Last Updated on August 19, 2021 by admin
लिवर क्या है ? लिवर (यकृत / जिगर ) के कार्य : Liver in Hindi
लिवर की कमजोरी का इलाज हिंदी में- यकृत (लिवर) का एक अन्य पर्यायवाची जिगर भी होता है। यह शरीर का सबसे बड़ा अंग है, जिसका वज़न तीन से चार पाउंड के लगभग होता है। यह वक्ष के डायफ्राम के नीचे दाईं ओर स्थित होता है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में राइट हाइपोकार्डियक रीज़न कहते हैं। इससे पित्ताशय जुड़ा होता है जिसकी नलियां इकट्ठी होकर यकृतीय नलिका से मिल जाती हैं। यह नलिका ग्रहणी (ड्यूओडिनम) तक पित्त पहुंचाती है। पित्त एक पीले रंग का तरल पदार्थ होता है जिसमें श्लेष्मा, जल और विशेष लवण (पित्त लवण) का मिश्रण होता है। भोजन को पचाने में पित्त की अहम भूमिका रहती है। पित्त, वसा और तेलों का विघटन करके छोटी-छोटी बूंदों में बदल देता है।
यकृत में यदि पित्त बनता रहे और भोजन के पाचन में प्रयुक्त न हो पाए तो पित्त जमा होता रहता है और पित्त की थैली में एकत्र होकर पित्त-पथरी का रूप धारण कर लेता है। खपत से अधिक पित्त का उत्पादन और शरीर द्वारा उसका पर्याप्त उपयोग न कर पाना या पित्त पथरी होने पर पित्त का मार्ग अवरुद्ध होने पर पीलिया रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है। | पित्त का अबाधित प्रवाह यदि छोटी आंत तक न हो सके तो पाचन क्रिया में तेजाबी अंश बढ़ जाता है। इस कारण शरीर में गर्मी की मात्रा बढ़ जाती है। इस कारण पेट के अनेक विकार हो सकते हैं, गैस बनने लगती है, स्त्रियों में प्रदर हो सकता है और पुरुषों में नपुसकता हो सकती है। इस असंतुलन के कारण पेट (आमाशय) व आंतों में घाव हो सकते हैं, आंखों की ज्योति क्षीण हो सकती है, बाल सड़ने लगते हैं और पीलिया रोग होने के कारण अनेक जटिलताएं हो जाती हैं। स्वभाव में भी चिड़चिड़ापन आ जाता है।
इसके अलावा जिगर कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, वसा, लोहा व विटामिनों को शरीर के लिए उपयोगी बनाने का कार्य करता है। आवश्यकतानुसार लिवर, इन तत्त्वों को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाता है। जिगर अपने अन्दर इस प्रकार वसा संचित रखता है कि वह शरीर को शक्ति तथा उष्णता प्रदान कर सके। इसके अलावा जिगर शुगर को भी अपने में एकत्रित रखता है और जब भी शरीर को उसकी आवश्यकता होती है तो उसकी पूर्ति जिगर ही करता है। रक्त का थक्का बनने के लिए आवश्यक प्रोग्राम्बिन व फाइव्रिनोजन का निर्माण जिगर (यकृत) ही करता है। यह रक्त प्रवाह में शामिल होने वाले अनेक हानिकारक तत्त्वों को भी नष्ट करता है। आइये जाने लीवर कमजोर क्यों होता है ?
