Last Updated on April 4, 2023 by admin
प्रत्येक प्राणी साँस लेता है। श्वास लेना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें प्राणी खाद्य अणुओं को ऑक्सीकृत करके कोशिकाओं के लिए ऊर्जा उत्पन्न करता है। श्वास क्रिया के फलस्वरूप पानी और कार्बन डाईऑक्साइड बनते हैं। ये दोनों ही अपशिष्ट पदार्थ हैं, जिन्हें शरीर से बाहर निकालना आवश्यक है। शरीर में हवा के अंदर जाने व बाहर निकलने की क्रिया निरंतर होती रहती है। श्वास द्वारा हवा को अंदर लेने और बाहर निकालने की क्रियाओं में एक संबंध होता है। श्वास लेने वाली क्रिया को उच्छ्वास (Inspiration) और निकालने की क्रिया को निश्वसन (Expiration) कहते हैं। मनुष्य एक मिनट में 15 से 17 बार श्वास लेता है। श्वास की क्रिया तीन पदों में पूरी होती है – उच्छ्वास, निश्वसन तथा विश्राम ।
मनुष्य नाक या मुँह से हवा को शरीर के अंदर ले जाता है। हवा जब नाक से अंदर प्रवेश करती है तो यह हल्की-सी नम और गर्म हो जाती है। नाक धूल-कणों को भी हवा से दूर कर देती है।
यह हवा श्वास नलिका (Windpipe ) से होती हुई फेफड़ों में जाती है। श्वसन क्रिया के अंतर्गत उच्छ्वास में सीने का फूलना पेशियों की क्रिया है। यह क्रिया ऐच्छिक (Voluntary) और अनैच्छिक (Involuntary) दोनों ही पेशियों द्वारा होती है। श्वसन की सामान्य क्रिया में केवल अंतरापर्शुका पेशियां (Intercostal Muscles) और डायफ्रॉम ही भाग लेते हैं। गहरी श्वास लेते समय कंधे, गर्दन और उदर की पेशियां भी सहायता करती हैं।
श्वसन से संबंधित तथ्य :
- सामान्य अवस्था में श्वसन की दर 15-18 प्रति मिनट है।
- कठिन परिश्रम या व्यायाम के समय श्वसन दर 20 से 25 गुना बढ़ जाती है।
- श्वास लेने की क्रिया के प्रत्येक चक्र में लगभग 500 मिली. वायु का अंत: श्वसन एवं निःश्वसन होता है।
- 24 घंटे में हम 15000 लीटर वायु का अंत: श्वसन करते हैं।
- वायु श्वसन के दौरान एक ग्लूकोज अणु से 36 से 38 ATP अणु बनते हैं, जबकि अवायु श्वसन में सिर्फ 2ATP अणु बनते हैं।
श्वासन तथा श्वसन में अंतर :
श्वासन (Breathing) | श्वसन (Respiration) |
1. यह एक भौतिक क्रिया है। | 1. यह एक रासायनिक प्रक्रिया है। |
2. इसमें श्वसन मार्ग तथा फेफड़े निहित हैं। | 2. यह प्रत्येक कोशिका के भीतर होती है। |
3. इसमें वायु का अंतः श्वासन तथा बाह्यश्वासन होता है। | 3. इसमें ग्लूकोज़ का ऑक्सीकरण होता है, जिससे ऊर्जा का विमोचन होता है। |
तीन सामान्य श्वासन (फुफ्फुस) दोष :
दमा (Asthma) | श्वास लेने में कठिनाई, क्योंकि श्वसनिकाएँ संकीर्ण हो गयी होती हैं। कभी-कभार पर्यावरण में पाए जाने वाले कुछ विशेष कारकों के कारण भी यह दोष हो जाता है। |
निमोनिया (Pneumonia) | बैक्टीरिया के संक्रमण से फेफड़ों में शोथ हो जाता है। प्रकट लक्षण हैं- ज्वर, पीड़ा तथा बहुत ज्यादा खांसी । |
क्षयरोग (Tuberculosis) | फेफड़ों के भीतर ऊतकों के पिंड से बन जाते हैं, जो बैक्टीरिया के कारण बनते हैं। यह एक संक्रामक रोग है। अतिसीमा हो जाने पर खांसते समय रक्त आ जाता है। BCG के टीकाकारण से क्षय रोग से बचा जा सकता है। |