जल चिकित्सा के फायदे और नुकसान | Water Therapy Benefits & side effects in Hindi

Last Updated on August 18, 2020 by admin

पानी का महत्व और उपयोग (Importance and Uses of Water in Hindi)

pani ka mahatva hindi –

जल का परिचय देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि भारत के लोग ही नहीं अपितु सारे विश्व के लोग आदि काल से ही इससे अच्छी तरह से परिचित हैं और इसके औषधीय गुणों और जीवन में इसके महत्त्व को सभी जानते और समझते हैं। इसका उपयोग सभी को प्यास बुझाने तथा शरीर को स्वस्थ रखने के लिए करना पड़ता है।
हमारी भारतीय संस्कृति में जल को देवता माना गया है। यह अत्यन्त पवित्र पदार्थों में आता है। तभी तो हम प्रायः सभी पवित्र और शुभ कार्य जल स्रोतों के पास करते हैं। जल स्रोतों को देवता का स्थान मानते हैं। नदियों को माता कह कर पुकारते हैं – जैसे गंगा मइया, यमुना मइया, समुद्र देवता और जल देवता आदि।
इसके साथ ही प्रायः देवी-देवताओं का मन्दिर नदियों और तालाबों के किनारे बनाया जाता है। जहाँ यह सुविधा नहीं वहाँ कुँआ या चापाकलों की व्यवस्था की जाती है।

जल की महत्ता को बच्चा-बच्चा जानता है। इस पृथिवी पर जितने भी मनुष्य, पशु, पक्षी, कीट, पंतग, पेड़, पौधे, घास, फूस आदि हैं। सभी को जीवन की रक्षा के लिए इसकी आवश्यकता पड़ती है। खाना खाए बिना आदमी रह सकता है परन्तु बिना जल के आदमी का जिन्दा रहना नामुमकीन है।

जल ही जीवन है। इस तथ्य को हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं। मानव के लिए शुद्ध हवा के बाद शुद्ध जल की महत्ता सर्वोपरि है। औषधीय गुणों में जल का स्थान उन अनमोल पदार्थों में से एक है जिनकी जरूरत जीवन रक्षार्थ हेतु होती है।
अगर किसी कारण से शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो रोगी की प्राण रक्षा के लिए तुरन्त ग्लूकोज और सालाइन जल चढ़ाना पड़ता है। नहीं तो शायद ही रोगी के प्राण बच सकें।

पानी का शरीर में कार्य (Functions of Water in Our Body in Hindi)

pani hamare sharir mein kya kary karta hai –

पानी भोजन को पचाता है, रक्त को शुद्ध करता है तथा शरीर की पतली से पतली नाड़ियों में रक्त को पहुँचाता है और उन्हें सशक्त बनाकर शरीर का पोषण करता है। शरीर के विषैले तत्त्वों को पसीना तथा मल, मूत्र के रूप में बाहर करता है।

एक दिन में कितना पानी पिए (How Much Water Drink in a Day in Hindi)

pani kitna pina chahiye –

एक मनुष्य को प्रतिदिन 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। जल ही जीवन है और जल ही जीवन देता है। इस तथ्य को हमारे ऋषि और मुनि अच्छी तरह से जानते थे इसलिए उन्होंने जल की महत्ता का विशद बखान किया है ।

पानी कितने प्रकार का होता है (Types of Water in Hindi)

jal (pani) ke kitne prakar hain –

पानी की उपलब्धता के आधार पर जल का अलग-अलग वर्गीकरण किया है तथा उनका नाम भी अलग-अलग रखा है।
उन्होंने जल के दो भेदों का वर्णन किया है और उनके अनुसार इसका पहला भेद, दिव्य जल और दूसरा भौम जल कहलाता है।

  • दिव्य जल के चार भेद होते हैं – धराज, करकाभव, तौषार और हेम।
  • इसके बाद धराज जल के भी दो भेद होते हैं जैसे – गंगा जल और समुद्र का जल।
  • इसी प्रकार भौम जल के तीन भेद होते हैं – जांगल जल, अनूप जल और साधारण जल।
  • इसी प्रकार इसको अनेक छोटे-छोटे भेदों में विभक्त किया गया है जैसे – अनार्तव, नादेय, औदमिप, नैर्झर, सारस, तड़ाग, वाप्य, कौप, चौप्य, पाल्वेल, विकिर आदि।

