प्रसव में देरी के कारण और उपचार – Prasav me Deri ke Karan aur Upchar

प्रसव में देरी के कारण :

प्रसव का उचित समय 9 महीने होने पर भी प्रसव में विलम्ब निम्नलिखित कारणों से हो सकता है-

  • पहला : ठंडी हवा लगने अथवा सर्दी के कारण गर्भाशय का मुंह सिकुड़ जाना।
  • दूसरा : प्रकृति और हवा की गर्मी।
  • तीसरा : गर्भवती स्त्री का मोटा होना।
  • चौथा : गर्भस्थ शिशु के शरीर की ऊपरी झिल्ली का अधिक मोटा होना।

विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों से प्रसव में देरी का इलाज :

1. शहद : स्त्री को गुनगुने गर्म पानी के टब में बैठायें और शहद में भिगोये हुए कपडे़ को योनि में रखने से सर्दी का असर दूर हो जाता है और प्रसव हो जाता है।

2. बनफ्शा : बनफ्शा का तेल, लाल चंदन और गुलाब को गर्भवती स्त्री की पीठ तथा पेट पर मलें और उसे ऐसी जगह पर रखें जहां गर्मी और सर्दी न हो। इससे गर्मी का प्रभाव दूर होता है तथा प्रसव जल्दी हो जाएगा।

3. बाबूना : बाबूना, सोया तथा दोनों प्रकार का मरुआ- इन्हें पर्याप्त पानी में औटायें तथा उस पानी में गर्भवती को इस तरह से बैठायें कि पानी उसकी नाभि तक रहे। इससे प्रसव में मोटापे की रुकावट दूर हो जाती है।

4. दूध : 125 मिलीलीटर गाय के दूध को 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर पिलाने से प्रसव यानी डिलिवरी जल्द हो जाता है।

5. गूलर : डिलिवरी में देरी हो तो गूलर की छाल को कूटकर पानी में डालकर अच्छी तरह से उबालकर रोगी को पिलाना चाहिए।

6. अमलतास : बच्चा पैदा होने में यदि बहुत अधिक कष्ट हो रहा हो तो अमलतास 10 ग्राम को पानी में गर्मकर थोड़ी सी चीनी मिलाकर पीने से बच्चे का जन्म आसानी से हो जाता है।

7. कॉफी : देर से प्रसव होने से बेचैनी, उत्तेजित महिलाओं को तेज काफी देने से लाभ होता है।

8. मेथी : मेथी को अन्य चीजों के साथ मिलाकर खाने से गर्भाशय शुद्ध होता है। भूख लगती है। दस्त साफ आता है और प्रसव काल में देरी होने पर स्त्री को आराम देती है।

9. नीम :

  • प्रजनन के बाद रुके हुए दूषित खून को निकालने के लिये नीम की छाल के काढ़े को 10-20 मिलीलीटर की मात्रा में 6 दिन तक सुबह और शाम को पिलाना चाहिए।
  • प्रसूता स्त्री (बच्चे को जन्म देनी वाली माता) को नीम की 6 ग्राम छाल को पानी के साथ पीसकर 20 ग्राम घी को मिलाकर, कांजी के साथ पिलाने से सूतिका रोग में आराम मिलता है।

नोट: गर्भस्थ शिशु के शरीर की ऊपर की झिल्ली मोटी हो तो किसी चतुर दाई अथवा कुशल चिकित्सक की सहायता लेनी चाहिए।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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