( और पढ़े – लीवर का बढ़ना व सूजन के घरेलू उपचार )
लिवर की कमजोरी के कारण : liver ki kamjori ke karan in hindi
- बीड़ी-सिगरेट,
- शराब,
- तेज़ मसाले,
- मांसाहारी भोजन,
- मछली,
- अंग्रेजी औषधियों की अधिकता,
- हानिकर दवाओं का प्रयोग,
- अधिक तला चिकनाई युक्त भोजन करने से यकृत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
आइये जाने लिवर के कमजोर होने के लक्षण के बारे में ।
( और पढ़े – लिवर खराब की पहचान और उपाय )
लिवर की कमजोरी के लक्षण : liver ki kamzori ke lakshan in hindi
यकृत की कमजोरी के कारण –
- मानसिक अंसतुलन,
- स्मरण शक्ति कम होना,
- दाढ़ी-मूंछों के बाल गिरना,
- पेट फूलना आदि रोग हो सकते हैं।
- यकृत के विकारों के कारण पैरों में सूजन,
- रक्त की कमी,
- थोड़ा परिश्रम करने पर सांस फूलना,
- हिचकी,
- मुंह में पानी भर आना,
- खट्टी डकारें आना,
- छाती में जलन आदि रोग हो सकते हैं।
- जब कै आती हो, जी मिचलाता हो सिर दर्द हो, मुख का स्वाद कड़वा हो, भूख न लगे, जीभ मैली हो रही हो, चित्त उदास रहता हो तो समझना चाहिए कि जिगर(लिवर) रोग है।
आइये जाने लिवर की कमजोरी के उपाय ,लिवर की कमजोरी का इलाज हिंदी में ।
लिवर को मजबूत करने के उपाय : liver ko majboot karne ke upay aur gharelu nuskhe
1). कसौदी -10 ग्राम कसौदी बूंटी के पत्ते, 7 कालीमिर्च पानी के साथ पीसकर छानकर सुबह-शाम पीने से लिवर की कमजोरी ठीक हो जाती है।
2). अजवायन -12 ग्राम देशी अजवायन को 125 ग्राम पानी के साथ मिट्टी के बर्तन में रात को भिगो दें। सुबह इसी पानी को निथार कर पीने से 7 दिनों तक जिगर में खून की कमी दूर हो जाती है।
3). एलोवेरा –20 से 50 मिलिलीटर अनार का रस पीने से अथवा 20 मिलिलीटर कुंवारपाठे के रस में 1 से 5 ग्राम हल्दी मिलाकर पीने से लिवर मजबूत होता है।
4). सेब का सिरका -भोजन से पहले एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका व एक चम्मच मधु मिलाकर सेवन करने से लीवर में मौजूद विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं। यह शरीर की चर्बी भी घटाता है।
5). आंवला – लीवर को स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन चार-पांच कच्चा आंवला खाना चाहिए। इसमें भरपूर विटामिन सी मिलता है जो लीवर के सुचारु संचलन में मदद करता है।
6). हरड़ – सोंठ, पीपल, चित्रक मूल, बायविडंग और दंतीमूल 10-10 ग्राम एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में 50 ग्राम हरड़ का चूर्ण मिलाकर 3-3 ग्राम सुबह-शाम गर्म पानी के साथ सेवन करने से लिवर के रोग में लाभ मिलता है।
7). जामुन – 100 से 300 ग्राम बढ़िया पके जामुन प्रतिदिन खाली पेट खाने से लिवर की खराबी दूर होती है।
8). आंवले का रस – 4 ग्राम सूखे आंवले का चूर्ण या 25 ग्राम आंवले का रस 150 मिलीलीटर पानी में अच्छी तरह मिलाकर दिन में 4 बार सेवन करने से लिवर मजबूत होता है व लिवर के रोग समाप्त होतें है।
