गाढ़े खून को पतला करने के आसान घरेलू उपाय | Blood Ko Patla Karne Ka Ayurvedic Tarika

Last Updated on May 26, 2020 by admin

रक्त को गाढ़ा होने से बचानेवाले भोज्य पदार्थ : khoon patla karne ka nuskha in hindi

पिसी मिर्च, लौंग, फल और सब्ज़ियां, लहसुन, अदरक, अंगूर, काला मशरूम, जैतून का तेल और प्याज

1-पिसी मिर्च

लाल मिर्च के दाने शक्तिशाली प्रति स्कंदक भोजन होते हैं। ये रक्त के थक्के जमने से रोकने में प्रभावशाली भूमिका निभाते हैं। यह प्रमाण थाईलैंड से आया जहाँ लोग भूख बढ़ाने और स्वाद के लिए मसाले के रूप में मिर्च के बीजों का प्रयोग करते हैं। यह इनके शरीर में दिन में कई बार पहुंचता है और रक्त के थक्के ज़माने की क्रिया को रोकता है। शोध करनेवाले वैज्ञानिक मानते हैं कि इसी के कारण श्रोम्बोएम्बोलिज्म नामक खतरनाक रक्त का थक्का जो प्राणघातक होता है, थाई लोगों में न के बराबर पाया जाता है।
इस सिद्धांत की पुष्टि के लिए शिरिराज अस्पताल बैंकाक के हीमेटोलॉजिस्ट व स्कंदन चिकित्सक सुकोन विसुधी-फान ने एक प्रयोग किया। उन्होंने चावल की सिवैयों में ताजी लाल मिर्च का इस्तेमाल प्रति 200 ग्राम सिवैयों के लिए 2 चम्मच के हिसाब से किया। इसके बाद इन सिवैयों को 16 स्वस्थ चिकित्साशास्त्र के विद्यार्थियों को खिलाया गया। अन्य 4 छात्रों को सादी सिवैयां खिलाई गई। लाल मिर्च डाली गई सिवैयों को खानेवाले लोगों के रक्त में थक्का ज़माने से रोकने वाली गतिविधियां तुरंत शुरू हो गई जो कि आधे घंटे के बाद ही सामान्य हो सके जबकि सादी सिवैयां खानेवालों के रक्त में कोई परिवर्तन नहीं आया।
इससे पता चला कि मिर्च का प्रभाव थोड़े समय के लिए ही था। जो भी हो, डा, विसुधीफान मानते हैं कि लाल मिर्च का लगातार उपयोग रक्त को थक्कों को खत्म करता है। इसी के कारण थाई लोग धमनियों में रक्त जमाव की समस्या से कम प्रभावित होते हैं।

2-लौंग

यह मसाला शक्तिशाली प्रति स्कंदक भोजन है। यह भी रक्त के खतरनाक थक्कों को दूर करता है। डेनमार्क के ओडेन्स विश्वविद्यालय के डॉ. कृष्णा श्रीवास्तव के अनुसार लौंग एस्प्रिन से अधिक ताकतवर होती है। लौंग शक्तिशाली प्रति स्कंदक भोजन है जो रक्त के खतरनाक थक्कों को दूर करता है। लौंग में यूजीनोल नामक पदार्थ होता है जो कि प्लेटलेट्स के थक्के के रूप में इकट्टे होने के बाद भी उन्हें मूल रूप में बनाए रखने में मदद करता है। डॉ. श्रीनिवास कहते हैं कि लौंग भी एस्प्रिन, लहसुन और प्याज की ही तरह प्रोस्टेग्लांडिन तन्त्र के माध्यम से काम करती है। लौंग श्रोम्बोक्सेन जो थक्का बनने में सहायता करता है, के निर्माण को घटाती है।

3-फल और सब्ज़ियां

ऐसे फल और सब्ज़ियां जिनमें विटामिन सी और रेशों की मात्रा अधिक होती है वे रक्त का थक्का जमने से रोकने में मदद करते हैं। हाल ही स्वीडन में 260 माध्यम आयु वर्ग के सदस्यों पर किए गए शोध से यह सामने आया कि ऐसे व्यक्ति जो फल और सब्ज़ियों का अधिकाधिक सेवन करते हैं उनमें रक्त के थक्कों को हटाने और रक्त को पतला करने का तन्त्र विकसित हो जाता है। इसके विपरीत जो लोग फल और सब्ज़ियां कम खाते हैं उनमें रक्त के थक्के बनने की संभावनाएं अधिक होती है। अन्य शोध यह भी बताते हैं कि फल और सब्ज़ियों में उपस्थित विटामिन सी और रेशे थक्कों को खत्म करने के प्रक्रिया में सहायता करते हैं और प्लेटलेट्स के एकत्रीकरण को रोकते हैं। शोध यह भी बताते हैं कि रक्त के थक्के जमने के लिए उत्तरदायी फाइब्रिनोजिन की मात्रा का अनुपात शाकाहारियों में अपेक्षाकृत कम होता है। यह उन लोगों के मामले में अधिक सटीक बैठता है जो जानवरों से प्राप्त किसी भी तरह के उत्पादों जैसे अंडे, दुध आदि का भी सेवन नहीं करते। इसका कारण यह बताया जाता है कि फल और सब्ज़ियों के घटक फाइब्रिनोजिन को घटाते हैं जबकि जैविक वसा और कोलेस्ट्राल इसे बढ़ाते हैं।

