पेट में जलन का आयुर्वेदिक उपचार

Last Updated on February 16, 2022 by admin

पेट में जलन :

आमाशय के श्लैष्मिक झिल्ली या पेट के अंदर जब अम्ल और पित्त की अधिकता हो जाती है तो पेट में जलन व दर्द होता है जिससे आमाशय में सूजन आ जाती है। यह जलन जब छाती और गले तक पहुंच जाती है तो आमाशय में तेज जलन व बेचैनी महसूस होती है और कभी-कभी जलन व बेचैनी बढ़ जाने के कारण श्लेष्मा व पित्त मिली हुई पदार्थो की उल्टी हो जाती है ।

भोजन और परहेज :

पेट में जलन होने पर रोगी को पका हुआ चावल, खटाई, गोभी, सब्जी एवं सरसों का उपयोग नहीं करना चाहिए।

पेट में जलन का घरेलू उपचार :

1. मजीठ : मजीठ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन 3 बार पानी के साथ पिलाने से आमाशय (पेट) का जख्म ठीक होता है।

2. रसौत : रसौंत का चूर्ण आध से 2 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन मक्खन के साथ सुबह-शाम लेने से पेट के अंदर का घाव समाप्त होता है।

3. गुग्गुल : शुद्ध गुग्गुल की आधे से एक ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से आमाशय (पेट) का घाव व दूषित द्रव्य समाप्त होता है।

4. गोंद : गोंद में तारपीन के तेल की 3 से 10 बूंदों को मिलाकर चीनी की बनी हुई शर्बत के साथ सेवन करने से पेट के आंतरिक जख्म में होने वाला खून के आंतरिक बहाव को रोकता है।

5. धऊंला (प्रियंगु) : धऊंला का गूदा एक चौथाई से आधा ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से पेट के छाले ठीक होते है।

6. बिहीदाना : बिहीदाना के बीजों को पानी के साथ उबालकर घोल बना लें और इसमें 40 से 80 मिलीलीटर तक की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से पेट के जख्म व दर्द ठीक होता है।

7. तुम्बरू : तुम्बरू (तेजफल) का सूखा चूर्ण एक चौथाई से आधा ग्राम की मात्रा में लेने से पेट का घाव, दर्द व अन्य परेशानी दूर होती है।

8. सत्यानाशी : सत्यानाशी (पीला धतूरा) की पीसी हुई जड़ 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ लेने से खाने के बाद होने वाला आमाशय (पेट) के जख्म का दर्द ठीक होता है।

9. मुलहठी : मुलहठी की जड़ को पीसकर 4 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ दिन में 3 बार पीने पेट का जख्म ठीक होता है। मुलहठी की जड़ का 40 ग्राम काढ़ा बनाकर शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से पेट के अंदरूनी जख्म एवं दर्द में आराम मिलता है।

10. पटोल : पटोल के बीजों का काढ़ा बनाकर 50 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार पीने से पेट का घाव व दर्द ठीक होता है।

11. पाठा : पाठे की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से आमाशय (पेट) का दर्द शांत होता है और उल्टी व कमजोरी दूर होती है।

12. चम्पा : चम्पा के फूलों का काढ़ा बनाकर पीने से पेट की पीड़ा में आराम मिलता है।

13. मूली : मूली के रस में नमक मिलाकर पीने से पेट के आंतरिक घाव ठीक होता है।

14. सागवान : सागवान की लकड़ी को पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 5 से 12 ग्राम खाने से पित्त के कारण होने वाले पेट (आमाशय) की जलन शांत होती है।

15. पुदीना : 100 मिलीलीटर पुदीने का रस गर्म करके 9 ग्राम शहद और 6 ग्राम नमक मिलाकर पीने से उल्टी होकर पेट का दर्द ठीक होता है।

16. बबूल : बबूल की गोंद पानी में घोलकर पीने से पेट (आमाशय) और आंतों की पीड़ा दूर होती है।

17. आम : आम की भुनी हुई गुठली की मींगी का चूर्ण बनाकर खाने से आंतों की कमजोरी दूर हो जाती है।

18. छोटी पीपल : छोटी पीपल का चूर्ण एक चौथाई से आधा ग्राम की मात्रा में दही के साथ सुबह-शाम सेवन करने से आमाशय में आराम मिलता है।

19. कूठ : कूठ को गुलाब के जल में पीसकर पेट पर लेप करने से पेट का बढ़ना ठीक होता है और हाथ-पैर की सूजन दूर होती है।

20. अंगूर : अंगूर, नारियल एवं आलू के रस में शहद मिलाकर पीने से पेट के अंदरूनी घाव में आराम मिलता है।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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