मट्ठा कल्प के फायदे :
मट्ठाकल्प का सेवन करने से दमा, गर्भाशय के रोग, जिगर के रोग, पेशाब करने की जगह की पथरी, लो ब्लडप्रेशर, हाई ब्लडप्रेशर, जलोदर, बवासीर, चौथिया ज्वर, कब्ज, दस्त, पेचिश, खाज-खुजली, टी.बी. बुखार आदि के रोग समाप्त हो जाते हैं।
अगर दुग्धकल्प का असर न हो तो मट्ठाकल्प से भी उसी तरह के लाभ उठाए जा सकते हैं। इस मट्ठाकल्प को लगभग 40 दिनों तक चलाया जा सकता है। इस कल्प में बिना घी वाला मठा इस्तेमाल करना चाहिए। मट्ठा ज्यादा खट्ठा भी नहीं होना चाहिए।
मट्ठा कल्प की विधि :
प्राकृतिक चिकित्सा से रोगी के पूरी तरह ठीक हो जाने या किसी मामले में थोड़ा बहुत ठीक हो जाने पर मट्ठाकल्प देना शुरू कर देना चाहिए। शुरुआत में कुछ दिनों तक रोगी को फल और साग-सब्जियों पर ही निर्भर रहना चाहिए। फिर उसके बाद 2 से 4 दिन तक व्रत रखना चाहिए। व्रत के दिनों में सिर्फ नींबू के रस को पानी में मिलाकर सेवन करना चाहिए और रोजाना गुनगुने पानी का एनिमा लेकर पेट की सफाई करनी चाहिए। पांचवे दिन सुबह उठकर मट्ठाकल्प शुरू कर देना चाहिए। हर 2-2 घंटे के बाद नीचे दिए हुए अनुसार मट्ठा पीना चाहिए।
1 दिन | लगभग 30-30 मिलीलीटर |
2 दिन | लगभग 60-60 मिलीलीटर |
3 दिन | लगभग 90-90 मिलीलीटर |
4 दिन | लगभग 115-115 मिलीलीटर |
5 दिन | लगभग 145-145 मिलीलीटर |
6 दिन | 2-2 घंटे के स्थान पर डेढ़-डेढ़ घंटे के बाद मट्ठा पीना चाहिए। |
7 दिन | 175-175 मिलीलीटर। |
8 दिन | लगभग 200-200 मिलीलीटर। |
9-10 दिन | लगभग 230-230 मिलीलीटर दिन में 9 बार |
11 दिन | 1-1 घंटे के बाद मट्ठा पिएं। |
12 दिन | लगभग 290 मिलीलीटर। |
13 दिन | लगभग 350-350 मिलीलीटर दिन में 12 बार |
14 दिन | लगभग डेढ़-डेढ़ घंटे के बाद दिन मे 16 बार लगभग 350-350 मिलीलीटर मट्ठे का सेवन करें। |
इस तरह से 40 दिनों तक या इससे भी ज्यादा दिनों तक मट्ठाकल्प चलाया जा सकता है।
जानकारी –
रोगी की उम्र, सुविधा और ताकत के मुताबिक मट्ठे की दी गई मात्राओं को कम या ज्यादा भी किया जा सकता है। मट्ठे का सेवन करते समय उसमें कुछ भी नहीं मिलाना चाहिए।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)