पलक की भीतर सूजन की होम्योपैथिक दवा और इलाज – Palkon ke Bhitar Sujan ki Homeopathic Dawa aur Upchar

Last Updated on February 10, 2023 by admin

पलक की भीतरी श्लैष्मिक-झिल्ली में सूजन (कंजक्टिवाइटिस) रोग क्या है ? : 

     आंखों की पलकें जो ऊपर उठती और बंद होती है उसके अन्दर सूजन आ जाने को कंजक्टिवाइटिस कहते हैं। यह पलक की अन्दर की तह की सूजन होती है।

पलक की भीतर सूजन का होम्योपैथिक इलाज (Palkon ke Bhitar Sujan ka Homeopathic Ilaj)

पलकों की श्लैष्मिक-झिल्ली की सूजन में विभिन्न औषधियों का उपयोग:-

1. एकोनाइट:- इस रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले इस औषधि का उपयोग करना चाहिए। यदि पलकों की सूजन आंख के ऑपरेशन से, ठण्ड लगने से या खुश्क ठण्डी हवा से हुई हो, आंखों में जलन हो रही हो, पलकों में खुश्की हो और रोगी को ऐसा लग रहा हो जैसे कि आंख में रेत के कण गड़ रहे हो। दर्द इतना तेज होता है कि रोगी कष्ट बर्दाश्त नहीं कर पाता और कहता है कि इससे अच्छा तो मौत आ जाए, आंख का गोलक आंख से बाहर निकलता हुआ महसूस होता है, रोशनी अच्छी नहीं लगती है। इस प्रकार के लक्षण के होने पर उपचार करने के लिए इस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग करना चाहिए।

2. ऐपिस:- रोगी के आंखों की पलकें सूज जाती है, पलक का अन्दरूनी भाग लाल हो जाता है, आंख से गर्म पानी निकलता है। रोगी की आंखों में ऐसे लक्षण आंखों में रक्त संचय के कारण से होता है, रोगी की आंखों से पानी अधिक निकलता है। जब रोगी आंखों को ठण्डे पानी से धोता है तो उसे कुछ आराम मिलता है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए इस औषधि की 3 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।

3. रस टॉक्स:- रोगी व्यक्ति की पलकें सूज जाती है, पलकों का भीतरी भाग लाल हो जाता है तथा आंख से गर्म पानी बहता रहता है। रोगी व्यक्ति में ऐसे लक्षण आंखों की पलकों पर सूजन होने के कारण होते हैं। जब रोगी आंखों पर गर्म सिंकाई करता है तो उसे कुछ आराम मिलता है। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए रस टॉक्स औषधि की 30 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए। आंख आने में एपिस तथा आर्सेनिक औषधि की तुलना की जा सकती है।

4. पल्सेटिला:- कन्जक्टिवाइटिस रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी है जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है लेकिन इस रोग से पीड़ित रोगी में कुछ इस प्रकार के लक्षण भी होने चाहिए जो इस प्रकार हैं- आंख से गाढ़ा, पीला या पीला-नीला स्राव होता है, स्राव न लगने वाला होता है, पस (पीब) के कारण सुबह आंखे नहीं खुलती है आदि।

5. युफ्रेशिया:- आंखों के इस रोग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 6 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करना चाहिए। इस औषधि का आंख तथा नाक की श्लैष्मिक झिल्ली पर विशेष प्रभाव पड़ता है इसलिए आंख आने और जुकाम में यह औषधि उपयोगी है। आंख की पलकों में सूजन हो जाती है, पलकें अन्दर से लाल हो जाती हैं, वहां छोटे-छोटे छाले व जख्म हो जाते हैं, आंख से गाढ़ा जलन युक्त स्राव होता है, यह स्राव बहता हुआ गालों को छील देने वाला होता है। आंख में चोट लगने पर अगर यह रोग हो जाए और ये सारे लक्षणें हो तो भी इस औषधि के प्रभाव से रोग ठीक हो सकता है।

6. बेलाडोना:- आंखों में तेज दर्द होता है तथा रोग का आक्रमण अचानक होता है, सभी लक्षण तेजी से उभरते हैं, रोशनी अच्छी नहीं लगती है, ऐसा लगता है कि आंखें सूजकर बहुत बड़ी हो गई हैं, पलकों का भीतरी भाग चमकीला लाल हो जाता है। इस प्रकार के लक्षण होने पर उपचार करने के लिए इस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी है जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है। अगर आंख में दर्द होने के साथ ही आंखों में रक्त-संचय हो तो भी इस औषधि का उपयोग किया जा सकता है।

(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)

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