पीपल के 41 चमत्कारी फायदे व औषधीय प्रयोग – Pipal ke Fayde in Hindi

Last Updated on October 23, 2020 by admin

करिश्माई वृक्ष पीपल

पीपल के पेड़ का धार्मिक महत्‍व तो है साथ ही आयुर्वेद में इसका खास महत्‍व है। कई बीमारियों का उपचार इस पेड़ से हो जाता है। पीपल के पत्ते मार्च के महीने में झड़ जाते हैं और गर्मी के मौसम में इसमें फल की बहार आती है, जो बारिश के मौसम में पकते हैं। पुराने पीपल के पेड़ से लाक्षा (लाख, चपड़ा) भी प्राप्त होती है। पीपल वायु में ऑक्सीजन छोड़ता है और विषैली कार्बन डाईऑक्साईड सोखता है। पीपल बहुत ठंडा होता है। पीपल के पेड़ के अनेक अलौकिक गुणों के कारण इसे हिन्दू लोग बहुत ही पवित्र मानते हैं और पूजा करते हैं। हिन्दुओं में पीपल की लकड़ियां जलाना निषेध है। पीपल के फल छोटे-छोटे होते हैं। पीपल के पेड़ को छाया के लिए देव-मन्दिरों के आस-पास और रास्तों पर लगाया जाता है। पीपल की छाया स्वास्थ्यवर्द्धक होती है।

स्वभाव : पीपल का पत्ता और छाल ठंडी होती है। बाकी भाग गर्म तासीर का होता है।

सेवन की मात्रा : पीपल की छाल और फलों का चूर्ण 1 से 3 ग्राम। लाक्षा (गोंद का) चूर्ण 1 से 2 ग्राम। छाल, पत्तों का काढ़ा 50 से 100 मिलीलीटर। पत्तों का रस 10 से 20 मिलीलीटर तक खुराक के रूप में ले सकते हैं।

पीपल के औषधीय गुण (Pipal ke Aushadhi Gun in Hindi)

  • पीपल पाचनशक्तिवर्द्धक, वीर्यवर्द्धक (धातु को बढ़ाने वाला), मधुर-रसायन, वातकफनाशक, हल्की, दस्तावर, श्वास (दमा), खांसी, बुखार, कोढ़, प्रमेह (वीर्य विकार), बवासीर, प्लीहा शूल तथा आमवात आदि रोगों में लाभकारी है।
  • यह पेशाब और मासिक-धर्म के बहने को जारी करती है, गर्भ को गिरने नहीं देती है।
  • हृदय (दिल) की बीमारियों को हटाती है।
  • कृमि (कीड़े) रोगों का नाश करती है।
  • पीपल की छाल का लेप सूजनों को मिटाता है, नासूर के लिए लाभकारी है तथा घावों को भरता है।
  • पीपल के सूखे हुए पत्तों को पानी में डालकर पीने से जी मिचलाना और उल्टी बंद हो जाती है।
  • पीपल की जड़ की छाल का प्रयोग करने से वीर्य अधिक गाढ़ा होता है और कमर को बलवान बनाता है।
  • 6 ग्राम पीपल के पेड़ की जड़ के चूर्ण को 5 कालीमिर्च के साथ बारीक पीसकर और छानकर पीने से और इसी की टिकिया बनाकर श्वेत कुष्ट (कोढ़) में लगाने से श्वेत कोढ़ दूर होता है।

आइये जाने विभिन्न रोगों के उपचार में पीपल के अचूक उपाय , Pipal Ke Achuk Upay

इसे भी पढ़े : पीपल का धार्मिक व वैज्ञानिक महत्व | Pipal ka Mahatva in Hindi

पीपल के फायदे और उपयोग (Pipal ke Fayde aur Upyog in Hindi)

pipal ke fayde aur nuksan

1) कब्ज:

  • पीपल के 5-10 फल को रोजाना खाने से कब्ज का रोग मिट जाता है।
  • पीपल के पत्ते और कोमल कोपलों का 40 मिलीलीटर काढ़ा पिलाने से विरेचन (पेट साफ करने वाला) लगता है।
  • पीपल के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर बस्ति (नली द्वारा शरीर के भीतर या बाहर जल की धारा देने वाला यंत्र) देने से मल आसानी से बाहर निकल जाता है।
  • पीपल के पेड़ का फल और नई कोपले खाने से पेट में मल का रुकना खुल जाता है।   ( और पढ़ें – कब्‍ज दूर करने के 19 असरकारक घरेलू )

2) बच्चों की बुद्धि मन्दता पर (बुद्धि की कमी): हर रविवार को पीपल के पत्ते लाकर उनकी पत्तल बनायें और उन पर गर्म-गर्म भात (चावल) परोसकर छोटे बच्चों को खिलायें। इस प्रकार 4-5 रविवार को खिलाने से बिल्कुल कुछ भी न समझने वाले बच्चे में भी समझ आ जाती है जड़ जीभ वाले और तुतलाकर बोलने वाले बच्चे पर भी यह प्रयोग करने से लाभ होता है।  ( और पढ़ें – यादशक्ति बढ़ाने के सबसे शक्तिशाली 12 प्रयोग )

