फोड़े-फुंसी के देशी 19 घरेलू इलाज | Fode Funsi ka Gharelu Upchar in Hindi

Last Updated on February 23, 2020 by admin

रोग के लक्षण :

फोड़े-फुंसी को सभी लोग आसानी से पहचान जाते हैं। इनमें पहले तो दर्द होता है और फिर धीरे-धीरे इनके मुंह निकल आते हैं जिनमें से खून निकलता है। इनके पकने पर मवाद निकलने लगता है। इन फुंसियों में दर्द और जलन भी होती रहती है।

फोड़े-फुंसी होने पर भोजन और परहेज:

  • फोड़े-फुंसियां होने पर रोजाना सुबह उठते ही 2 चम्मच नीम का पानी पीना चाहिए।
  • रोगी को भोजन में देशी घी की जगह मक्खन का प्रयोग करना चाहिए।
  • खाने में ज्यादा गर्म चीजें, मिर्च-मसाले, तेल, खट्टी चीजें, सूखे या ज्यादा मीठी चीजें नहीं खानी चाहिए।
  • फो़ड़े-फुंसियों के ऊपर धूल नहीं जमने देना चाहिए। उनके ऊपर पट्टी बांध लें या शरीर के उस भाग को कपड़े से ढककर रखें।

फोड़े-फुंसी के घरेलू उपचार : Fode Funsi ka Ilaj in Hindi

प्रथम प्रयोग :  अरण्डी के बीजों की गिरी को पीसकर उसकी पुल्टिस बाँधने से अथवा आम की गुठली या नीम या अनार के पत्तों को पानी में पीसकर लगाने से फोड़े-फुन्सी में लाभ होता है।

दूसरा प्रयोग : एक चुटकी कालेजीरे को मक्खन के साथ निगलने से या 1 से 3 ग्राम त्रिफला चूर्ण का सेवन करने से तथा त्रिफला के पानी से घाव धोने से लाभ होता है।

तीसरा प्रयोग : सुहागे को पीसकर लगाने से रक्त बहना तुरंत बंद होता है तथा घाव शीघ्र भरता है।

फोड़े से मवाद बहने पर करें यह घरेलू उपाय :

पहला प्रयोग : अरण्डी के तेल में आम के पत्तों की राख मिलाकर लगाने से लाभ होता है।

दूसरा प्रयोग : थूहर के पत्तों पर अरण्डी का तेल लगाकर गर्म करके फोड़े पर उल्टा लगायें। इससे सब मवाद निकल जायेगा। घाव को भरने के लिए दो-तीन दिन सीधा लगायें।

पीठ का फोड़ा : गेहूँ के आटे में नमक तथा पानी डालकर गर्म करके पुल्टिस बनाकर लगाने से फोड़ा पककर फूट जाता है।

फोड़े-फुंसी का आयुर्वेदिक इलाज : Fode Funsi ka Ayurvedic ilaj in Hindi

1. दही: अगर फोड़े में सूजन, दर्द और जलन आदि हो तो उस पर पानी निकाले हुए दही को लगाकर पट्टी बांध देते हैं। एक दिन में 3 बार इस पट्टी को बदलने से लाभ होता है।

2. राई: राई का लेप सदा ठंडे पानी में बनायें। राई का लेप सीधे त्वचा पर न लगाये इसका लेप लगाने से पहले त्वचा पर घी या तेल लगा लें क्योंकि इसका लेप सीधे लगाने से फोड़े-फुंसी आदि होने का डर रहता है। राई को ताजे पानी के साथ बारीक पीसकर लेप बनाकर साफ मलमल के कपड़े पर पतला-पतला लेप करके इस कपड़े को रोगी के फोड़े-फुंसी से पीड़ित अंग पर रख दें।
3. मसूर की दाल :

  • मसूर के आटे की पुल्टिश (पोटली) लगाने से फोड़े शीघ्र ही फूट जाते है और उसकी मवाद सूख जाती है।
  • मसूर की दाल को पीसकर उसकी पुल्टिस (पोटली) को फोड़ों पर बांधने से फोड़े ठीक हो जाते हैं।