9). कागजी नींबू – एक पके कागजी नींबू को 2 टुकड़े करके इसका बीज निकालकर आधे नींबू के बिना काटे चार भाग करके एक भाग में कालीमिर्च का चूर्ण, दूसरे भाग में सेंधानमक, तीसरे में सोंठ का चूर्ण और चौथे में मिश्री का चूर्ण भर दें। इसके बाद इसे रात को प्लेट में रखकर औंस में रख दें। सुबह खाना-खाने से 1 घंटा पहले इस नींबू के फांक को हल्की आग पर गर्म करके चूसें। इससे यकृत विकार ठीक होने के साथ मुंह का जायका भी ठीक होता है। इससे भूख बढ़ती, सिर दर्द व पुरानी कब्ज दूर होती है। इसका सेवन प्रतिदिन करने से यकृत के सभी रोग दूर होते हैं।
10). धनिया – धनिया, सोंठ एवं कालानमक का चूर्ण बनाकर दिन में 3 बार सेवन करने से बदहजमी व कब्ज दूर होती है। यह लिवर को शक्ति देता है और भूख बढ़ती है।
11). सेब – सेब के सेवन से लिवर को शक्ति मिलती है और रोग आदि में आराम मिलता है।
12). बथुआ – बथुआ, छाछ, लीची, अनार, जामुन, चुकन्दर और आलुबूखारा सेवन करने से यकृत को शक्ति मिलती है और कब्ज दूर होती है।
13). लौकी – लौकी को धीमी आग में सेंककर मसलकर रस निकाल लें और इस रस में मिश्री मिलाकर पीएं। इससे यकृत की बीमारी दूर होती है।
14). चावल – सूरज उगने से पहले उठकर मुंह साफ करके एक चुटकी साबुत कच्चे चावल की फांकी लेने से यकृत को मजबूती मिलती है।
15). राई – आधा चम्मच सेंधानमक और 4 चम्मच राई पानी में डालकर यकृत वाले जगह पर 5 मिनट तक लेप करने से और फिर धोकर घी लगा देने से यकृत की सूजन व दर्द दूर होता है।
16). पपीता – पपीता पेट को साफ करता है और यकृत को शक्तिशाली बनाता है। छोटे बच्चे जिनका यकृत खराब रहता है उन्हें पपीता खिलाना चाहिए।
17). आम – जिगर की कमजोरी में यदि पतले दस्त आते हों और भूख न लगती हो तो 6 ग्राम आम के सूखे पत्ते को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें और जब पानी केवल 125 मिलीलीटर शेष रह जाए तो इसे छानकर थोड़ा दूध मिलाकर पीएं। इसके सेवन से जिगर का रोग ठीक होता है।
18). मूली – liver majboot karne ke liye juice मूली के एक ग्राम रस को सुबह छाछ के साथ और शाम को ताजे पानी के साथ लेने से यकृत की दुर्बलता दूर होती है।
19). फिटकरी – एक बताशे में एक चुटकी पिसी हुई फिटकरी डालकर दिन में 3 बार सेवन करने से यकृत (जिगर) के रोग में लाभ मिलता है।
20). सेंधानमक – 3 मिलीलीटर ग्वारपाठे के रस में सेंधानमक व समुद्री नमक मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से यकृत रोग ठीक होता है।
21). भुनी अजवायन – यकृत (लीवर) और प्लीहा (तिल्ली) की बीमारी में भुनी हुई अजवायन और सेंधानमक को नींबू के रस में मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है।
22). प्राणायाम – प्राणायाम या लम्बा श्वास लेना लिवर को स्वस्थ अवस्था में रखता है।
23). व्यायाम – खुली और शुद्ध वायु में बाकायदा उचित व्यायाम करना लिवर के लिए लाभदायक है। व्यायाम इतना करना चाहिए जिससे बहुत श्रम अनुभव न हो।
24). लिवर के लिए योगासन-लिवर सम्बन्धी रोगियों को नित्य कटि स्नान, प्राणायाम सर्वांगासन, पवनमुक्तासन, वज्रासन का नित्य अभ्यास करना चाहिए।
25). अनार – यकृत की कमजोरी में अनार का रस सेवन करना लाभकारी होता है।
लीवर मजबूत करने की आयुर्वेदिक दवा : liver majboot karne ke ayurvedic dawa
लिवर को मजबूत बनाने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |
- लिवर टॉनिक सिरप
- घृत कुमारी रस
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)