विषाक्तता के लक्षण, कारण और इलाज

Last Updated on September 22, 2021 by admin

विषाक्तता के कारण (Poisoning Causes in Hindi)

विष शरीर में निम्नलिखित मार्गों से प्रवेश कर सकता है –

  • भोजनी नली दवारा – इसमें कीटनाशक व दवाइयों के अतिरिक्त नींद लाने वाले विष शामिल हैं, जैसे – धतूरा, अफीम, संखिया आदि।
  • जलाने वाले पदार्थों में – तेजाब आदि पदार्थ शामिल हैं, जबकि तेल, पेट्रोल, पारा आदि न जलाने वाले पदार्थ हैं।
  • फेफड़ों में श्वास भाग द्वारा – विषैली गैस व धुआं आदि द्वारा भी विष का प्रवेश हो सकता है।
  • त्वचा दवारा – इसमें टीके दवारा विषैली दवाओं का प्रयोग अथवा जहरीले जानवरों के काटने पर विष शरीर में प्रवेश करता है।

विषाक्तता के लक्षण (Poisoning Symptoms in Hindi)

  • चक्कर आना, उलटी होना, जी मिचलाना, दस्त लगना, पेट में दर्द होना।
  • होंठ, मुंह, गला व आमाशय में जलन तथा दर्द, ऐसा प्राय: तेजाब या दाहक पदार्थों की विषाक्तता में होता है।
  • गहरी नींद, चक्कर आना, दम घुटना, दौरा पड़ना, मूर्छा आदि।

विष चिकित्सा के सामान्य नियम :

  1. यदि रोगी होश में है तो उलटी कराएं।
  2. यदि रोगी मर्छित हो तो पानी या अन्य कोई द्रव न पिलाएं। रोगी का सिरहाना नीचा करके उसे एक करवट लिटा दें, ताकी उल्टी हो तो बाहर निकल जाए।
  3. श्वास क्रिया धीमी हो तो कृत्रिम श्वास दें।
  4. रोगी को सोने न दें।

विषाक्तता का उपचार (PoisoningTreatment in Hindi)

विषाक्तता का इलाज कैसे किया जाता है ?

विष चिकित्सा के लिए सर्वप्रथम पेट का शोधन आवश्यक है। शोधन के लिए हलके गर्म पानी में नमक डालकर भर पेट पिलाएं, उलटी होने के बाद और पानी पिला दें। तीन-चार बार में सारा विष निकल जाएगा।

गर्म पानी के विकल्प के रूप में विशेष रूप से तेजाब या दाहक पदार्थों की विषाक्तता में भर पेट दूध पिलाएं।

कीटाणनाशक विषों के मामले में पानी या पैराफीन का तेल पिलाएं। अम्ल या दाहक पदार्थों की विषाक्तता में वमन न कराएं।

पेट का शोधन करने के पश्चात 100-150 ग्राम देसी घी गर्म करें और उसमें 15-20 काली मिर्च पीसकर मिला लें। काली मिर्च युक्त यह देसी घी रोगी को पिला दें। घी यदि गाय का हो तो उत्तम है। 3 घंटे के बाद एक मात्रा पुन: दे सकते हैं।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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