पीठ दर्द का आसान घरेलू उपाय | Home Remedies For Back Pain

Last Updated on July 22, 2019 by admin

पृष्ठशूल यानि कि पीठ के दर्द की बीमारी बहूत सामान्य बीमारी है। इन दिनों यह बीमारी आश्चर्यजनक रूप से बढ़ रही है। आम तौर पर स्थानबद्ध (सेडेन्टरी) जीवनशैली और ख़तरनाक कार्यपद्धतियों के कारण यह बीमारी पैदा होती है। भावात्मक तनाव के कारण स्नायुओं में जकड़न पैदा होती है, जो पीठ के दर्द का कारण बन सकती है। पीठ को शरीर का मेरुदंड कहा गया है और वह स्नायुओं, हड्डियों और स्थितिस्थापक ऊतकों का एक जटिल ढाँचा है। रीढ़ की हड़ी हड़ियों के 24 खंड़ों की बनी है, जो एक के ऊपर एक लगाये गये हैं। इन खंडों के बीच बीच में कार्टिलेज और स्थितिस्थापक ऊतकों की गद्दियाँ हैं, जिन्हें अंतराकशेरूक चकती (इन्टरवर्टीबल डिस्क) कहा जाता है। ये चकतियाँ झटकों को आत्मसात् कर लेती हैं। इन चकतियों के बिना गतिशीलता असंभव हो जाती।

लक्षण :

पीठ के दर्द के ज्यादातर मामलों में, सामान्यत: दर्द या तो पीठ के बीच में या फिर निचले हिस्से में होता है। दर्द कमर के दोनों तरफ़ और कूल्हों तक फैल सकता है। मरीज़ हिलनेडुलने के काबिल नहीं रहता और तेज़ दर्द के मरीज़ शय्याग्रस्त हो जाता है। पीठदर्द के अधिकतम मरीज़ ग्रीवा (सर्वाइकल) और कटि (लम्बर) स्पोन्डिलाइसिस से ग्रस्त होते हैं। यह बीमारी लगातार हास (विकृति) पैदा करनेवाली बीमारी है, जिसमें कशेरूकी (वर्टीब्रल) हड़ी या अंतराकशेरूक (इन्टरवर्टीब्रल) चकती नाजूक बन जाती है और अपना आकार गंवा देती है। इसके परिणामस्वरूप, रीढ़ की हड्डी अपना लचीलापन खो देती है।

पीठ दर्द के कारण :

✦पीठ दर्द के मुख्य कारणों में हैं – स्नायुओं में तनाव, जोड़ों में खिंचाव, गलत मुद्रा, अयोग्य पोषण और व्यायाम का अभाव।
✦यह बीमारी उग्र अथवा दीर्घकालीन बीमारियों जैसे गुर्दे या प्रोस्टेट की समस्याओं, स्त्रियों के विकार, इन्फ़्युएन्ज़ा और गठिया से पैदा होती है।
✦अन्य कारण हैं – चिंता और तनाव, लंबे समय तक बैठे रहना, गलत तरीके से वज़न उठाना, ऊँची एड़ी के चप्पल और भावात्मक समस्याएँ।
✦ व्यायाम की कमी भी पीठ की समस्याओं में एक अन्य प्रमुख कारण है। आधुनिक सुखसुविधाओं ने दफ़्तर के कामकाज़ को अधिक सरल बना दिया है। इससे मोटापा बढ़ सकता है और उसकी वज़ह से पीठ पर बहुत दबाव पड़ता है। जब स्नायुओं का व्यायाम न हो और वे कमज़ोर ही रह जायें, तो उनके चोटिल होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती हैं।

आहार द्वारा पीठ दर्द का घरेलू उपचार :