3) घाव:

  • पिसी हुई पीपल की छाल का काढ़ा बनाकर उससे घाव को धोने से घाव जल्दी भर जाता है।
  • पीपल की छाल का बारीक चूर्ण घाव पर लगाने से रक्तस्राव (खून का बहना) बंद होकर घाव जल्दी भर जाता है।
  • पीपल की छाल का बारीक चूर्ण लगाने से सड़े हुए तथा न भरने वाले घाव जल्दी ठीक होकर भर जाते हैं। भगंदर और कंठमाला के रोग में भी इससे लाभ होता है।
  • फोड़े का दर्द कम करने के लिए पीपल, पुरानी खल, सहजने की छाल, रेती तथा हरड़ इन सभी को एक समान मात्रा में लेकर उसे गाय के पेशाब के साथ पीस लें। इस मिश्रण को थोड़ा गर्म करने के घाव पर लेप करने से रोगी को लाभ मिलता है।
  • पीपल की सूखी छाल को पीसकर जले हुए स्थान पर बुरकने से आग से जला हुआ घाव ठीक हो जाता है।  ( और पढ़ें –  पुराने घाव ठीक करने का रामबाण फकीरी नुस्खा )

4) पुराना घाव: पीपल की नर्म कोपलों (मुलायम पत्तों) को जलाकर कपड़े में छानकर पुराने बिगड़े हुए फोड़ों के घाव पर छिड़कने से लाभ होता है।

5) बद (गांठ): पीपल के पत्ते गर्म करके बांधने से बद बैठ जाती है।

6) सूखी खांसी:

  • पीपल के फल के फायदे – 60 ग्राम पिप्पली के फल का चूर्ण और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग सैंधव लवण (सेंधा नमक) को मिलाकर दिन में 2 बार गर्म पानी से सेवन करने से सूखी खांसी ठीक हो जाती है।
  • पिप्पली की जड़ और शुंठी को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 4 से 6 ग्राम शहद के साथ 1 से 3 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करना चाहिए। इससे सूखी खांसी में बहुत लाभ मिलता है।
  • 10 मिलीलीटर पिप्पली कल्क (लई), 40 मिलीलीटर घी, 160 मिलीलीटर बकरी के दूध को गर्म करके गाढ़ा कर लें, फिर इसे 12 से 24 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 2 बार लेने से सूखी खांसी दूर हो जाती है।
  • पीपल की लाख का चूर्ण घी और शक्कर के साथ खाने से सूखी खांसी में आराम आता है।   ( और पढ़ें – खांसी और कफ हो दूर करेंगे यह 11 रामबाण घरेलु उपचार  )

7) पुरानी खांसी में कफ के साथ खून आना: लगभग आधा ग्राम पीपल की लाख, 1 चम्मच शहद, 2 चम्मच घी और थोड़ी सी मिश्री को मिलाकर दिन में 5-6 बार रोगी को देने से खून की खांसी बंद हो जाती है।

8) बुखार:

  • पिप्पली का चूर्ण 3 ग्राम, अदरक का रस 5 मिलीलीटर । दोनों को 10 ग्राम शहद में मिलाकर दिन में 2 से 3 बार चाटने और गर्म पानी से लेने से बुखार नष्ट होता है।
  • पीपल 64 प्रहर (64 बार घोटने से चौसठ प्रहरी पीपल कहा जाता है) लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से पुराना बुखार दूर होता है।
  • पीपल के पेड़ की टहनी तोड़कर उसे चबाकर रस को चूसे और लकड़ी थूक दें। इससे मलेरिया व हर प्रकार का बुखार उतर जायेगा।
  • हल्का बुखार, सूखी खांसी और कमजोरी के रोग में घी, शहद और चीनी के साथ पीपल की लाख (लकड़ी) देनी चाहिए। यह प्रयोग श्वास (दमा) के लिए भी उपयोगी होता है।

9) बच्चों के शारीरिक दर्द पर: चुटकी भर पीपल की लाख को थोड़े से दूध में मिलाकर बच्चों को पिलाने से बच्चों के दर्द और नींद न आना दूर होता है।

10) हाथ-पैरों का फटना: पीपल के पत्तों का रस या दूध हाथ और पैरों पर लगाने से लाभ होता है।

11) प्यास अधिक लगना:

  • पीपल का चूर्ण खाकर ऊपर से पानी पीने से अधिक प्यास का लगना बंद हो जाता है।
  • प्यास अधिक लगने पर पानी पीते-पीते पेट फूल जाने पर पीपल का काढ़ा बनाकर पीने से उल्टी होकर आराम हो जाता है।
  • पीपल की छाल जलाकर पानी में डाल दें। जब राख नीचे बैठ जाये तो उस पानी को छानकर पिलाने से तेज प्यास शांत हो जाती है।
  • पीपल के ताजे छिलके का रस लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग या सूखे पत्तों का काढ़ा बनाकर रख लें। इसमें 5 से 10 ग्राम चीनी मिलाकर दिन में 3 बार लेने से प्यास का अधिक लगना बंद हो जाता है।
  • पीपल की 50-100 ग्राम छाल के धुआं रहित कोयलों को पानी में बुझाकर उस पानी को छानकर रोगी को पिलाने से वमन (उल्टी) और प्यास मिट जाती है।

