मुंह के छाले का आयुर्वेदिक इलाज – Muh ke Chale ka Ayurvedic Ilaj in Hindi

Last Updated on September 22, 2020 by admin

आयुर्वेद में जिव्हा की ज्ञानेंद्रिय के अंतर्गत गणना की गई है। जिव्हा का कार्य है- स्वाद की अनुभूति करना व बोलना। इसी जीभ पर यदि छाले हो जाएं, तो व्यक्ति विभिन्न पकवानों का स्वाद नहीं ले सकता। साथ ही बोलने में भी तकलीफ होती है। यह इतने कष्टदायी होते हैं कि पीड़ित व्यक्ति बेचैन होकर छटपटाने और कभी-कभी तो रोने तक लगता है।

मुंह के छाले क्या है ? (What is Mouth Ulcer in Hindi)

छालों को आयुर्वेद चिकित्साशास्त्र में मुखपाक या सर्वसर की संज्ञा दी गई है व आधुनिक चिकित्सा शास्त्र में स्टोमेटाइटिस (Stomatitis) कहा गया है। छोटा-सा छाला तक रुग्ण को बहुत विचलित कर देता है। छालों का उदर रोग के अंतर्गत समावेश होता है।

मुंह के छाले उत्पत्ति के विभिन्न कारण (Causes of Mouth Ulcer in Hindi)

मुंह में छाले क्यों होते हैं ? –

मुंह में छाले होने के निम्नलिखित कारण हो सकते है ।

  • असमय भोजन का सेवन,
  • भोजन के पश्चात मुख, जीभ, दांतों को स्वच्छ न करना,
  • ठीक तरह से ब्रश न करना,
  • मसूड़ों के विकार,
  • अम्लपित्त या दांतों के रोग,
  • अधिक तेज, मिर्च मसाले व तले हुए पदार्थों का सेवन,
  • अति रूक्ष, उष्ण पदार्थों का सेवन,
  • अपचन,
  • तंबाकू, पान, सुपारी, गुटखा खाना,
  • गुटखे व तंबाकू को मुख में अधिक समय तक धारण करना,
  • हमेशा होंठों को चबाते रहने की गलत आदत,
  • चाय-कॉफी का अधिक सेवन,
  • तीव्र औषधियों का प्रयोग,
  • जागरण,
  • कब्ज इत्यादि के कारण मुंह में छाले आते रहते हैं।

मुंह में छालों का प्रमुख कारण है कब्ज । अतः पेट (आमाशय एवं आंतों) में सूजन, घाव, कब्ज या अपच होने पर मुंह में छाले होना आम बात है। पेट की गर्मी भी छालों का मुख्य कारण मानी जाती है। विटामिन ‘बी-कॉम्प्लेक्स’ की कमी से भी मुंह में छाले हो जाते हैं।

आयुर्वेदानुसार मुंह में छालों के प्रकार (Types of Mouth Ulcer in Hindi)

मुंह के छाले कितने प्रकार के होते हैं ? –

आयुर्वेदानुसार मुखपाक के 4 प्रकार – वातज, पित्तज, कफज व रक्तज होते हैं। यह पित्त दोष के कारण होने वाला विकार है, पित्त के साथ रक्तदुष्टि भी होती है।

  1. वातज मुखपाक – छालों में तीव्र वेदना, होंठ फटते हैं। जिव्हा पर चीरे उत्पन्न होकर अंकुर आते हैं।
  2. पित्तज मुखपाक – पित्तज छालों में जलने-सी वेदना, जले हुए छोटे आकार के लाल व्रण होते हैं। छालों का बाह्य स्तर लाल होता है। मुंह में खट्टा स्वाद आता है।
  3. कफज मुखपाक – इसमें रोगी को लार अधिक आती है व छालों में खुजली होती है।
  4. रक्तज मुखपाक – इसमें मुख के साथ-साथ शरीर के अन्य भाग में भी पीटिका निर्माण होती है।

मुंह के छाले के लक्षण (Mouth Ulcer Symptoms in Hindi)

मुंह में छाले होने के लक्षण क्या होते है ? –

मुंह में छाले होने पर निम्नलिखित लक्षण प्रगट हो सकते है ।

  • मुंह में छाले होने पर दर्द के साथ जलन होती है।
  • कई बार छालों से रक्त निकलता है।
  • भोजन करने व बोलने में तकलीफ होती है।
  • जीभ के अलावा अंदर के होंठ, मसूड़े, गाल के अंदर, तालु भाग पर भी छाले हो जाते हैं।
  • कई रुग्णों को मुंह के छाले अल्पकाल तक रहते हैं, तो कई को यह तकलीफ लंबे समय तक चलती रहती है।
  • लंबे समय तक मुंह के छाले ठीक न होने से कैंसर होने की संभावना हो सकती है। ऐसी स्थिति होने पर शीघ्र ही आवश्यक जांच कर रोग निदान करना चाहिए।