जल कैसे पीना चाहिये (How to Drink Water Daily in Hindi)

pani pine ka sahi tarika kya hai –

सदा स्वच्छ जल का ही सेवन करना चाहिए परन्तु दुःख के साथ कहना पड़ता है कि आजकल शुद्ध जल की उपलब्धता दिन दूनी रात चौगुनी घटती जा रही है इसलिए इन बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि रोगियों को शुद्ध जल का ही व्यवहार कराना चाहिए इसके लिए जल को उबालकर ठण्डा करने के बाद ही सेवन करना चाहिए।

पानी के गुण (Properties of water in Hindi)

pani ke gun batao –

  • जल जीवन रक्षक, प्राणदायिनी और संजीवनी है।
  • जल पाचक, रक्त शोधक, नस नाड़ियों को सशक्त करने वाला है।
  • यह शरीर पोषक और दूषित तत्त्वों को शरीर से बाहर निकालने वाला तथा प्राण रक्षक है।
  • यह बेहोशी नाशक, उल्टी और वमन नाशक है।
  • जल – पित्त ज्वर नाशक, शोथ और चोट नाशक है।
  • यह नेत्र रोग नाशक, रक्त स्तम्भक, मोटापा नाशक, ज्वर रघ्न, स्फूर्ति दायक है।
  • यह बल वीर्य वर्द्धक, नकसीर नाशक, यौन रोग नाशक, दर्द नाशक और कब्ज नाशक है।
  • जल – नजला-जुकाम नाशक, दस्त नाशक, मूत्रल और मूत्र रोग नाशक, जलन नाशक, थकावट और कमजोरी नाशक है।

जल चिकित्सा के लाभ (Water Therapy Benefits in Hindi)

water therapy (hydrotherapy) ke fayde –

जल चिकित्सा (हाइड्रोथेरपी / वॉटर थेरेपी ट्रीटमेंट) एक ऐसी इलाज पद्दति है जिसमें जल के उपयोग से इलाज किया जाता है।
इसके अंतर्गत गर्म या ठंडे जल या भाप का उपयोग दर्द के उपचार व शरीर को स्वस्थ और निरोगी बनाए रखने के लिए किया जाता है। जल चिकित्सा के कुछ फायदे निम्नलिखित है –

1. मूर्छा (benefits of hydrotherapy in unconscious in hindi)

अगर कोई व्यक्ति अचानक बेहोश हो जाता है तो तुरन्त उसके चेहरे पर पानी का छीटें मारने चाहिए। इससे व्यक्ति होश में आ जाता है। यह अचूक, अत्यन्त कारगर एवं प्रभावी होता है। यह सरलता से सभी जगह उपलब्ध है।

2. वमन (water therapy for vomit in hindi)

अगर किसी व्यक्ति को उल्टी शुरू हो जाए तथा साथ में बेचैनी भी हो तो रोगी को तुरन्त ठण्डा पानी पिलाने से उसे अत्यन्त लाभ मिलता है। उल्टी और बेचैनी बहुत बढ़ी हुई अवस्था में हो तो एक गिलास कुनकुना पानी में एक चम्मच नमक और एक कागजी नीबू का रस मिला कर रोगी को सेवन कराने से उल्टी आनी बन्द हो जाती है और बेचैनी समाप्त भी हो जाती है।

3. पित्त ज्वर

रोगी को एक खाट या जमीन पर सीधा लिटा दें। उसके पेडू पर एक गहरा ताँबा का बर्तन रखें। उस बर्तन में ठंडा पानी की सीधी धार गिरायें। इससे पित्त ज्वर उतर जाता है। इसके लिए पानी का प्रेसर ज्यादा होना चाहिए।

4. चोट और सूजन (water therapy for swelling in hindi)