12) कमजोरी (दुर्बलता): पीपल के पत्तों का मुरब्बा खाने से शरीर की कमजोरी दूर होती है।

13) सूजन: पीपल के दूध को लगाकर मालिश (मसाज) करने से सूजन कम होती है।

14) दांतों के रोग: पीपल की ताजी टहनी को दांतों से चबाकर दातुन करने से और इसकी छाल के काढ़े से गरारे करने से मुंह की दुर्गंध (बदबू) मिटेगी और दांतों का दर्द और मसूढ़ों की सूजन दूर जाएगी।

15) त्वचा (चर्म) रोग:

  • पीपल के पत्तों को पानी में उबालकर उसके काढ़े से नहाने से त्वचा के अनेक रोग दूर हो जाते हैं।
  • पीपल की कोमल कोपलें (मुलायम पत्तियां) खाने से खुजली और त्वचा पर फैलने वाले चर्मरोग (चमड़ी के रोग) दूर हो जाते हैं। इसका 40 मिलीलीटर काढ़ा बनाकर पीने से भी यही लाभ होता है।
  • 10-10 ग्राम गूलर, बेल, लाल चंदन, सफेद चंदन, पीपल, बरगद, बेंत और गेरू को लेकर एक साथ पीस लें। फिर उसे देशी घी में मिलाकर शरीर में जहां पर दाद, खुजली, फुंसिया हो वहां पर लगाने से लाभ होता है।
  • पीपल, हरड़, पुरानी खल, सरसों, सहजन की छाल और नीम की छाल को बराबर मात्रा में लेकर एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को गाय के पेशाब में मिलाकर त्वचा पर लगाने से त्वचा के सारे रोग समाप्त हो जाते हैं।

16) बांझपन (गर्भ का न ठहरना) दूर करना:

  • सूखे फलों का चूर्ण कच्चे दूध के साथ आधा चम्मच की मात्रा में, मासिक-धर्म शुरू होने के 5 दिन पहले से 2 हफ्ते तक सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से बांझपन (गर्भ का न ठहरना) दूर होगा। यदि लाभ न हो तो आप अगले महीने भी यह प्रयोग जारी कर सकते हैं।
  • 250 ग्राम पीपल के पेड़ की सूखी पिसी हुई जड़ों में 250 ग्राम बूरा मिलाकर रख लें। जिस दिन से पत्नी का मासिक-धर्म आरम्भ हो, उस दिन से इसे पति व पत्नी दोनों 4-4 चम्मच गर्म दूध के साथ 11 दिनों तक फंकी लें। जिस दिन यह मिश्रण समाप्त हो, उसी रात से 12 बजे के बाद रोजाना संभोग (स्त्री प्रंसग) करने से बांझपन की स्थिति में भी गर्भधारण की संम्भावना बढ़ जाती है।
  • पीपल के सूखे फलों के 1-2 ग्राम चूर्ण की फंकी कच्चे दूध के साथ मासिक-धर्म के शुद्ध होने के बाद 14 दिनों तक देने से बांझपन मिट जाता है।
  • पीपल वृक्ष की जटा का चूर्ण 5 ग्राम मासिकस्राव के चौथे, 5वें, 6ठें और 7वें दिन सुबह स्नान कर बछड़े वाली गाय के दूध के साथ सेवन किया जाए तो बांझपन मिटकर गर्भवती होने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
  • पीपल की डोडी कच्ची 250 ग्राम, शक्कर 250 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण तैयार कर लें। मासिक-धर्म के समाप्त होने के बाद इस चूर्ण को 10 ग्राम लेकर मिश्री और दूध के साथ सुबह-शाम देना चाहिए। इसे 10 दिनों तक लगातार सेवन करने से लाभ मिलता है।
  • छोटी पीपल, सोंठ, कालीमिर्च तथा नागकेसर तीनों को समान मात्रा में पीसकर छान लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम की मात्रा में गाय के घी में मिलाकर मासिकस्राव के चौथे दिन स्त्री को सेवन कराएं तथा रात को सहवास करें तो उसे पुत्र की प्राप्ति होती है।
  • पीपल, सोंठ, कालीमिर्च, नागकेसर को लगभग 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर बारीक चूर्ण तैयार बना लें। यह चूर्ण 7 ग्राम लेकर 250 ग्राम गाय के हल्के मीठे दूध में 1 चम्मच देशी घी मिलाकर मासिक-धर्म शुरू होने के दिन से लेकर 3 दिनों तक नियमित सेवन कराएं। इससे गर्भ ठहरता है।
  • पीपल की दाढ़ी 100 ग्राम कूटकर खांड 100 ग्राम की मात्रा में मिला दें। इसे 10-10 ग्राम की मात्रा में पति-पत्नी दोनों को सुबह के समय मासिक-धर्म खत्म होने के बाद लगभग 7 दिनों तक सेवन कराने से गर्भ ठहरता है।