4- लहसुन

लहसुन एक शक्तिशाली प्रति स्कंदक भोजन है। यह हानिकारक थक्कों को बनने से रोकता है। यहाँ तक कि यदि भोजन में इसकी ज़रा सी भी मात्रा शामिल की जाए तो यह रक्त को पतला रखने में मदद करता है जिससे धमनियों में रक्त के थक्के नहीं जमते। यह खोज शोध वैज्ञानिकों ने 1970 में की थी। शोध भारत और जापान के जैन समुदाय पर किया गया था। इस समुदाय के कुछ लोग लहसुन और प्याज से पूरा परहेज़ रखते हैं, वहीं कुछ लोग इनका भरपूर सेवन करते हैं। तीसरा समूह संतुलित मात्रा में इसका सेवन करता है। इन समूहों की जीवन शैली सामान्यतः एक सी होती है जिससे शोधकर्ताओं को सहायता मिली। वे जैनी जो लहसुन और प्याज का सेवन करते हैं वे सप्ताह में लगभग 500 ग्राम प्याज और लहसुन की 17 कलियां खाते हैं। यह पाया गया कि इन लोगों के रक्त में थक्का जमाने की प्रवृत्ति अन्य दो समूहों की तुलना में कम पाई गई। साथ ही वह समूह जो प्याज और लहसुन से परहेज़ रखता था, उनके रक्त में थक्का जमाने की प्रवृत्ति सबसे अधिक पाई गई।

रक्त को पतला करनेवाली दवाइयां चिकित्सकों द्वारा अक्सर हृदयाघात या फेफड़ों में तकलीफ़ के बाद ही दी जाती है। लहसुन का उपयोग इन दवाइयों की शक्ति को बढ़ा सकता है और दवा की असंतुलित मात्रा लेने पर होने वाले अतिरिक्त प्रभावों को भी रोकता है। लहसुन के रक्त को पतला करने के गुण पर इस बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि इसे कच्चा खाया जा रहा है या पकाकर। शोधकर्ता छात्रों के एक समूह ने ऐसे 20 मरीजों पर शोध किया जिन्हें पहले से हृदय की बीमारी थी। इन्हें चार हफ़्तों तक लहसुन कच्चा या पकाकर दिया गया। इसके बाद उनके रक्त की फाइब्रिनोलाइटिक गतिविधियों जिनके द्वारा रक्त के थक्के बनाने की प्रवृत्ति का मापन किया जाता है, का मापन करने पर पाया गया कि कच्चे लहसुन के सेवन से यह गतिविधि 72 प्रतिशत बढ़ी जबकि पके हुए लहसुन के साथ इसका प्रतिशत 63 रहा। लहसुन की एक मात्रा का प्रभाव करीब बारह घंटे तक रहा। जांच के दौरान अगले 28 दिनों में कच्चे लहसुन के साथ इन गतिविधियों का स्तर 85 प्रतिशत बढ़ा जबकि पकाए गए लहसुन के साथ यह स्तर सामान्य से 72 प्रतिशत अधिक रहा।

5-अदरक

अदरक में प्रति स्कंदक गुण बहुतायत में पाए जाते हैं। इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से । रक्त को थक्कों से बिलकुल दूर रखा जा सकता है। यह रक्त में श्रोम्बोक्सेन बनने से रोकता है। डॉ. कृष्णा सी श्रीवास्तव के अनुसार अदरक में प्रोस्टाग्लैन्डीन की मात्रा बढ़ाने की क्षमता । इसके लिए दी जानेवाली औषधि इंडोमेंथासिन से कहीं अधिक होती है। अदरक में प्रति स्कंदक गुण बहुतायत में पाए जाते हैं।
अदरक मनुष्यों के बीच अपने प्रति स्कंदक गुणों के लिए जाना जाता है। इसका पता सबसे पहले कोर्नेल चिकित्सा विश्वविद्यालय के चिकित्सक डॉ. चाल्स आर डोर्मों द्वारा लगाया गया था। उसने स्वयं क्रेब ट्री और एविलाइन अदरक को अंगूर के मुरब्बे के साथ खाया तो उनके रक्त का थक्का नहीं जमा। फिर उन्होंने अपने रक्त की प्लेटलेट्स में अदरक पीसकर मिलाया तो देखा कि रक्त की चिपचिपाहट कम हो गई है। डॉ. डोर्सी के अनुसार अदरक में जिंजेरोल नामक पदार्थ होता है जो संरचना में एस्पिरिन से मिलता-जुलता है।