अगर अचानक पैर में मोच या चोट लग जाए और उसके कारण सूजन आ गयी हो तो तुरन्त एक चौड़े मुँह के बर्तन में गुनगुना पानी में नमक डालकर आक्रान्त पैर या हाथ को उसमें डुबा कर सेंकाई करें। इससे अत्यन्त लाभ मिलता है। हौट बोतल में गर्म पानी भर कर भी सेंकाई की जा सकती है।

( और पढ़े – मोच एवं सूजन के घरेलू उपचार )

5. नेत्र रोग (water therapy for eye disease in hindi)

सुबह सोकर उठते ही मुँह में पूरी तरह से पानी भर कर इक्कीस बार हल्का-हल्का छीटा आँखों पर मारे तथा शाम में सोने से पहले भी ऐसा ही करें तो आँखों के तमाम रोगों से बचा जा सकता है। इससे भी प्रभावी यह योग है। शाम में शुद्ध ताम्बे के एक बर्तन में शुद्ध और साफ पानी भरकर ढक्कन बन्द कर रख दिया जाए। सुबह इस पानी से आँखों में इक्कीस बार छीटें मारे जाएँ तो आँखों में किसी प्रकार की बीमारी होने की सम्भावना नहीं रहती है। अगर कोई रोग हो भी जाए तो वह भी ठीक हो जाता है।

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6. रक्त स्राव (water therapy for bleeding in hindi)

अगर किसी प्रकार से शरीर का कोई अंग कट जाए और खून बहने लगे तो तुरन्त एक साफ कपड़े को ठण्डे पानी में भिगाकर उसकी पट्टी बाँध दें। इसके रक्त स्राव बन्द हो जाता है।

7. शरीर की स्थूलता और मोटापा (water therapy for fat loss in hindi)

इसको दूर करने के लिए कम-से-कम सुबह एक किलोमीटर दौड़ना चाहिए और नहीं दौड़ सके तो तेज गति से टहलना चाहिए। यह अत्यन्त ही लाभकारी होता है उसके साथ ही एक गिलास गर्म पानी में एक कागजी नीबू का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन नियमित रूप से सुबहशाम सेवन करने से पेट की चर्बी गल जाती है और मोटापा दूर हो जाता है। इस रोग में भाप का स्नान भी अत्यन्त लाभकारी होता है।

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8. बुखार (hydrotherapy for fever in hindi)

अधिक ज्वर हो जाने पर रोगी को ठण्डे पानी की पट्टी लिलार तथा पैरों के तलुवा पर लगाने तथा गीले तौलिये से सारा शरीर पोंछने से बुखार उतर जाता है।

9. थकावट (water therapy for fatigue in hindi)

गर्मी के मौसम में ठण्डे जल तथा जाड़े में कुनकुन जल से स्नान करने से शरीर में ताजगी, स्फूर्ति आती है और थकान मिट जाती है।

10. बेनास फूटना तथा नकसीर (hydrotherapy for hemorrhage in hindi)

नाक से रक्त स्राव होता हो तो रोगी को ठण्डे पानी के नल के नीचे बैठा कर नल को पूरा खोल दें जिससे की पानी धार रोगी के माथे पर गिरे। इससे रक्त स्राव तुरन्त बन्द हो जाएगा।

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11. नींद और स्वप्नदोष (water therapy for nightfall in hindi)

रात में सोने से पहले ठण्डे पानी से हाथ, पैर और आँखों को धो लें। इससे तुरन्त नींद आती है, स्वप्न दोष का नाश हो जाता है तथा नेत्र ठण्डे रहते हैं। यह योग स्वानुभूत और अनेक रोगियों पर परीक्षित है।

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12. पिंडलियों का दर्द (hydrotherapy for calf pain in hindi)

एक बाल्टी या चौड़े मुँह के बर्तन में गुनगुना पानी भर लें तथा दूसरे में ठण्डा पानी भर लें। उन बर्तनों में लगभग 250-250 ग्राम नमक डालकर आक्रान्त पैर को एक बार गर्म तथा दूसरी बार ठण्डा पानी में डालते। इस प्रकार 15-20 बार दुहराने से पिंडलियों, एडियों तलुआ का दर्द, टेहुना का दर्द समाप्त हो जाता है। इस क्रिया को धैर्य के साथ कुछ दिनों तक लगातार नियमित रूप से सुबह-शाम करना चाहिए।

