Last Updated on January 8, 2023 by admin
खून की खराबी के कारण :
रक्त विकार अर्थात खून में दूषित द्रव्य बनना। खून में दूषित द्रव्य बनने के कई कारण होते हैं। सूक्ष्म कीटाणु फैलने के कारण यह रोग होता है। जब किसी रोगी का खून दूषित हो जाता है तो फुंसियां हो जाती हैं, किसी को फोड़े निकल आते हैं, किसी को ऐसे फोड़े हो जाते हैं जो किसी साधारण दवा से ठीक ही नहीं होता। इस तरह विभिन्न कारणों से उत्पन्न रक्त विकार को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक औषधि का प्रयोग करने से लाभ होता है।
खून की खराबी दूर करने के घरेलू उपाय : Khoon Saaf Karne ke Nuskhe
पहला प्रयोगः दो तोला काली द्राक्ष (मुनक्के) को 20 तोला पानी में रात्रि को भिगोकर सुबह उसे मसलकर 1 से 5 ग्राम त्रिफला के साथ पीने से कब्जियत, रक्तविकार, पित्त के दोष आदि मिटकर काया कंचन जैसी हो जाती है।
दूसरा प्रयोगः बड़ के 5 से 25 ग्राम कोमल अंकुरों को पीसकर उसमें 50 से 200 मि.ली. बकरी का दूध और उतना ही पानी मिलाकर दूध बाकी रहे तब तक उबालकर, छानकर पीने से रक्तविकार (Blood Disorders) मिटता है।
खून साफ करने के आयुर्वेदिक नुस्खे : Khoon Saaf Karne ke Ayurvedic Upay
1. नीम : रक्त की सफाई के लिए नीम सबसे बेहतरीन उपाय है। सुबह नीम की कुछ कच्ची कोपलें खाली पेट चबाएं और ऊपर से पानी पी जाएं। या फिर नीम की कुछ कोपलें बारीक पीसकर पानी में मिलाकर भी पी सकतें हैं। कुछ ही हफ़्तों में रक्त की सारी दूषिता समाप्त हो जाएगी।
2. चिरायता : चिरायता रक्त की सफाई के लिए रामबाण औषधि है। सुबह के समय चिरायते की कुछ पत्तियों को पीसकर एक गिलास पानी में मिलाकर पी जाएं। कुछ ही दिनों में रक्त की शुद्धि के लक्षण आपको खुद दिखाई देने लगेंगे।
3. हरड़ : रात को गरम पानी के साथ दो हरड़ का चूर्ण लें
4. त्रिफला : दिन में दो बार एक-एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी से लें
5. अदरक और नींबू : अदरख के छोटे टुकड़े को पीसकर इसमें, नींबू की दो-तीन बूंदे चुटकी भर नमक और पीसी हुई काली मिर्च (चुटकी भर) मिला कर सुबह के समय खाली पेट लें। धीरे-धीरे खून की सफाई होती चली जाएगी।
6. बेल पत्र : पके बेल के गूदे में देशी शक्कर और इसका सेवन नियमित तौर पर रक्त की शुद्धता कुछ ही हफ़्तों में हो जाएगी।
7. रक्त शोधक हल्दी : हल्दी रक्त शुद्धि के लिए अचूक औषधि है। यह रक्त के दोषों को मूत्र द्वारा अथवा दस्त द्वारा निकालकर दूर कर देती है। यह शरीर में चूने के पदार्थ के साथ मिलकर रक्त को शुद्ध लाल रंग का बनाती है।
8. लहसुन : सुबह खाली पेट, 2-3 लहसुन की कलियों का सेवन न सिर्फ पूरे शरीर को फंगल इन्फैक्शन से बचाता है बल्कि यह रक्त शुद्धि भी करता है।
9. तुलसी : सुबह रोज खाली पेट तुलसी के पत्तों का सेवन न सिर्फ रक्त शुद्धि करता है, बल्कि यह ऑक्सीजन से भरपूर भी होता है, और रक्त में भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन भी पहुंचाता है।
10. आवंला :आंवला पूरी सेहत की दृष्टि से, चमत्कारिक फल है। विटामिन सी से भरपूर आंवला, लिवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और शरीर की रोग प्रति रोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इसके अलावा रक्त को शुद्ध बनाने में भी यह बेहद कारगार है।
11. अश्वगंधा: 4 ग्राम चोपचीनी और अश्वगंधा का बारीक पिसा चूर्ण (दोनों बराबर लें) शहद के साथ नियमित सुबह-शाम चाटने से रक्तविकार मिटते हैं।
12. आयापान: शरीर में कहीं भी रक्तस्राव होने पर आयापान की पित्तयों को पीसकर लगाने से तथा पत्ते का रस 10-20 मिलीलीटर की मात्रा का मौखिक रूप से सेवन करने से रक्तस्राव बंद हो जाता है।
