नाग भस्म के 6 चमत्कारिक फायदे व सेवन विधि | Nag Bhasma Benefits in Hindi

Last Updated on November 20, 2019 by admin

Nag Bhasma Detail and Uses in Hindi

★ नाग भस्म(Nag Bhasma / Lead) एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका निर्माण सीसे (लेड) से किया जाता है।
★ नाग भस्म में लेड सल्फाइड होता है जिसे अन्य कार्बनिक पदार्थों और जड़ी बूटियों के साथ मिलाकर इस भस्म को बनाया जाता है।
★ आयुर्वेद में नाग भस्म को अक्सर पेशाब आने, मूत्र असंयम, मधुमेह, प्लीहा वृद्धि, प्रदर, हर्निया, नपुंसकता, संधिशोथ, आदि के उपचार में प्रयोग किया जाता है।
★ यह भस्म पेट, आंत, अग्न्याशय, मूत्राशय, वृषण, हड्डियों, मांसपेशियों, जोड़ों और स्नायुबंधन पर प्रभाव डालती है।

नाग भस्म के चिकित्सीय उपयोग : Nag Bhasma Therapeutic Uses

• हर्निया के कारण अम्लता और सीने में जलन
• प्लीहा वृद्धि
पुरानी कब्ज
• मधुमेह
लगातार पेशाब आना
• मूत्र असंयम
• प्रदर रोग
• संधिशोथ
बवासीर
• अस्थि-बंधन की चोट
• नपुंसकता

नाग भस्म के लाभ / फायदे : Nag Bhasma(Lead)ke Fayde

नाग भस्म को मधुमेह, पुराने घाव, बवासीर, कुअवशोषण (मालब्सॉर्प्शन) सिंड्रोम, कृमिरोग, दस्त, पीलिया, त्वचा रोगों, खुजली, विसर्प, कफ वाली खांसी, दमा, काली खांसी, ब्रोंकाइटिस, दुर्बलता, प्यास, पेट में दर्द, मोटापा, रक्ताल्पता, संधिशोथ, सूजाक, प्रदर, खून बहने, थूक और खून की उल्टी, मिर्गी आदि में प्रयोग किया जाता है।
यह त्रिदोष पर प्रभाव – वात, पित्त और कफ को भी संतुलित करता है।

इसे भी पढ़े :
स्वर्ण भस्म के चमत्कारिक लाभ व प्रयोग | Swarna Bhasma
अभ्रक भस्म के चमत्कारिक लाभ व उसकी संपूर्ण जानकारी | Abhrak Bhasma
लौह भस्म : खून की कमी को सिघ्र करे पूरा बनाये शरीर को मजबूत | Loha Bhasma

नाग भस्म के चमत्कारिक प्रयोग :

1.मधुमेह : इस रोग में शरीर में वात,पित,कफ,तीनों दोष असंतुलित हो जाते हैं। इस कारण शरीर में विकार उत्पन्न होते हैं और कुछ रोगी स्थूल और कुछ दुबले हो जाते हैं। स्थूल रोगियों को नाग भस्म को टंकण (सुहागा) क्षार के साथ मिलाकर देने से लाभ मिलता हैं। दुबले रोगियों को इसे शिलाजीत के साथ दिया जाता है। कुछ रोगियों को नाग भस्म, गुड़मार बूटी चूर्ण और गिलोसत्व को मिलाकर शहद के साथ भी दिया जाता है।

2. मन्दाग्नि व कब्ज :अक्सर लगातार उचित भोजन न खाने से या कम रेशायुक्त भोजन का सेवन करने से पाचन तंत्र में विकार उत्पन्न होते हैं। इससे आँतें कमजोर हो जाती हैं और मन्दाग्नि व कब्ज की स्थिति पैदा होती है। इसका उचित समय पर उपचार ना करने से शरीर में अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं। इस रोग में नाग भस्म को पंचकोल (पीपर, पिपरामूल, चव्य, चित्रक और सोंठ) के चूर्ण के साथ मिलाकर जीरा या सौंफ के अर्क के साथ देने से लाभ मिलता है।

3. क्षय रोग : क्षय रोग एक जीवाणु के के संक्रमण के कारण होता है। यह शरीर में अन्य हिस्सों में भी फैल जाता है और हड्डियाँ, हड्डियों के जोड़, लिम्फ ग्रंथियां, आंत, मूत्र व प्रजनन तंत्र के अंग, त्वचा और मस्तिष्क के ऊपर की झिल्ली आदि को भी प्रभावित करता है। अक्सर मधुमेह के रोगियों में इसके होने की संभावना अधिक होती है। इस रोग में नाग भस्म को मुक्तापिष्टी और च्यवनप्राश या वासावलेह के साथ देने से लाभ मिलता है।

4. संधिशोथ या आमवात (रहेयूमेटॉइड आर्थराइटिस) :वात दोष के कारण शरीर में आमवात उत्पन्न होता है। इसे आम बोलचाल की भाषा में गठिया भी कहते हैं। इस रोग में शरीर की संधियों में जकड़न, सूजन और बहुत दर्द होता है। इस रोग में नाग भस्म को सोंठ के चूर्ण के साथ शहद में मिलाकर देना चाहिए।

5.सूखी खांसी :सूखी खांसी अक्सर संक्रमण, एलर्जी या निमोनिया के कारण होती है। इस दशा में नाग भस्म को सितोपलादि चूर्ण में मिलाकर वासारिष्ट के साथ देने से लाभ मिलता है।

6. मूत्र रोग : इस रोग में रोगी को बार बार मूत्र आने लगता हैं, मूत्र असंयम की स्थिति होती हैं, उसे रोकना कठिन हो जाता है। इस स्थिति में नाग भस्म को यवक्षार के साथ मिलाकर पानी से देना चाहिए। इससे मूत्र साफ़ आने लगता और इस रोग में लाभ मिलता है। मूत्राशय के विकार में नाग भस्म को मुक्ताशुक्तिपिष्टी में मिलाकर मक्खन के साथ देने से लाभ मिलता है।

3 thoughts on “नाग भस्म के 6 चमत्कारिक फायदे व सेवन विधि | Nag Bhasma Benefits in Hindi”

  1. प्रसिद्ध आयुर्वेदीय औषधि नागार्जुनाभ्र रस के शास्त्रीय घटक में नाग-भस्म भी बताये गये हैं,वर्तमान उपलब्ध उपरोक्त औषधि में इसका अभाव क्यूँ ? इसकी अनुपस्थिति से उक्त औषधि प्रभावशीलता में न्यून हो गई हैं ।इस विषय में विचार किया जायँ।उपरोक्त औषधि की २०० मिलीग्राम बटी में १०-से १५ मिली ग्राम नाग-भस्म को शामिल होने चाहिए !

Leave a Comment

error: Alert: Content selection is disabled!!
Share to...