17) हकलाहट (हकलापन): पीपल के पके फलों का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से हकलाहट में लाभ होगा और आवाज भी सुधर जाएगी।

18) नपुंसकता : पीपल के फल के फायदे- पीपल के फल का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार दूध के साथ सेवन करते रहने से नपुंसकता (नामर्दी) दूर होकर, बल, वीर्य तथा पौरुष बढ़ता है।

19) पेशाब में जलन: पीपल की छाल का काढ़ा आधा कप की मात्रा में दिन में 2 बार पीने से पेशाब की जलन और पेशाब के रोग में आराम मिलता है।  ( और पढ़ें – पेशाब में जलन के  28 घरेलु उपचार   )

20) पीलिया का रोग:

  • 5 ग्राम छोटी पीपल, 5 ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण, सहजन की छाल 5 ग्राम। सबको मिलाकर 2 कप पानी में पकाकर काढ़ा बनाएं। पानी जब आधा कप बचा रह जाए, तो उसे उतार व छानकर 8-10 दिनों तक यह काढ़ा पीने से पीलिया की बीमारी में आराम मिलता है।
  • पीपल के 4 नए पत्ते तथा लसोढ़े के नए 4 पत्ते दोनों की चटनी बनाकर सेवन करें।
  • 3 पीपल 3 चम्मच छाछ में भिगो दें। 24 घंटे भीगने के बाद पीपल को पीसकर जरा-सा नमक मिलाकर पानी के साथ पी जायें। रोज 1-1 पीपल की मात्रा बढ़ाते जाएं। जब 10 पीपल हो जायें तो 1-1 पीपल कम करके सेवन करने से पीलिया, यकृत, प्लीहा, पुराना बुखार, भूख कम लगना और अपच के दस्त आदि रोग ठीक हो जाते हैं।
  • पीपल के पेड़ के 3-4 पत्तों को पानी में घोलकर मिश्री के साथ खरल में खूब घोंटकर बारीक पीसकर 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर छान लें। यह शर्बत रोगी को 2-2 बार पिलायें। 3-5 दिन प्रयोग करने से लाभ होता है।   ( और पढ़ें – पीलिया के  19 आसान घरेलू उपचार  )

21) प्लीहा (तिल्ली) की सूजन: 10-20 ग्राम पीपल की छाल को जलाकर उसकी राख के बराबर मात्रा में कलमी शोरा मिलाकर लें, फिर इस चूर्ण को एक पके हुए केले पर छिड़ककर 1 केला रोज खाने से तिल्ली की सूजन मिट जाती है। इसकी छाल का 40 मिलीलीटर काढ़ा पिलाने से पित्तज और नील प्रमेह का रोग दूर होता है।

22) पोलियो: पोलियों के रोग में पीपल के 2-2 ताजे पत्तों को इतने ही लिसोढ़े के पत्तों के साथ घोट-छानकर नमक के साथ रोजाना लेने से जल्दी लाभ होता है।

23) वीर्यवर्धक (धातु में बढ़ोत्तरी):

  • पीपल के फल को पीसकर आधा चम्मच की मात्रा में 1 कप दूध के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। इससे नपुंसकता (नामर्दी) दूर होकर बल, वीर्य (धातु), पौरुष शक्ति (सेक्स पावर) बढ़ती है।
  • पीपल के फल को छाया में सुखायें और पीसकर छान लें। इस चौथाई चम्मच चूर्ण को 250 मिलीलीटर गर्म दूध में मिलाकर रोजाना पीने से वीर्य बढ़ जाता है। नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है। इसका सेवन यदि बांझ स्त्री करें तो उसे भी संतान उत्पन्न होगी। इससे मासिक-धर्म के रोग और श्वेतप्रदर ठीक होगा और पेट की कब्ज भी दूर होगी।
  • 50 ग्राम पीपल को पीसकर छान लें। फिर 1 लीटर दूध में डालकर खोया बना लें। इसे घी में भूनकर 500 ग्राम खांड मिलाकर 20-20 ग्राम सुबह दूध से लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है।

24) सांप के काटने पर:

  1. सांप के काटने पर पीपल के पत्तों का रस 2-2 चम्मच की मात्रा में रोजाना 3-4 बार रोगी को पिलायें और पीपल के पत्ते चबाने के लिए देने से जहर का प्रभाव कम होता है।
  2. जिस व्यक्ति को सर्प ने काटा हो उसे कड़वे नीम के पत्ते खिलायें। यदि पत्ते कड़वे न लगें तो समझें कि सर्प विष चढ़ा है। छः सशक्त व्यक्तियों को बुलाकर दो व्यक्ति मरीज के दो हाथ, दो व्यक्ति दो पैर एवं एक व्यक्ति पीछे बैठकर उसके सिर को पकड़े रखे। उसे सीधा सुला दें एवं इस प्रकार पकड़ें कि वह जरा भी हिल न सके।
  3. इसके बाद पीपल के हरे चमकदार 20-25 पत्तों की डाली मँगवाकर उसके दो पत्ते लें। फ़िर ‘सुपर्णा पक्षपातेन भूमिं गच्छ महाविष।’ मंत्र जपते हुए पत्तों के डंठल को दूध निकलनेवाले सिरे से धीरे-धीरे मरीज के कानों में इस प्रकार डालें कि डंठल का उँगली के तीसरे हिस्से जितना भाग ही अंदर जाय अन्यथा कान के परदे को हानि पहुँच सकती है। जैसे ही डंठल का सिरा कान में डालेंगे, वह अंदर खिंचने लगेगा व मरीज पीडा से खूब चिल्लाने लगेगा, उठकर पत्तों को निकालने की कोशिश करेगा। सशक्त व्यक्ति उसे कसकर पकड़े रहें एवं हिलने न दें। डंठल को भी कसकर पकड़े रहें, खिंचने पर ज्यादा अंदर न जानें दे।
  4. जब तक मरीज चिल्लाना बंद न कर दे तब तक दो-दो मिनट के अंतर से पत्ते बदलकर इसी प्रकार कान में डालते रहें। सारा जहर पत्तें खिंच लेंगे। धीरे-धीरे पूरा जहर उतर जायेगा तब मरीज शांत हो जायेगा। यदि डंठल डालने पर भी मरीज शांत रहे तो जहर उतर गया है ऐसा समझें।

25) अपच (खाने का न पचना):

  • छोटी पीपल के 1 ग्राम चूर्ण खाने से पहले गुड़ के साथ 2 बार लेने से अपच (भोजन का न पचना) का रोग दूर हो जाता है।
  • सोने से पहले 2 ग्राम पीपल का चूर्ण खाने से आराम मिलता है।
  • पीपरा मूल को कौडी-भस्म के साथ पीने से लाभ होता है।
  • पीपल का 1 पत्ता, 4 कलियां शीशम की और थोड़ा-सा हरा धनिया को मिलाकर 1 कप पानी में तब तक उबालें जब तक पानी आधा कप न बच जाए, फिर इसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर पीने से आराम होगा।
  • पीपल के पेड़ की कोपलों को मिट्टी के बर्तन में बंद करके जलाकर उसकी राख बना लें। इस राख को खाने से मंदाग्नि (पाचन क्रिया का मंदा होना) और अजीर्ण की बीमारी दूर होती है।

26) खांसी और जुकाम:

  • पीपल का 1 ग्राम चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार लेने से खांसी और जुकाम का रोग दूर हो जाता है।
  • 1 ग्राम पिप्पली, अदरक और कालीमिर्च के चूर्ण को मिलाकर उसमें खांड़, बूरा या शहद मिलाकर दिन में 2-3 बार रोगी को पिलाने से खांसी-जुकाम में आराम आता है।
  • कुक्कुर खांसी में पीपल की छाल का 40 मिलीलीटर काढ़ा या रस दिन में 3 बार रोगी को देने से खांसी और जुकाम में लाभ होता है।

27) पायरिया (मसूढ़ों से खून का आना): पीपल के काढ़े में शहद और घी मिलाकर सुबह उठने पर और सोने से पहले मुंह में रखने से पायरिया (मसूढ़ों से खून का आना) दूर हो जाती है।

28)चेचक : पीपल के कोमल पत्तों को गेंहूं के गीले आटे में पीसकर इसका लेप बना लें। इस लेप को चर्म सूजन (चमड़ी की सूजन) तथा विस्फोटक (चेचक के दानों) पर लगाने से लाभ होता है।

29) दस्त:

  • 1 ग्राम पीपल के चूर्ण को 1 लीटर छाछ के साथ 4 बराबर मात्राओं में हर 6-6 घंटे के बाद लेने से दस्तों में लाभ मिलता है।
  • 4 पीपल के पेड़ के पत्ते लेकर चबायें या आधा गिलास पानी में उबालकर, छानकर पानी पी जायें। इससे दस्त के रोग में लाभ होता है।
  • पीपल के पेड़ के पत्तों को चबाकर या पानी में उबालकर इसका पानी पीने से दस्त रुक जाते हैं।
  • पिप्पली 5 ग्राम, सोंठ 5 ग्राम, धनिया 5 ग्राम आदि को मिलाकर 500 ग्राम पानी में गर्म करके छानकर पीने से या थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाने से दस्त में लाभ होता है।
  • पीपल, सेंधानमक और छोटी हरड़ को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख दें, फिर इस चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ पीने से लाभ होता है।
  • पीपल के पेड़ के पत्ते को पीसकर 1 गिलास पानी में अच्छी तरह उबालकर पीने से दस्त का आना बंद हो जाता है।

30) सर्दी-बुखार (फ्लू):

