Last Updated on June 23, 2024 by admin
गोंद क्या होता है : gond kya hota hai
किसी पेड़ के तने को चीरा लगाने पर उसमे से जो स्त्राव निकलता है वह सूखने पर भूरा और कडा हो जाता है उसे गोंद कहते है.यह शीतल और पौष्टिक होता है ।उसमे उस पेड़ के ही औषधीय गुण भी होते है । आयुर्वेदिक दवाइयों में गोली या वटी बनाने के लिए भी पावडर की बाइंडिंग के लिए गोंद का इस्तेमाल होता है ।आइये जाने gond khane ke kya kya fayde होते है |
गोंद खाने के फायदे ,लाभ और उपयोग : gond khane ke fayde ,labh aur upyog
1. पौष्टिक- कीकर या बबूल का गोंद पौष्टिक होता है ।
2. नीम का गोंद रक्त की गति बढ़ाने वाला, स्फूर्तिदायक पदार्थ है।इसे ईस्ट इंडिया गम भी कहते है . इसमें भी नीम के औषधीय गुण होते है ।
3. हड्डियों की मजबूती -पलाश के गोंद से हड्डियां मज़बूत होती है .पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध अथवा आँवले के रस के साथ लेने सेबल एवं वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं और शरीर पुष्ट होता है।यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है। ( और पढ़े – हड्डियों की मजबूती के लिए योग )
4. चर्म रोग- आम की गोंद स्तंभक एवं रक्त प्रसादक है। इस गोंद को गरम करके फोड़ों पर लगाने से पीब पककर बह जाती है और आसानी से भर जाता है।आम की गोंद को नीबू के रस में मिलाकर चर्म रोग पर लेप किया जाता है।
5. श्वेतप्रदर – सेमल का गोंद मोचरस कहलाता है, यह पित्त का शमनकरता है।अतिसार में मोचरसचूर्ण एक से तीन ग्राम को दही के साथ प्रयोग करते हैं। श्वेतप्रदर में इसकाचूर्ण समान भाग चीनी मिलाकर प्रयोग करना लाभकारी होता है। दंत मंजन में मोचरस का प्रयोग किया जाता है। ( और पढ़े –श्वेत प्रदर का घरेलू इलाज )
6. बारिश के मौसम के बाद कबीट के पेड़ से गोंद निकलती है जो गुणवत्ता में बबूल की गोंद के समकक्ष होती है।
7. हिंग भी एक गोंद है जो फेरूला कुल (अम्बेलीफेरी, दूसरा नाम एपिएसी) के तीन पौधों की जड़ों से निकलने वाला यह सुगंधित गोंद रेज़िननुमा होता है । फेरूला कुल में ही गाजर भी आती है । हींग दो किस्म की होती है – एक पानी में घुलनशील होती है जबकि दूसरी तेल में । किसान पौधे के आसपास की मिट्टी हटाकर उसकी मोटी गाजरनुमाजड़ के ऊपरी हिस्से में एक चीरा लगा देते हैं । इस चीरे लगे स्थान से अगले करीब तीन महीनों तक एक दूधिया रेज़िन निकलता रहता है । इस अवधि में लगभगएक किलोग्राम रेज़िन निकलता है । हवा के संपर्क में आकर यह सख्त हो जाता हैकत्थई पड़ने लगता है ।यदि सिंचाई की नाली में हींग की एक थैली रख दें, तो खेतों में सब्ज़ियों की वृद्धि अच्छी होती है और वे संक्रमण मुक्त रहती है । पानी में हींग मिलाने से इल्लियों का सफाया हो जाता है और इससे पौधों की वृद्धि बढ़िया होती
8. जोड़ों के दर्द- गुग्गुल एक बहुवर्षी झाड़ीनुमा वृक्ष है जिसकेतने व शाखाओं से गोंद निकलता है, जो सगंध, गाढ़ा तथा अनेक वर्ण वाला होता है। यह जोड़ों के दर्द के निवारण और धुप अगरबत्ती आदि में इस्तेमाल होता है । ( और पढ़े –जोड़ों का दर्द का देसी इलाज )
9. किरणों से बचाव – प्रपोलीश- यह पौधों द्धारा श्रावित गोंद है जो मधुमक्खियॉं पौधों से इकट्ठा करती है इसका उपयोग डेन्डानसैम्बू बनाने में तथा पराबैंगनी किरणों से बचने के रूप में किया जाता है।
10. व्यंजन- ग्वार फली के बीज में ग्लैक्टोमेनन नामक गोंद होता है । ग्वार से प्राप्त गम का उपयोग दूध से बने पदार्थों जैसे आइसक्रीम , पनीर आदि में किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कई व्यंजनों में भी इसका प्रयोग किया जाता है।ग्वार के बीजों से बनाया जाने वाला पेस्ट भोजन, औषधीय उपयोग के साथ ही अनेक उद्योगों में भी काम आता है।
11. इसके अलावा सहजन , बेर , पीपल , अर्जुन आदि पेड़ों के गोंद में उसके औषधीय गुण मौजूद होते है ।
12. बवासीर (अर्श)- बबूल का गोंद, कहरवा समई और गेरु 10-10 ग्राम लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसके 1 से 2 ग्राम चूर्ण को गाय के दूध की छाछ (मट्ठा) में मिलाकर 2 से 3 सप्ताह तक पीयें। यह बादी बवासीर और खूनी बवासीर दोनों रोगों में लाभकारी होता है।
13. बल वीर्य वर्धक -बबूल की गोंद का प्रयोग करने से छाती मुलायम होती है। यह मेदा (आमाशय) को शक्तिशाली बनाता है तथा आंतों को भी मजबूत बनाता है। यह सीने के दर्द को समाप्त करता है, तथा गले की आवाज को साफ करता है। इसका प्रयोग फेफड़ों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। इससे शरीर में धातु की पुष्टि होती है तथा यह वीर्य बढ़ता है। इसके छोटे-छोटे टुकड़े घी, खोवा और चीनी के साथ भूनकर खाने से शरीर शक्तिशाली हो जाता है। ( और पढ़े –वीर्य को गाढ़ा व पुष्ट करने के आयुर्वेदिक उपाय )
सेवन की मात्रा : इसकी मात्रा 6 ग्राम के लगभग होनी चाहिए।
गोंद खाने के नुकसान : gond khane ke nuksan
इसके अधिक मात्रा में सेवन से बचना चाहिये क्योंकी यह पचने में भारी होते है ।