पेट में गैस का घरेलू उपचार | Pet me Gas ka Ilaj

Last Updated on August 15, 2021 by admin

पेट में गैस : gas ki problem in hindi

यह आधुनिक जीवनशैली और ग़लत आहार-विहार का ही परिणाम है कि जिस पाचन संस्थान को वृद्धावस्था में जाकर कमज़ोर होना चाहिए वह युवावस्था में ही कमज़ोर हो रहा है जिसके कारण युवा वर्ग कई प्रकार की पेट की समस्याओं से ग्रसित हो रहे हैं। दिन भर वक़्त-बेवक़्त चटपटे मसालेदार और गरिष्ठ खाद्य पदार्थ, चाय-काफी, कोल्ड ड्रिन्क्स आदि का सेवन तथा तम्बाकू-पान मसाले, धूम्रपान, शराब आदि की लत से पाचन संस्थान समय से पहले ही कमज़ोर हो रहा है। इस पर आहार ग्रहण करने की गलत विधि इसमें सहयोगी तत्व का काम कर रही है । नतीजा यह है कि हर दूसरा व्यक्ति हायपर एसिडिटी, अजीर्ण, गैस बनना, क़ब्ज़ आदि पेट की समस्याओं से ग्रस्त पाया जाता है।

उदर की समस्याओं में पेट में अधिक गैस बनने की समस्या सबसे अधिक पायी जाती है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो कभी न कभी कम या अधिक समय के लिए पेट में अधिक गैस होने के प्रकोप का शिकार न हुआ हो । यूं तो आवश्यक मात्रा में गैस का बनना और निष्कासित होना स्वाभाविक है और ज़रूरी भी किन्तु किसी कारण या कारणों से आमाशय या आंतों में गैस की मात्रा अधिक हो जाए और डकार या अधोवायु (पाद) द्वारा शरीर से बाहर न निकले तो व्यक्ति के लिए वह कष्टप्रद हो जाती है। गैस अधिक बनने के कारण और उससे उत्पन्न समस्याओं के निवारण से सम्बन्धित उपयोगी विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं।

पेट में गैस क्या है ? : pet me gas kya hai in hindi

सर्व प्रथम तो इस पर चर्चा कर ली जाए कि गैस होती क्या है ? गैस हमारे द्वारा ग्रहण किये गये आहार का सामान्य उपोत्पाद होती है। जैसे ही पाचन तन्त्र आहारीय पदार्थ को तोड़ता (पाचन) है गैस उत्पन्न होती है जो मुख्यतः कार्बन डायऑक्साइड, आक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन और मीथेन नामक गैसों का मिश्रण होती है। सामान्यतः शरीर में 1 से 4 पाइंट (Pint = 1 पाइंट 20 औंस के बराबर होता है) गैस प्रतिदिन बनती है जो औसतन 14 बार में शरीर से बाहर निकलती है। उपवासे व्यक्ति के पाचन तन्त्र मार्ग (Gastro Intestinal Tract) में लगभग 200 ml गैस रहती है। गैस का शरीर से निष्कासन मुंह से डकार द्वारा और गुदा द्वार से अधोवायु (पाद) द्वारा होता है।

पेट में गैस बनने के कारण : pet me gas banne ke karan in hindi

पाचन तन्त्र मार्ग में गैस की अधिकता के दो स्रोत होते हैं। पहला मुंह द्वारा अधिक हवा निगलना और दूसरा अपचित या आधे पचे आहार का बड़ी आंत में रहने वाले जीवाणुओं द्वारा विघटन से अधिक गैस बनना।

(A) मुंह द्वारा हवा निगलना (Aerophagia)-
इसके पीछे ग़लत ढंग से खाने-पीने या अचेतन स्तर पर हवा निगलने की आदत कारण होते हैं। जिन कारणों से हवा आमाशय में जाती हैं उनमें से मुख्य हैं- तेज़ी से खाना खाना व पेय पीना, मुंह में कुछ रख कर चबाना या चूसना (च्युईंगम, तम्बाकू, गुटका, केन्डी आदि ) , सोडा युक्त पेय पीना आदि। कुछ हवा तो डकार द्वारा पुनः बाहर निकल जाती है और कुछ छोटी आंत में पहुंच जाती है। आंतों में कुछ अवशोषित हो फेफड़ों द्वारा बाहर निकल जाती है तो कुछ बड़ी आंत में पहुंच कर मल द्वार से बाहर निकल जाती है।

