Last Updated on November 21, 2019 by admin
कण्ठमाला के लक्षण : kanthmala ke lakshan
गले की ग्रन्थियाँ बड़ी होती हैं और पक जाती हैं तथा फटने पर महीनों बहती रहती हैं । एक ठीक होने पर दूसरी हो जाती है । प्रायः एक साथ अनेक ग्रन्थियाँ बढ़ी हुई हुआ करती हैं।
आइये जाने कण्ठमाला में क्या खाना और क्या नहीं खाना चाहिए
कण्ठमाला में भोजन और परहेज : kanthmal me kya khaye kya nahi
1) रोगी ऐसे पदार्थ का सेवन न करें जिससे पेट में गैस बनती हो।
2) हलका सुपाच्य भोजन करना चाहिये ,रोगी को अधिक तथा गरिष्ठ भोजन से बचना चाहिये ।
3) रोगी किसी भी प्रकार का नसा , नशीले पदार्थों का सेवन न करें।
4) आवश्यकता अनुसार 2-3 दिन अर्द्धउपवास या पूर्ण उपवास करना चाहिए।
5) पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।
कण्ठमाला का घरेलू उपचार : kanthmala ka ilaj in hindi
1) कचनार की छाल 40 ग्राम को जौकुट कर कलईदार बर्तन में 40 ग्राम जल में पकायें । जब 50 ग्राम, जल शेष रहे तो उतार कर सुखोष्ण ही छानलें। उसमें 3 से 5 ग्राम सौंठ का चूर्ण तथा 10 ग्राम मधु मिलाकर प्रतिदिन 1 बार 40 दिनों तक पिलाने से गन्डमाला में पूर्ण लाभ होता है ।
2) चोबचीनी का चूर्ण 4 से 10 ग्राम तक नित्य 2 बार शहद के साथ चटाने से कन्ठमाला में पूर्ण लाभ होता है ।
3) काली जीरी के साथ धतूरे के बीज तथा अफीम घोट पीसकर जल में गरम कर गाढ्य-गाढ़ा लेप करने से पीड़ा शान्त हो कर गाँठे बैठ जाती हैं ।
4) नीम की छाल के साथ नीम के पत्तों को मिलाकर जौकुट कर क्वाथ बनाकर पिलाने से गंडमाला में लाभ होता है । ( और पढ़ें – घर पर बनाये नीम मलहम )
5) बबूल की छाया शुष्क अन्तर छाल के महीन चूर्ण को कन्ठमाला के घाव पर बुरकने से लाभ होता है । ( और पढ़ें – बबूल के 68 दिव्य औषधीय गुण )
6) बाकला को जौ के आटे और फिटकरी के साथ पीसकर जैतून के पुराने तेल में मिलाकर लेप करने से लाभ होता है । ( और पढ़ें –फिटकरी के 33 जबरदस्त फायदे )
7) बेल के कोमल पत्तों को पीसकर उसमें थोड़ा शुद्ध घी मिलाकर गरम करके टिकिया बनाकर गन्डमाला की ग्रन्थियों पर बाँधते रहने से लाभ होता है । ( और पढ़ें –बेल फल के चौका देने वाले 88 फायदे )
8) इमली के सूखे पत्ते पानी में पकावें । गंडमाला पर इसी पानी की भाप दें तथा यही उबले हुए पत्ते बाँधे । लगातार प्रयोग से गन्डमाला में लाभ होता है। ( और पढ़ें – इमली खाने के 78 जबरदस्त फायदे )
9) नीम के पानी से धोकर रेवन्द चीनी का लेप करने से कन्ठमाला में बहुत लाभ होता है।
10) नागफनी के 2-4 फल प्रतिदिन खिलाने से तथा इसी फल को पीसकर कन्ठमाला की ग्रन्थियों पर लेप करने से गन्डमाला में लाभ होता है। ( और पढ़ें –थूहर के 26 चमत्कारिक औषधिय प्रयोग )
11) साँप की केंचुली, काली हरड़ तथा रसौत (सभी समभाग) लेकर गोलियाँ बनाकर रख लें । आवश्यकतानुसार गाय के घी में पीसकर कन्ठमाला पर लेप करने से शीघ्र लाभ होता है। ( और पढ़ें – नाक में देशी गाय के घी को डालने से मिलेंगे यह 6 जबरदस्त फायदे )
12) चिरचिटा (आधा) की जड़ के 8-10 टुकड़े लेकर उनकी माला बनाकर रोगी के गले में पहना देने से कुछ ही दिनों में कन्ठमाला ठीक हो जाती है ।
13) मूली के बीजों को बकरी के दूध में पीसकर लेप करते रहने से कुछ ही दिनों में कन्ठमाला जाती रहती है ।
14) लिसौढ़े की नरम-नरम पनी आग पर गरम कर 10 दिनों तक कंठ में। बाँधने से कंठमाला का रोग नष्ट हो जाता है ।
