Last Updated on July 24, 2019 by admin
चंचलता – निवारण करने का अपना विचार होता है तो आदमी बहुत ऊँचा उठ जाता है | चंचलता ध्यान के द्वारा कम होती है | लम्बा श्वास लेकर दीर्घ प्रणव ( ॐकार ) का जप करो | जितना समय उच्चारण में लगे उतनी देर शांत हो जाओ | आप अपने शुद्ध ज्ञान में स्थित होंगे तो चारों प्रकार की चंचलता आसानी से मिट जायेगी, उससे होनेवाली शक्तियों का ह्रास रुक जायेगा |
प्रयोग :
★ १० से १२ मिनट तक ॐकार गुंजन करने तथा ॐकार मंत्र का अर्थ सहित ध्यान करने से हारे को हिम्मत, थके को विश्रांति मिलती है, भूले को अंतरात्मा मार्गदर्शन करता है |
★ विद्युत् का कुचालक आसन बिछा दे,
★ १० – १५ मिनट तक ध्यान करे और एकटक भगवान या गुरु की प्रतिमा अथवा ॐकार को देखता जाय तो साधारण – से – साधारण व्यक्ति भी इन चंचलताओं से ऊपर उठ जायेगा |
★ बात को खींच – खींचकर लम्बी करने की गंदी आदत छूट जायेगी |
★ मधुर वाणी, सत्य वाणी, हितकर वाणी जैसे सदगुण स्वाभाविक उत्पन्न होने लगेंगे |
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लाभ :
★ यह प्रयोग करने से चारों प्रकार की चंचलताएँ छुट जायेंगी,
★ व्यसन छोड़ने नही पड़ेंगे, अपने – आप भाग जायेंगे |
★ चिंता भगाने के लिए कोई दूसरे नये उपाय नहीं करने पड़ेंगे |
★ बुद्धिदाता की कृपा हो तो अल्प बुद्धिवाला भी अच्छी बुद्धि का धनी हो जायेगा |
स्त्रोत – ऋषिप्रसाद