एनिमा के फायदे और नुकसान | Enema Lene ke Fayde aur Nuksan in Hindi

Last Updated on December 24, 2020 by admin

एनिमा क्या है ? (What is Enema in Hindi)

आयुर्वेद में विभिन्न रोगों का कारण कब्ज को माना गया है। कब्ज एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मल पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाता, जिससे हमारी आंतों में धीरे-धीरे मल इकट्ठा होना शुरू हो जाता है । जब आँतों में मल भर जाता है तो वहाँ सड़न पैदा होकर कीटाणु पनपने लगते हैं और सारे शरीर में रोग उत्पन्न होने लगते हैं। इन सबसे बचने के लिए यदि हम शरीर से किसी भी तरह मल को बाहर निकाल दें तो स्वस्थ रह सकते हैं।

एनिमा ऐसा ही एक साधन है जो आँतों की सफाई करता है, जब बड़ी आंत में मल जमकर कड़ा हो जाता है तो आँतों की मल फेंकने की क्षमता कम हो जाती है। एनिमा द्वारा बड़ी आंत की सफाई तो होती ही है साथ में आँतों की क्रियाशीलता में भी वृद्धि होती है।

एनिमा लेने की विधियाँ :

एनिमा लेने की कई विधियाँ हैं उपयुक्त विधि में बाईं करवट लेटकर एनिमा लेना ‘चाहिए क्योंकि हमारी आँतों का अधिकतर भाग बाईं तरफ ‘ स्थित है, जिस कारण बिना किसी दबाव के अधिक पानी ‘आँतों में चढ़ा सकते हैं। जिन्हें बाएँ करवट से परेशानी है वे दाएँ करवट लेटकर भी एनिमा ले सकते हैं। पेट के बल ‘लेटकर भी एनिमा लिया जा सकता है। एनिमा के पानी को कम से कम 10 से 15 मिनट रोकना चाहिए। ‘एनिमा कई प्रकार के द्रव्यों का भी लिया जा सकता है।

1). नीम की पत्ती का एनिमा :

तीन लीटर पानी में 150 ग्राम पत्तियाँ डालकर खूब उबालें जब पानी आधा रह जाए ‘तब उचित तापमान पर लाकर प्रयोग करें। नीम के पानी का एनिमा लेने से पेट के कृमि (कीड़े) व घावों में विशेष रूप से लाभ पहुँचता है।

2). छाछ का एनिमा :

दही की छाछ बनाकर उसे छान लें ‘ और एनिमा में पानी की जगह छाछ को प्रयोग में लाएँ । ‘छाछ’ का एनिमा लेने से हमारी आँतों को शक्ति मिलती है। ऐसे रोगी जो दस्त एवं मरोड़ के शिकार हैं, उनके लिए छाछ का एनिमा सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

3). नीबू पानी का एनिमा :

आँतों में जमे हुए कड़े मल को ‘ढीला करने के लिए नींबू पानी का एनिमा दिया जाता है । ऐसे ‘ रोगी जिन्हें पुरानी कब्ज है उनके लिए यह बहुत लाभदायक है ।

4). अरण्डी के तेल का एनिमा :

ऐसे लोग जिन्हें कई दिन तक शौच नहीं होती उन्हें अरण्डी के तेल का एनिमा दिया
जाता है। यह एनिमा सप्ताह में एक या दो दिन लेना चाहिए और तेल की मात्रा 50 से 100 मि. ली. के बीच तक रखनी चाहिए।

5). ठंढे पानी का एनिमा :

आँतों में छाले, बवासीर,पीलिया आदि में ठंढे पानी का एनिमा देने से कब्ज दूर होता है और आँतों को शक्ति मिलती है ।

एनिमा का हमारे शारीरिक अवयवों पर प्रभाव :

  • एनिमा लेने से हमारी आँतें शक्तिशाली बनती हैं। ‘आँतों की फैलने व सिकुड़ने की क्रिया में वृद्धि होती है।
  • मलाशय की सफाई होने से हमारे शरीर का रक्तसंचार ठीक होता है।
  • पाचन प्रणाली में निकलनेवाले पाचक रसों का स्राव नियमित होने लगता है।
  • पुराना मल निकल जाने की वजह से भूख खुलकर लगने लगती है और शरीर में स्फूर्ति का अनुभव होता है।
  • एनिमा के इन उपयोगों को देखकर ही उसे प्राकृतिक चिकित्सा का ब्रह्मास्त्र कहा गया है।

एनिमा के फायदे (Enema Lene ke Fayde in Hindi)

वस्तुतः एनिमा किसी रोग की दवा नहीं है, किन्तु इससे शरीर के लगभग समस्त रोगों को आश्चर्यजनक रूप से दूर होने में मदद मिलती है।

1). शरीर को अंदर से साफ करे – एनिमा बड़ी आँत में जल पहुँचाकर उसे साफ कर देने का उपाय मात्र है, परन्तु आँत की सफाई का परिणाम होता है कि इससे शरीर निर्मल, रोगरहित और सुन्दर दिखाई देने लगता है।

2). रक्त शुद्धि करने में मददगार – एनिमा लेने से अन्तड़ियों की सफाई के साथ-साथ शरीर का खून भी साफ होता है, जिससे त्वचा कोमल हो जाती है और चेहरा चमकने लगता है।

3). कब्ज से छुटकारा – एनिमा का सबसे अधिक लाभ यह है कि कब्ज जो समस्त रोगों की जड़ है से छुटकारा मिल जाता है और उससे उत्पन्न अन्तड़ियों के भीतरी भागों की गर्मी और खुश्की दूर हो जाती है। जुलाब या रेचक औषधियों से इस प्रकार के कुछ भी लाभ नहीं मिलते, वरन् वे पेट के लिए विष (Poison) सिद्ध होती हैं तथा आँतों और खून में मिलकर सारे शरीर को बहुत ही हानि पहुँचाती है।

