वॉटर रिटेंशन के कारण और उपचार – Water Retention in Hindi

Last Updated on May 16, 2021 by admin

क्या है वॉटर रिटेंशन ? (What is Water Retention in Hindi)

हमारा करीब 60 फ़ीसदी शरीर पानी से बना होता है। किंतु अगर शरीर में पानी ज्यादा हो जाए तो उस स्थिति को आम बोलचाल की भाषा में “वॉटर वेट” या “पानी वाला वजन” कहते हैं। मेडिकल विज्ञान की भाषा में इसे “वॉटर रिटेंशन” या “एडिमा” कहा जाता है। यह स्थिति तब पैदा होती है जब शरीर में पानी की संचारण प्रणाली कमजोर हो जाती है। इसके नतीजे में शरीर के कई अंगों खासकर हाथ पैर, एड़ियों और पैरों के पंजों में सूजन हो जाती है।

वॉटर रिटेंशन के क्या लक्षण होते हैं ? (Water Retention Symptoms in Hindi)

कुछ लक्षणों से वॉटर रिटेंशन का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। जैसे –

  • पेट व शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन का होना,
  • जोड़ों में अकड़न का होना,
  • शरीर में भारीपन,
  • सूजन वाली जगह पर दबाव देने पर वहां गड्ढा बन जाना,
  • चेहरे पर सूजन का होना,
  • अचानक वजन का ज्यादा या कम हो जाना,
  • त्वाचा पर निशान पड़ना,

वॉटर रिटेंशन क्यों होता है ? (Water Retention Causes in Hindi)

वॉटर रिटेंशन कई वजहों से हो सकता है जिसमे प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

  • जिन लोगों की जीवनशैली बहुत आराम – तलब वाली होती है, उनके पैरों के निचले हिस्से में पानी जमा हो जाता है और सूजन हो जाती है।
  • अलबुमीन नामक प्रोटीन शरीर में द्रव्य (फ्लूड) पदार्थों का संतुलन बनाने में मदद करता है। शरीर में प्रोटीन की बहुत ज्यादा कमी से भी यह समस्या हो सकती है।
  • कई बार किसी चोट के लगने के कारण, किसी संक्रमण या किसी एलर्जी की वजह से भी शरीर में पानी की संचरण प्रणाली अव्यवस्थित हो जाती है और वॉटर रिटेंशन की स्थिति पैदा हो जाती है।
  • कई बार हॉर्मोनल इंबैलेंस (हॉर्मोन असंतुलन) के कारण भी शरीर में पानी जमा होने लगता है। इसमें खासकर थाइरॉइड हॉर्मोन्स का असंतुलन ज्यादा असर डालता है।
  • कई दवाओं की वजह से भी शरीर में पानी एकत्र होने लगता है। इनमें गर्भ निरोधक और डायबिटीज की कुछ तरह की दवाएं शामिल हैं।

वॉटर रिटेंशन को कम करने के सरल घरेलू उपचार (Water Retention Home Remedies in Hindi)

वॉटर रिटेंशन में खान-पान की अहम भूमिका होती है। इसे निम्न उपायों से कम किया जा सकता है –

1). नमक का सेवन कम करना : पानी जमा होने की एक बड़ी वजह नमक का ज्यादा सेवन करना है। रोजाना डाइट में नमक को कम करने के अलावा फास्ट फूड का सेवन पूरी तरह से बंद करना उचित होगा। ( और पढ़े – नमक के फायदे और नुकसान )

2). खड़े अनाज की मात्रा बढ़ाना : पानी की मात्रा कम करने का यह सबसे प्रभावी उपाय है। बाजरा, ज्वार, ब्राउन राइस, क्विनोआ जैसे पदार्थ खड़े अनाज (साबुत अनाज) की मात्रा भोजन में बढ़ाना फायदेमंद होगा।

3). खाने में मैग्नीशियम की मात्रा बढ़ाना : वॉटर रिटेंशन कम करने में मैग्नीशियम प्रमुख मिनरल है। बादाम – अखरोट, खड़ा अनाज, पत्तेदार सब्जियां, बीन्स, केले और डार्क चॉकलेट मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं।

4). पोटैशियम से भरपूर पदार्थ खाना : केला, शकरकंद, एवोकेडो, पालक, बीन्स आदि पोटैशियम के अच्छे स्रोत होते हैं। इनके सेवन से शरीर में नमक की मात्रा को कम करने में मदद मिलती है।

5). पर्याप्त पानी पीना : शरीर में पानी की ज्यादा मात्रा होने का मतलब यह नहीं है कि पानी पीना कम कर दिया जाए। पर्याप्त पानी पीने से शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ निकल जाते हैं जो वॉटर रिटेंशन को कम करते हैं। ( और पढ़े – पानी कब कैसे व कितना पियें ? जानिये यह 23 खास बातें )

6). ओमेगा -3 फैटी एसिड वाले पदार्थ : अखरोट, काजू, बादाम, मूंगफली, अलसी और सभी नट्स में ओमेगा -3 फैटी एसिड भरपूर होता है। इनके अधिक सेवन से वॉटर रिटेंशन की समस्या को कम करने में मदद मिलती है।

7). दालचीनी का पानी : दालचीनी की कुछ स्टिक या उसके चुटकीभर चूर्ण को रातभर पानी में भिगोकर रखकर उसका सुबह के समय सेवन करने से भी वॉटर रिटेंशन की समस्या में राहत मिलती है। दिन में दो बार जैस्मिन चाय पीने से भी फायदा मिलता है। ( और पढ़े – दालचीनी के 79 अमृतमय औषधीय प्रयोग )

8). रिफाइंड कार्बोडाइड्रेट : जैसे मैदा आदि का ज्यादा सेवन न करें। इससे फ्लूड की मात्रा भी बढ़ जाती है।

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