सदमा (शॉक) के कारण, लक्षण और उपचार

Last Updated on April 4, 2022 by admin

सदमा या शॉक लगना क्या है ? :

चिकित्सीय भाषा में सदमा शब्द का प्रयोग कई भिन्न-भिन्न और असंबंधित दशाओं को बताने के लिए किया जाता है, जिनका प्रभाव मन एवं शरीर पर पड़ता है। आपात राहत कार्यों के दौरान प्राथमिक उपचार कर्ताओं को ऐसी अनेक प्रकार की घटनाओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें सदमे की स्थिति उपस्थित रहती है। ऐसे में उन विविध परिस्थितियों के आधार पर उपचार करना चाहिए, जिनसे पीड़ित संबंधित है। सदमे की स्थिति के साथ लगभग हर गंभीर चोट जुड़ी होती है।

सदमे के प्रकार (Sadma ke Prakar)

सदमे दो प्रकार के होते हैं –

  1. प्राथमिक सदमा, (जिसे स्नायु सदमा भी कहते हैं) जो कई मामलों से जुड़ा होता है और जिसका आसानी से इलाज किया जा सकता है।
  2. द्वितीयक सदमा, (जिसे ‘सच्चा सदमा’ भी कहा जाता है) जो प्राथमिक सदमे से जुड़ा होता है।

द्वितीयक सदमा इलाज में देरी होने की स्थिति में खतरनाक भी हो सकता है और पीड़ित की मौत भी हो सकती है।

सदमे के कारण (Sadma Lagne ke Karan)

(a) प्राथमिक या स्नायु सदमे के कारण –

  • भय, कष्ट या बुरी खबर इसके कारण होते हैं।
  • इस सदमे के लिए गंभीर चोट लगना लाजमी नहीं होता।

(b) द्वितीयक या सच्चे सदमे के कारण और परिणाम –

  • अत्यधिक रक्तस्राव (दुर्घटनाओं के कारण)।
  • सदमा रक्त हानि के कारण पहुँचता है।
  • रक्तस्राव में बढ़ोतरी या विलंबित हो सकता है।
  • धमनी या नसों से रक्त के बाहर आने से रक्तस्राव बाहर दिखाई पड़ सकता है या सीने या उदरीय छिद्र में आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है।
  • ज्यादा तेज रक्त हानि से सदमे की सघनता बढ़ जाती है, जो प्रारंभिक स्थिति में साधारण हो सकती है, लेकिन बाद में यह घातक हो सकती है।
  • अत्यधिक जलने के कारण जब आधे से अधिक त्वचा की सतह प्रभावित होती है।
  • हृदय गति का रुकना, रक्त आपूर्ति अवरोधित होने के कारण होता है।
  • अत्यधिक उल्टी व अतिसार से पानी की कमी हो जाती है।
  • जब आँतों में अवरोध हो तो उदरीय कष्ट शुरू हो जाते हैं।
  • भवन इत्यादि ढहने के कारण कुचलने की चोटों की वजह से।
  • नंगे विद्युत तार के संपर्क में आने के कारण।

सदमे के चिह्न व लक्षण (Sadma ke Lakshan)

  1. धीमी नब्ज।
  2. चेहरे और हाथ-पैरों का पीलापन।
  3. मितली आना।
  4. नम और पसीना युक्त त्वचा।
  5. प्यास लगना।
  6. आधी खुली हुई पुतलियाँ।
  7. धुंधलापन छा जाना।
  8. दिमाग का कुंदपन।
  9. अचेतावस्था या कोमा की स्थिति।

सदमे का प्राथमिक उपचार (Sadma ka prathmik upchar)

सामान्यतया अत्यधिक रक्तस्राव के सभी मामलों में सदमे की स्थिति आ जाती है, इसलिए प्राथमिक उपचार कर्ता को याद रखना चाहिए कि यथा संभव सीमा तक सदमे को रोकना, बाद में सदमे का इलाज करने से ज्यादा सरल होता है।

  • प्राथमिक उपचार विधि के अनुसार रक्तस्राव रोक दें।
  • तंग वस्त्रों को ढीला कर दें, लेकिन उन्हें हटाएँ नहीं।
  • तरल पदार्थ (पानी, इत्यादि) पीड़ित को अचेतावस्था में मुँह से नहीं पिलाया जाना चाहिए।
  • उसे उसकी स्वयं की चोटों को न देखने दें।
  • यदि पीड़ित सचेत हो तो उसे आश्वस्त करें।
  • पीड़ित को इस तरह लिटा देना चाहिए कि उसके सिर का स्तर उसके शेष शरीर से नीचे हो। (यदि सीने की चोट हो तो, उसके सिर और कंधे उठी हुई स्थिति में तकिए के सहारे रखने चाहिए, ताकि वह आसानी से साँस ले सके।
  • कंबल से ढककर पीड़ित को गरम रखें।
  • प्राथमिकता के आधार पर पीड़ित को निकटतम चिकित्सालय ले जाने की व्यवस्था करनी चाहिए।

नोट : उपर्युक्त वर्णित सदमे के चिन्ह व लक्षण और प्राथमिक चिकित्सा सदमे के प्राथमिक एवं द्वितीयक प्रकार से संबंधित हैं तथा प्राथमिक उपचार कर्ता को चाहिए कि वह पीड़ित का उपचार उस समय की परिस्थितियों के आधार पर करे।

विभिन्न औषधियों से सदमा का ईलाज (Sadma ka ilaj)

1. जटामांसी : लगभग आधे से एक ग्राम जटामांसी के चूर्ण को शहद के साथ रोगी को खिलाने से मानसिक आघात अथवा किसी भी तरह के सदमे में बहुत लाभ मिलता है।

2. नारियल : किसी व्यक्ति के अन्दर कमजोरी आने के कारण बार-बार उसे सदमे आते हों तो उसे नियमित रूप से एक-एक कप नारियल का दूध सुबह-शाम पिलाना चाहिए। इससे सदमे का बार-बार आना बन्द होता है और कमजोरी दूर होती है।

3. अश्वगंधा : लगभग 3-6 ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण को सुबह-शाम घी व चीनी मिले दूध के साथ खाने से स्नायविक कमजोरी के कारण बार-बार आने वाले सदमा खत्म होता है।

4. चना : 20 ग्राम काले चने और 25 किशमिश को ठंडे पानी में शाम को भिगोकर रख दें और सुबह उठकर खाली पेट खाने से सदमा आना बन्द होता है।

5. शंखपुष्पी : शंखपुष्पी, ब्राह्मी और बच को बराबर मात्रा में लेकर ब्राह्मी के रस में 3 भावना देकर सुखाकर चूर्ण बनाकर रख लें। यह चूर्ण आधे से एक ग्राम सुबह-शाम घी और शहद के साथ खाने से सदमा में आराम मिलता है।

6. चुकंदर : चुकंदर और एलवा बेर को पानी में पीसकर पानी में मिलाकर छानकर रोगी की नाक में 2-4 बून्द डालने से सदमा में आराम मिलता है।

7. सिंगी : खून जमने के कारण हुए सदमे में सिंगी लगवाने से गन्दा खून शरीर से निकल जाता है और सदमा ठीक होता है।

8. फिटकरी : घाव के कारण सदमे में पड़े रोगी के घाव पर फिटकरी को भूनकर लगाने से लाभ मिलता है।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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