सर्प भय-निवारण का उपाय
जिन्हें साँपों-नागों का भय हो या जिनके घर के आसपास बार-बार ये निकलते हों, उनके लिए सर्प एवं नाग भय-निवारणार्थ एक उपाय दिया जा रहा हैः
जरत्कारुर्जगद्गौरी मनसा सिद्धयोगिनी ।
वैष्णवी नागभगिनी शैवी नागेश्वरी तथा ।।
जरत्कारुप्रियाऽऽस्तीकमाता विषहरीति च।
महाज्ञानयुता चैव सा देवी विश्वपूजिता ।।
द्वादशैतानि नामानि पूजाकाले तु यः पठेत्।
तस्य नागभयं नास्ति तस्य वंशोद्भवस्य च।।
‘जो पुरुष पूजा के समय विश्वपूजिता मनसा देवी के जरत्कारु, जगद्गौरी, मनसा,सिद्धयोगिनी, वैष्णवी, नागभगिनी, शैवी,नागेश्वरी, जरत्कारुप्रिया, आस्तीकमाता,विषहरी और महाज्ञानयुता – इन बारह नामों का पाठ करता है, उसे तथा उसके वंशज को सर्प या नाग का भय नहीं रहता । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंड : ४५.१५-१७)
जिस शयन कक्ष में नागों का भय हो, जिस भवन में बहुत संख्या में नाग भरे हों, नागों से युक्त होने के कारण जो स्थान अति भयानक बन गया हो तथा जो स्थान नागों से वेष्टित (घिरा हुआ) हो, वहाँ भी पुरुष उपरोक्त स्तोत्र का पाठ करके नागभय से मुक्त हो जाता है इसमें कोई संशय नहीं है । जो नित्य इसका पाठ करता है, उसे देखकर नाग भाग जाते हैं । जिसने इस स्तोत्र को सिद्ध कर लिया है, उस पर विष का प्रभाव नहीं पडता । वह नागों को भूषण के रूप में शरीर पर धारण करने में भी समर्थ हो सकता है।
श्रोत – ऋषि प्रसाद मासिक पत्रिका (Sant Shri Asaram Bapu ji Ashram)
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