15) कसदी की पत्ती 15 ग्राम, काली मिर्च 4 नग लें । दोनों को पीसकर लेप करने से कंठमाला जाती रहती है।
16) गूगल 10 ग्राम, काली मिर्च 3 ग्राम को सिरके में पीसकर लगाने से कन्ठमाला दूर हो जाती है।
17) सौंठ 3 ग्राम, कुलथी के बीज 10 ग्राम लें । दोनों को गौ मूत्र में पकाकर ठन्डा करें । इसका लेप करने से कंठमाला शीघ्र ठीक हो जाती है। अच्छी चिकित्सा व्यवस्था के अभाव में गन्डमाला अपची के रूप में परिवर्तित हो जाती है ।
18) शुद्ध हरताल, शुद्ध मैनसिल, सैंधव लवण (तीनों समभाग) लहसुन रस 4 गुना तथा मधु 8 गुना लेकर प्रलेप सा बना लें । थोड़ी रुई या गॉज को इसमें भिगोकर व्रण के भीतर रखकर पट्टिका बाँध दें । इससे थोड़े ही दिनों में व्रण भर जाते हैं।
19) सफेदा काश्मीरी 6 ग्राम, सिन्दूर असली 10 ग्राम, सरसों का तेल 50 ग्राम, तीनों दवाओं को एक लोहे की कढ़ाई में डालकर मन्दाग्नि से जोश दे और उतार लें । इस प्रकार जोश देने की प्रक्रिया 3 बार करें । यह मलहम सदृश औषध बन जायेगी । इसको सुरक्षित रख लें ।
प्रयोग विधि- सर्वप्रथम रोगी को आसन पर बिठाकर 4 किलो दही में 20 ग्राम श्वेत मल्ल पीसकर डालकर रोगी के सामने रखकर रोगी से दोनों हाथों से दही मथने की आज्ञा दें । रोगी इस फेन की भाँति दही को इतना मथे कि उसके शरीर से पसीना निकलने लगे । पसीना आने पर हाथों को पौंछ लें । धोवें नहीं (दही भी केवल दोनों हाथों के तल भाग से ही मथे) तत्पश्चात् दही को जमीन में गाढ़ दें। इसके दूसरे दिन से उक्त मलहम लगाना शुरू करें तथा साथ में कांचनार गूगल प्रात:काल तथा साथ ही बसन्त मालती सायंकाल एक-एक खुराक देते रहें। इसके प्रयोग से कंठमाला चाहे वह क्षयात्मक अवस्था में आकर ही फूट गई हो, तब भी अवश्य ठीक हो जाती है ।
20) रोगी का जूठा पानी पीने से प्राय: स्वस्थ लोग भी कंठमाला का शिकार हो जाते हैं । ऐसी स्थिति होने पर महानिम्ब (बकायन) के पत्तों और छाल का काढ़ा पिलायें तथा छाल और पत्तों की पुल्टिस बनाकर छाले पर बाँधे । कन्ठमाला नाशक अत्यन्त सरल प्रयोग है । विशेषत: बच्चों के लिए तो रामबाण है ।
कण्ठमाला का प्राकृतिक उपचार : kanthmala ka prakritik upchar
1) कण्ठमाला में रोगी को 2 दिन के लिए उपवास रखना चाहिए और उपवास के समय में केवल फलों का रस पीना चाहिए तथा पेट को साफ रखने के लिए एनिमा लेना चाहिये । इसके पश्चात मरीज को नित्य उदरस्नान तथा मेहनस्नान करना चाहिए।
2) तुलसी और अरण्डी की पत्ती बराबर मात्रा में लेकर उसे पीसले फिर उनमें थोड़ा-सा नमक मिलाकर गर्म-गर्म ही गांठ पर बाँधने से कंठमाला का रोग नष्ट हो जाता है ।
कण्ठमाला की दवा : kanthmala ki dawa
अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित कण्ठमाला में शीघ्र राहत देने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां |
1) नीम अर्क(Achyutaya Hariom Neem Ark)
2) नीम तेल(Achyutaya Hariom Neem Tel)
3) तुलसी अर्क(Achyutaya Hariom Tulsi Ark)
प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों( Sant Shri Asaram Bapu Ji Ashram ) व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है |
नोट :- किसी भी औषधि या जानकारी को व्यावहारिक रूप में आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले यह नितांत जरूरी है ।
Ghandmala ki dava