मुंह के छाले का आयुर्वेदिक उपचार और दवा (Mouth Ulcer Ayurvedic Treatment & Medicine in Hindi)

मुंह के छालों का इलाज –

आयुर्वेदिक शास्त्रों में अनेक नुस्खे बताए गए हैं। इनमें से सुविधानुसार 1-2 ही अपनाएं ।

1). मुखरोग की सामान्य चिकित्सा – त्रिफला, चिरायता, चित्रक, मुलहठी, सरसों, त्रिकटु, मुस्ता, हल्दी, दारुहल्दी, यवक्षार, वृक्षाम्ल, अम्लवेतस, पीपल, जामुन, आम और अर्जुन की छाल, अहिमार (विट्खैर) की छाल, खैर का सार इनका क्वाथ करके, इसे पकाकर तथा घट्ट बनाकर इसमें इन्हीं औषधीयों का चूर्ण मिलाकर गोलियां बना लें। इन गोलियों को नित्य प्रति मुख में धारण करने से मुंह के छाले, कंठ, ओष्ठ, तालु आदि के अतिकष्टसाध्य रोग नष्ट होते हैं। विशेषकर यह रोहिणी (Diphtheria), मुखशोष (Dryness of mouth) और गन्धों को नष्ट करता है।

2). खदिरादि गुटिका (muh ke chale ki ayurvedic dawa) – यह गुटिका मुख में धारण करने पर जिव्हा, ओष्ठ, मुख, गला तथा तालु में उत्पन्न सभी रोगों को नष्ट करती है। मुंह के छाले के लिए यह लाभदायक औषधि है । खदिर से बनाई गई इन गोलियों को स्वस्थ पुरुष भी प्रयोग कर सकता है। इससे व्यक्ति मजबूत दांतों वाला होता है।

3). कालक चूर्ण – घर का धुवांसा, रसांजन, पाठा, त्रिकटु, यवक्षार, चित्रक, लोहभस्म, त्रिफला, तेजबल इनका चूर्ण मधु के साथ मुखविकार,मुंह के छाले, दांत और गले के विकार में धारण करना चाहिए।

4). पीतक चूर्ण – दारुहल्दी की छाल, सैंधव, मैनशिल, यवक्षार, हरताल इनसे सिद्ध इस पीतक चूर्ण को मधु और घी के साथ दांत, मुंह के छाले तथा गले के रोग में धारण करना चाहिए।

5). हरीतकी सेवन – हरड़ को गोमूत्र में पकाकर जब ये गल जाएं तब नेत्रबाला, सौंफ और कूठ से भावित करके खाने वाले को मुंह के छाले व मुखरोग नहीं होते।

6). जातिपत्रादि गण्डूष – चमेलीपत्र, गुडुची, मुनक्का, यवासा, दारुहल्दी तथा फलत्रिक (हरे, बहेड़ा व आंवला) समभाग के क्वाथ में मधु मिलाकर गण्डूष धारण (कुल्ले करना) करें। मुंह के छाले में प्रतिदिन अनेक बार चमेली की पत्ती चबाएं।

7). जीरकादि योग – कालाजीरा, कूठ, इंद्रयव तथा वच को 3 दिन तक नित्य प्रति चबाने से मुंह के छाले, व्रण, क्लेद तथा मुख दुर्गंध का नाश होता है।

8). पटोलादि मुखधावन योग – परवल, नीम, जामुन, आम, मालती इन सबके पत्ते (समभाग) का काढ़ा मुख धावन के लिए श्रेष्ठ है अर्थात् इस क्वाथ से मुख धोने पर मुख के रोग शांत हो जाते हैं।

9). सप्तच्छदादि योग – छतिवन की छाल, परवलपत्र, खस, नागरमोथा, हरड़, कुटकी, मुलेठी, अमलतास का गूदा तथा रक्तचंदन समभाग का क्वाथ बनाकर पान करें। यह मुंह के छालों को दूर करता है।

10). हरिद्रा तेल – हल्दी, नीमपत्र, मुलेठी तथा नीलकमल समभाग को पीसकर विधिवत् सिद्ध तेल सेवन करने से मुंह के छाले दूर होतें है।

11). यष्टिमध्वादि तेल – मुलेठी (50 ग्राम), नीलकमल (1.5 किलोग्राम), तिलतैल (1किलो), दूध (2 किलो) तथा जल (4 किलो) इन सबको एकत्र कर विधिवत् तैल सिद्ध करें। इस तेल की रात्रि में नस्य लेने से मुंह के छाले तथा मुख के अनेक रोग समूह नष्ट होते हैं।

12). इरिमेदादि तेल – इस तेल को छालों पर लगाने से लाभ होता है। स्वस्थ व्यक्ति भी नियमित रूप से इरिमेदादि तेल को मुख में धारण करने से मजबूत दांतों वाला बनता है।

( और पढ़े – मुह के छाले दूर करने के 101 घरेलू नुस्खे )

