Last Updated on October 7, 2021 by admin
वर्षों से प्लास्टिक हमारे जीवन के हर कोने में प्रविष्ट होता जा रहा है। अब तो उसने अपने विविध उपयोगों और रंगों की सुंदरता के कारण महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। अब इसे यदि छोड़ना भी चाहें, तो छोड़ नहीं सकते है।
प्लास्टिक के बने उत्पादों में खिलौने, बटन, बर्तन, डिब्बे, शीशियां, जूते-चप्पल, दस्वाजे-खिड़की, फर्नीचर, पाइप, मशीनो के पूर्जे, केबिनेट्स, कूलर इत्यादि जरूरत की सभी तरह की चीजें बन रही हैं। अब तो इसके बिना जीवन की कल्पना करना दूभर लगता है।
प्लास्टिक का विषैले प्रभाव :
प्लास्टिक के बर्तनों और डिब्बी में रखे खादय पदार्थ भले ही हमें आकर्षक लगे, लेकिन इनका प्रयोग हमारे स्वास्थ्य, के लिए हानिकारक है। जितने अधिक समय तक हम इनमें खादय सामग्रियों को रखे रहते है, विषैले प्रभाव बढ़ते जाने की पूरी संभावनाएं होती है। प्लास्टिक के डिब्बों में रखे खाद्य पदार्थों की खाने से व्यक्ति अनेक तरह की बीमारियों का शिकार हो सकता है।
अमेरिका की खादय तथा औषधि प्रशासन संस्था ने एक्रीलोनाइट्राइस मिश्रित प्लास्टिक की बोतलों और डिब्बी में शीतल पेय, फलों का रस और शराब की बिक्री व उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इधर भारत में भी कुछ शहरों में प्लास्टिक की थैलियों व पाउचों पर प्रतिबंध लगाया गया हैं।
प्लास्टिक क्या हैं ? :
प्लास्टिक एक पालीमर है अर्थात् पदार्थों का मिश्रण है। इसमें नायलॉन, फीनोलिक, पौलीस्टाइरीन, पौलीथाईलीन, पौलीविनायल क्लोराइड, यूरिया फार्मेल्डिहाईड व अन्य पदार्थ मिश्रित होते हैं। इतने ज्यादा रासायनिक पदार्थों से बने प्लास्टिक के डिब्बों में जब खादय पदार्थ रखे जाते , तो इसके कई घुलनशील रासायनिक पदार्थ रिस-रिस कर खाद्य पदार्थ को विषैला बना सकते हैं। ऐसे ही खतरे तब भी पैदा हो सकते है, जब जीवन रक्षक औषधियां, रक्त तथा रक्त उत्पादकों जैसे प्लाजा व सीरम आदि पी. वी. सी. प्लास्टिक निर्मित डिब्बों व थैलियों में पैक किए जाते है।
कैसे पहुचाता है नुकसान ? :
कई सालों तक पौलीविनायल क्लोराइड (पी.वी.सी.) प्लास्टिक को स्वास्थ्य की दृष्टि से निरापद समझा जाता रहा, लेकिन बाद में पाया गया कि यह पी.वी.सी. से एक प्रकार का विषैला पदार्थ क्षरण करता है, जो नुकसानदेह है। प्लास्टिक उद्योग के श्रमिकों का पौनीविनायल क्लोराइड नामक पदार्थ से संपर्क होने पर उनमें कई प्रकार के श्वास रोग पाए गए है । अन्य प्लास्टिकों के दुष्परिणाम स्वरूप कैंसर रोग भी हो जाता है।
नेत्र शल्य विशेषज्ञ डा. एच डी. दस्तुर के अनुसार नेत्र रोगों में एक्राइलिक निर्मित लैंस का प्रतिरोपण निरापद नहीं है, क्योंकि इसके प्रयोग से आंखों में उत्तेजना और सूजन की तकलीफ पैदा हो जाती है। बरसात में पहने जाने वाले प्लास्टिक के जूते, चप्पलों का प्रयोग कई लोग गर्मियों के दिनो में भी करते रहते हैं। इससे तलों की त्वचा में खुजली और जलन की तकलीफ हो जाती है। लंबे समय तक इनका किया गया उपयोग तलों में सफेद दाग भी पैदा कर सकता है।
प्लास्टिक के दुष्प्रभावों से कैसे बचें ? :
- आज आवश्यकता इस बात की है कि हम प्लास्टिक के अंधाधुंध प्रयोग से बचें।
- खाने पीने की चीजों और दवाओं के संग्रह में प्लास्टिक निर्मित डिब्बों, बोतलों और कोनों का इस्तेमाल न करें। इनके स्थान पर कांच, स्टील आदि के निर्मित डिब्बे, बर्तन व बोतलों का अधिक प्रयोग करें।