13. छाछ: गाय की ताजा, फीकी छाछ पीने से रक्तवाहनियों का रक्त शुद्ध होता है और रस, बल तथा पुष्टि बढ़ती है तथा शरीर की चमक बढ़ जाती है। इससे मन प्रसन्न होता है तथा यह वात, कफ संबन्धी रोग दूर होते हैं।
14. चालमोंगरा:
- नाखून काले पड़ जाएं या रक्त में कोई अन्य विकार हो तो चालमोंगरा तेल की 5 बूंदे, कैप्सूल में भरकर या मक्खन के साथ आधा घंटे के पश्चात सुबह-शाम खाने से रक्तविकार दूर हो जाता है।
- चालमोंगरा के तेल का बाह्य लेप करने से या इसके तेल को चार गुने नीम के तेल में मिलाकर या मक्खन में मिलाकर लेप करने से भी लाभ होता है।
15. रस: खून में अम्लता बढ़ने से व्यक्ति बीमार रहने लगता है। फल, सब्जियां क्षार को बढ़ाते हैं। चर्बीयुक्त चीजें चीनी, तेल, अम्लता बढ़ाती हैं। भोजन में फल-सब्जियां अधिक खानी चाहिए। इससे आयु (उम्र) बढ़ती है। बुढ़ापा दूर भागता है। फलों के रस से खून शुद्ध होता है। फलों का रस पीने से बालों की लम्बाई भी बढ़ती है।
16. धनिया: 4 कोंपले नीम, 4 कालीमिर्च, 5 ग्राम धनियां तीनों को लेकर पीसकर रख लें। इस चूर्ण को दिन में 3 बार पानी के साथ लेने से रोगी को पूर्ण आराम मिलता है। रक्त की खराबी धीरे-धीरे दूर हो जाती है। कुछ ही दिनों जब शरीर में शुद्ध रक्त प्रवाहित होने लगता है तो रोगी को सामान्य रूप से आराम आ जाता है।
17. मौसमी: मौसमी का रस खून को साफ करने वाला है और चर्म (त्वचा) के रोगों में लाभकारी है।
18. जौ: सेंके हुए जौ के आटे और मुलेठी को धोए हुए घी में मिलाकर लेप करने से रक्त वात खत्म हो जाता है।
19. चुकन्दर: चुकन्दर का रस खून को साफ करने वाला होता है और शरीर को लालसुर्ख बनाये रखता है।
20. शहद : बकरी के दूध में 8वां हिस्सा शहद में मिलाकर पीने से खून साफ हो जाती है। इसका प्रयोग करते समय नमक और मिर्च का त्याग कर देना आवश्यक है।
21. संतरा: संतरा खून की सफाई करता है।
22. पालक:
- पालक का सेवन करने से शरीर में खून की खराबी दूर होती है।
- पालक का सेवन करने से खून की खराबी और शरीर की खुश्की दूर होती है।
23. प्याज: 50 मिलीलीटर प्याज का रस, 10 ग्राम मिश्री और सफेद भुने हुए जीरे को 1 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से छाजन (खुजली), पामा और खून की खराबी आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।
24. नींबू: नींबू को गर्म पानी में मिलाकर रोजाना दिन में 3 बार पीने से खून साफ होता है।
25. पानी: पानी को गर्म करके पीने से खून की सफाई होती है।
26. अमरबेल: 4 ग्राम ताजी बेल का गर्म पानी से घोल बनाकर पीने से पित्त शमन और रक्त शुद्ध होता है।
27. शहतूत: पित्त और रक्त-विकार को दूर करने के लिए गर्मी के समय दोपहर को शहतूत खाने चाहिए।
28. पोदीना: चोट लग जाने से रक्त जमा हो जाने (गुठली-सी बन जाने पर) पुदीना का अर्क (रस) पीने से गुठली पिघल जाती है।
29. शीशम:
- शीशम के 1 किलोग्राम बुरादे को 3 लीटर पानी में भिगोकर रख लें, फिर उबाल लें, जब आधा रह जाए तो छान लें, उसमें 750 ग्राम बूरा मिलाकर शर्बत बनाकर रोगी को सेवन कराते रहने से यह खून को साफ करता है।
- शीशम के 3-6 ग्राम बुरादे का शर्बत बनाकर पिलाने से खून की खराबी दूर होती है।
30. सौंफ: गर्भाशय की शुद्धि के लिए सौंफ के पत्तों के काढ़े का सेवन करने से लाभ होता है। परन्तु इससे खून भी शुद्ध होता है और खून के विकारों से सुरक्षा होती है।
31. पीपल:
- पीपल के पत्ते और डंठलों को पीसकर उनका रस शहद के साथ रोगी को पिलाने से थाई में रुका हुआ खून साफ हो जाता है।
- 1-2 ग्राम पीपल के बीजों के चूर्ण को शहद के साथ सुबह-शाम चाटने से खून साफ (खून की शुद्धि) हो जाता है।