6-अंगूर

अंगूर जिसे फलों की रानी के नाम से जाना जाता है, प्रकृति के बहुमूल्य उपहारों में से एक है। प्राचीन भारत के महान चिकित्सक चरक ने इसे सबसे महान फल कहा है। इसमें चिकित्सा के गुण बहुत अधिक होते हैं चाहे इसे यूं ही खाया जाए, या इसका रस बनाकर पीया जाए। इसमें प्रति स्कंदक गुण पाए जाते हैं और यह रक्त का थक्का बनाने से रोकता है। इसकी ऊपरी सतह में रेस्वरेट्रॉल होता है जो कि रक्त की प्लेटलेट्स को एक साथ आने और जमने से रोकता है।

7-काला मशरूम

एशिया में पाया जानेवाला काला मशरूम या कुकुरमुत्ता रक्त के थक्के कम करने में उपयोगी भोजन है। रक्त पर इसके चमत्कारी प्रभाव को देखते हुए चीन में इसे दुर्जेय भोजन कहा जाता है। डॉ. डेल हैमरस्मिट जो मिनेसोटा चिकित्सा विश्वविद्यालय में हीमेटोलॉजिस्ट हैं, उन्होंने एक बार मशरूम से बना पदार्थ मैपो देहूं काफी मात्रा में खा लिया। इसे खाने के बाद उन्होंने अपने रक्त की प्लेटलेट्स के व्यवहार में आश्चर्यजनक बदलाव पाया। उनके एक साथ जुड़कर थक्के में बदलने की प्रवृत्ति पहले की अपेक्षा कम हो गई थी। इस बदलाव को उन्होंने मशरूम में उपस्थित प्रति स्कंदक गुणों के कारण हुआ माना। काले मशरूम में एडिनोसिन जो लहसुन में भी होता है, के अलावा अन्य पदार्थ होते हैं जो कि रक्त को पतला करने का काम करते हैं। हां, बटन मशरूम में ये सारे गुण नहीं होते। उन्होंने बताया कि चीनी लोगों के भोजन में कई ऐसे पदार्थ होते हैं जैसे लहसुन, प्याज, मशरूम जो कि रक्त को पतला रखने का काम करते हैं। यही कारण है कि उन लोगों को कोरोनरी धमनियों के रोग कम अनुपात में होते हैं।

8-जैतून का तेल

यह तेल एक शक्तिशाली प्रति स्कंदक भोजन है। यह रक्त की प्लेटलेट्स के चिपचिपेपन को दूर करता है। यह बात एक शोध के द्वारा सिद्ध हुई जो रामल फ्री हॉस्पिटल और स्कूल आफ मेडिसिन लंदन में ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा की गई। इन वैज्ञानिकों ने कुछ लोगों को आठ सप्ताह के लिए दिन में दो बार तीन चौथाई चम्मच जैतून का तेल पीने के लिए दिया। रक्त के परीक्षण के बाद यह सामने आया कि रक्त की प्लेटलेट्स की झिल्लियों में जैतून के तेल में उपस्थित ऑलिव अम्ल पाया गया जो रक्त की चिपचिपाहट को कम करता है। जैतून के तेल वाली प्लेटलेट्स आम्बोक्सोन (जो रक्त को चिपचिपा बनाता है) का उत्सर्जन कम मात्रा में करती हैं। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष दिया कि जैतून का तेल प्लेटलेट्स के कार्य को उन्नत करता है। उन्होंने यह बताया कि यही कारण है कि जो लोग अपने भोजन में अधिकतर जैतून के तेल का उपयोग करते हैं (भूमध्यरेखीय क्षेत्र के लोग), उन्हें हृदय की बीमारियां कम होती हैं।

9-प्याज

प्याज भी एक प्रति स्कंदक भोजन होता है। इसे कच्चा या पकाकर खाने से रक्त में थक्कों की मात्रा कम हो जाती है। हार्वर्ड के डॉ. विक्टर गौरविच हृदय की बीमारियों से पीड़ित अपने मरीजों को सलाह देते हैं कि वे भोजन में प्याज का नियमित सेवन करें क्योंकि प्याज में उपस्थित यौगिक रक्त की प्लेटलेट्स को जमने से रोकता है और थक्के तोड़ने की गतिविधि को बढ़ाता है। दरअसल प्याज में वसायुक्त भोजन के सेवन से रक्त में थक्के जमाने की गतिविधि को खत्म करने की अदभुत शक्ति होती है। के. जी मेडिकल कॉलेज लखनऊ के चिकित्सक एन.एन. गुप्ता ने इसे सिद्ध किया और इसके लिए उन्होंने कुछ लोगों को अत्यधिक वसा युक्त भोजन जिसमें मक्खन, क्रीम शामिल थे, दिया और यह देखा कि उनके रक्त में थक्के विलयित करनेवाली गतिविधियां अचानक कम हो गई थीं। फिर उन्होंने उन्हें वही भोजन फिर दिया, बस उसमें 55 ग्राम प्याज (कच्चा, उबला या तला) मिला दिया। इसके बाद दो और चार घंटों में उनके रक्त की जांच की गई तो उन्होंने पाया कि प्याज ने वसा द्वारा की जाने वाली थक्का जमानेवाली गतिविधियों को पूरी तरह से रोक दिया है। दरअसल 100 ग्राम प्याज ही थक्के विलयित करने की गतिविधि को रोकने में कामयाब होता है।

(उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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