Last Updated on February 7, 2022 by admin
आजकल वातावरण में दिन ब दिन कई कारणों से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। वाहनों से निकलने वाला धुआं, उड़ती हुई धूल और ट्रेफिक के शोर से उत्पन्न होने वाले ध्वनि प्रदूषण के साथ ही तथाकथित आधुनिक परिवारों, होटलों और क्लबों में डेक पर बजने वाले पाप म्यूजिक की कान फाडू चीखें और तेज़ आवाज़ किसी के भी सिर में दर्द पैदा कर सकती हैं।
सरदर्द के सामान्य कारण :
- रात को देर कर जागने और सुबह देर तक सोये रहने से शरीर में जो गर्मी बढ़ती है और यह गर्मी सिर तक पहुंच जाती है जिससे सिर दर्द होने लगता है।
- लम्बे समय तक क़ब्ज़ बना रहे तो वात और पित्त का प्रकोप होने लगता है और सिर दर्द होने का, खासकर माइग्रेन का, मुख्य कारण होता है।
- कभी कोई जटिल समस्या न सुलझ सके तो सिर दर्द हो जाता है
- कभी कभी किसी व्यक्ति का व्यवहार भी ऐसा होता है कि सिर दर्द का कारण बन जाता है,
यहां तक कि कुछ नाजुकमिजाज़ कहिए या करम-आलसी लोग कह लीजिए, उनको अगर सिर दर्द दूर करने की चिकित्सा और उपाय बताएं तो वे इसे भी एक सिर दर्द मानते हैं। एक शायर सिर दर्द से परेशान रहते थे। कई बार तो उनको इसी कारण से सिर दर्द होने लगता था कि ग़ज़ल के शैर का, मुनासिब क़ाफ़िया नहीं मिलता या क़ाफ़िया मिल गया तो माकूल रदीफ़ मिलना मुश्किल हो जाता और इसके लिए माथा पच्ची करते करते सिर दर्द होने लगता था । किसी दोस्त की सलाह पर वे दोस्त के साथ एक प्रतिष्ठित और बुजुर्ग हकीम साहब के दवाखाने में इलाज के लिए गये।
हकीम साहब ने नाड़ी देखी और बोले- गर्मी के आरिज़ह की वजह से सिर दर्द हो रहा है, सिर पर गर्मी का असर है लिहाज़ा मैं एक हिकमत बता देता हूं। नहाने से पहले आप चंदन घिस कर सिर व पूरे ज़िस्म पर लेप करें और 15-20 मिनिट बाद स्नान कर लें। इन्शाल्लाह, जल्द ही इस बला से छुटकारा मिल जाएगा । हकीम साहब की हिकमत सुन कर शायर ने हकीम साहब से तो ‘जी बहुत बेहतर, शुक्रिया’ कहा लेकिन दवाखाने से बाहर आ कर अपने दोस्त से बोले- हकीम साहब ने जो तजवीज़ बताई, वह है तो ठीक पर है बड़ी मुश्किल । दोस्त बोला- अरे, इसमें क्या मुश्किल है। जवाब में शायर ने एक शैर कह कर अपनी मुश्किल बताई –
दर्दे सर के वास्ते सन्दल लगाना है मुफ़ीद
लेकिन घिसना और लगाना यह भी तो सर दर्द है
अपने पाठक-पाठिकाओं को शायर साहब की तरह मुश्किल में न डाल कर हम एक उत्तम गुणकारी आयुर्वेदिक योग का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं जिसका नाम है ‘शिर शूलहर वटी’ ।
शिर शूलहर वटी के घटक द्रव्य :
- शिर शूलादिवज्र रस – 10 ग्राम
- लघु सूतशेखर रस – 10 ग्राम
- गोदन्ती भस्म – 10 ग्राम
- कपर्दिका भस्म – 5 ग्राम
- गिलोय – 5 ग्राम
- स्वर्णमाक्षिक भस्म – ढाई ग्राम
- श्रंग भस्म – ढाई ग्राम
भावना द्रव्य –
- पथ्यादि काढ़ा – 20 ग्राम
- भृगंराज – 5 ग्राम
- मुलहठी – 5 ग्राम
- शतावरी – 5 ग्राम
- अश्वगन्धा – 5 ग्राम
- निशोथ – 5 ग्राम
- विडंग – 5 ग्राम
शिर शूलहर वटी की निर्माण विधि :
भावना वाले द्रव्यों को जौ कुट (मोटा मोटा) कूट कर एक गिलास पानी में डाल कर उबालें। जब पानी एक कप रह जाए तब उतार कर छान लें। ऊपर लिखे सभी द्रव्यों (शिरशूलादि वज्र रस से ले कर श्रंग भस्म तक) को कूट पीस कर इस भावना वाले एक कप में डाल कर खरल में डाल कर खूब घुटाई करें ताकि सभी द्रव्य ठीक से मिल कर एक जान हो जाएं। अब इसकी आधा आधा ग्राम (चार-चार रत्ती) की गोलियां बना लें और छाया में सुखा कर शीशी में भर लें।
मात्रा और सेवन विधि :
इसकी 2-2 गोली सुबह शाम चाय या पानी से लें। ज़रूरी हो तो दोपहर में भी ले सकते हैं यानी दिन में तीन बार ले सकते हैं।
शिर शूलहर वटी के लाभ :
- सिर दर्द किसी भी शारीरिक कारण से होता हो या किसी रोग के परिणाम स्वरूप होता हो या किसी विकार के कारण लक्षण के रूप में होता हो, शरीर के किसी अंग में असहनीय पीड़ा होने के प्रभाव से होता हो, ‘शिर शूलहर वटी’ के सेवन से दर्द होना बन्द हो जाता है।सिर दर्द होना बन्द हो जाए तब तक इस योग का सेवन करते रहें।
- इसके सेवन से अर्धावभेदक और सूर्यावर्त वाले सिरदर्द भी दूर हो जाते हैं।
- यदि शारीरिक कमज़ोरी, चिन्ता व तनाव का दबाव सहन न होना आदि कारणों से सिर दर्द होता है, इन कारणों से दिमाग़ कमज़ोर होने से सिर दर्द होता है तो शिर शूलहर वटी का सेवन करने से सिर दर्द जड़ से चला जाता है। यह योग इसी नाम से आयुर्वेदिक औषधि निर्माताओं द्वारा निर्मित बाज़ार में मिलता है।
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(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)