साहस और उत्साह जगाने वाली काव्य पंक्तियाँ !

Last Updated on July 22, 2019 by admin

❈ बुझ जाये शमा तो जल सकती है,
कश्ती हदे तूफां से निकल सकती है।
मायूस न हो इरादे न बदल,
तकदीर किसी वक्त बदल सकती है।।

❈ मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं,
स्वप्न के परदे निगाहों से हटाती हैं।
हौंसला मत हार गिर कर ओ मुसाफिर,
ठोकरें इंसान को चलना सिखाती हैं।।

❈ यह अरण्य झुरमुट जो कटि, अपनी राह बना ले,
क्रीतदास यह नहीं किसी का, जो चाहे अपना ले।
जीवन उसका नहीं युधिष्ठिर जो उससे डरते हैं,
वह उसका जो चरण रोप निर्भय हो आगे बढ़ते हैं।।

-रामधारी सिहँ ‘दिनकर’

❈ जब तक न बेचैनी से उठे जाग,
जब तक न कुछ करने की लग जाए आग।
उकसाये कोई लाख बार पर बुजदिल में हुंकार नहीं कोई होगी।
जब तक न लहरता स्वाभिमान का रक्त बहे,
जब तक न आत्मसम्मान जाग कर मुक्त बहे।
ठुकराए कोई लाख बार पर बुजदिल में ललकार नहीं कोई होगी।।

-सोहन लाल विवेदी

❈ काट लेना हर कठिन मंजिल का कोई मुश्किल नहीं,
बस जरा इंसान में चलने की हिम्मत चाहिए।

❈ सबै भूमि गोपाल की जामे अटक कहाँ,
जाके मन में अटक है, सो ही अटक रहा।

❈ आंधियां चाहे उठाओ, बिजलियाँ चाहे गिराओ ।
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।
आदमी हर कैद से बाहर निकल कर ही रहेगा।।

❈ जान लो कि मृत्यु है, न मृत्यु से डरो कभी,
मरो परंतु यों मरों कि याद जो करें सभी।
मरा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए,
मनुष्य है वही कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

-मैथिलीशरण गुप्त

❈ मृत्यू एक सरिता है।
जिसमें श्रम से कातर जीव नहा कर करता है
नव-जीवन धारण।

-मैथिलीशरण गुप्त

❈ संशयात्मा विनश्यति |
जो संशय करता है, वह नष्ट हो जाता है।

❈ उत्साहो परम बलम्।’
(उत्साह सबसे बड़ी शक्ति या बल है।)

❈ ‘कायर तो जीवत मरत दिन में बार हजार (कायर या डरपोक आदमी दिन में हजार बार मरता है।)

❈ ‘हिम्मते मर्दा मददे खुदा।’
(जो हिम्मत करता है उसे भगवान भी सहायता करता है।)

❈ धर्मराज, संन्यास खोजना कायरता है मन की, है।
सच्चा मनुजत्व
ग्रंथियां सुलझाना जीवन की।

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