गृह प्रवेश के समय ध्यान देने योग्य बातें : Griha Pravesh ke Niyam in Hindi – Vastu Tips
- गृह प्रवेश के समय मुख्य प्रवेश द्वार को कलश, तोरण से खूब सजाएं।
- मकान निर्माण संपूर्ण होने पर ही गृह प्रवेश करें।
- आधा-अधुरे बने मकान में गृह प्रवेश करना अशुभ है।
- गृह प्रवेश सदा मुख्य द्वार से होकर किया जाना चाहिए।
- गृह प्रवेश के लिए दिन का समय बढ़िया होता है।
- गृह प्रवेश के समय गृह स्वामी को नए वस्त्र धारण करने चाहिए।
- गृह स्वामी की पत्नी की देह पर पर्याप्त आभुषण होने चाहिए।
- गृह प्रवेश सूर्य के उत्तरायण में श्रेष्ठ है।
- वास्तु पूजन माघ, फाल्गुन, बैशाख व ज्येष्ठ में सर्वोत्तम होता है।
- मार्गशीर्ष एंव कार्तिक में गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
- गृह प्रवेश के शुभ नक्षत्र – चित्रा, उत्तर, रोहिणी, मृगशिश, अनुराधा, धनिष्ठा, रेवती, रातभिषा गृह प्रवेश के लिए सर्वोत्तम हैं।
- गृह प्रवेश के पूर्व पांचजन्य शंख ब्रह्म स्थान में गाढ़कर वास्तु शांति का हवन घर के मध्य ब्रह्म स्थान पर करना चाहिए।
- नारद पुराण में बताया गया है कि वास्तु पूजन एवं ब्राह्मण भोज कराए बिना घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए।
- गृह प्रवेश के लिए शुभ माह हैं – माध, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ।
- गृह प्रवेश के लिए शुभ दिन – रविवार व मंगलवार के दिन गृह प्रवेश करना वर्जित है।
- शनिवार को गृह प्रवेश से मकान में चोरी का भय रहता है।
- यदि घर का प्रवेश द्वार पूर्व में है तो पंचमी दशमी व पर्णिमा को गृह प्रवेश करें।
- घर का मुख्य द्वार दक्षिण में होने पर प्रतिपदा, षष्ठी व एकादशी को गृह प्रवेश करना चाहिए। यह शुभ होता है।
- यदि भवन का मुख्य द्वार उत्तर में स्थित है, तो तृतीया, अष्टमी व त्रयोदशी को गृह प्रवेश करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
- अधूरे बने मकान में पूजन कराकर भी गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए
- गृह प्रवेश के समय हवन कराना बहुत जरूरी है।
- रात में पूजा करकर भी नए घर में प्रवेश नहीं करना चाहिए।
- गृह प्रवेश में लग्न का काफी महत्त्व है। इसे कभी न भूलें।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार जिस प्रकार भवन की वास्तु संरचना महत्त्वपूर्ण होती है, उसी प्रकार से महत्त्वपूर्ण होते हैं गृह प्रवेश के ग्रह-नक्षत्र।
- गृह प्रवेश ज्योतिषीय काल गणना के हिसाब से होता है।
- ज्योतिष गणना के मुताबिक स्थिर लग्न जो गृह स्वामी की राशि के 8 वें व 12 वें स्थान पर आता हों, और सूर्य, चंद्रमा आदि की राशियों का निर्णय करके जो समय निकलता हो, उसी समय प्रकृति की संपूर्ण ऊर्जा गृह स्वामी को प्राप्त होती है, अर्थात् गृह प्रवेश का यह माकुल वक्त होता है।
- वास्तु शास्त्र के मुताबिक, अधूरे मकान में गृह प्रवेश का कोई विधान नहीं है। अगर अधूरे मकान में कोई व्यक्ति गृह प्रवेश करता है, तो उसके स्वास्थ्य को खतरा लगातार बना रहता है।
- अधुरे बने मकान में रहने से योजना के मुताबिक बनाए गए मकान का अंतिम स्वरूप विकसित नहीं हो पाता है। क्योंकि आधे-अधूरे बने मकान में रहते समय गृह स्वामी अपनी त्वरित आवश्यकताओं के मुताविक उसका नक्शा बनाने लगते हैं।
- वास्तु शास्त्र यह भी कहता है कि यदि किसी अधूरे मकान में गर्भवती महिला प्रवेश करती है, तो गृह प्रवेश के समय घर के जिस भाग में अधूरापन रहता है, बच्चे (पैदा होने वाले) के शरीर के उस भाग में कुछ अधूरापन अवश्य रहेगा।
गृह प्रवेश की विधि : Griha Pravesh Vidhi in Hindi
वास्तु में गृह प्रवेश के समय की गृह स्वामी की मुद्रा, चाल, अंदाज, पैरों की गति, गृह स्वामी की पत्नी की स्थिति, वस्त्र-विन्यास, घर के दूसरे सदस्यों के अंदाज, वस्त्र चुनाव आदि कई एक बातें महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। कहने का तात्पर्य यह है कि गृह प्रवेश के समय गृह स्वामी जितना अधिक प्राकृतिक रहेगा, प्रकृति के नियमों के अनुसार आचरण करेगा, अंदाज व मुस्कान में प्राकृतिक छवि जितना अधिक बनाए रखेगा उतना ही ज्यादा मंगलमय रहेगा। गृह प्रवेश के मुहूर्त काल में ग्रहों की दशा, पंचतत्त्व आदि सारे भौगोलीय पिंड गृह स्वामी की एक-एक हरकतों पर पैनी नजर रखते हैं। अगर सब कुछ नियमतः संपन्न हुआ, तो इन सारे ग्रहों, उपग्रहों की शुभ दृष्टि का फल गृह स्वामी को मिलना तय है।
यह भी सच है कि आज के परिवेश में व्यक्ति गृह प्रवेश को वास्तु सम्यत तरीके से नहीं लेता अथवा वह वास्तु के नियमों का उतना पालन नहीं करता. जिसके परिणाम कभी सुखद नहीं होते। प्रकृति के विज्ञान वैज्ञानिक कसौटी पर भी इतना ही खरे हैं, ऐसे में वास्तु विज्ञान की उपेक्षा से कोई भी व्यक्ति सुख से नहीं रह सकता, वह मकान भुतहा बन जाता है। हालांकि गृह निर्माण में वास्तु के सिद्धांतों का पालन किया जाता है, पर गृह प्रवेश के समय वास्तु व मुहूर्त का ध्यान नहीं रखा जाता है। इस लिहाज से गृह निर्माण में जितना महत्त्व वास्तु का है, उससे कम महत्त्व गृह प्रवेश के समय का भी नहीं है। एक समझदार व ज्ञानी व्यक्ति वास्तु व गृह प्रवेश के समस्तं नियमों का पालन करके ही नए घर में जाता है व सुख से रहता है।
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