13. कब्ज (water therapy for constipation in hindi)

आज कल खान-पान की गड़बड़ी और अनियमितता के कारण कब्ज की बीमारी भयंकर रूप से फैलती जा रही है। इसे दूर करने तथा स्वस्थ रहने के लिए नियमित दिनचर्या तथा खान-पान ठीक रखना अति आवश्यक है। प्रतिदिन एक ताँबे के बर्तन में शाम में पानी रखकर सुबह दाँत-मुँह साफ करने के बाद निहार मुँह प्रतिदिन तीन-चार गिलास पानी पीने से कब्ज समाप्त हो जाता है।

14. नेत्रों में कीड़ा या बाहरी चीज का पड़ना

अगर आँख में कीड़ा या तिनका चला गया हो तो एक चौड़े मुँह के कटोरा में साफ पानी भरकर आक्रान्त आँख को उस पानी में डूबा कर बार-बार आँख खोलें तथा बन्द करें। इससे
कीड़ा या तिनका बाहर निकल जाता है।

15. सर्दी, खाँसी, नजला तथा जुकाम (water therapy for cough and cold in hindi)

इन बीमारियों को दूर करने के लिए आधा-आधा गिलास गुनगुना पानी पीते रहने पर लाभ होता है। साथ ही गुनगुना पानी में नमक डालकर कुल्ला करने से शीघ्र लाभ होता है।

16. मूत्र रोग (hydrotherapy for urinary disease in hindi)

गर्मी के दिनों में अधिक पानी पीने से मूत्र की जलन तथा अन्य रोग समाप्त हो जाते हैं।

17. दर्द (water therapy for pain in hindi)

गर्म पानी को हौट बोतल में भरकर सेंकाई करने से सभी तरह के दर्द में लाभ मिलता है चाहे वह पेट दर्द हो, गैस कब्ज और आफरा का दर्द हो या जोड़ों का दर्द हो या चोट मोच हो।

जल चिकित्सा में सावधानियाँ और नुकसान (Precautions and Side Effects in Water Therapy in Hindi)