(B) अपचित आहार का विघटन (Breakdown of Undigested Food) –
हमारे पाचन तन्त्र में कुछ जटिल कार्बोहाइड्रेट्स (शर्करा, स्टार्च, रेशा आदि) को पचाने वाली एन्जाइमस नहीं होती हैं। और बिना पचा यह आहार जब बड़ी आंत में पहुंचता है तब वहां रहने वाले सामान्य हानिरहित जीवाणु इसका विघटन करते हैं। जिससे हाइड्रोजन, कार्बनडायऑक्साइड और मीथेन गैसें उत्पन्न होती हैं जो अंततः मल द्वार से उत्सर्जित हो जाती हैं। आइये जाने गैस बनाने वाली सब्जियां और फल कौन-कौन से है

पेट में गैस बनाने वाले खाद्य पदार्थ :

कार्बोहाइड्रेट्स युक्त अधिकांश आहार गैस उत्पन्न कर सकते हैं जबकि वसा और प्रोटीन युक्त आहार कम गैस पैदा करते हैं। वसा और प्रोटीन युक्त आहार तब अधिक गैस उत्पन्न करते हैं जब हमारे पाचन तन्त्र की गड़बड़ी के कारण इनका ठीक से पाचन नहीं होता। निम्नलिखित सामान्य आहार और उनके स्वाभाविक घटक तत्व गैस उत्पन्न कर सकते हैं।

  •  बीन्स (Beans) – बीन्स (सेम) में जटिल शर्करा अधिक मात्रा में होती है जिसे रेफिनोज़ (Rajinose) कहते हैं। यह शर्करा कम मात्रा में फूलगोभी, पत्तागोभी, अन्य शाक सब्ज़ी व सम्पूर्ण अनाज में भी होती है।
  • स्टार्च (Starches) – आलू, मक्का , सिंवई, गेहूं आदि में स्टार्च होता है। बड़ी आंत में इसके विघटन से गैस बनती है। सिर्फ़ चावल में ऐसा स्टार्च होता है जिससे गैस नहीं बनती।
  • प्याज (Onion) – प्याज के अलावा नासपाती, गेहूं, शीतल पेय, फलों के रस आदि में फुक्टोज नामक शर्करा पायी जाती है। जो गैस उत्पन्न करती है।
  • सॉरबिटोल (Sorbitol) – यह शर्करा सेब, नासपाती, आडू, आलू बुखारा आदि फलों में होती है। इसका प्रयोग शुगर फ्री खाद्य पदार्थों में भी किया जाता है। यह भी गैस उत्पन्न करने वाली होती है।
  • रेशा (Fibers) – बहुत से आहारीय पदार्थों में घुलनशील और अघुलनशील रेशा होता है। घुलनशील रेशा (Soluble Fiber)- जल में घुल कर जेल(Gel) जैसा हो जाता है। इस प्रकार का रेशा तब तक नहीं पचता जब तक यह बड़ी आंत में नहीं पहुंच जाता। वहां जीवाणुओं द्वारा इसके पाचन से गैस उत्पन्न होती है। घुलनशील रेशा जई के दलिया, बीन्स, मटर और अधिकांश फलों में पाया जाता है। दूसरे प्रकार का रेशा अघुलनशील (Insolubtle Fiber)  होता है जो पूरे पाचन तन्त्र मार्ग से अपरिवर्तित गुज़र कर मल द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है और बहुत ही कम मात्रा में गैस उत्पन्न करता है। इस प्रकार का रेशा गेहूं के दलिए और कुछ सब्ज़ियों में पाया जाता है।
  • इसके अलावा ककड़ी, मूली, बैंगन, शलजम, राज़मा, उड़द, तुवर आदि भी गैस उत्पन्न करने वाले होते हैं।
  • कुछ लोगों में लेक्टेज़ (Lactase) एन्जाइम की कमी या अनुपस्थिति होती है। इनके पाचन तन्त्र में लेक्टोज़ (Lactose) नामक शर्करा को पचाने की क्षमता नहीं रहती (Lactose Intolerance) जो स्वाभिवक रूप से दूध तथा दूध से बने पदार्थ जैसे चीज़, आइसक्रिम तथा कुछ संसाधित खाद्य पदार्थ जैसे ब्रेड आदि में पायी जाती है। इसमें गैस के साथ-साथ दस्त लगने की शिकायत भी रहती है। उम्र बढ़ने के साथ साथ इस एन्जाइम का स्तर कम होता जाता है इसलिए ज्यादा उम्र के व्यक्तियों में कभी कभी दूध या दूध से बने पदार्थ का सेवन करने पर गैस बनने लगती है।
  • कुछ रोगों के कारण आहारीय पदार्थ ठीक से अवशोषित नहीं हो पाते जिससे जीवाणुओं की उन पर अधिक क्रिया होती है और गैस उत्पन्न होती है।
  • अग्न्याशय, पित्ताशय या छोटी आंत की विकृति से पाचक एन्जाइमस की कमी हो जाती है जो अपर्याप्त अवशोषण (Malabsorption) का कारण बनती है। यदि आंतों में आहारीय पदार्थ की गति किसी कारण से धीमी हो जाती है तो जीवाणुओं द्वारा पदार्थ के किण्वन (Fermentation) की प्रक्रिया की गति बढ़ जाती है। इसीलिए यदि क़ब्ज़ हो या आंतों की शिथिलता हो तो गैस निर्माण अधिक होता है।
    आंतों की चाल धीमी करने वाले कारणों में प्रमुख हैं आहार में रेशे की कमी, आंतों में शोथ, आंतों में रुकावट, दवाओं के दुष्प्रभाव आदि।
  • गैस अधिक बनने में अनुवांशिकता की भी महत्वपूर्ण भूमिका कई बार होती है। अनुवांशिक प्रभाव से आंतों में जीवाणुओं की अधिक संख्या व प्रकार परिवार में पीढ़ी दर पीढ़ी चलते हैं। ऐसे मामलों में शिशु अवस्था से ही गैस अधिक बनना शुरू हो जाती है जो पूरे जीवन बनती रहती है।

