वृहत् वात चिंतामणि रस के फायदे ,घटक द्रव्य ,गुण ,उपयोग और नुकसान | Vrihat VatChintamani Ras ke Fayde aur Nuksan in Hindi

Last Updated on December 2, 2019 by admin

वृहत् वात चिंतामणि रस क्या है ? : Vrihat VatChintamani Ras in Hindi

वृहत् वात चिंतामणि रस टैबलेट के रूप में उपलब्ध एक आयुर्वेदिक दवा है। इसका उपयोग सभी प्रकार के दर्द ,नींद न आना,मस्तिष्क में गर्मी ,मुंह के छाले ,शरीर के कमज़ोर आदि व्याधियों के उपचार में किया जाता है ।

आयुर्वेद शास्त्र में वात प्रकोप के शमन करने हेतु एक से बढ़ कर एक उत्तम योग प्रस्तुत किये गयें हैं। उन्हीं योगों में से एक उत्तम योग है वृहत् वात चिंतामणि रस ।

वृहत् वात चिंतामणि रस के घटक द्रव्य : Vrihat VatChintamani Ras Ingredients in Hindi

मोती भस्म – 3 gram
स्वर्ण भस्म – 1 gram
चांदी भस्म – 2 gram
अभ्रक भस्म – 2 gram
प्रवाल भस्म – gram
लोह भस्म – 5 gram
रस सिन्दूर – 7 gram

वृहत् वात चिंतामणि रस बनाने की विधि :

सबसे पहले रस सिन्दूर (ras sindur) को खूब अच्छी तरह महीन पीस लें फिर सभी द्रव्य मिला कर ग्वारपाठे (Aloe vera) के रस में घुटाई करके 1-1 रत्ती (1 रत्ती = 0.1215 ग्राम) की गोलियां बना कर, सुखा लें और शीशी में भर लें।

उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।

सेवन विधि और मात्रा : Dosage of Vrihat VatChintamani Ras

1-1 गोली दिन में 3 या 4 बार आवश्यकता के अनुसार शहद के साथ लेना चाहिए।

वृहत् वात चिंतामणि रस के उपयोग : Vrihat VatChintamani Ras Uses in Hindi

☛ वृहत् वात चिंतामणि रस वातप्रकोप का शमन कर वातजन्य कष्टों और व्याधियों को दूर करने के अलावा और भी लाभ करता है।
☛ यह पित्त प्रधान वात विकार की उत्तम औषधि है जो तत्काल असर दिखाती है।
☛ वृहत् वात चिंतामणि रस नये और पुराने, दोनों प्रकार के रोगों पर विशेष रूप से बराबर लाभ करता है।
☛ वृहत् वात चिंतामणि रस वात प्रकोप को शान्त करने के अलावा शरीर में चुस्ती फुर्ती और शक्ति पैदा करता है।
☛ वात रोगों को नष्ट करने की क्षमता होने के कारण आयुर्वेद ने इस योग की बहुत प्रशंसा की है।
☛ नींद न आना, हिस्टीरिया और मस्तिष्क की ज्ञानवाहिनी नाड़ियों के दोष से उत्पन्न होने वाली बीमारी में वृहत् वात चिंतामणि रस के सेवन से बड़ा लाभ होता है।
☛ जब वात प्रकोप के कारण हृदय में घबराहट, बेचैनी, मस्तिष्क में गर्मी और मुंह में छाले हों तब पित्त-वर्द्धक ताम्र भस्म, मल्ल या कुचला प्रदान औषधि के सेवन से लाभ नहीं होता। ऐसी स्थिति में वृहत् वात चिंतामणि रस के सेवन से लाभ होता है।
☛ प्रसव के बाद आई कमज़ोरी को दूर करने और सूतिका रोग नष्ट करने में यह योग शीघ्र लाभ करता है।
☛ वृद्धावस्था में वात प्रकोप होने और शरीर के कमज़ोर होने पर इस योग के सेवन से स्त्री-पुरुषों को जादू की तरह लाभ होता है और शक्ति प्राप्त होती है।
☛ बैठे-बैठे दिन भर काम करने वाले व्यापारी, क्लर्क आफिस या दूकान में काम करने वाले व्यक्ति आमतौर पर कमर व पीठ के दर्द से पीड़ित रहते हैं। ऐसे पीड़ितों के लिए यह योग कमर की वातनाड़ियों पर काम करके कटिवात का शमन करता है जिससे दर्द होना बन्द हो जाता है।
वात जन्य व्याधियों के अलावा यह योग अन्य व्याधियों को भी दूर करता है।