मुंह के छाले दूर करने के अन्य शास्त्रोक्त उपाय (Remedies for Mouth Ulcer in Hindi)

  1. मुलहठी – सतवन, खस, पटोल, मुस्ता, हरड़, तिक्तरोहिणी (कुटकी), मुलहठी, अमलतास, चंदन इनका क्वाथ पीने से मुंह के छाले दूर होते हैं ।
  2. गिलोय- पटोल, सोंठ, त्रिफला, इंद्रवारुणी, त्रायन्ती, कुटकी, हल्दी, दारुहल्दी, गिलोय इनका क्वाथ मधु के साथ पीने और मुख में धारण करने से मुख के सब रोग नष्ट होते हैं।
  3. दारुहल्दी – दारुहल्दी को पकाकर बनाया गया क्वाथ गाढ़ा होने पर इसमें गेरु और मधु मिलाकर मुख में रखने से मुंह के छाले नष्ट होते हैं।
  4. गोघृत – मुंह के छाले रोग में शिरावेध कराएं व शिरोविरेचन दें तथा मधु, गोमूत्र, गोघृत, गोदुग्ध तथा अन्य शीतल पदार्थों का कवल (कौर, ग्रास) धारण करें। यह मुखपाक को नष्ट करता है।
  5. त्रिफला – त्रिफला क्वाथ से गरारे करें। त्रिफला का क्वाथ शहद मिलाकर मुखधावन के लिए प्रयोग करने से मुंह के छाले नष्ट होते है।
  6. हल्दीहल्दी को पानी में डालकर कुछ देर तक रख दें, इसके पश्चात पानी को छानकर उससे कुल्ला करने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
  7. चमेली – चमेली की पत्तियों का काढ़ा बनाकर मुख में धारण करें। मुंह के छाले दूर होंगे ।
  8. मधु – मुख मे मधु एवं घी का शीतल कवल (कौर, ग्रास) धारण करें। मुंह के छालों में लाभ होगा ।
  9. दोषानुसार वातज मुखपाक में पंच लवण युक्त चूर्ण या पिप्पली, लवण, इलायची से प्रतिसारण तथा वातहर तेल से नस्य एवं कवल धारण करना,
    पित्तज मुखपाक में वमन, विरेचन आदि शोधन कर्म तथा पित्तनाशक मधुर शीतल क्रिया करना,
    कफज मुखपाक में कफनाशक चिकित्सा जैसे पंचकोल क्वाथ का पान एवं कवल धारण करना हितकर हैं।
  10. सुहागा – सुहागा को तवे पर फुलाकर तथा पीसकर 1 चुटकी भर को शहद में मिलाकर छालों पर दिन में 2-3 बार लगायें।
  11. नीम – नीम के पत्ते या अमरूद के पत्ते पानी में उबालकर या मेथी को पानी में उबालकर उसमें 3-4 बूंद लहसुन का रस डालकर कुल्ला करने से भी छालों में आराम आता है।
  12. बबूलबबूल की छाल के काढ़े के कुल्ले से भी मुंह तथा जीभ के छाले मिट जाते हैं।
  13. नींबूनींबू को गर्म पानी में निचोड़कर कुल्ले करें।
  14. कटेरी – कटेरी, गिलोय, चमेली के पत्ते, दारुहल्दी, धमासा और त्रिफला के क्वाथ में मधु मिलाकर बनाया गया कवल मुख के सब रोगों को नष्ट करता है।
  15. खदिरादि वटी – खदिरादि वटी 1-2 गोली दिन में 3-4 बार चूसने को दें।
  16. गुलकंद – गुलकंद 1 से 2 चम्मच या आंवले का मुरब्बा 2 नग सुबह-शाम खिलाएं ।
  17. पान – कत्था लगा पान सुबह-शाम चबाने से भी छाले ठीक हो जाते हैं।

मुंह के छाले होने पर क्या खाना चाहिए (What to Eat During Mouth Ulcer in Hindi)

मुंह में छाले में क्या खाएं ?

  • अधिकांशतः छालों का कारण पेट संबंधी खराबी या विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स की कमी होती है। अतः छाले होने पर तरल आहार जैसे – खिचड़ी, दलिया, दूध, छाछ, जूस, सूप का सेवन कर सकते है।
  • कच्चा सलाद, हरी पत्तीदार सब्जियां, मौसमी फल, अंजीर, मुनक्का, दाख, ककड़ी, तरबूज, खीरा, पपीता इत्यादि का सेवन करना चाहिए ।
  • चोकरसहित आटे की रोटी व अंकुरित दालें खाना भी हितकर होता है।

मुंह के छालों में परहेज (What Not to Eat With Mouth Ulcers in Hindi)

मुंह में छाले में क्या न खाए ? –

तली-भुनी चीजें, तेज मिर्च-मसालेदार पकवान एवं गरिष्ठ आहार का सेवन छालों के रोगी के लिए अहितकर होता है।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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