पेट में गैस बनने के लक्षण : gas ki bimari ke lakshan

  1. आध्मान के लक्षण होते हैं। अधिक गैस निकलना, पेट का फूलना, पेट दर्द होना; डकारे आना, आदि।
  2. प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति के शरीर से डकार और अधोवायु (पाद) के रूप में गैस बाहर निकलती है। एक समय में कुछ निश्चित मात्रा में गैस पाचन संस्थान मार्ग (Gastro Intestinal Tract) में रहती है, खासकर अमाशय और बड़ी आंत में ।
  3. प्रतिदिन सामान्य व्यक्ति 10 से 25 बार गैस निष्कासित करता है, इससे अधिक आध्मान की स्थिति कही जाती है।
  4. खाना खाते समय या बाद में डकार आना सामान्य बात है परन्तु यदि बार-बार डकार आती हो तो हो सकता है मुंह से ज्यादा हवा निगलने में आ रही हो। कुछ लोग जान बूझ कर हवा निगलते हैं ताकि डकार आये और उन्हें आमाशय के कष्ट से राहत मिले और फिर धीरे धीरे हवा निगलने की आदत पड़ जाती है। डकारें आने के पीछे कभी-कभी कोई गम्भीर रोग भी हो सकता है जैसे आमाशय में छाला (Peptic Ulcer), आमाशय का पक्षाघात (Gastro Paresis) आदि।
  5. वसायुक्त आहार आमाशय से धीमी गति से खाली होता है जिससे पेट फूलता है और कष्ट होता है परन्तु अधिक गैस बने यह आवश्यक नहीं।
  6. कुछ रोग भी पेट फुलाते हैं। जैसे शोभग्रस्त आंतों की अनियमित गति (Irritable Bowel Syndrome), बड़ी आंत का कैन्सर (Colon Cancer) आदि।
  7. यह दर्द बांयी तरफ़ होता है तब हृदय रोग का भ्रम पैदा करता है और जब दांयी तरफ़ होता है तो पित्ताशय की पथरी (Gall Stone) या अपेन्डिक्स का शोथ (Appendicitis) का भ्रम पैदा करता है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि गैस अधिक बनने के अलावा ऐंठनयुक्त दर्द, मल त्याग के समय में परिवर्तन, दस्त लगना, क़ब्ज़ होना, मल के साथ रक्त आना, बुखार, उलटी, पेट दर्द के साथ पेट में सूजन आदि में से कोई लक्षण भी हो तो चिकित्सकीय सलाह लेना आवश्यक हो जाता है।
इस के कारणों का त्याग करने के उपरान्त भी गैस अधिक बनती हो तो निम्नलिखित घरेलू उपाय व आयुर्वेदिक औषधियों के सेवन से लाभ होता है। आइये जाने पेट की गैस का रामबाण घरेलू इलाज क्या है ।