32. अनन्तमूल:
- अनन्तमूल 30 ग्राम को अच्छी तरह से पीसकर 1 किलो पानी में पकायें। अष्टमांश शेष रहने पर छानकर उचित मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से खुजली, उकवत और कुष्ठ आदि रक्त विकार दूर होते हैं।
- अनन्तमूल 500 ग्राम जौकूट कर यानी पीसकर 500 मिलीलीटर खौलते हुए पानी में भिगो दें और 2 घण्टे बाद मसलकर छान लें। 50 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 4-5 बार पिलाने से रक्तविकार और त्वचा के विकार शीघ्र दूर होते हैं।
- पीपल की छाल और अनन्तमूल इन दोनों को चाय के समान फांट यानी घोल बनाकर सेवन करने से पामा, कण्डु, फोड़े-फुन्सी तथा उष्णता के विकारों में लाभ होता है।
- सफेद जीरा एक चम्मच और अनन्तमूल का चूर्ण 1 चम्मच दोनों का काढ़ा बनाकर पिलाने से खून साफ हो जाता है।
- फोड़े-फुन्सी-गंडमाला और उपदंश सम्बंधी रोग मिटाने के लिए इसकी जड़ों का 75 से 100 मिलीलीटर की मात्रा में काढ़े को दिन में 3 बार रोगी को पिलायें।
- अनन्तमूल की जड़ का चूर्ण एक ग्राम, बायविडंग चूर्ण एक ग्राम दोनों को पीसकर देने से मरणासन्न बच्चे भी नवजीवन पा जाते हैं।
33. नीम:
- नीम की जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर 5-10 मिलीलीटर रोजाना पीने से खून की बीमारी मिटती है।
- नीम के पत्तों का रस 5 से 10 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना पीने से खून साफ होता है, और खून बढ़ता भी है।
- नीम के फूलों को पीसकर उसका चूर्ण आधा-आधा चम्मच सुबह और शाम को नियमित रूप से सेवन करें और दोपहर को 2 चम्मच नीम के पत्तों का रस 1 बार लें।
34. पवांड़ (चक्रमर्द): पवांड़ (चक्रमर्द) की जड़ को धोकर, उसका बारीक चूर्ण बनाकर रोजाना दिन में 4 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम घी और 10 ग्राम चीनी मिलाकर सेवन करने से खून साफ होता है और शरीर को ताकत मिलती है।
35. अंगूर: अंगूर रक्तशोधक भी है। इसमें मौजूद विभिन्न प्रकार के एसिड रक्तशोधन का कार्य करते हैं। कुछ दिन नियमित रूप से अंगूर का रस पीने से शरीर के अन्दर की गरमी दूर हो जाती है और रक्त शुद्ध होता है।
36. अंजीर: 10 मुनक्के और 5 अंजीर 200 मिलीलीटर दूध में उबालकर खा लें। फिर ऊपर से उसी दूध का सेवन करने से रक्तदोष की बीमारी में लाभ होता है।
37. एरण्ड: एक एरण्ड की मींगी, दूध 125 ग्राम, जल 250 मिलीलीटर आदि को मिलाकर उबालें, जब केवल दूध मात्र शेष रह जाए तो इसमें 10 ग्राम खाण्ड या मिश्री डालकर पिला दें, इस प्रकार एक गिरी से शुरू करके, 7 दिनों तक 1-1 गिरी बढ़ाकर घटाये। अन्त में 1 गिरी पर लाने से रक्त के रोग मिटते हैं। यह प्रयोग अत्यंत वात शामक भी है।
38. अरनी :
- अरनी की जड़ का घोल 100 मिलीलीटर पीने से रक्त शुद्ध होता है और दिल को बल मिलता है।
- अरनी के पत्तों के रस में शहद मिलाकर पिलाने से भी रक्त की शुद्ध होती है।
सावधानी :
खून में विकार या खराबी कई कारणों से होती है जैसे नमक का अधिक सेवन करना, खट्टी वस्तुओं का अधिक लेना, बासी भोजन करना। खून की खराबी से हृदय तथा प्लीहा रोग हो सकता है। इस अवस्था में रोगी का मन किसी काम में नहीं लगता है। उसे हर समय सुस्ती घेरे रहती है। कभी-कभी शरीर में फोड़े-फुंसी भी निकल आते हैं। ऐसी अवस्था में रोगी को सर्वप्रथम खट्टी मीठी तथा गरिष्ठ चीजे खाने से परहेज करना चाहिए। खाने में रोटी, दलियां, तोरई, लौकी, टिण्डा, परवल आदि की सब्जियां तथा ताजा पानी लेना चाहिए। सभी खाद्य पदार्थों में नमक की मात्रा घटा देनी चाहिए।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)