जल का उपयोग करते समय निम्नलिखित बातों पर अवश्य ध्यान देना चाहिए –

  1. दूषित जल भूलकर भी सेवन नहीं करना चाहिए सदा शुद्ध और ताजे जल का सेवन अधिक लाभकारी होता है।
  2. गले में शोथ, खरास, सर्दी जुकाम, कमर दर्द, उदर शूल उल्टी, वमन, अपच, गैस और ज्वर के रोगियों को सदाउबाल कर ठण्डा किया हुआ पानी पीना चाहिए।
  3. गर्म किये जल को दुबारा गर्म नहीं करना चाहिए क्योंकि उसे बार-बार गर्म करने से उसका औषधीय गुणों का नाश हो जाता है।
  4. खाना खाते समय पानी नहीं पीना चाहिए परन्तु अति आवश्यक होने पर एक-दो घुट पिया जा सकता है। इससे- अधिक नहीं। खाना खाने से आधा घण्टा पहले तथा बाद में एक घण्टा तक पानी नहीं पीना चाहिए।
  5. सुबह निहार मुँह पानी छोड़ कर कभी भी एक बार में एक गिलास पानी से अधिक नहीं पीना चाहिए और दिन भर में 9-10 गिलास से अधिक पानी नहीं पीना चाहिए क्योंकि अधिक पानी पीने से मधुमेह रोग होने की सम्भावना होती और कम पानी पीना भी अत्यन्त हानिकारक है इसलिए अति सर्वत्र वर्जयेत का हमेशा ख्याल रखें।
  6. गर्म पदार्थ खाने के बाद ठण्डा और ठण्डा चीज खाने के बाद गर्म पानी नहीं पीना चाहिए।
  7. भूख लगने पर पानी नहीं पीना चाहिए।
  8. पेट दर्द और उल्टी होने पर पानी नहीं पीना चाहिए।
  9. वायु का प्रकोप, अम्लपित्त, बहुमूत्र तथा मधुमेह के रोगियों को पानी की अपेक्षा दूध पीना अधिक लाभकारी है।
  10. पानी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में थोड़ी-थोड़ी देर के बाद पीना चाहिए।
  11. शोथ के रोगियों को थोड़ा-थोड़ा ताजा पानी उबाल कर ठण्डा किया हुआ थोड़ी-थोड़ी देर के बाद पीना चाहिए।
  12. श्वास और दमा के रोगियों को तथा सर्दी, जुकाम और गले दर्द से पीड़ितों को गर्म (गुनगुना ही) पानी पीना चाहिए।
  13. बेहोशी, पित्त बढ़ने पर, गर्मी, दाह, रक्त विकार, नशा, अधिक श्रम या थकान, श्वास, रक्त पित्त इत्यादि के रोगियों को ठण्डा पानी ही पीना चाहिए।
  14. नेत्र रोगियों को थोड़ा-थोड़ा पानी पीना चाहिए।
  15. हैजा के रोगियों को सौंफ डालकर उबाला हुआ पानी ठण्डा करके एक-एक चम्मच थोड़ी-थोड़ी देर पर पिलाना चाहिए। अधिक पानी पीने से उल्टियाँ बढ़ जाती हैं।
  16. शौच जाने के बाद, भोजन करने के बाद, धूप में चलने के बाद, शरीर मे पसीना होने पर और चलते-चलते थकान होने पर तुरन्त पानी नहीं पीना चाहिए।
  17. घी, मलाई और चिकनाई युक्त पदार्थों के सेवनोपरान्त पानी नहीं पीना चाहिए।
  18. ज्वर और टाईफाइड के रोगियों को ठण्डा पानी नहीं पीना चाहिए।
  19. उषापान करना अति आवश्यक है। तीन-चार गिलास पानी खौला कर शाम का ताँबे के बरतन में रखे और उसे सुबह पीना चाहिए। परन्तु कफ, मन्दाग्नि और नूतन ज्वर के रोगियों को उषापान नहीं करना चाहिए।
  20. पानी का औषधीय गुण अनुपान के अनुसार बदल जाता है जैसे चीनी मिलाकर पानी कफ वर्द्धक और पित्त शामक होता है तथा वायु को घटाता है। मिसरी मिला पानी त्रिदोष नाशक और पौष्टिक होता है। गुड़ मिला हुआ पानी
    मूत्रल और मूत्र के रुकावट का नाशक है। यह पित्त कारक और कफ वर्द्धक होता है। पुराना गुड़ मिला हुआ पानी पित्त नाशक और अत्यन्त हितकर होता है।
  21. गर्म करके ठण्डा किया पानी पीने से पेट दर्द, नवीन ज्वर, पीलिया, सर्दी, जुकाम, गले का शोथ, प्रमेह, अरुचि, मन्दाग्नि, नेत्र रोग, वात रोग, कफ प्रधान श्वास रोग, हिचकी और खाँसी आदि रोगों में लाभकारी होता है।
  22. एक बार में ज्यादा पानी उबाल कर नहीं रखना चाहिए क्योंकि अधिक देर तक रखने से इसका गुण कम हो जाता है। सुबह का पानी इतना ही उबाला जाए जो शाम तक पिया जा सके और शाम में इतना ही पानी उबाला जाना चाहिए जो सुबह तक व्यवहार कर लिया जाए। इससे अधिक मात्रा में खौलाया हुआ पानी फेंक देना चाहिए।

जल में अनेक अमूल्य गुण पाये जाते हैं। आयुर्वेद ऋषि-मुनियों ने तो जल चिकित्सा पर अनेक पुस्तकों की रचना को लिखा है की है। उन्होंने जल ही जीवन है का सिद्धान्त का प्रतिपादित किया है। इसके गुणों का वर्णन जितना भी विशद रूप से किया जाए वह ऊँट के मुँह में जीरा होगा।

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