रोग उपचार मे वृहत् वात चिंतामणि रस के फायदे : Vrihat VatChintamani Ras Benefits in Hindi

हृदय रोग में फायदेमंद वृहत् वात चिंतामणि रस का सेवन (Benefits of Vrihat VatChintamani Ras in Heart Disease in Hindi)

हृदय रोग में अर्जुन छाल का चूर्ण एक चम्मच और इस योग का सेवन करने से उत्तम लाभ होता है।

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लकवा में वृहत् वात चिंतामणि रस के प्रयोग से लाभ (Vrihat VatChintamani Ras Benefits in Paralysis in Hindi)

कठिन वात रोग जैसे पक्षाघात (लकवा), अर्दित, धनुर्वात, अपतानक आदि में भी इस योग का सेवन, रसोन सिद्ध घृत के साथ, करने से विशेष लाभ होता है।

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पुराने वात रोग में वृहत् वात चिंतामणि रस का उपयोग फायदेमंद (Vrihat VatChintamani Ras Uses to Cure Arthritis Disease in Hindi)

बहुत पुराने वात रोग के प्रभाव से जब रोगी उठने बैठने तथा चलने फिरने में कमज़ोरी का अनुभव करता है। ऐसी स्थिति में इस योग का सेवन करने शरीर के कायाकल्प होने जैसा लाभ होता है।

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रक्त की कमी दूर करे वृहत् वात चिंतामणि रस का सेवन (Vrihat VatChintamani Ras Benefits in Anemia in Hindi)

रक्त की कमी (एनीमिया) होने तथा वात नाड़ी संस्थान मे कमज़ोरी होने पर बार-बार चक्कर आना, मानसिक स्थिति बिगडना, स्मरणशक्ति कमज़ोर होना, प्रलाप करना, भूल जाने की आदत पड़ना आदि लक्षणों के पैदा होने पर इस योग का सेवन करने से थोड़े ही दिनों में लाभ हो जाता है।

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जीर्ण पक्षाघात में वृहत् वात चिंतामणि रस का उपयोग फायदेमंद (Vrihat VatChintamani Ras Uses to Cure Chronic paralysis Disease in Hindi)

शराब पीने के आदी लोगों के जीर्णवात रोग और जीर्ण पक्षाघात (पुराना लकवा) की स्थिति में अन्य औषधियों की अपेक्षा यह योग और योगेन्द्र रस विशेष लाभप्रद सिद्ध होते हैं।
इस योग में चांदी की भस्म होने से यह योग वृक्क स्थान और मस्तिष्क पर विशेष रूप से शामक कार्य करता है क्योंकि योगेन्द्र रस रक्त को शुद्ध करने तथा हृदय को बल देने की कार्यवाही करने का विशेष गुण रखता है।

वृहत् वात चिंतामणि रस पित्त प्रधान प्रकृति वालों के वात रोग में लाभकारी

ग्रीष्म ऋतु में और गर्म मुल्क के रोगियों तथा पित्त प्रधान प्रकृति वालों को वात प्रकोप होने से मस्तिष्क में पीड़ा होना, बेचैनी, उदासी, घबराहट, हाथपैरों में झुनझुनी आना और बेजान सा होना, कभी-कभी हलका दर्द होना, कमर दर्द होना, खट्टी डकारें आना, पेट में गैस (वायु) की गुड़गुड़ाहट होना, क़ब्ज़ (मलावरोध) होना, मुंह में छाले होना, पेट व छाती में जलन का अनुभव होना, मल में बहुत तीखी दुर्गन्ध होना आदि लक्षण दिखाई देने पर इस योग का सेवन करने से तुरन्त लाभ होता है ।