• पीठदर्द के मरीजों को आहार में कच्ची सब्ज़ियाँ और ताज़े फल बहुत अधिक लेने चाहिए।
• सलाद के तौर पर, गाज़र, पत्तागोभी, ककड़ी, मूली, प्याज़ और लेटिस जैसी सब्जियाँ ली जा सकती हैं।
• मरीज़ को फूलगोभी, पत्तागोभी, गाज़र, पालक जैसी सब्जियों में से किन्हीं दो सब्जियों को भाप से या हल्का पकाकर लेना चाहिए। साथ ही ताजे फलों का भी भरपूर सेवन करना चाहिए।
• मरीज़ को प्रतिदिन चार बार भोजन करना चाहिए। उसे सुबह नाश्ते में ताज़े फल; दोपहर के भोजन में भाप से पकाई गई सब्जियाँ और गेहूं की रोटियाँ; शाम को एक ताज़ा फल या उसका रस और रात के भोजन में एक कटोरा कच्चा सलाद और अंकुरित खाद्यपदार्थ लेना चाहिए।
• मरीज़ को वसायुक्त, मसालेदार एवं तले हुए खाद्यपदार्थ, दही, मिठाइयाँ, चीनी, मसाले के अलावा चाय और कॉफी का भी सेवन नहीं करना चाहिए।
• जो मरीज़ धूम्रपान करते हैं अथवा किसी भी रूप में तम्बाकू का सेवन करते हैं, उन्हें पूरी तरह से उसे त्याग देना चाहिए।
• प्रोटीन्स और विटामिन C स्वस्थ हड्डियों के ढाँचे के विकास के लिये ज़रूरी हैं। स्वस्थ हड्डियों के लिये विटामिन D, केल्शियम, फॉस्फ़रस और सूक्ष्म खनिज़ पदार्थ आवश्यक हैं। खाद्यपदार्थों को जब संग्रहित करने के लिये प्रोसेस्ड किया जाता है, ताकि वे खराब न हों, तब ऐसे संग्रहित खाद्यपदार्थों में पोषक तत्त्व कम हो जाते हैं। इसलिये उन्हें आहार में नहीं लेने चाहिए।
• कमर के नीचेवाले हिस्से में दर्द से राहत पाने के लिये एवं रीढ़ की चकतियों की शल्यक्रिया से बचने के लिये विटामिन C सहायक होता है।
पीठ दर्द के उपचार में कुछ खाद्यपदार्थों का उपयोग भी लाभदायक पाया गया है। इन खाद्यपदार्थों में सब से महत्वापूर्ण है –

• लहसुन-
✥रोज़ सुबह लहसुन की दो-तीन कलियाँ ख़ानी चाहिए। इससे अच्छा परिणाम मिलता है।
✥ लहसुन से बने तेल को पीठ पर लगाने से भी बहुत आराम मिलता है। इस तेल को बनाने के लिये लहसुन की दस कलियों को 60 ग्राम तेल में उबाल लें। लहसुन की कलियाँ भूरे रंग की होने तक उन्हें तलें। ठंडा होने के बाद; उसे पीठ पर ज़ोर से रगड़े और तीन घंटे तक वैसे ही रहने दें। उसके बाद मरीज़ गर्म पानी से स्नान कर सकता है। यह उपचार कम से कम 15 दिनों तक ज़ारी रखें।

• बड़ा नींबू-
पीठ दर्द के लिये बड़ा नींबू (लेमन) भी उपयोगी उपचार है। इस फल के रस में चुटकीभर नमक मिलाकर लेने से मरीज़ को दर्द से काफ़ी हद तक निज़ात मिल सकती है।

•हरड-
हरड अथवा हरितकी का उपयोग भी पीठ दर्द में फ़ायदेमंद होता है। इस जड़ी-बूटी का एक टुकड़ा भोजन के बाद लेना चाहिए। इससे तुरंत राहत मिलती है।

अन्य उपाय :