4. मिट्टी:

  • सूजन, फोड़ा, उंगुली की विषहरी हो (उंगुली में जहर चढ़ने पर), तो गीली मिट्टी का लेप हर आधे घण्टे तक करते रहने से लाभ होता है।
  • फोड़ा बड़ा तथा कठोर हो, फूट न रहा हो तो उस पर गीली मिट्टी का लेप करें। इससे फोड़ा फूटकर मवाद बाहर आ जाती है। बाद में गीली मिट्टी की पट्टी बांधते रहें। मिट्टी की पट्टी या लेप फोड़ों को बाहर खींच निकालता है।
  • शरीर पर अगर फोड़े-फुंसी निकल रहे हों और फूट नहीं रहे हों तो उन पर काली मिट्टी का लेप करना चाहिए।

5. जमालगोटा: जमालगोटा और एरण्ड के बीज को बराबर की मात्रा में पीसकर पानी में मिलाकर पानी में मिलाकर लेप बनाकर फोड़े-फुंसियों में लगाना चाहिए।

6. चन्दन: चन्दन को पानी में घिसकर लगाने से फोडे़-फुन्सी और घाव नष्ट हो जाते हैं।

7.ग्वारपाठा:

  • ग्वारपाठा का गूदा गर्म करके बांधने से या तो फोड़ा बैठ जाता है या फिर पककर फूट जाता है। फोड़े-फुंसी फूटने के बाद गूदे में हल्दी मिलाकर लगाने से घाव शीघ्र ही भर जाता है।
  • ग्वारपाठे का गूदा निकालकर गर्म करके उसमें 2 चुटकी हल्दी मिला लें। फिर इसको फोड़े पर लगाकर ऊपर से पट्टी बांध दें। थोड़े ही समय में फोड़ा पककर फूट जायेगा और उसका मवाद बाहर निकल जायेगा। मवाद निकलने के बाद फोड़ा जल्दी ही ठीक हो जाता है।

8. अजवाइन:

  • नींबू के रस में अजवाइन को पीसकर फोड़ों पर लेप करना चाहिए।
  • सूजन आने पर अजवाइन को पीसकर उसमें थोड़ा-सा नींबू निचोड़कर फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।

9. प्याज:

  • प्याज को कूटकर पीस लें। फिर उसमें हल्दी, गेंहू का आटा, पानी और शुद्ध घी मिलाकर थोड़ी देर आग पर रखकर पकाकर पोटली बनाकर फोड़े पर बांधने से फोड़ा फूट जाता है और आराम मिलता है।
  • फोड़े, गांठ, मुंहासे, नारू, कंठमाला (गले की गिल्टी) आदि रोगों पर प्याज को घी में तलकर बांधने से या प्याज के रस को लगाने से लाभ पहुंचता है।
  • प्याज को पीसकर उसकी पोटली बनाकर फोड़े पर बांधने से फोड़ा फूट जाता है और उसकी मवाद निकलने के बाद फोड़ा सूख जाता है।

10. पुनर्नवा: लगभग 5 ग्राम श्वेत पुनर्ववा की जड़ को 500 मिलीलीटर पानी में पकाकर चौथाई काढ़ा बचने के बाद उस काढ़े को 20 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम पीने से आधे पके हुए फोड़े समाप्त हो जाते हैं।

11. शीशम: शीशम के पत्तों का 50 से 100 मिलीलीटर काढ़ा सुबह-शाम पीने से फोड़े-फुन्सी नष्ट हो जाते हैं। कोढ़ होने पर इसके पत्तों का काढ़ा रोगी को पिलाना लाभकारी रहता है।

12. पीपल:

  • पीपल के कोमल पत्ते को घी लगाकर गर्म करके फुंसी-फोड़े पर बांधने से लाभ होता है।
  • पीपल की छाल को पानी में घिसकर फोड़े-फुंसियों पर लगाने से लाभ होता है।
  • फोड़ों को पकाने के लिए पीपल की छाल की पुल्टिश (पोटली) बनाकर फोड़े पर बांधने से लाभ मिलता है।
  • पीपल के पत्ते को गर्म करकें पत्ते की सीधी तरफ थोड़ा सा असली शहद या सरसों का तेल लगाकर फोड़े पर बांधने से लाभ होता है।
  • पीपल की छाल का चूर्ण जख्म पर छिड़कने से भी लाभ मिलता है।

13. नीम:

  • नीम की 6 से 10 पकी निंबौली को 2 से 3 बार पानी के साथ सेवन करने से फुन्सियां कुछ ही दिनों में समाप्त हो जाती है।
  • नीम, तुलसी और पोदीने की पत्तियों को पीसकर उसमें मुलतानी मिट्टी और चन्दन का चूर्ण मिलाकर बनें मिश्रण को चेहरे पर लगाने से चेहरे के मुंहासे समाप्त होकर त्वचा निखर जाती है।
  • नीम की पत्तियों का रस पानी में मिलाकर नहाने से खाज-खुजली नष्ट हो जाती है।
  • नीम की पत्तियों को पीसकर फोडे़-फुन्सियों पर लगाने से लाभ होता है।
  • नीम के पत्ते, छाल और निंबौली को बराबर मात्रा में पीसकर बने लेप को दिन में 3 बार लगाने से फोड़े-फुन्सी और घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं।
  • नीम की पत्तियों को गर्म करके या नीम की छाल को घिसकर फोड़े-फुन्सी और बिच्छू के काटे भाग पर लगाकर सेंकने से लाभ पहुंचता है।
  • नीम के पत्ते को पीसकर शहद के साथ मिलाकर लेप करने से फूटे हुए फोड़े जल्दी ठीक हो जाते हैं।
  • नीम के पत्ते को पीसकर दही और बेसन में मिलाकर चेहरे व दूसरे अंगों में लगाने से और कुछ देर बाद पानी से साफ कर देने से चेहरे की फुंसियां और मुंहासे समाप्त होकर त्वचा निखर उठती हैं।
  • 175 ग्राम नीम के पत्तों को बिना पानी डाले पीसकर लुगदी बना लें। तांबे के बर्तन में इसका आधा हिस्सा सरसों का तेल डालकर गर्म करें, तेल में धुंआ आने पर इसमें बनी हुई लुगदी डाल दें। लुगदी तेल में जलकर काली पड़ने पर उतारकर ठंडा कर दें। फिर इसमें कपूर और जरा-सा मोम डालकर पीस लें। इस बने लेप को लगाने से फोड़े-फुंसियों में लाभ होता है।
  • मार्च-अप्रैल के महीने में जब नीम की नयी-नयी कोंपलें (मुलायम पत्तियां) खिलती है तब 21 दिन तक युवा लोगों को नीम की ताजी 15 कोंपले (मुलायम पत्तियां) और बच्चों को 7 पत्तियां रोजाना गोली बनाकर दातुन-कुल्ला करने के बाद पानी के साथ खाने से या पीसकर लगाने से पूरे साल तक फोड़े-फुंसिया नहीं निकलती है।

विशेष: नीम की नई-नई कोंपलों को सुबह खाली पेट खाना चाहिए और उसके बाद 2 घंटे तक कुछ नहीं खाना चाहिए। इससे खून की खराबी, खुजली, त्वचा के रोग, वात (गैस), पित्त (शरीर की गर्मी) और कफ (बलगम) के रोग जड़ से खत्म हो जाते हैं। इसको लगातार खाने से मधुमेह (डायबटिज) की बीमारी भी दूर हो जाती है। इससे मलेरिया और भयंकर बुखार के पैदा होने की संभावना भी नहीं रहती पर ध्यान रखना चाहिए कि बड़ों को 15 कोंपलें (मुलायम पत्तों) और बच्चों को 7 कोपलों से ज्यादा नहीं देनी चाहिए और ज्यादा समय तक भी नहीं खाना चाहिए। नहीं तो मर्दाना शक्ति भी कमजोर हो जाती है।

(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)

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