4). कृमि संक्रमण को दूर करे – बड़ी आँत के भीतरी हिस्से के समतल न होने के कारण उसमें मल सूखकर कभी-कभी साल भर से भी अधिक समय तक चिपटा रहता है, जिससे कई तरह के जीवाणु और कृमि अपने अण्डों-बच्चों सहित डेरा जमा लेते हैं । एनिमा के प्रयोग से ये सबके सब साफ हो जाते हैं।

5). ज्वर आदी रोगों से बचाव – कभी ज्वर आदि किसी भी बीमारी के आने की संभावना हो, उस समय केवल एक एनिमा ले लेने से ही भय टल जाता है। फिर या तो वह रोग आता ही नहीं और यदि आता भी है तो शीघ्र ही चला जाता है।

6). सुखकारी प्रसव में मददगार – प्रसव के पहले एक एनिमा गर्भवती स्त्री को दे देने से प्रसव बिना अधिक कष्ट के हो जाता है। गर्भावस्था के अनेक उपद्रव, जैसे-कै (उल्टी) होना, खाना ठीक से न पचना आदि रोग एनिमा लेने से दूर हो जाते हैं।

7). शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर करे – पीलिया या कंवरू रोग में-गरम पानी के एनिमा के बाद ठण्डे पानी का एनिमा देने से बड़ा लाभ होता है। गठिया, बवासीर, पुरानी कोष्ठबद्धता, मन्दाग्नि, खून की खराबी, श्वास की बीमारी, सिरदर्द, मूर्च्छा, चक्कर आना, अफरा, खाँसी, मुँह से दुर्गन्ध आना, यकृत विकार, शरीर का फीका पड़ जाना और निस्तेज हो जाना, फोड़ा, फुन्सी, दाद, खाज आदि चर्म रोगों का होना, जीभ में छाले पड़ जाना तथा स्नायु विकार आदि लगभग सभी शारीरिक और मानसिक रोग एनिमा के प्रयोग से मात्र कुछ ही दिनों में अच्छे हो जाते हैं।

8).सर्व रोग नाशक – एनिमा के इसी सर्वरोग नाशक गुण के कारण इसका एक नाम ‘दवा-उल-मुबारक’ भी है, जिसका सरल हिन्दी में अर्थ है-सब रोगों की दवा।

एनिमा के नुकसान (Enema ke Nuksan in Hindi)

क्या एनिमा हानि भी करता है ? यदि एनिमा को विधिवत् काम में लाया जाये तो-एनिमा सदैव लाभ ही प्रदान करता है और कभी भी हानि प्रदान नहीं करता किन्तु यदि इसका दुरुपयोग किया जायेगा अथवा उसको विधिपूर्वक काम में नहीं लाया जायेगा, तो वह अवश्य ही हानि करेगा। उदाहरणार्थ –

  • जिस रोग में पतले दस्त आते हों और साथ ही रोगी को कमजोरी भी हो, उसमें एनिमा देना हानिकारक है।
  • एनिमा के जल में साबुन (Soap), ग्लीसरीन या अन्य औषधियाँ मिलाकर देने से एनिमा अवश्य हानि करता है और एनिमा की आदत भी पड़ जाती है।
  • छोटे बच्चों को अधिक ठण्डे जल का एनिमा हानि पहुँचाता है।
  • लगातार महीनों या वर्षों तक बिना आवश्यकता के एनिमा लेते रहना निश्चय ही बुरा है। ऐसा करने से आँत को बहुत ही हानि पहुँचती है और वे सदैव के लिए कमजोर हो जाती हैं।
  • गरम पानी का एनिमा बहुत दिनों तक लगातार लेते रहने से भी आँतें कमजोर पड़ जाती हैं।

विशेष :

कुछ लोग एनिमा लेने से इसलिए डरते हैं क्योंकि वे सोचते हैं कि एनिमा लेने से उन्हें एनिमा लेने की आदत पड़ जाएगी और फिर बिना एनिमा लिए उन्हें शौच होगा ही नहीं । परन्तु यह उनका मात्र भय ही है क्योंकि आवश्यकतानुसार विधिवत् एनिमा लेने से और आवश्यकता के दूर हो जाने पर उसे छोड़ देने से कभी भी एनिमा लेने की आदत नहीं पड़ती और बिना एनिमा लिए ही प्राकृतिक रूप से शौच हो जाती है।

कुछ लोगों का कथन है कि एनिमा का प्रयोग अप्राकृतिक है । यदि हम ऊपरी दृष्टि से देखें तो बात तो यथार्थ लगती है किन्तु यदि आँत में पानी चढ़ाकर आँत को धोना, साफ करना अप्राकृतिक है तो मुँह को साफ करना भी अप्राकृतिक माना जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त जहरीली दस्तावर दवाएँ खिलाकर पाखाना कराना तो एनिमा से भी अधिक अप्राकृतिक, अस्वाभाविक और हानिकारक प्रयोग है।

कुछ लोग यह भी कहते हैं कि एनिमा लेने से कमजोरी आती है । ऐसे लोगों को जानना चाहिए कि एनिमा का पानी शरीर के खून को बाहर नहीं निकालता, बल्कि शरीर के मल को शरीर से बिना किसी प्रकार की क्षति पहुँचाए निकालकर उसे निर्मल, निरोग, हल्का और फुर्तीला बना देता है। अतः एनिमा के प्रयोग से किसी प्रकार की भी कमजोरी नहीं आती।

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