✦पीठदर्द से मुक्ति पाने और उसे रोकने के लिये बचाव के कुछ उपाय, विशेष रूप से स्थानबद्ध व्यवसाय करनेवाले लोगों के लिये आवश्यक है। इन उपायों में सब से अधिक महत्त्वपूर्ण व्यायाम है, जिससे रीढ़ की चकतियों को मिलनेवाले पोषक तत्वों की पूर्ति में सुधार होता है और इससे उम्र के अनुसार होनेवाले ह्रास या विकृति की वह प्रक्रिया लंबी हो जाती है, जो अंत में सभी को प्रभावित करती है। चलना, तैरना और साइकल चलाना; ये सभी सलामत व्यायाम हैं।
✦शरीर के वज़न को नियंत्रण में रखना भी पीठदर्द से राहत पाने के लिये अन्य महत्वपूर्ण कदम है क्यों कि अतिरिक्त वज़न से पीठ के नाजुक टिस्युस पर दबाव बढ़ता है।
✦पीठ की समस्याओं से ग्रस्त मरीज़ों को सुदृढ़ गद्दे पर दोनों घुटनों को शरीर के धड़ की ओर 90° के कोने से मोड़ कर एक तरफ़ सोना चाहिए।
✦किसी भी वस्तु को नीचे से उठाने के लिये उन्हें यह ध्यान में रखना चाहिए कि कमर से कभी भी नीचे न झुकें बल्कि घुटनों को मोड़कर उस वस्तु के करीब उकडू बैठे, लेकिन पीठ को बिलकुल सीधा ही रखें और फिर धीरे से खड़े हो जाये।
✦लंबे समय तक कार चलाने के कारण या डेस्क पर काम करने के कारण गर्दन में जो तनाव पैदा होता है, उससे गर्दन की कुछ ख़ास कसरतों से मुक्ति पाई जा सकती है।
✦सिर को घड़ी के काँटों की दिशा में और उससे विरुध्द दिशा में घुमाते हए, सिर को यथासंभव आगे और पीछे ले जाते हुए, बायीं और दाई ओर जितना संभव हो, ले जायें। यह व्यायाम कई बार दोहरायें। ये व्यायाम गले की उन संकुचित मांसपेशियों को शिथिल बना देता है, जिनसे सिर में रक्त की पूर्ति अवरूध्द हो सकती है।
✦गर्म कपड़े से सेंक, अदल-बदल कर स्पंज करना या पीठ पर विकिरणों से गर्मी लेने से भी तुरंत राहत मिल जाती है।
✦पीठ दर्द में जो योगासन लाभदायी होते हैं, वे हैं; भुजंगासन, शलभासन, हलासन, उत्तनपादासन और शवासन।

पीठ-दर्द के उपचार की रुपरेखा :

(अ) पथ्य –

1- तीन से पाँच दिनों तक सिर्फ फलाहार। इस उपचार के दौरान, दिन में तीन बार ताज़ा रसदार फल; जैसे सेब, नाशपती, आडू, पपीता, अंगूर, संतरा और अनन्नास खायें।

2. उसके पश्चात्, क्रमिक रूप से सुसंतुलित आहार को निम्नानुसार अपनायें:
i) प्रात:काल उठने पर : आधे नींबू का ताज़ा रस और एक टीस्पून शहद मिलाकर एक
ग्लास कुनकुना पानी।
ii) सुबह का नाश्ता : ताज़े फल; जैसे सेब, अंगूर, नाशपत्ती, आडू, अनन्नास, पपीता और
एक ग्लास दूध जिसमें मिठास के लिये शहद मिलाया गया हो।
iii) दोपहर का भोजन : भाप से पकाई गई, तुरंत की बनी सब्जियाँ जैसे गाज़र, पत्तागोभी, फूलगोभी, कुम्हड़ा और फलियों से भरा एक कटोरा और दो-तीन गेहूं की रोटियाँ।
iv) शाम का नाश्ता : एक ग्लास सब्जी या फल का रस।
v) रात का भोजन : ताज़े हरे पत्तोंवाली सब्जियों के सलाद का एक बड़ा कटोरा। लेटिस, गाज़र, पत्तागोभी, ककड़ी, टमाटर, मूली, लाल बीट, प्याज़ जैसी सभी उपलब्ध सब्जियों का उपयोग करें। अंकुरित एल्फैल्फ़ा और मूंग, जिस पर नींबू का रस निचोड़ा हो।

(ब) परहेज़ की चीजें –

चाय, कॉफ़ी, चीनी, मेदा और चीनी तथा मेदे से बने सभी खाद्यपदार्थ, वसायुक्त (फेटी) खाद्यपदार्थ, दही, माँस से बने पदार्थ, मसाले और अचार।

(स)- अन्य उपाय –

1. सुरक्षित व्यायाम जैसे कि चलना, तैरना और साइकल चलाना।
2. शरीर के वज़न को नियंत्रण में रखना।
3. मज़बूत सख़्त गद्दे पर सोना।
4. किसी भी वस्तु को नीचे से उठाने के लिये कमर से न झुकें बल्कि वस्तु के करीब उकडू बैठे कर उठायें।
5. गर्दन और कंधों का व्यायाम।
6. पीठ पर गर्म कपड़े और विकिरणों की गर्मी से सेंक करें।
7. भुजंगासन, शलभासन, हलासन, उत्तनपादासन और शवासन करें।

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