चीस से सौ सेंटीमीटर के बीच पहँच जाती है। लेकिन कुछ लोगों के बाल लगातार पच्चीस वर्ष तक बढ़ते रहते हैं, जिससे बाल खूब लंबे हो जाते हैं। दरअसल, विज्ञापनकर्ता चाहे कुछ भी कहें, लंबे बालों का राज़ यही है। कुछ स्त्रियों के बाल तो इसी कारण घुटनों तक पहुँच जाते हैं। यह गणं विरासत में मिलता है। इसका श्रेय किसी दवा या तेल को नहीं दिया जा सकता। बालों का गिरना
बालों का गिरना :
सामान्य प्रक्रिया है, ठीक वैसे ही जैसे त्वचा से बाहरी कोशिकाओं का मैल के रूप में उतरना। कुछ लोगों में बाल बढ़ने का चरण संक्षिप्त होता
है। उसकी मीयाद ही कम होती है। इससे बाल कुछ ही समय बाद झड जाते हैं: लेकिन उनमें भी झडेहए बालों की जगह नए बाल उगु आने से आमतौर से गंजापन पैदा नहीं होता। हाँ, यह शिकायत बनी रहती है कि बाल हमेशा झड़ते रहते हैं। इसके लिए कुछ करने की जरूरत नहीं होती।
यह प्रक्रिया कुछ विशेष स्थितियों में अपने से ही तेज हो जाती हैं और तब बाल बड़ी संख्या में गिरने लगते हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं. जिनमें पाँच प्रमुख हैं-पहला, प्रसूति। दूसरा, कोई भी बुखार। तीसरा, कोई बड़ाऑपेरेशन चैथा, लंबे समय तक बनी रही कोई भी बीमारी, और पाँचवाँ, कोई ऐसा हादसा जिससे मन को गहरा आघात पहुँचा हो।
कम समय में तेजी से वजन कम करने के लिए की गई ‘क्रेश डाइटिंग’, कुपोषण, शरीर में लौह तत्त्व की कमी और गर्भ-निरोधक गोलियाँ भी तेजी से बाल गिरने के कुछ आमफहम कारण है। कुछ दवाएँ लेने से भी बाल गिरने लगते हैं। कैंसर की दवाएँ, रक्त-जमा क्रिया को मंदा करनेवाली एंटिकोएग्यूलेंट दवाएँ, एंटि-थाइरॉयड दवाएँ, एंटिबॉयटिक जैटामायसीन, दुर्द निवारक सैलीसिलैट्स और पार्किनसॉनिज्म की लेवोडोपा, आदि दवाएँ इनमें प्रमुख हैं। इन सभी स्थितियों में बालों के गिरने की गति बढ़ जाती है। लेकिन यह परिवर्तन तुरंत दिखाई नहीं देता; इसका पता दो-तीन महीने बाद चलता है। फिर अगले तीन से छह महीनों तक बाल चिंताजनक ढंग से गिरते रहते हैं, पर कुछ समय बाद बालों का गिरना स्वयं ही रुक जाता है।
बालों पर शैंपू-तेल का असर :
लंबे, घने, काले रेशमी बालोंवाली सुंदर मॉडल कितना ही युकीन दिलाए, वैज्ञानिक सच्चाई तो यही है कि बालों में शैंपू लगाने से न तो उन्हें मजबूती मिलती है, न ही उनकी लंबाई बढ़ती है। हाँ, इतना जरूर है कि इससे रूखे बाल साफ होकर चमक उठते हैं।
सिर की मालिश करने की भी अपनी उपयोगिता है। उससे सिर में खून का दौरा बढ़ता है, और नतीजतन बालों की जड़ों को बेहतर पोषण मिलता है। लेकिन इसके लिए किसी महँगे तेल की जरूरत नहीं है, कोई भी साधारण नारियल या आँवले के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।