  • 1 ग्राम पीपल के चूर्ण को शहद के साथ दिन में 2 बार लेने से सर्दी-जुकाम और बुखार के रोग में लाभ होगा।
  • दूध में 2 पीपल या चौथाई चम्मच सोंठ डालकर, उबालकर पीने से सर्दी-बुखार और जुकाम में आराम आता है।
  • छोटी पीपल 20 ग्राम, अतीस पांच ग्राम कूट छानकर रख लें, फिर इसमें थोड़ा-सा शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खांसी, सर्दी और जुकाम नष्ट हो जाता है।

31) बवासीर:

  • 5 पीपल के पत्तों को पीसकर गर्म पानी से फंकी लेने से बवासीर, दमा और खांसी में लाभ होता है।
  • पहले दिन 3 पीपल का फांट शहद के साथ मिला लें। अगले दिन से रोज 3 पीपल की फांट की मात्रा बढ़ाते हुए जायें। 10वें दिन 30 पीपल का फांट पीने से बवासीर के रोग में आराम मिलता है।
  • पिप्पली का चूर्ण लगभग आधा ग्राम और जीरा 1 ग्राम को सेंधानमक में मिलाकर छाछ के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से अर्श (बवासीर) नष्ट होता है।    ( और पढ़ें – बवासीर के देशी उपचार  )

32) सांस के रोग: 4 पीपल के पत्तों को पीसकर, 1 चम्मच शहद में मिलाकर सुबह और शाम चाटने से सांस के रोग ठीक हो जाते हैं।

33) जुकाम :

  • पीपल के पेड़ के 4 कोमल पत्ते मुंह में रखकर चूसकर फेंक देने से जुकाम ठीक हो जाता है।
  • 4 पीपल के पत्तों को पीसकर 1 कप पानी में उबाल लें, फिर इसमें 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
  • पीपल, पीपरामूल, चीता और सोंठ का काढ़ा बनाकर पीने से पसली का दर्द ठीक हो जाता है।
  • 5 पीपल को लेकर दूध में डालकर गर्म कर लें। फिर इसमें शक्कर डालकर रोजाना सुबह-शाम पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।
  • 1 ग्राम पीपल का चूर्ण, दालचीनी, छोटी इलायची या कालीमिर्च को दूध में डालकर पीने से जुकाम ठीक हो जाता है। जुकाम में खाली दूध पीने से काम तेज हो जाता है।
  • पीपल का काढ़ा बनाकर उसके अंदर शहद मिलाकर पीने से जुकाम का रोग ठीक हो जाता है।

34) विषम बुखार: पीपल का चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग शहद में मिलाकर सुबह और शाम चाटने से विषम बुखार में लाभ होता है।

35) दमा (श्वास) रोग:

  • पीपल की छाल और पके हुए फल के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इस चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में रोजाना 3-4 बार शहद के साथ लेने से दमा के रोग में आराम मिलता है।
  • भूख कम लगती हो, अपच (भोजन का न पचना), गैस हो, पुरानी खांसी, जुकाम, दमा (श्वास), गैस, कफ रोगों में पीपल और दूध को मिलाकर रोजाना सुबह भूखे पेट 4 सप्ताह तक सेवन करने से लाभ होता है।
  • पीपल के सूखे फलों को पीसकर 2-3 ग्राम की मात्रा में 14 दिन तक पानी के साथ सुबह और शाम देने से दमा का रोग मिट जाता है।
  • लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग से लगभग आधा ग्राम पीपल के चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम रोगी को देने से नई और पुरानी खांसी एवं स्वरभंग (गला बैठना) ठीक हो जाता है।
  • छोटी पीपल, सोंठ और आंवले को बराबर लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को लगभग 2-3 ग्राम लेकर घी और शहद के साथ खाने से श्वास की बीमारी और हिचकी आने की बीमारी दूर हो जाती है।
  • लगभग 1 ग्राम की मात्रा में छोटी पीपल का चूर्ण और लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग मोरपंख की भस्म मिलाकर शहद के साथ चाटने से बहुत तेज श्वास की बीमारी खत्म हो जाती है।
  • तमक श्वास रोग (दमा) में छोटी पीपल, मुलेठी, दामन पापड़ा (2 से 8 ग्राम) को शहद के साथ प्रतिदिन 2-3 बार सेवन करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
  • पीपल के सूखे फलों का चूर्ण लगातार 14 दिनों तक पानी के साथ लेने से श्वास की बीमारी दूर हो जाती है।
  • लगभग 2 ग्राम पीपल की छाल के चूर्ण को पानी के साथ फांकने से श्वास रोग में आराम मिलता है।
  • पीपल के ताजे पत्तों को छाया में सुखाकर कूट छानकर इसका चूर्ण तैयार कर लें। इस चूर्ण को 5-5 ग्राम की मात्रा में दूध से सुबह-शाम लेने से दमा रोग ठीक हो जाता है।
  • पीपल, कालीमिर्च, सोंठ तथा चीनी इन सभी को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। उसमें से आधा चम्मच चूर्ण सुबह, दोपहर और शाम के समय गर्म पानी से सेवन करने से श्वास सम्बंधी बीमारी ठीक हो जाती है।
  • पीपल के फलों को सुखाकर इनका चूर्ण बना लें। उसमें से 2 चुटकी चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से श्वास रोग ठीक हो जाता है।
  • पीपल तथा पोहकर की जड़ दोनों को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से 2 चुटकी चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से श्वास की बीमारी ठीक हो जाती है।
  • यदि सांस फूलती है या हल्के दमा का रोग है तो रोगी को पीपल, कालीमिर्च, सोंठ तथा चीनी को बराबर मात्रा में पीसकर दिन में 3-4 बार मुंह में रखकर चूसना चाहिए या शहद में मिलाकर खाना चाहिए। इसके अलावा घी, चावल, सिगरेट, आलू, ठंडी लस्सी, फ्रिज का पानी व उड़द की दाल का कम से कम या बिल्कुल भी प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • पीपल के फल को सुखाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम पानी या शहद के साथ 1 या 2 ग्राम लें। इससे सांस की बीमारी ठीक हो जाती है।
  • पीपल के पेड़ के नीचे पत्ते टूटकर गिर जाते हैं। इन पत्तों को साफकर छाया में सुखाकर आग में जलाकर राख तैयार कर लें, फिर इस राख को पीसकर छान लें। इसके बाद आधा-आधा चम्मच यह राख थोड़े से शहद में मिलाकर सुबह-शाम चाटने से श्वास की बीमारी ठीक हो जाती है। 1 महीने तक यह प्रयोग करने से दमा जड़ से चला जाता है।
  • कालीमिर्च 10 ग्राम, सोंठ 10 ग्राम, हरी इलायची 10 ग्राम, तेजपत्ता 10 ग्राम को एक साथ पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें 50 ग्राम गुड़ मिला लें, फिर इसकी चने के बराबर की गोलियां बनाकर सुखा लें। इसे प्रतिदिन दो-दो गोली सुबह-शाम को चूसते हैं।
  • बिना छिलका उतारे एक पके केले में चाकू से गड्ढा बना लें। उस गड्ढे में थोड़ा-सा नमक तथा कालीमिर्च का चूर्ण भरकर उसे रातभर पानी में पड़ा रहने दें। सुबह उस केले को छिलके सहित आग पर भूने तथा छीलकर खाएं इससे दमे में आराम मिलता है।
  • कालीमिर्च 2 ग्राम, पीपर 2 ग्राम, सोंठ 2 ग्राम, हरी इलायची 2 ग्राम को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 6 ग्राम गुड़ में मिलाकर चने के बराबर प्रतिदिन दिन में 2-3 बार चूसे तो इससे सभी प्रकार का श्वास फूलना, खांसी और दमे के रोग से राहत मिलती है।
  • कालीमिर्च, सोंठ, छोटी पीपल और भुना सुहागा सभी को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें, फिर इसे थोड़े पानी में डालकर लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की गोलियां बना लें। इसकी 1-1 गोली दिन में 3-4 बार खाने से श्वास और कफ दूर हो जाता है।
  • बड़ी पीपल, आक की कोपले और सेंधानमक तीनों को बराबर मात्रा में लेकर दिन में 3 बार सेवन करना चाहिए। इसे 1 महीने तक निरंतर सेवन करते रहने से दमा रोग नष्ट हो जाता है।
  • बड़ी पीपल 4 ग्राम, काकड़ासिंगी 6 ग्राम, लौंग 5 नग सभी को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए।
  • बड़ी पीपल, आक की कोपलें और सेंधानमक बराबर मात्रा में कूटपीसकर मटर के आकार की गोलियां बना लें। 10 दिनों तक इन गोलियों का सेवन करना दमा में बहुत लाभकारी है।

36) जिगर का बढ़ना:

  • 15 ग्राम पिसी हुई पीपल को 100 ग्राम शहद में मिलाकर आधा चम्मच रोजाना 2 बार मुंह में रखे या चाटें। इससे यकृत (लीवर) का बढ़ना, मलेरिया, श्वास (दमा), खांसी के साथ बुखार, गीली खांसी, अपच (भोजन का न पचना), भूख न लगना और गैस आदि में लाभ होता है।
  • 4 पीपल के पत्तों के चूर्ण को आधा चम्मच शहद में डालकर रोजाना चाटने से यकृत (जिगर) के रोग में आराम मिलता है और मोटापा भी घटता है।
  • 5 ग्राम पीपल पिसी सुबह-शाम लेने से जिगर की बीमारी से राहत मिलती है।
  • छोटी पीपल, चित्रक की छाल, शालपर्णी, गिलोय, वासा (अडू़सा) की जड़, ताल वृक्ष की जटा का क्षार, अपामार्ग का क्षार और पुराना मानकंद बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण करके गाय के मूत्र के साथ पकायें, जब यह गोली बनने योग्य हो जाये अर्थात गाढ़ी हो जाय तब उसे ठंडा कर शहद के साथ 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें। इन गोलियों का सेवन करने से यकृत में लाभ होता है।
  • छोटी पीपल को गुलाब के रस (अर्क) में पीसकर बच्चों को पिलाने से प्लीहा व यकृत की वृद्धि मिट जाती है।
  • 4-4 ग्राम छोटी पीपल, पीपरामूल, चव्य, चीता और सोंठ, इन सबको एक साथ लेकर 80 मिलीलीटर पानी में उबालें, जब 20 मिलीलीटर पानी शेष रह जाये, तब इसे उतारकर छान लें। फिर इसके बाद इस काढे़ में थोड़ा-सा जवाखार डालकर पीने से जिगर और प्लीहा का बुखार दूर हो जाता है।