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नपुंसकता मिटाए वृहत् वात चिंतामणि रस का उपयोग (Vrihat VatChintamani Ras Cures Impotence in Hindi)

उपदंश के कीटाणु या सुजाक के कीटाणुओं के विष प्रकोप से वात वाहिनियों की विकृति होने से नपुंसकता आई हो तो इस योग के सेवन से नपुंसकता दूर हो जाती है।

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मानसिक श्रम वालों के लिए वृहत् वात चिंतामणि रस के इस्तेमाल से फायदा

छात्र छात्रा, वकील, अध्यापक, जज, इंजीनियर, डॉक्टर आदि तथा अन्य मानसिक श्रम करने वालों के लिए यह योग बहुत ही गुणकारी और हितकारी महौषधि है। अधिक मानसिक श्रम करने से ओज ( साइकिक इनर्जी) का क्षय होता है जिससे दिमाग़ी कमज़ोरी, चक्कर आना, याददाश्त कमज़ोर हो जाना, सिर दर्द, आलस्य, शिथिलता, बुझा-बुझा सा रहना, उदासी, हाथ पैरों में खिंचाव व दर्द होना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। इस योग के सेवन से, ये सभी लक्षण धीरे धीरे गायब हो जाते हैं, मुखमण्डल और पूरा व्यक्तित्व ओजस्वी हो जाता है, मन में उत्साह और शरीर में जोश भरा रहता है याददाश्त अच्छी हो जाती है इसलिए मानसिक श्रम के बल पर आजीविका अर्जित करने वाले स्त्री-पुरुषों के लिए यह योग अमृत के समान है। इस योग का सेवन २ चम्मच सारस्वतारिष्ट के साथ लाभ न होने तक सुबह शाम करना चाहिए।

क्यों है वृहत् वात चिंतामणि रस इतनी गुणकारी ?

इस योग का इतना उत्तम और गुणकारी होना इसके कुछ घटक द्रव्यों के कारण है।

सुवर्ण भस्म – यह सेन्द्रिय (टॉक्सिक) विषनाशक, वात केन्द्र पोषक, हृदय को बल देने वाली, रक्त को शुद्ध करने वाली और बलवीर्यवर्द्धक है।

चांदी भस्म – यह मांस पेशियों और वातवाहिनियों की विकृति को दूर करती है तथा हृदय को शक्ति देती है ।

लोह भस्म – यह रक्त को पुष्ट करने वाली तथा हिमोग्लोबिन बढ़ाने वाली है जो रक्ताणु और रक्ताभिसरण क्रिया-दोनों को बढ़ाने का परिणाम होता है।

प्रवाल और मौक्तिक भस्म – यह विषनाशक, हड्डियों को शक्ति देने वाली और पित्त प्रकोप का शमन करती है।

रस सिन्दूर – यह विषनाशक, हृदय को पुष्ट करने वाला और वात शामक होता है।

ग्वारपाठे का रस – यह आमाशय और आंतों के विष का नाश करने में सहायता करता है।

इस प्रकार, इतने विवरण से यह सिद्ध हो जाता है कि वृहत् वात चिंतामणि रस एक उत्तम और शरीर को कई प्रकार से शक्ति देने वाला और वात प्रकोप को शान्त कर समस्त वातजन्य विकारों को नष्ट कर शरीर और स्वास्थ्य की रक्षा व वृद्धि करने वाला श्रेष्ठ आयुर्वेदिक योग है। यह योग इसी नाम से बना-बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता की दुकान पर मिलता है।

वृहत् वात चिंतामणि रस के नुकसान : Vrihat VatChintamani Ras Side Effects in Hindi

1- वृहत् वात चिंतामणि रस लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
2- वृहत् वात चिंतामणि रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।

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