Last Updated on July 24, 2019 by admin
हिन्दू धर्म के बिना भारत का कोई अस्तित्व नहीं है। हिन्दू धर्म वह भूमि है जिसमे भारत की जड़े गहरी जमी हुई हैं और यदि इस भूमि से इसे उखाड़ा गया तो भारत वैसे ही सूख जायेगा जैसे कोई वृक्ष भूमि से उखाड़ने पर सूख जाता है। भारत में अनेक मत,संप्रदाय और वंशों के लोग पनप रहे हैं,किन्तु उनमे से कोई भी न तो भारत के अतीत के उषा काल में था, न उनमे कोई राष्ट्र के रूप में उसके स्थायित्व के लिए अनिवार्यत: आवयशक है।
यदि आप हिन्दू धर्म छोड़ते है तो आप अपनी भारत माता के ह्रदय में छुरा घोंपते हैं।यदि भारत माता के जीवन-रक्त स्वरुप हिन्दू धर्म निकल जाता है तो माता गत-प्राण हो जाएगी। आर्य जाती की यह माता ,यह पद्भ्रष्ट जगत -सम्राज्ञी पहले ही आहत क्षत-विक्षत ,विजित और अवनत हुई है। किन्तु हिन्दू धर्म उसे जीवित रखे हुए है,अन्यथा उसकी गर्णा म्रतों में हुई होती।
यदि आप अपने भविष्य को मूल्यवान समझते हैं, अपनी मात्रभूमि से प्रेम करते हैं,तो अपने प्राचीन धर्म की अपनी पकड़ को छोडिये नहीं,उस निष्ठां से अलग मत होइए जिस पर भारत के प्राण निर्भर हैं। हिन्दू धर्म के अतिरिक्त अन्य किसी मत की रक्त -वाहिनिया ऐसी स्वर्ण सी ,ऐसी अमूल्य नहीं हैं,जिनमे आध्यात्मिक जीवन का रक्त प्रवाहित किया जा सके।
परन्तु एक धोखा है —
— एक वास्तविक और भारी धोखा — कि भारत से कभी हिन्दू धर्म का लोप न हो जाए ,
नए -पुराने के झगडे में कहीं हिन्दू धर्म ही नष्ट न हो जाए। यदि हिन्दू ही हिन्दू धर्म को न बचा सके तो और कोन बचाएगा ? यदि भारत की संतान अपने धर्म पर अडिग नहीं रही तो कोन उस धर्म की रक्षा करेगा ?भारत और हिन्दू धर्म एक रूप हैं। मै यह कार्य भार आप को दे रही हूँ,कि हिन्दू धर्म के प्रति निष्ठावान रहो,वही आपका सच्चा जीवन है। कोई भ्रष्ट मत या विकृत धर्म अपने कलंकित हाथों से आपको सोंपी गयी इस पवित्र धरोहर को स्पर्श न कर सके।
(हिंदू जीवनादर्श पेज ..135-136)