37) गैस:

  • पीपल के 4 पत्ते और नीम की 2 पत्तियों को एक कप पानी में उबालें जब पानी आधा कप बच जाए, तो छानकर थोड़ा-सा सेंधानमक डालकर पीने से लाभ होता है।
  • पीपल के चूर्ण में कालानमक मिलाकर लेने से पेट में गैस नहीं बनती है।
  • 3 पीपल को पीसकर इतने ही कालेनमक में मिलाकर गर्म पानी से सुबह-शाम खाने के आधे घंटे बाद फंकी लेने से पेट की गैस बाहर निकल जायेगी।

38) बिवाइयां (एड़ियों का फट जाना) : पीपल के पेड़ के 20 पत्तों को तोड़कर पीस लें, फिर इसे 4 गिलास पानी में अच्छी तरह उबालें, जब 3 गिलास पानी शेष बचे तो इस पानी को छान लें। इसके बाद इस पानी में कपड़ा भिगोकर बिवाइयों पर सेंक करें और बाद में इसी पानी से धोयें। इससे फटी हुई एड़ियां ठीक हो जाती हैं।

39) दिल का दौरा होना (हार्ट अटैक से बचाव) : पीपल के पत्ते से हृदय रोग का इलाज- पीपल के ताजा विकसित कोमल 15 पत्ते लें, फिर हर पत्ते के ऊपर तथा नीचे का कुछ हिस्सा कैंची से काटकर फेंक दें। अब पत्तों को साफ पानी से धो लें। इन सभी 15 पत्तों को लगभग 400 मिलीलीटर पानी में डालकर धीमी आग पर उबालें। जब एक तिहाई पानी बच जाये तब उतारकर ठंडा कर लें और किसी साफ कपड़े से छानकर ठंडे साफ स्थान पर ढंककर रख दें। इस दवा की 3 खुराके बनाकर दिन में 3-3 घंटे बाद रोगी को देने से दिल के दौरे में आराम मिलेगा। इस प्रकार ताजा नई दवा बनाकर 15 दिन तक रोगी को पिलाने से लाभ मिलता है।
नोट : खुराक को लेते समय पेट बिल्कुल खाली नहीं होना चाहिए। दलिया, बिस्कुट या हल्का नाश्ता करने के थोड़ी देर बाद दवा लें।
परहेज : इस दवा के सेवनकाल में तली चीजे, मांस-मछली, अंडे, शराब आदि का सेवन और धूम्रपान न करें। नमक व चिकनाई का प्रयोग कम करें।

40) क्रिटनिन और यूरिया वृद्धि, गुर्दे फेल होने पर : नीम और पीपल की छाल को बराबर मात्रा में पीसकर अलग-अलग रख लें। दोनों में से 1-1 चम्मच मात्रा लेकर 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। उबालने पर 100 मिलीलीटर पानी बाकी रहने पर इस पानी को छानकर सुबह-शाम भूखे पेट रोजाना पीने से यूरिया व क्रिटनिन में होने वाली वृद्धि कम हो जाती है।

41) सिर का दर्द:

  • 2 या 3 छोटी पीपल के दानों को कूट पीसकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सिर दर्द के रोगी को चटाने से उसका सिर दर्द नष्ट हो जाता है।
  • पीसकर सिर पर लेप के रूप में लगाने से कफ के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
  • छोटी पीपल और बच के रस अथवा इनके काढ़े को सूंघने से सिर दर्द के साथ ही साथ आधासीसी का दर्द (माइग्रेन) दूर हो जाता है।
  • पीपल के चूर्ण को सूंघने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।
  • पीपल और सेंधानमक को एक साथ पीसकर सूंघने से त्रिदोषज (वात, कफ और पित्त) के कारण होने वाला सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
  • 1 ग्राम पीपल, 1 ग्राम कालीमिर्च, 1 ग्राम सौंठ और 1 ग्राम मुलेठी को बारीक पीसकर मक्खन में पकाकर इस मिश्रण को धीरे-धीरे सूंघने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।
  • पीपल के पेड़ के 4 कोमल पत्ते मुंह में चबाकर चूसकर फेंक देने से सिर दर्द ठीक हो जाता है।

पीपल के नुकसान (Pipal ke Nuksan in Hindi)

पीपल का अधिक मात्रा में उपयोग करने से सिर दर्द पैदा हो सकता है।

दोषों को दूर करने वाला : बबूल का गोंद और चंदन, पीपल के दोषों को दूर करते हैं।

(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

Leave a Comment

error: Alert: Content selection is disabled!!
Share to...