पेट की गैस के घरेलू उपाय : pet me gas ka ramban ilaj

1). हींग –  भुनी हुई हींग पीसकर शाक-सब्जी में डालकर खाने से पेट की गैस मिट जाती है।

2). लौंग –  थोड़ा-सा नमक, 3 कालीमिर्च और 3 लौंग पीसकर आधी कटोरी पानी में उबाल कर पीने से पेट की गैस में आराम मिलता है।

3). नींबू –  6 ग्राम नींबू का रस पीने से पेट की गैस नष्ट हो जाता है।( और पढ़े – नींबू के फायदे)

4). हरड –  हरड़ का चूर्ण गुड़ में मिलाकर खाने से पेट दर्द और गैस दूर हो जाती है। ( और पढ़े –हरड़ खाने के 7 बड़े फायदे व सेवन विधि )

5). बच –  बच और सोनामाखी खाने से पेट की गैस में लाभ होता है।

6). अजवायन – 5 ग्राम अजवायन, 10 कालीमिर्च और 2 पीपल रात को पानी में भिगो दें। सुबह पीसकर शहद में मिलाकर 1 पाव पानी के साथ लेने से पेट की गैस मिट जाता है।

7). काकजंघा –  घी के साथ काकजंघा मिलाकर पीने से वायु विकार (गैस) में लाभ होता है।

8).  इलायची – बड़ी इलायची के दाने 1 पाव और इन्द्रायण की गिरी बिना बीजों के 1 तोला पीसकर बेर के बराबर गोलियाँ बना लें। सुबह-शाम यह गोलियाँ खाने से पेट की गैस मिट जाती है।

9). हिंगाष्टक चूर्ण –  4 से 5 ग्राम हिंगाष्टक चूर्ण पानी के साथ खाने से सभी प्रकार के वायु-विकार मिट जाते हैं। ( और पढ़े – हिंग्वाष्टक चूर्ण के फायदे गुण उपयोग)

10). अरण्डी – अरण्डी का तेल 20 ग्राम और अदरख का रस 20 ग्रांम मिलाकर पी लें, ऊपर से थोड़ा-सा गरम पानी पी लेने से पेट की गैस में तुरन्त लाभ होता है।

11). सज्जीखार –  तीन ग्राम सज्जीखार, 3 ग्राम पुराना गुड़ दोनों को रगड़कर गोली बना लें । प्रतिदिन सुबह 1 गोली खाने से पेट में गैस का रोग नष्ट हो जाता है।

12). आक –  आक की जड़ छाया में सुखाकर पीस लें। 2 रत्ती से 4 रत्ती तक यह दवा खाकर ऊपर से दूध पी लें। इससे मन्दाग्नि और पेट की गैस नष्ट होती है। (1 रत्ती =   0.1215 ग्राम)

13). दही –  6 ग्राम अरण्डी के तेल में 6 ग्राम दही मिलाकर आधे-आधे घण्टे के अन्तर से रोगी को पिलाने से पेट की गैस हमेशा के लिए नष्ट हो जाती है। ( और पढ़े –अरण्डी तेल के 84 लाजवाब फायदे )

14). ढाक –  ढाक के 20 पत्तों की घुण्डी ताजे पानी में पीसकर रोगी को पिला दें। यदि दर्द हल्का हो जाय तो एक बार फिर इसी मात्रा में दवा पिला दें, पेट में गैस के कारण दर्द दुबारा नहीं उठेगा।

15). कालीमिर्च –  250 ग्राम गाय का दूध, 250 ग्राम पानी और 5 कालीमिर्च साबुत लेकर आग पर चढ़ा दें और जब पानी जल जाय, तब उतार कर छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से भयंकर पेट की गैस का दर्द भी मिट जाता है।

16). सत्यानाशी –  सत्यानाशी की जड़ की छाल 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 नग लेकर पानी में पीसकर पी लें। भयंकर पेट-दर्द भी शान्त हो जाती है।

17). अलसी –  अलसी के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से पेट की गैस मिट जाती है।

पेट में गैस की आयुर्वेदिक दवा : pet me gas ki ayurvedic dawa

पेट की गैस में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां ।

  • हिंगादि हरड़ चूर्ण
  • हरड रसायन गोली
  • पुदीना अर्क

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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